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एक ही मंज़िल

इंसान के जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना सुख की चाहत है। सुख की चाहत में ही इंसान ने सुविधाओं की खोज की और जब भौतिक सुख से उसे शान्ति नहीं मिली, तो उसने ईश्वर की तरफ़ देखा। एक ऐसे अनंत सुख की तलाश में, जो कभी समाप्त न हो। इसके लिए ही धीरे-धीरे ईश्वर को पाने के रास्ते तलाशे, जिन्हें धर्म यानी मज़हब का नाम दिया। धर्म / मज़हब दरअसल अच्छाई और सच्चाई का वह मार्ग है, जो इंसान को इंसान तो बनाये रखता ही है; देवता भी बना सकता है। इसीलिए धर्म भ्रष्ट लोगों को हीन दृष्टि से देखा जाता रहा है। लेकिन अब बहुत-से धर्म भ्रष्ट लोग भी धर्मों के ठेकेदार बने बैठे हैं और मूर्खों तथा नासमझों के पूज्यनीय हैं।

सही मायने में मज़हब इंसान के आत्मिक सुख के लिए बने हैं। मज़हब भौतिक सुखों से ऊब होने या सांसारिक झंझावातों से दु:खी होने के बाद सुकून पाने के लिए हैं, जिनके ज़रिये इंसान ईश्वर की शरण में जाने का रास्ता तलाश करता है।

सामान्य लोग अमूमन यही मानते हैं कि उनका मज़हब दूसरे मज़हबों से श्रेष्ठ है। उनका मज़हब उन्हें स्वर्ग तक ले जाने में मददगार साबित होगा।  उनका उद्धार करेगा। उनका मज़हब ही सही है। उनका मज़हब ईश्वर का बताया वह रास्ता है, जिस पर चलने से उनका ईश्वर से मिलन पक्का है। यह सम्भव भी है। लेकिन दूसरों के मज़हब को निकृष्ट मानने की सोच ने लोगों में ऐसी फूट डाल दी है, जो उन्हें कभी चैन से नहीं रहने देगी।

आज जिस तरह से विभिन्न मज़हबों में फूट पड़ी हुई है, अगर वह ऐसे ही बढ़ी, तो आने वाले समय में और भी घातक परिणाम वाली और मानव जाति के लिए संकट पैदा करने वाली साबित होगी। अगर आपसी नफ़रतें और बढ़ीं, तो सम्भव है कि जो मज़हब इंसानों को अमन-चैन से रहने, दूसरों की सेवा करने, उनका हक़ न मारने और ईश्वर की ओर जाने के लिए बनाये गये थे, वही मज़हब इंसानों की असमय और हिंसक मौत का कारण बन जाएँ।

स्वामी विवेकानंद ने कहते हैं- ‘हम मनुष्य जाति को उस स्थान पर पहुँचाना चाहते हैं जहाँ न वेद हैं, न बाइबिल है, न क़ुरान; परन्तु वेद, बाइबिल और क़ुरान के समन्वय से ही ऐसा हो सकता है। मनुष्य जाति को यह शिक्षा दी जानी चाहिए कि सब धर्म उस धर्म के, उस एकमेवाद्वितीय के भिन्न-भिन्न रूप हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति इन धर्मों में से अपना मनोनुकूल मार्ग चुन सकता है।’

यह बात सभी मज़हबों के कट्टरपंथियों के लिए असहनीय हो सकती है, किन्तु है बहुत महत्त्वपूर्ण और बड़ी। इसे सरलता से इस तरह समझा जा सकता है- मसलन, किसी मंज़िल तक पहुँचने के लिए लोग अलग-अलग संसाधनों और अलग-अलग मार्गों से जा सकते हैं। लेकिन सभी का ध्येय एक ही है- मंज़िल। ईश्वर वही मंज़िल है। भले ही लोगों ने भाषाओं के हिसाब से उसके अलग-अलग नाम रख लिये हैं और उसको अलग-अलग समझने-मानने का भ्रम पाल बैठे हैं। लेकिन दुनिया के किसी इंसान की बात तो दूर, पूरे ब्रह्माण्ड में किसी में भी वह ताक़त या हिम्मत नहीं, जो ईश्वर को बाँट सके। ईश्वर को तो क्या, कोई ईश्वर की बनायी किसी भी तत्व रचना को न नष्ट कर सकता है और न ही बाँट सकता है; चाहे वह ब्रह्माण्ड की कोई भी चीज़ क्यों न हो। फिर ईश्वर को बाँटने की बात ही कहाँ पैदा होती है?

जो लोग उसे और उसकी सृष्टि को बाँटने की बात करते हैं, उनसे बड़ा मूर्ख दुनिया में कोई नहीं। ऐसे लोग दोषी भी हैं और पापी भी; जो लोगों को बाँटने का दोष करते हैं और यह किसी भयंकर पाप से कम नहीं है।

दरअसल यह लड़ाई धर्मों की नहीं, बल्कि कुछ मूर्खों की है; जिन्हें भौतिक सुख की चाहत में मज़हबों की आड़ लेकर चंद धार्मिक और राजनीतिक सत्ताधारी लोग मु$र्गों की तरह लड़वाते रहते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ मवाली भी पालने पड़ते हैं। पक्का मज़हबी होने का ढोंग भी करना पड़ता है। मीठा ज़हर भी उगलना पड़ता है। अपने मज़हब के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ में नफ़रत की चिंगारी भी सुलगानी पड़ती है। दूसरे मज़हबों के लोगों को भडक़ाना पड़ता है और उन्हें तंग भी करना पड़ता है।

समझदार ऐसे लोगों से वास्ता नहीं रखते। बँटवारा नफ़रत, दुश्मनी और विनाश के सिवाय कुछ नहीं दे सकता। अफ़सोस जो मज़हब इंसान के उद्धार के लिए बनाये गये थे, आज वही मज़हब उसके पतन, उसके विनाश का कारण बनते जा रहे हैं। अगर इस बात को सभी मज़हबों को मानने वाले लोग अब भी नहीं समझेंगे, तो उनकी नस्लें किसी भी हाल में सुरक्षित नहीं रह पाएँगी। इससे न केवल उनका सुकून छिनता जाएगा, बल्कि एक-न-एक दिन उनका आपस में लडक़र मरना तय है। ईश्वर ने इंसान को सृष्टि (पृथ्वी) के सभी प्राणियों और प्राकृतिक संसाधनों के रक्षार्थ बनाया है। लेकिन इंसान ने अपने भोग, लिप्सा के लिए सभी मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए, कर्तव्यों से मुँह मोडक़र सब कुछ तहस-नहस करना शुरू कर दिया; केवल अपने स्वार्थ के लिए। धर्मों के कई ठेकेदार कहते हैं कि यह सब भ्रमजाल और मायाजाल है। अगर वास्तव में यह सब भ्रमजाल या मायाजाल है, तो वे लोग ख़ुद इसमें उलझे हुए क्यों हैं? क्यों नहीं वे इस भ्रमजाल और मायाजाल से बाहर आना चाहते? और क्यों दूसरे सामान्य लोगों को इसमें उलझाकर रखना चाहते हैं? यह सवाल हर सामान्य व्यक्ति को उनसे ही पूछने चाहिए।

तालिबान का कांधार में लोगों को घर खाली करने का फरमान; वहां रहती हैं तालिबान से जंग में मरे सैनिकों की पत्नियां

अपने वादे के विपरीत अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने के बाद तालिबान ने आम जनता पर जुल्म करने शुरू कर दिए हैं। कांधार में जहाँ तालिबान ने लोगों घर खाली करने के लिए कहा है, वहीं पंजशीर से रिपोर्ट्स हैं कि जिन जगहों पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है वहां लोगों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं। कांधार में जिन लोगों को घर खाली करने को कहा गया है उनमें ज्यादातर उन सैनिकों की पत्नियां हैं, जिनके पति पिछले 20 साल में तालिबान के खिलाफ कार्रवाई में मारे गए या घायल हुए।

वैसे अफगानिस्तान में कुछ जगह लोगों की तरफ से तालिबान का विरोध अभी भी जारी है और उन पत्रकारों को प्रताड़ित किया जा रहा है जो इन विरोध प्रदर्शनों को कवर रहे हैं। उधर संयुक्त राष्ट्र ने संकट झेल रहे अफगानिस्तान को आर्थिक मदद की बात दोहराई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान ने कांधार में अपने लड़ाकों के रहने के लिए आम लोगों को फरमान जारी करके उनके घर खाली करवाने शुरू कर दिए हैं। खबरों के मुताबिक कांधार में सेना की आवासीय कॉलोनी में लोगों को तीन दिन के भीतर अपने घर छोड़कर दूसरी जगह जाने को कहा गया है ताकि उन घरों में तालिबान लड़ाके रह सकें।

हालांकि, वहां लोगों ने तालिबान के इस आदेश का विरोध करना शुरू कर दिया है। इस फरमान के बाद लोगों ने सड़कों पर उतर कर जबरदस्त प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में लोगों ने कांधार में गवर्नर हाउस के सामने जमा होकर इस फरमान के नारेबाजी की। जहाँ यह प्रदर्शन हुए हैं, वह पूर्व सैनिकों की आबादी वाला कांधार का   उपनगर ज़ारा फ़रका है।

ज़ारा फ़रका के लोगों का कहना है कि वह कहीं और नहीं जाना चाहते हैं।  लिहाजा लोग हजारों की तादाद में तालिबान का विरोध करने पर उतर आए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान ने जिस कालोनी को खाली करने का फरमान जारी किया है उसमें करीब दस हजार लोग रहते हैं। दिलचस्प यह भी है कि इनमें ज्यादातर उन सैनिकों की पत्नियां हैं, जिनके पति पिछले 20 साल में तालिबान के खिलाफ कार्रवाई में मारे गए या घायल हुए।

तालिबान का यह कहर आम लोगों पर ही नहीं टूट रहा, बल्कि उन पत्रकारों पर भी टूट रहा है जो उसके खिलाफ जनता के विरोध प्रदर्शनों को कवर कर रहे हैं। कुछ पत्रकारों को तालिबान गार्डों ने काफी पीटा भी है। विरोध प्रदर्शन के बाद कांधार के राज्यपाल ने अस्थायी रूप से किसी भी निष्कासन पर रोक लगा दी है। उनका कहना है कि समुदाय के बुजुर्गों के साथ इस मामले पर चर्चा की जाएगी, जिसके बाद ही कोई फैसला किया जाएगा।

उधर पंजशीर की हालत भी उन जगहों पर खराब है, जहाँ तालिबान ने कब्जा कर लिया है। वहां लोगों पर बड़े पैमाने पर जुल्म किये जाने की ख़बरें हैं। कुछ वीडियो में दिखाया गया है कि रेजिस्टेंस फ़ोर्स और नॉर्थर्न एलायंस के समर्थकों को ढूंढ़ ढूंढ़ कर मारा-पीटा जा रहा है।

हिमाचल के चम्बा में अग्निकांड में 4 लोग जिन्दा जले, इनमें 3 बच्चे

हिमाचल के कबाईले जिले चम्बा में भीषण अग्निकांड में चार लोग ज़िंदा जल गए जिनमें तीन बच्चे हैं। जिला आपातकाल आपरेशन सेल के रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना करतोश (जुंगरा) गाँव की है। घटना में घायल एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती किया गया है। जान गंवाने वाले सभी व्यक्ति एक ही मुस्लिम परिवार के हैं।

जानकारी के मुताबिक अग्निकांड में जिन लोगों की जान गयी है, वे एक ही मुस्लिम परिवार के सदस्य हैं। तीन बच्चों सहित चारों लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी जबकि घायल महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया है। पुलिस मामले की पड़ताल कर रही है। चंबा पुलिस कंट्रोल रूम ने हादसे की पुष्टि की है।

आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। पुलिस घटना की सूचना मिलते ही मौके के लिए रवाना हो गयी। जांच की जा रही है। तीसा उपमंडल के तहत जुंगरा के करातोश गांव में आधी रात को एक घर में अचानक यह आग भड़क गई। अग्निकांड में परिवार के चार सदस्‍यों की जान चली गयी। मरने वालों में घर के मुखिया (पिता) के अलावा तीन बच्‍चे भी हैं।

चम्बा पुलिस कंट्रोल रूम के मुताबिक मंगलवार तड़के तीन बजे आग की यह घटना हुई। अग्निकांड में जान गंवाने वालों में मुहम्‍मद रफी (26 वर्षीय), जैतून (6), समीर (4) और जुलेखा (2) हैं। अग्निकांड में मुहम्‍मद रफी की पत्नी थुना घायल हुई है।

विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भले ही 6 माह से कम का समय बचा है पर, उत्तर प्रदेश की राजनीति का असर दिल्ली में साफ देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल रात- दिन एक किये हुये है। अभी तक उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, बसपा और सपा मुख्य राजनीतिक दल चुनाव मैदान में ताल ठोंकते रहे है। लेकिन इस बार 2022 के विधान सभा चुनाव में पूरे दम- खम के साथ आप पार्टी चुनाव मैदान में होगी।

बताते चलें पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा को बढ़ौतरी तो मिली, लेकिन सरकार बनाने के आस –पास तक बहुमत ना जुटा पायी। इस लिहाज से भाजपा को अन्य राजनीति दल भाजपा को सरकार बनाने दूर करना चाहते है। मौजूदा समय में देश की सियासत का रूख कुछ और ही है।

महगांई , बेरोजगारी और डीजल –पैट्रोल के बढ़ते दामों के साथ –साथ किसान का उग्र प्रदर्शन इन्ही तामाम मुद्दों को लेकर कांग्रेस ,बसपा, सपा और आप पार्टी ताल ठोंक सकती है। और भाजपा को चुनाव मैदान में पटकनी देने की कोशिश कर सकती है।

उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के नेता रामबहादुर ने बताया कि अगर विपक्षी दल इसी आधार पर ही चुनाव लड़े कि भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है। तो आपसी सहमति जरूरी है।वैसे मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश की सियासत में बदलाव के मोड़ पर है। बस जरूरी है नेताओं को जनता के बीच जाने की है।

भूपेंद्र पटेल आज लेंगे शपथ, शाह भी उपस्थित रहेंगे इस समारोह में

गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन के बाद नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल आज दोपहर शपथ लेंगे। उनके शपथ समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा शासित राज्यों के  कुछ मुख्यमंत्री भी उपस्थित रहेंगे। पहली बार विधायक बने पटेल पाटीदार समुदाय से आते हैं। चर्चा है कि विजय रुपाणी सरकार में उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को नई सरकार में मंत्री पद मिल सकता है।

भूपेंद्र पटेल का शपथ समारोह दोपहर 2.20 बजे संभावित है। उनके साथ मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जाएगी या नहीं, यह अभी साफ़ नहीं है। पटेल ने रविवार को विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मुलाकात करके सरकार बनाने का दावा पेश किया था। मुख्यमंत्री के रूप में पटेल के ऊपर भाजपा  को अगले विधानसभा चुनाव में जिताने की जिम्मेवारी होगी।

गुजरात में आम तौर पर यह माना जाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही पार्टी का चुनाव में  वास्तविक चेहरा होते हैं। नए सीएम पटेल को पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का नजदीकी माना जाता है। पता चला है कि गृह मंत्री अमित शाह इस शपथ समारोह में शिरकत करेंगे। शाह दोपहर 12.30 बजे अहमदाबाद पहुंच रहे हैं।

इस बीच मनोनीत मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अहमदाबाद में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से मुलाकात की। पटेल, जिन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जा रहा था, ने कहा है कि भूपेंद्र पटेल उनके पुराने पारिवारिक मित्र हैं और उन्होंने उन्हें बधाई दी है। पटेल ने कहा – ‘मुझे उन्हें सीएम के रूप में शपथ लेते देखकर खुशी होगी। जरूरत पड़ने पर उन्होंने मेरा मार्गदर्शन भी मांगा है।’

भूपेंद्र रजनीकांत पटेल गुजरात के नए मुख्यमंत्री होंगे, विधायक दल की बैठक में चुने गए नेता

पाटीदार समाज से तालुक रखने वाले भूपेंद्र रजनीकांत पटेल गुजरात के नए मुख्यमंत्री होंगे। आलाकमान ने उनका चयन अपनी तरफ से पहले ही कर लिया था,  हालांकि आज गांधीनगर में विधायक दल की बैठक की औपचारिकता करके उन्हें नेता चुना गया। निवर्तमान सीएम विजय रुपानी ने उनके नाम का प्रस्ताव किया जिसे एकमत से स्वीकार कर लिया गया।
बैठक के लिए दिल्ली से भेजे गए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर और प्रलाह्द जोशी बैठक में उपस्थित थे। तोमर ने बाद में बताया कि बैठक में एक ही नाम आया और सबसे सहमति जताकर भूपेंद्र पटेल के नाम पर सहमति जताई।
मीडिया में कई नाम चर्चा में थे। हालांकि, उत्तराखंड की ही तरह भाजपा नेतृत्व ने अपेक्षाकृत कम जाने जाने वाले पटेल को चुना।
विजय रुपाणी की जगह अब भूपेंद्र भाई पटेल राज्य के अगले सीएम होंगे। गांधीनगर में भाजपा विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी है। भूपेंद्र भाई रजनीकान्त पटेल ने विधानसभा चुनाव 2017 में अहमदाबाद जिले की घाटलोडिया सीट सीट से कांग्रेस के शशिकांत वासुदेवभाई पटेल को हराया था।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले विजय रुपाणी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी भाजपा विधायक दल की बैठक में मौजूद थे। माना जाता है कि भूपेंद्र पटेल के नाम पर आरएसएस की भी सहमति थी।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने चुनाव से ऐन पहले इस्तीफा दिया

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने इस्तीफा दे दिया है। अब से कुछ देर पहले रुपानी राज्यपाल से मिले और अपना इस्तीफा पेश किया। गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर अभी तस्वीर साफ़ नहीं है।
कोरोना काल में गुजरात में सरकार के स्थिति को ठीक से नहीं संभाल पाने के कारण लोगों में नाराजगी थी जिसका खामयाजा उन्हें इस्तीफा देकर भुगतना पड़ा है। राज्यपाल से मिलने जाने के वक्त उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल भी उनके साथ थे।
इस्तीफा देने के बाद रुपानी ने मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का अवसर देने के लिए पीएम मोदी और भाजपा का आभार जताया है।
यह माना जा रहा है कि खराब सरकार चलाने का खामियाजा रुपानी को भुगतना पड़ा है। जनता में उनके प्रति नाराजगी बढ़ रही थी लिहाजा भाजपा  चुनावों से पहले उनसे इस्तीफा ले लिया है।

किसानों के आगे झुकी खट्टर सरकार, करनाल लाठीचार्ज की होगी न्यायिक जांच, दो परिजनों को मिलेगी नौकरी

हरियाणा सरकार ने किसानों के आगे झुकते हुए किसानों पर 28 अगस्त को हुए पुलिस लाठीचार्ज न्यायिक जांच करवाने की किसानों की मांग मान ली है, जिसमें कई किसान लहूलुहान हो गए थे, जबकि एक की बाद में मौत हो गयी थी। इस दौरान आरोपी आईएएस अधिकारी एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे। किसानों और प्रशासन के बीच आज हुए समझौते के मुताबिक लाठीचार्ज के बाद जान गंवाने वाले किसान के परिवार में दो लोगों को एक हफ्ते के भीतर सरकारी नौकरी दी जाएगी।
दोनों पक्षों ने अब से कुछ देर पहले एक साझा प्रेस कांफ्रेंस करके इस समझौते की जानकारी दी। प्रेस कांफ्रेंस में प्रशासनिक अधिकारी और हरियाणा के किसान नेता चढूनी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि सौहार्दपूर्ण माहौल में दोनों पक्षों की बातचीत के   बाद यह फैसले किये गए हैं।
लाठीचार्ज की न्यायिक जांच सेवानिवृत्त जज करेंगे जज करेंगे।  इस दौरान आरोपी आईएएस अधिकारी एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे। किसानों और प्रशासन के बीच आज हुए समझौते के मुताबिक लाठीचार्ज के बाद जान गंवाने वाले किसान के परिवार में दो लोगों को  एक हफ्ते के भीतर सरकारी नौकरी दी जाएगी।
इस समझौते के आधार पर किसान अपना बेमियादी आंदोलन ख़त्म करके धरना  उठा लेंगे। वे करनाल की किसान महापंचायत के बाद से धरने पर हैं।

तालिबान ने की अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति के भाई की हत्या : रिपोर्ट

तालिबान ने अपना क्रूर चेहरा दिखाते हुये गुरुवार रात अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति और पंजशीर में तालिबान विरोधी मोर्चे के नेता अमरुल्लाह सालेह के बड़े भाई रोहुल्लाह सालेह की हत्या कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा करते हुए कहा गया है कि मारने से पहले उन्हें काफी टार्चर किया गया है। याद रहे अमरुल्लाह सालेह की बहन की भी 1996 में तालिबान ने अपहरण करने के बाद हत्या कर दी थी।

अभी तक सालेह की तरफ से या तालिबान इस घटना की पुष्टि नहीं की गयी है लेकिन मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हत्या करने से पहले तालिबान ने रोहुल्लाह सालेह को बहुत टार्चर भी किया। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि तालिबानी लड़ाकों ने पंजशीर में बीती रात अमरुल्लाह सालेह की बर्बरता के साथ हत्या कर दी।

रिपोर्ट्स में बताया गया है कि गुरुवार रात तालिबान और नॉदर्न अलायंस के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें तालिबान लड़ाकों ने सालेह के बड़े भाई को पकड़ लिया और उन्हें बर्बरता के साथ टार्चर किया गया। इसके बाद उनकी निर्मम तरीके से  ह्त्या कर दी गयी। इस पूरी घटना की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

बता दें तालिबान अब पंजशीर पर सम्पूर्ण कब्जे का  हैं, हालांकि उनकी विरोधी पंजशीर की रेसिस्टेंस फ़ोर्स ने इसे गलत बताया है। माना जा रहा है कि पंजशीर में अभी भी भीषण लड़ाई दोनों के बीच चल रही है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि  जिस जगह से अमरुल्ला सालेह ने एक वीडियो बयान जारी कर कहा था कि वह अभी भी पंजशीर में है, वहीं पर उनके भाई की हत्या की  है। एक तस्वीर भी वहां सोशल मीडिया पर वायरल हुई है जिसमें तालिबान को उस जगह खड़ा दिखाया गया है, जहाँ की सालेह की वीडियो है। यह एक पुस्तकालय है।

कुछ रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि खुद अमरुल्ला सालेह पंजशीर छोड़कर  ताजिकिस्तान चले गए हैं।  ऐसी रिपोर्ट्स पहले भी आई थीं। लेकिन सालेह ने हाल में कहा था कि वे पंजशीर में ही रहेंगे और कहीं नहीं जा रहे। अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह तालिबान के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। अमरुल्लाह सालेह दुनिया से तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देने की अपील कर चुके हैं।

गणेश उत्सव की धूम कम होने से  मूर्ति विक्रेता परेशान

भले ही दिल्ली में कोरोना का कहर नहीं है पर दिल्ली सरकार द्दारा कोरोना के कहर को रोकने के लिये गणेश चतुर्दशी के पर्व को इस बार भी सार्वजनिक स्थल पर धूमधाम से ना मनाने पर गणेश की मूर्ति बेचने वालों में काफी उदासी और मायूसी है।

गणेश मूर्ति बेचने वालों ने तहलका संवाददाता को बताया कि पिछले साल 2020 में भी कोरोना के मद्देनजर गणेश उत्तव नही मनाया गया था । इस बार भी कोरोना को लेकर फिर से रोक लगने पर उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मूर्ति बेचने वाले जगदीश शरण ने बताया कि गणेश मूर्ति के साथ –साथ अन्य देवताओं की मूर्ति भी बिक जाया करती थी। लेकिन इस बार भी सरकार ने रोक लगा दी है। जिसके कारण उनको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि इस कार्य को वो जून  माह से काम शुरू कर देते थे। इस बार उन्होंने कर्ज लेकर काम शुरू किया था।

तकरीबन 38 साल से गणेश मूर्ति बेचने का काम करनी वाली सुशिचा ने बताया कि अगर गणेश मूर्ति घर में पूजा करने वालों ने नही खरीदी तो उनहे काफी दिक्कत हो सकती है, क्योंकि इसमें उनके कई लाख रूपये खर्च हुए  है।