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आप विधायक अमानतुल्लाह खान की बढ़ी मुश्किलें, पुलिस कर सकती है गिरफ्तारी

नई दिल्ली: दिल्ली की ओखला सीट से आप विधायक अमानतुल्लाह खान की मुसीबतें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। अमानतुल्लाह को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस जॉइंट ऑपरेशन चला रही है। आप विधायक की गिरफ्तारी किसी भी वक्त हो सकती है। बता दें कि हत्या की कोशिश मामले में सोमवार को भगोड़े अपराधी को फरार करवाने और सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में अमानतुल्लाह खान पर FIR दर्ज की गई थी।

अमानतुल्लाह खान पर पुलिस ने दंगे से जुड़ी बीएनएस की धारा भी लगाई है। क्योंकि अमानतुल्लाह पर भीड़ इकठ्ठा करने और माहौल बिगाड़ने की कोशिश का आरोप है। इसलिए पुलिस ने उन पर बीएनएस की धारा 191(2) लगाई है। आप विधायक पर बीएनएस की धारा 190 भी लगाई गई है। जिसका मतलब होता है कि अगर कोई व्यक्ति गैरकानूनी सभा का हिस्सा था और उस सभा के मकसद के तहत कोई अपराध हुआ, तो उस व्यक्ति को भी दोषी माना जाएगा। अमानतुल्लाह और उनके समर्थकों पर इन धाराओं में मामला दर्ज हुआ है, उनमें से कई धाराएं गैरजमानती हैं।

आप विधायक अमानतुल्लाह के खिलाफ सोमवार को जामिया में पुलिस कार्रवाई में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया था। जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जामिया में शाहबाज खान को हिरासत में लेने के लिए अभियान चलाया था, उस पर हत्या की कोशिश का आरोप था। पुलिस ने जब आरोपी को हिरासत में लिया, तब अमानतुल्लाह खान के समर्थकों ने उसकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए वहां पर माहौल खराब कर दिया। वहां तनाव पैदा हो गया। पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई झड़प और धक्का-मुक्की के दौरान आरोपी शाहबाज खान वहां से फरार हो गया। पुलिस ने अमानतुल्लाह खान और उनके समर्थकों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। अब उनकी तलाश की जा रही है।

महिलाओं की राजनीतिक हिस्सेदारी बढ़ाएँ पार्टियाँ

दिल्ली में 05 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मतदाताओं को लुभाने के लिए आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के बीच होड़ लगी हुई है। बीते कुछ दशकों में भारतीय राजनीति का परिदृश्य इस बात का गवाह है कि महिला मतदाता राजनीतिक दलों के लिए बहुत महत्त्व रखते हैं। विशेषतौर पर चुनाव से कुछ महीने पहले राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को गेम चेंजर्स के रूप में आँकने लगते हैं और उनका वोट पाने के लिए कई ऐलान करने लगते हैं। ऐसा ही परिदृश्य साफ़ तौर पर देश की राजधानी दिल्ली में दिखायी दे रहा है।

दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ मतदाताओं में 83.89 लाख पुरुष मतदाता व 71.74 लाख महिला मतदाता हैं। इन महिला मतदाताओं के सहारे राजनीतिक दल सत्ता पाने के लिए बेताब तो हैं; लेकिन उन्हें किसी भी चुनाव में उनकी आबादी के अनुपात में राजनीतिक हिस्सेदारी उनके साथ न्याय नहीं करते। यह मुद्दा बहुत-ही अहम है और इस पर विमर्श सिर्फ़ चुनावी मौसम तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने उन्हें मुफ़्त बस यात्रा का तोहफ़ा तो पिछले पाँच साल में दिया; लेकिन दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से सिर्फ़ नौ को टिकट दिया।

वहीं राजनीति में महिलाओं को 33 प्रतिशत हिस्सेदारी देने का बिल पास करने वाली ने भी 70 में सिर्फ़ नौ महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। कांग्रेस भी महिलाओं को आगे लेकर चलने की बात करती रही है; लेकिन उसने टिकट सिर्फ़ आठ महिलाओं को ही दिये हैं। यानी सभी पार्टियों ने कुल 26 महिला उम्मीदवार ही मैदान में उतारी हैं। चुनाव लड़ने वाले कुल उम्मीदवार 210 हैं। वर्ष 2020 चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने नौ, कांग्रेस ने आठ और भाजपा ने सिर्फ़ पाँच महिलाओं को ही टिकट दिये थे। इसमें आप की नौ में से आठ महिलाओं को सफलता मिली थी, जबकि भाजपा व कांग्रेस की एक भी महिला नहीं जीत सकी। बता दें कि वर्ष 2023 में संसद व विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण वाला क़ानून पारित हो चुका है; लेकिन यह लागू नहीं हुआ है।

दिल्ली में शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और आतिशी सिंह मौज़ूदा मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस की शीला दीक्षित तो 15 साल तक यानी तीन बार लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। भाजपा की सुषमा स्वराज भी महज़ 52 दिन की मुख्यमंत्री रहीं और अब आप की आतिशी सिंह 21 सितंबर, 2024 से मुख्यमंत्री हैं। तीनों राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी महिला मुख्यमंत्री तो बनायीं; लेकिन महिलाओं को टिकट देने में औसत 15 प्रतिशत के क़रीब ही रहता है। राजनीतिक दल बिना क़ानून के ही आगे बढ़कर टिकट बँटवारे में 30 प्रतिशत महिलाओं को भी अपना-अपना उम्मीदवार क्यों नहीं बनाते?

हर राजनीतिक दल टिकट बँटवारे के लिए स्वतंत्र है, फिर क्या कारण हैं कि महिलाओं को टिकट वितरण में पीछे रखा जाता है और उनका वोट पाने के लिए वादों और योजनाओं की झड़ी लगा देते हैं? दिल्ली में आप ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देंगे तो कांग्रेस व भाजपा ने 2,500 रुपये देने का वादा किया है। भाजपा ने तो हर गर्भवती महिला को 21,000 रुपये देने का ऐलान भी अपने संकल्प-पत्र में किया है और साथ में यह भी कहा है कि विधवा पेंशन 2,500 से बढ़ाकर 3,000 रुपये कर देंगे। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर चुनावी चर्चा नहीं हो रही। महिलाएँ क्या नक़द रक़म या अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें लाभ पहुँचाने वाली सरकारी योजनाओं से ही सशक्त होंगी? यह नज़रिया आधी दुनिया को पूरा सशक्त नहीं बनाता। उनकी राजनीतिक हिस्सेदारी उन्हें मिलनी चाहिए।

दरअसल महिला मुद्दों पर काम करने वालों की सोच में महिलाओं को काम के समान अवसर देने की दिशा में सरकार को काम करने की दरकार है। आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की अधिक-से-अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास की ज़रूरत है पर चुनावी अभियानों में दूरगामी विजन का अभाव दिखता है और नक़द रक़म सरीख़े शॉर्ट टर्म समाधान पेश किये जाते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इसकी सत्ता में महिलाओं का उच्च स्तर पर प्रतिनिधित्व आँकड़ों में अधिक झलकना चाहिए व निर्णायक स्तर पर भी उसकी छाप दिखनी चाहिए। दिल्ली में 1993 से 2020 तक सभी विधानसभा चुनावों में केवल 39 महिला विधायक ही विधानसभा पहुँची। 1998 में दिल्ली विधानसभा में सर्वाधिक नौ महिला उम्मीदवार विधायक बनी थीं। 2024 आम चुनाव में 74 महिला सदस्यों ने जीत हासिल की थी यानी 13.62 प्रतिशत। 2019 में यह संख्या 78 थी। कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी ने 2024 में ही वायनाड से लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की और अब लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 75 हो गयी है। दिल्ली में 2025 विधानसभा में कितनी महिलाएँ विधानसभा में पहुँचेगी, इसका पता तो 08 फरवरी को नतीजे वाले दिन ही पता चलेगा। क्या 1998 का रिकॉर्ड टूटेगा?

कौन बनेगा दिल्ली का नया मुख्यमंत्री, रेस में बीजेपी के ये 5 बड़े नेता

नई दिल्ली :  दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है। वहीं, आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। नतीजे आने के बाद अब दिल्लीवालों के दिल में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर दिल्ली का सीएम किसे बनाया जाएगा। हालांकि बीजेपी ने सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन सीएम पद की रेस में पार्टी के इन 5 नेताओं के नाम लिस्ट में आगे चल रहे है।

सूत्रों का कहना कि दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की रेस में प्रवेश वर्मा, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद, जितेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता आगे चल रहे हैं।

प्रवेश वर्मा
सीएम पद की दौड़ में शामिल होने वालों में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का बताया जा रहा है। पूर्व सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा नई दिल्ली सीट पर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को हराने के बाद भाजपा के लिए एक प्रमुख व्यक्ति बन गए। प्रवेश वर्मा जोकि दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे व जाट है। उन्होंने बाहरी दिल्ली के होने के बावजूद नई दिल्ली में दम दिखाया है। जाट सीएम बनाने से ग्रामीण दिल्ली, पश्चिम यूपी, हरियाणा और राजस्थान के जाट वोटरों तक मैसेज जाएगा. जीत के बाद वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले हैं।

विजेंद्र गुप्ता
सीएम पद की रेस में विजेंद्र गुप्ता भी शामिल माने जा रहे हैं। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा उम्मीदवार विजेंद्र गुप्ता ने रोहिणी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता है। भाजपा उम्मीदवार ने 37816 वोटों के अंतर से जीत हासिल की, उन्हें कुल 70365 वोट मिले। वह दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं। बीजेपी का वैश्य चेहरा हैं और आप की लहर की बावजूद पहले भी विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।

सतीश उपाध्याय
मुख्यमंत्री पद की रेस में बीजेपी नेता सतीश उपाध्याय का नाम भी जोड़ा जा रहा हैं। व बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा हैं। वह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और दिल्ली युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे हैं। वह एनडीएमसी के वाइस चेयरमैन भी रह चुके हैं। इस लिहाज से उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी हैं। उन्होंने संगठन में कई दायित्व संभाले थे। वह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश के सह प्रभारी रह चुके हैं और आरएसएस के करीबी माने जाते हैं।

आशीष सूद
भाजपा नेता आशीष सूद जोकि बीजेपी का पंजाबी चेहरा हैं। वह भी सीएम की रेस में शामिल है। वह पार्षद और दिल्ली बीजेपी के महासचिव रह चुके हैं। अभी गोवा के प्रभारी और जम्मू कश्मीर के सह प्रभारी हैं। जम्मू कश्मी विधानसभा चुनाव में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उनके केंद्रीय नेताओं के साथ करीबी संबंध है। वह डीयू के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।

जितेंद्र महाजन
रोहतास नगर विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार जितेंद्र महाजन की नाम भी सीएम पद की लिस्ट में माना जा रहा है। जीतेंद्र महाजन ने आप की सरिता सिंह को 27902 मतोंसे पराजित किया है। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जीतेंद्र महाजन ने 73,873 वोटों के साथ सीट जीती थी।

दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों को मिली बम से उड़ाने की धमकी

दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों को शुक्रवार को एक बार फिर बम से उड़ाने की धमकी मिली है। सबसे पहले पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेस 1 स्थित स्कूल को धमकी मिलने की सूचना मिली। पुलिस अलर्ट मोड में आ गई और जांच शुरू कर दी।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली के मयूर विहार फेस 1 में स्थित अल्कोन पब्लिक स्कूल को शुक्रवार सुबह बम की धमकी मिली। बताया जा रहा है कि बम की धमकी मिलने के बाद छात्रों को वापस घर भेज दिया गया है। साथ ही अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं और दिल्ली और नोएडा के स्कूलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

इसी महीने, दक्षिण दिल्ली में इंडियन पब्लिक स्कूल और उत्तर पश्चिम दिल्ली में क्रिसेंट पब्लिक स्कूल को भी बम की धमकियां मिली थी, जिससे दहशत फैल गई थी। पिछले साल 20 दिसंबर को द्वारका में दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) में बम की धमकी की सूचना मिली थी। 11 दिसंबर को, दिल्ली के 40 से अधिक स्कूलों को फिरौती की मांग करती धमकियां मिली, हालांकि किसी भी मामले में कोई विस्फोटक नहीं मिला।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बार-बार होने वाली इस तरह की धमकियों का संज्ञान लिया था। साथ ही दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया था। बता दें कि एक छात्र ने कई स्कूलों को धमकी भरा ईमेल किया था। उसने 23 स्कूलों को धमकी भरा मेल भेज दिया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने छात्र को हिरासत में लिया था। छात्र ने दूसरे स्कूलों को मेल इसलिए किया था, ताकि उस पर कोई शक न कर सके।

हादसा नहीं साजिश थी महाकुंभ भगदड़, सुरक्षा एजेंसियां कर रही जांच

प्रयागराज में महाकुंभ भगदड़ की जांच अब साजिश की ओर मुड़ रही है। यूपी और केंद्र सरकार की एजेंसियां इसे हादसा नहीं, साजिश मानकर जांच कर रही हैं। यूपी में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) के रडार पर 10 हजार से ज्यादा लोग हैं। सबसे ज्यादा CAA और NRC के प्रदर्शनकारी हैं। महाकुंभ में इनमें से कई का मूवमेंट मिला है।

जांच में ऐसे गैर हिंदू हैं, जिनके सोशल मीडिया अकाउंट पर महाकुंभ को लेकर निगेटिव कमेंट किए गए या फिर उन्होंने गूगल और यूट्यूब पर महाकुंभ को बहुत ज्यादा सर्च किया। इनकी भूमिका की भी जांच ATS और STF कर रही हैं। 18 जेलों में कैद PFI सदस्यों से भी पूछताछ हो रही है।

STF के एक अफसर ने बताया कि महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों को आना था। बड़ा आयोजन था, इसलिए महीनों पहले से खुफिया एजेंसियां एक्टिव थीं। इंटेलिजेंस ने क्रिमिनल हिस्ट्री व प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़े प्रदर्शन करने वाले लोगों पर इनपुट दिए थे। इसके आधार पर यूपी के 1 लाख से ज्यादा लोगों का वेरिफिकेशन कराया गया।

उन्हें समझाया गया और मैसेज दिया गया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज की तरफ मूवमेंट नहीं करें। इसके बावजूद भगदड़ होने के बाद जांच में पाया गया कि इनमें से कुछ का मूवमेंट महाकुंभ में हुआ। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि सिर्फ वाराणसी और आसपास के 10 जिलों के 16 हजार लोगों को महाकुंभ से पहले ही काशी के बाहर मूवमेंट करने से मना किया गया।

लेकिन, 117 लोगों का मूवमेंट काशी के बाहर मिला। इनमें 50 से ज्यादा लोग प्रयागराज भी पहुंचे थे। ये सभी हिंदू धर्म से नहीं हैं। जब लोगों से पूछताछ हुई, तब उन्होंने अपने मूवमेंट के पीछे अलग-अलग कारण बताए। ऐसे ही दूसरे शहरों में संदिग्ध माने गए लोगों से एजेंसियों ने पूछताछ शुरू कर दी है कि मना करने के बाद अपने शहर से बाहर क्यों गए।

पंजाब मे कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत के घर IT का छापा

पंजाब के कपूरथला से बड़ी खबर सामने आ रही है जहां कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत सिंह के घर पर आयकर विभाग ने छापेमारी की है। जानकारी के मुताबिक गुरुवार सुबह चंडीगढ़ से आई आयकर विभाग की टीम ने विधायक के सर्कुलर रोड स्थित आवास पर छापेमारी की।

आयकर विभाग की टीम के साथ भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान भी मौजूद हैं। छापेमारी के दौरान आवास के सभी गेट अंदर से बंद कर दिए गए हैं। पंजाब पुलिस को भी इसके बारे मेें कोई सूचना नहीं दी गई थी। जांच के दौरान विधायक कार्यालय के सभी कर्मचारियों के मोबाइल फोन स्विच ऑफ पाए गए। यह कार्रवाई किस मामले में की गई है,  इसके बारे में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। 

अमेरिका में वीमेन स्पोर्ट्स में ट्रांसजेंडर्स की एंट्री पर लगाया बैन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा फैसला लिया है। ट्रंप ने महिला स्पोर्ट्स में ट्रांसजेंडर्स एथलीट्स की एंट्री बैन करने वाले एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर दिए हैं। ट्रंप के इस आदेश के बाद अब अमेरिका में ट्रांसजेंडर्स महिला वर्ग के खेलों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। यह आदेश उन ट्रांसजेडर खिलाड़ियों पर भी लागू होगा, जो जन्म के समय पुरुष थे और बाद में लिंग परिवर्तन कराकर महिला बन गए।

इस आदेश का नाम ‘कीपिंग मेन आउट ऑफ वीमेंस स्पोर्ट्स’ हैं, जिसके तहत न्याय और शिक्षा विभागों सहित संघीय एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने की पूरी छूट दी गई है कि फेडरल फंडिंग हासिल कर रही संस्थाएं ट्रंप प्रशासन के नियमों के अनुसार काम करें, जिसमें जेंडर का मतलब जन्म के समय का जेंडर है। इस फैसले के बाद व्हाइट हाउस कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह आदेश ट्रंप के उस वादे का नतीजा है, जिसमें उन्होंने महिलाओं को खेलों में समान मौके दिए जाने की बात कही थी।

अवैध प्रवासियों को लेकर अमृतसर पहुंचा अमेरिकी विमान, 33 लोग गुजरात से

अमृतसर :  अमेरिका से अवैध रूप से रह रहे 205 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट किया गया है। इनमें से 104 लोगों को लेकर US मिलिट्री का विमान C-17 आज अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा है। इन सभी को अमेरिकी अधिकारियों ने देश से निर्वासित कर दिया है। जानकारी के अनुसार, इन प्रवासियों को अमेरिकी सेना का सी-17 हरक्युलिस विमान लेकर भारत लाया गया है। अमेरिका ने हाल ही में भारत के अलावा ब्राजील, मेक्सिको समेत कई अन्य देशों से आए अवैध प्रवासियों को भी देश से बाहर निकाला है।

अधिकारी ने बताया कि प्लेन में कुल 104 भारतीय हैं जिनमें 13 बच्चे, 79 पुरुष और 25 महिलाएं हैं। इन भारतीयों में से 33 लोग गुजरात से हैं जो अमृतसर एयरपोर्ट के भीतर ही रहेंगे और इन्हें वहीं से सीधे गुजरात भेजा जाएगा। इसके अलावा 30 पंजाब से हैं। दो-दो यात्री उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ से हैं. जबकि तीन महाराष्ट्र से हैं।

अमेरिकी प्रशासन अवैध प्रवास पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। इसी कड़ी में अमेरिका ने भारत में रह रहे कई भारतीयों को अवैध पाते हुए उन्हें देश से निकालने का फैसला किया है। इनमें से अधिकांश लोग पंजाब के रहने वाले हैं।

अमृतसर एयरपोर्ट पर इन प्रवासियों के पहुंचने से पहले से ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इन सभी प्रवासियों की पहचान की जा रही है और आवश्यक कागजी कार्रवाई की जा रही है। अमेरिका ने केवल भारत ही नहीं बल्कि ब्राजील, मेक्सिको समेत कई अन्य देशों से भी अवैध प्रवासियों को निर्वासित किया है। इसके अलावा, जिन लोगों की नागरिकता का सत्यापन नहीं हो पा रहा है, उन्हें ग्वांतानामो बे समेत कई जेलों में रखा जा रहा है।

भारत में बुढ़ापा बना अभिशाप !!

बृज खंडेलवाल द्वारा

भारत एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलाव के कगार पर खड़ा है, जहाँ 2050 तक बुजुर्गों की आबादी कुल जनसंख्या का 30% से अधिक हो जाएगी। यह प्रवृत्ति बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और बढ़ती जीवन प्रत्याशा का परिणाम है।

जैसे-जैसे जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है, उम्र से संबंधित बीमारियों का बोझ भी बढ़ रहा है। बुजुर्गों की देखभाल के लिए विशेष स्वास्थ्य केंद्रों की तत्काल आवश्यकता है। इन केंद्रों को न केवल चिकित्सा आपात स्थितियों के लिए तैयार होना चाहिए, बल्कि निवारक उपायों, नियमित जांच और पुनर्वास कार्यक्रमों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अलावा, टेलीमेडिसिन का एकीकरण, विशेष रूप से ग्रामीण या कम सेवा वाले क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्गों के लिए, पहुंच की खाई को पाट सकता है।

कई बुजुर्गों का कहना है कि सेवानिवृत्ति मुक्ति नहीं, बल्कि एक सजा है। वर्तमान रिटायरमेंट रूल्स  जो बड़े पैमाने पर “एक आकार सभी के लिए” दृष्टिकोण को अपनाते हैं, बुजुर्गों की विविध क्षमताओं और आकांक्षाओं की उपेक्षा करते हैं। लचीले सेवानिवृत्ति विकल्पों की तत्काल आवश्यकता है, जिससे बुजुर्ग कार्यबल में योगदान देना जारी रख सकें यदि वे चाहें। परामर्श भूमिकाओं या अंशकालिक रोजगार के अवसरों को पेश करना उनके अनुभव और विशेषज्ञता का लाभ उठाने में सक्षम करेगा।

इसके अलावा, सरकार को बुजुर्गों के लिए आकर्षक यात्रा रियायतें और कर राहत लागू करनी चाहिए, जिससे गतिशीलता अधिक किफायती हो सके। यह पहुंच बुजुर्ग नागरिकों को समाज के साथ जुड़ने, सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने और धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है—जो मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती है।

विशेष रूप से बुजुर्गों की भागीदारी के लिए डिज़ाइन किए गए मनोरंजन और सामाजिक क्लब अकेलेपन और अलगाव से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे केंद्र आपसी रिश्तों को बढ़ावा देते हुए बुजुर्गों को जोडने के लिए एक सामाजिक केंद्र के रूप में कार्य कर सकते हैं।

समाज के मूल्यवान योगदानकर्ताओं के रूप में बुजुर्गों की क्षमता को पहचानने के लिए धारणा में बदलाव की आवश्यकता है। उनके अनुभवों का उपयोग मेंटरशिप कार्यक्रमों के माध्यम से किया जा सकता है, जहाँ वे युवा पीढ़ी के साथ अपना ज्ञान साझा कर सकें। यह ज्ञान हस्तांतरण न केवल समाज को लाभ देगा  बल्कि बुजुर्गों को उनके बाद के वर्षों में नए अर्थ और प्रासंगिकता खोजने की अनुमति देगा।

इसके अतिरिक्त, बुजुर्ग-अनुकूल  ढांचे के विकास को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। गतिशीलता सहायता और सुरक्षा सुविधाओं के साथ डिज़ाइन किए गए ओल्ड एज फ्रेंडली वाहन और घर बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकते हैं। इस से सीनियर सिटीजंस  स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से रह सकें, और छोटे एकल परिवारों में देखभाल करने वालों पर निर्भरता को कम कर सकें।

रिटायर्ड बैंकर प्रेम नाथ सुझाव देते हैं कि बुजुर्गों के लिए तैयार व्यापक बीमा और वित्तीय योजनाएँ स्वास्थ्य देखभाल लागतों के बारे में चिंताओं को कम कर सकती हैं और अप्रत्याशित खर्चों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं। सरकारों और निजी क्षेत्रों को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि ये योजनाएँ सुलभ और पर्याप्त रूप से वित्त पोषित हों।”

समाज को बुजुर्ग नागरिकों के योगदान के लिए आभार व्यक्त करना महत्वपूर्ण है। राष्ट्र को आकार देने में उनकी भूमिका को स्वीकार करना सम्मान और प्रशंसा की संस्कृति को जन्म देता है, यह धारणा को मजबूत करता है कि बुढ़ापा एक स्वाभाविक और मूल्यवान प्रक्रिया है।

इन रणनीतियों को लागू करके, हम न केवल अपनी वरिष्ठ आबादी का सम्मान करते हैं बल्कि करुणा, सम्मान और आभार के सामाजिक मूल्यों को भी मजबूत करते हैं—जो एक मानवीय और समावेशी समाज के निर्माण के लिए आवश्यक गुण हैं।

वरिष्ठ नागरिक प्रोफेसर पारस नाथ चौधरी कहते हैं, “भारत एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलाव के कगार पर है, जिसमें अनुमान है कि 2050 तक 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 30% से अधिक लोग होंगे, यानी लगभग 450 मिलियन बुजुर्ग, जो कई देशों की कुल आबादी से अधिक है। वर्तमान में, भारत की वरिष्ठ आबादी में लगभग 49% पुरुष और 51% महिलाएँ शामिल हैं, जिनमें महिलाओं के लिए जीवन प्रत्याशा अधिक है।”

“कई पुरुष सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय असुरक्षा से जूझते हैं,  दूसरी ओर, महिलाएँ, जो आमतौर पर पुरुषों से अधिक जीवित रहती हैं, विशेष रूप से यदि उनके पास व्यक्तिगत बचत या पेंशन लाभ नहीं है, तो वे अधिक वित्तीय निर्भरता का सामना करती हैं। कई बुजुर्ग महिलाएँ स्वास्थ्य जटिलताओं, विधवा से संबंधित सामाजिक अलगाव और दुर्व्यवहार और उपेक्षा  का भी अनुभव करती हैं,” सामाजिक कार्यकर्ता पद्मिनी अय्यर कहती हैं।

दिल्ली में मतदान कल, चुनाव आयोग के द्वार पहुंचे केजरीवाल

नई दिल्ली : दिल्ली में कल विधानसभा चुनावों के लिए मतदान डाले जाएंगे। लेकिन मतदान के एक दिन पहले यानि आज अरविंद केजरीवाल ने निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने मतदान से पहले कथित हिंसा की शिकायत की। आयोग के साथ बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने अभी चुनाव आयोग से मुलाकात की। हम चुनाव आयोग के सहयोग के लिए आभारी हैं। हमने दिल्ली पुलिस की ओर से कथित हिंसा और गुंडागर्दी के बारे में चिंता जताई। चुनाव आयोग ने हमें निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

केजरीवाल ने आगे कहा कि हमने मतदाताओं को दबाने के जोखिम का भी उल्लेख किया। चुनाव आयोग ने हमें भरोसा दिया है कि लोग बिना डरे और शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कर सकें ऐसा सुनिश्चित किया जाएगा। अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग के सामने एक और डर का अंदेशा भी जताया। उन्होंने कहा-इस बात की चिंता है कि आज रात लोगों को डराया जा सकता है। लोगों को कल मतदान करने से रोकने के लिए उनकी उंगली पर काली स्याही से निशान लगाया जा सकता है। चुनाव आयोग ने उचित कार्रवाई का वादा किया है। मैं उनका बहुत आभारी हूं। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा- सभी चुनाव अधिकारियों को निष्पक्ष रूप से काम करना जारी रखना चाहिए और समान अवसर को बाधित करने वाला कोई भी पक्षपातपूर्ण आचरण अक्षम्य होगा।

इसके साथ ही चुनाव आयोग ने सभी पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया कि वे रात भर सीमावर्ती क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखें और सुनिश्चित करें कि आदर्श आचार संहिता का सख्ती से पालन हो। किसी भी तरह के प्रलोभन या धमकी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किया जाना चाहिए। नागरिकों, पार्टियों और उम्मीदवारों को सी-विजिल ऐप का इस्तेमाल करना चाहिए।

आयोग से मिलने से पहले अरविंद केजरीवाल ने एक पोस्ट में आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने बवाना विधानसभा क्षेत्र से आप के उम्मीदवार जय भगवान उपकार को धमकियां दी हैं। केजरीवाल ने आप के मुख्य मीडिया कोऑर्डिनेटर विकास योगी की पोस्ट शेयर करते हुए आरोप कहा- पुलिस के वेश में अमित शाह का गुंडा खुलेआम धमकियां दे रहा है। अमित शाह, भारत आपकी गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेगा। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में सामने आया है जब दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन और लोकसेवकों को कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के आरोप में मामला दर्ज किया। पुलिस ने अपने बयान में कहा कि आतिशी AAP के समर्थकों के साथ थीं जिन्होंने फतेह सिंह मार्ग पर एक अधिकारी को कथित रूप से उसका कर्तव्य पालन करने से रोका। AAP के दो सदस्यों ने कथित रूप से पुलिस कांस्टेबल पर हमला किया।