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प्राकृतिक खेती से चमकी हिमाचल सेब उत्पादकों की क़िस्मत

शिमला ज़िले के ठियोग में सेब उत्पादक शकुंतला शर्मा की ख़ुशी के अपने कारण हैं। प्राकृतिक खेती की तकनीक से उनके बाग़ में पैदा हुए सेब से उन्हें इस बार बाज़ार में अप्रत्याशित रूप से 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक की क़ीमत मिली। यह अभी तक उन्हें मिली सबसे ज़्यादा क़ीमत है। शकुंतला के मुताबिक, इसका एक और लाभ हुआ है कि लागत का ख़र्चा पहले से काफ़ी घटा है।

शकुंतला बताती हैं कि जैसे ही स्थानीय बाज़ार में ख़रीदार जब उनके सेब के बक्सों पर ‘प्राकृतिक सेब’ का लेबल देख रहे हैं, तो तुरन्त निर्धारित क़ीमत पर ख़रीदार रहे हैं। इससे ज़ाहिर होता है कि वे ग़ैर-रासायनिक उत्पाद को प्राथमिकता दे रहे हैं। उनके मुताबिक, ग़ैर-रासायनिक सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (एसपीएनएफ) के साथ खेती की लागत पर 50,000 से 60,000 रुपये की बचत हो जाती है, जो वास्तव में एक बड़ा लाभ है।

महिला किसान पाँच बीघा सेब के बाग़ सहित कुल 10 बीघा ज़मीन पर एसपीएनएफ का इस्तेमाल कर रही हैं। शकुंतला के मुताबिक, प्राकृतिक सब्ज़ियों के ख़रीदार भी उनके दरवाज़े पर आते हैं और अच्छी क़ीमत में उन्हें ख़रीदारते हैं। एसपीएनएफ पद्धति देसी गाय के गोबर, मूत्र और कुछ स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों से प्राप्त चीज़ें पर आधारित है। एसपीएनएफ के लिए फॉर्म इनपुट घर पर तैयार किये जा सकते हैं। इस तकनीक में किसी भी तरह के रासायनिक खाद या कोई कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है।

शिमला ज़िले के रोहड़ू खण्ड में समोली पंचायत के एक और बाग़वान रविंदर चौहान ने बताया कि वह काफ़ी वित्तीय फ़ायदे में हैं; क्योंकि रासायनिक स्प्रे पर लगातार बढ़ते ख़र्च के कारण उन्हें अपने सेब बाग़ में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में बदलाव ने मुझे पिछले तीन साल में अच्छा मुनाफ़ा कमाने में मदद की है।

प्राकृतिक खेती की तकनीक से आठ बीघा ज़मीन पर सेब उगाने वाले चौहान ने तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में सेब का एक डिब्बा (वज़न 25 किलो) 4200 से 4500 रुपये में बेचा। इसमें परिवहन लागत भी शामिल है। रविंदर चौहान के मुताबिक, सामान्य बाज़ार में क़ीमतों में उतार-चढ़ाव का उन पर ज़्यादा असर नहीं पड़ता; क्योंकि उनके सेब रसायन मुक्त, प्राकृतिक और स्वस्थ हैं। वह पहले से दर (क़ीमत) तय करते हैं।

राज्य सरकार द्वारा सन् 2018 में शुरू किये गये पीके3वाई योजना के एक हिस्से के रूप में हिमाचल प्रदेश में कृषि और बाग़वानी फ़सलों के लिए ग़ैर-रासायनिक कम लागत वाली जलवायु लचीला एसपीएनएफ तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई (एसपीआईयू) द्वारा साझा किये गये आँकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में अब तक (आंशिक या पूर्ण रूप से) 1,33,056 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, जिसमें 7,609 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। इसमें तक़रीबन 12,000 सेब बाग़वान शामिल हैं।

बाहरी बाज़ार, उत्पादन, कृषि स्थिति और कम ख़र्च पर शून्य निर्भरता के सन्दर्भ में प्राकृतिक खेती के परिणामों से जहाँ किसान ख़ुश हैं, वहीं उन्होंने बेहतर लाभ के साथ प्राकृतिक उपज के विपणन के लिए अपने स्वयं के सम्बन्ध बनाने के प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। इनमें से कुछ को स्थानीय मण्डियों में रासायनिक मुक्त प्राकृतिक उपज के अच्छे दाम मिल रहे हैं। अन्य लोग इन सेबों को देश के विभिन्न हिस्सों में भेज रहे हैं और कई को तो दरवाज़े पर ही ख़रीदार मिलने लगे हैं।

शिमला ज़िले के चौपाल ब्लॉक के लालपानी दोची गाँव के एक फल उत्पादक सुरेंद्र मेहता को सन् 2019 और 2020 में प्राकृतिक रूप से उत्पादित सेब के लिए जयपुर और दिल्ली में ख़रीदार मिले। शिमला ज़िले के शिलारू की एक महिला सेब उत्पादक सुषमा चौहान, जो कुल 50 बीघा में से 10 बीघा भूमि पर एसपीएनएफ कर रही हैं; ने कहा कि रासायन-मुक्त प्राकृतिक उपज के बारे में जागरूकता धीरे-धीरे बढ़ रही है और अब बाहर से ख़रीदार उनके पास आ रहे हैं।

पीके3वाई के कार्यकारी निदेशक, राजेश्वर सिंह चंदेल कहते हैं कि राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई स्थानीय कृषि आधारित विपणन मॉडल के लिए विभिन्न किसानों की तलाश कर रही है, जिन्हें उन्होंने स्वयं विकसित किया है। इससे हमें इन सफल किसान-बाज़ार सम्बन्धों को अपने कार्यक्रम के साथ जोडऩे में मदद मिलेगी; जिसमें हम सभी किसानों को बाज़ार से जोडऩे पर विचार कर रहे हैं।

“वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि एसपीएनएफ तकनीक से सेब की फ़सल में खेती की लागत में 56.5 फ़ीसदी की कमी की है; जबकि सेब की फ़सल में लाभ में 27.4 फ़ीसदी बढ़ोतरी हुई है। सेब में स्कैब और मार्सोनिना ब्लॉच की घटना भी पारम्परिक प्रथाओं की तुलना में प्राकृतिक खेती में कम होती है और किसान एसपीएनएफ को अपनाकर एक ही खेत में कई फ़सलें लेने में सक्षम हैं।“

शकुंतला शर्मा

सेब उत्पादक

 

सिद्धू बने रहेंगे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष, कल होगी बड़ी घोषणा !

पंजाब कांग्रेस के बीच चल रहा संकट ख़त्म होने की खबर है। नवजोत सिंह सिद्धू का पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा पार्टी आलाकमान ने फिलहाल नामंजूर कर दिया है। वे अध्यक्ष बने रहेंगे। कल कांग्रेस आलाकमान पंजाब कांग्रेस से जुड़ा कोई बड़ा फैसला कर सकती है। सिद्धू ने आज शाम पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी महासचिव हरीश रावत से मुलाकात की, जिसके बाद यह जानकारी सामने आई है। पार्टी ने हाल में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह को मनाने की कोशिश की थी और कल उनसे जुड़ी कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।

सिद्धू ने बैठक के बाद कहा है कि वे आलाकमान की हर बात मानेंगे और उनका कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पर पूरा भरोसा है। सिद्धू ने कांग्रेस आलाकमान पर पूरा भरोसा जताया है। उधर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आज पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह से परिवार सहित मुलाकात की।  हाल में चन्नी के बेटे की शादी हुई है। याद रहें रहे सिद्धू ने 28 सितंबर को कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और आज की बैठक इसी सिलसिले में थी।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक पंजाब से जुड़े मसलों पर विवाद सुलझा लिया  गया है। आलाकमान की तरफ से शुक्रवार को पंजाब को लेकर कोई बड़ा फैसला किया जा सकता है। आज शाम सिद्धू ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी हरीश रावत से करीब 45 मिनट गुफ्तगू की। समझा जाता है कि पार्टी अलाकमान अमरिंदर सिंह को मनाने की कोशिश कर रही थी और कल कोई बड़ी घोषणा उनसे जुड़ी हो सकती है। अमरिंदर की पत्नी परनीत कौर कांग्रेस की सांसद हैं और माना जाता है कि वे कांग्रेस छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।

इस बैठक के बाद सिद्धू के बाद प्रभारी हरीश रावत ने मीडिया को बताया -‘सिद्धू ने आपसे साफ़ बताया है कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का जो भी आदेश होगा, उन्हें मान्य होगा और वह उसका पालन करेंगे। आदेश बिल्कुल साफ है कि वह पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष के तौर पर अपना काम पूरी शक्ति से करें और सांगठनिक ढांचे को मजबूत करें। कल आपको इससे बड़ी सूचना विधिवत तरीके से मिल जाएगी।’

हरीश रावत ने कहा – ‘सिद्धू से कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए कहा गया है। कल तक आपको स्थिति और साफ हो जाएगी।’ उधर सिद्धू ने कहा – ‘मुझे पक्का भरोसा है कि आलाकमान पंजाब के हित में फैसला लेगा। मैंने पंजाब के प्रति, पंजाब कांग्रेस के प्रति जो भी मेरी चिंताएं थी वो पार्टी आलाकमान को बताई हैं। मुझे कांग्रेस अध्यक्ष पर, प्रियंका जी पर और राहुल जी पर पूरा भरोसा है। वे जो भी निर्णय लेंगे वो कांग्रेस और पंजाब के हित में होगा, उनके हर आदेश का पालन करूंगा।’

एम्स में भर्ती पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की हालत स्थिर, राहुल मिले

बुखार खार और थकावट के बाद एम्स में भर्ती पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हालत स्थिर बनी हुई है। उनके स्वास्थ्य का हाल जानने के लिए आज शाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी एम्स पहुंचे। इससे पहले सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी एम्स पहुंचे थे। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट करके  जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज शाम एम्स जाकर मनमोहन सिंह के स्वास्थ्य की।  उन्होंने सिंह की देखभाल कर रहे डाक्टरों से बातचीत की। सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी एम्स में भर्ती पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थे और उनकी सेहत की जानकारी ली थी। अस्पताल में सिंह को देख रहे डाक्टरों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री की स्थिति स्थिर है। मांडविया ने सिंह की देखरेख कर रहे चिकित्सकों से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।

उधर सिंह से मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने ट्वीट में कहा – ‘पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एम्स, नई दिल्ली में मुलाकात की और उनकी सेहत का हाल जाना। स्वास्थ्य मंत्री ने सिंह के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।

उत्तर प्रदेश के चुनावी परिणाम चौकाने वाले साबित हो सकते है, यदि विपक्ष एकजुटता रखें तो

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव को लेकर 6 महीनें से कम का समय बचा है पर, सियासत का बाज़ार गर्म है। किसानों को लखीमपुर में रौंदें जाने के बाद से उत्तर प्रदेश में नये समीकरण बनकर ऊभरें है। मौजूदा दौर में विपक्ष एकता की तो बात कर रहा है। परंतु एकजुटता के अभाव के कारण राजनीतिक समीकरण बनते–बनते बिगड़ने लगते है।

यदि समाजवादी पार्टी विजय यात्रा निकाल रही है। तो कांग्रेस मौन व्रत करके प्रदेश सरकार का विरोध कर रही है। बसपा के विरोध को मौजूदा सियासत में कोई विशेष महत्व नहीं दिया जा रहा है।

बतातें चलें, उत्तर–प्रदेश की राजनीति पूरी तरह से जातीय समीकरणों पर टिकी है। ऐसे में राजनीतिक दल जातीय ताना-बाना बुनने में लगें है। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में किसानों को लेकर राजनीति गर्म है। सभी राजनीति दल किसानों के इर्द – गिर्द राजनीति कर रहे है। उत्तर प्रदेश की राजनीति का मिजाज सियासी दल जनता के बीच जाकर भाप रहें है । उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार प्रदीप सिंह का कहना है कि, “अगर भाजपा ने समय रहते किसानों की मांगों को नहीं माना और लखीमपुर में रौदें गये किसानों के परिजनों  को न्याय नहीं दिया तो, चुनावी परिणाम चौंकाने वाले होगे। क्योंकि उत्तर प्रदेश की सियासत में हर पल समीकरण बन और बिगड़ रहे है।”

इसी तरह महगांई को लेकर जनता में भारी आक्रोश है। महगांई के चलते गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को बजट बिगड़ा हुआ है। कोरोना काल के चलते लाखों लोगों के रोजगार छिन गये है। प्रदीप सिंह का कहना है कि चुनाव में समय कम बचा है। काम ज्यादा है। इस लिहाज से सरकार को जनहित में फैसलें धरातल पर लेना होगा। यदि विपक्ष एकता के साथ सरकार की  जन विरोधी नीतियों को जनता के बीच लें जाती है और जनता में पकड़ बनाती है। तो निश्चित तौर पर चुनावी परिणाम चौकाने वाले साबित होगें।

लखीमपुर खीरी मामले में राष्ट्रपति से मिला कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल, मंत्री को हटाने की उठाई मांग

कांग्रेस पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला और लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री पिता अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल से हटाने की  मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल में राहुल गांधी के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी और उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी भी थीं।

राष्ट्रपति से मिलकर इन नेताओं ने उन्हें ज्ञापन दिया। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद   राहुल गांधी ने मीडिया के लोगों से कहा – ‘हम आज राष्ट्रपति से मिले हैं और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को पद से हटाए जाने की मांग की। मामले की सही से जांच होने के लिए यह जरूरी है कि अजय मिश्रा को पद से हटा दिया जाए। साथ ही   हमने सुप्रीम कोर्ट के दो मौजूदा जजों की ओर से मामले की जांच कराए जाने की भी मांग रखी है।’

गांधी ने कहा – ‘हमने घटना के बाद लखीमपुर में सभी पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी। हमने राष्ट्रपति को बताया है कि पीड़ित परिवार दो चीजें चाहते हैं। पहली बात यह है कि वे न्याय चाहते हैं। उनका कहना है कि जिस व्यक्ति ने ये हत्याएं की हैं, उसे सजा मिले। इसके अलावा परिवारों ने यह भी कहा कि जिस व्यक्ति ने हत्याएं की हैं, उसके पिता हिन्दुस्तान के होम मिनिस्टर हैं। इसलिए जब तक वह मिनिस्टर हैं, तब तक सही जांच और न्याय नहीं मिल सकता है। हमने यह बात देश के राष्ट्रपति को बताई और हमने कहा कि यह सिर्फ पीड़ित परिवारों की ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की आवाज है।’

कांग्रेस नेता ने लखीमपुर कांड का जिम्मेवार अजय मिश्रा को बताया। राहुल ने कहा – ‘केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने पहले ही किसानों को धमकी दी थी। इस शख्स ने हत्या से पहले देश के सामने कहा था कि यदि सुधरोगे नहीं तो मैं सुधार दूंगा। इससे साफ है कि उस व्यक्ति ने पहले किसानों को धमकी दी और फिर उसके आधार पर उन्हें मारा। इसलिए हमने राष्ट्रपति को बताया कि इन्हें हटाना होगा।’

राष्ट्रपति से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में राहुल और प्रियंका गांधी के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी जैसे वरिष्ठ नेता भी थे। यह पहला अवसर है जब प्रियंका गांधी ऐसे किसी प्रतिनिधिमंडल के रूप में राष्ट्रपति से मिलने गईं। इससे जाहिर होता कि प्रियंका उत्तर प्रदेश  लेकर काफी गंभीर दिख रही हैं। वे लखीमपुर खीरी की घटना  भी लगातार उत्तर प्रदेश में बनी हुई हैं। उनकी सक्रियता ने यूपी की राजनीति में तूफान ला दिया है।

छठ पूजा को लेकर आप –भाजपा के बीच सियासी संग्राम

राजधानी दिल्ली में छठ पूजा को लेकर आप पार्टी और भाजपा के बीच मचा सियासी संग्राम दिन व दिन तूल
पकड़ता जा रहा है। जबकि सच्चाई ये है 4 महीने बाद दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर दोनों राजनीतिक
दल अपनी पूर्वाचंल वोट पर पकड़ बनाना चाहते है। आप पार्टी का कहना है कि कोरोना काल चल रहा है। दिल्ली
में छठ पूजा को लेकर कोई मनाही नहीं है। छठ पूजा लोगों अपने घरों में पिछली साल 2020 की तरह अपने
घरों में मनाये। ताकि कोरोना को संक्रमण को रोका जा सकें। वहीं भाजपा का कहना है कि पूर्वाचलवासियों की
उपेक्षा की जा रही है। यमुना तट पर छठ पूजा को लेकर रोका जा रहा है। दिल्ली में रह रहे लाखों पूर्वाचंल वासियों
की आस्था पर चोट की जा रही है। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता और दिल्ली के सांसद मनोज

तिवारी का कहना है, कि जब सारी दिल्ली खुल गयी है। स्वमिंग पूल खुल गये है। तो छठ पूजा को रोककर दिल्ली
सरकार किसी की आस्था पर चोंट नहीं पहुंचा सकती है। वहीं आप पार्टी के नेता दुर्गेश का कहना है कि छठ पूजा
को लेकर भाजपा सियासत कर रही है। क्योंकि भाजपा हर मोर्चे पर असफल हो रही है। छठ पूजा को लेकर बिहार के निवासी बलबीर सिंह का कहना है कि कोरोना गाइड लाइन का पालन होना चाहिये । क्योंकि कोरोना के कहर से देश ने बड़ी तबाही देखी है। अभी छठ पूजा को लेकर लगभग एक महीने का समय है। जरूर कोई रास्ता निकलेंगा।ऐसे में छठ पूजा को लेकर सियासत करना ठीक नहीं है।

डीजल-पेट्रोल के दामों में इजाफा से किसानों को बुवाई में आ रही दिक्कत

एक दौर वो था जब किसान देश की पहचान हुआ करता था। लेकिन आज सियासत की अनदेखी और पूंजीपतियों की बढ़ती दखल के चलते देश का किसान आज दो राहें पर खड़ा है। देश में लगभग एक साल से किसान अपने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे है। पर सरकार उनकी मांगों को मान नहीं रही है। किसान नेता व एडवोकेट चौ . बीरेन्द्र सिंह ने बताया कि देश का किसान आज कई स्तर पर अपनी परेशानी से जूझ रहा है। जैसे पेट्रोल और डीजल के दामों में हो रही बढ़ोत्तरी के चलते उसे अपने खेतों में बुवाई के लिये महंगे डीजल को खरीदने को मजबूर हो रहा है। सरकार को अलग से किसानों के लिये डीजल के दाम निर्धारित करने चाहिये। मौजूदा समय में 70 प्रतिशत किसान की माली हालत ठीक नहीं है। ये किसान सिर्फ खेती पर आधारित अपनी जीविका चला रहे है।

किसानों ने तहलका संवाददाता को बताया कि देश –दुनिया में हर क्षेत्र में तरक्की हुई है। लेकिन किसानों की उपेक्षा सदैव हुई है।किसानों पर आरोप लगाये जाते है। किसान चन्द्रपाल सिंह का कहना है कि अगर डीजल –पेट्रोल के दामों यूं ही इजाफा होता रहा तो, आने वाले दिनों में कमजोर किसान अपने खेती की बुवाई कर्ज लेकर ही कर पायेगा।उन्होंने बताया कि डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी के चलते सबसे असर किसानों पर पड़ा है।इस समय देश के पिछड़े इलाकों में जहां पर किसानों की माली हालत ठीक नहीं है वहां पर किसानों को गेंहू-चना की बुवाई में करने में दिक्कत आ रही है।खेती की सिचाईं करने में डीजल खरीदने के लिये वे साहूकारों की शरण में है। ताकि वे कर्ज लेकर अपने खेती की बुवाई कर सकें।

सब्जी के दामों में इजाफा

देश में बढ़ती मंहगाई के चलते लोगों को अपने घर को चलाना मुश्किल हो रहा है। खाद्य पदार्थो के साथ –साथ
सब्जी के बढ़ते दामों के चलते लोगों को सब्जी खरीदना मुश्किल हो रहा है। आलम ये है कि टमाटर के दाम 60
से 80 रूपये तक हो गये है। जिसके कारण अब लोगों पांव भर टमामर खरीदने के साथ एक –दो टमाटर के
हिसाब से टमाटर 5 से 7 रूपये कर के खरीद रहे है।
लोगों का कहना है कि जब सब्जी के दाम मंहगें हो और जेब में पैसा ना हो तो एक –दो टमाटर खरीदकर काम
चला लेनें में कोई दिक्कत नहीं है।एशिया की सब्जी बड़ी सब्जी मंडी आजाद पुर में इन दिनों टमाटर की आवक
कम है। सो टमाटर के दामों में इजाफा हो रहा है। आजादपुर मंड़ी में काम करने वाले चन्द्र पाल का कहना
है कि इन दिनों वैसे सब्जी मौसमी सर्दी वाली आनी शुरू हो जाती है। लेकिन गत माह हुई वर्षा के चलते टमाटर ,पालक और बैगन की सब्जी पर खासा असर पड़ा है जिसके कारण सब्जी मंहगी हो गयी है। सब्जी पवन सूद का कहना है कि सरकार की लापरवाही का नतीजा ये है कि वो जमाखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाय जमाखोरों को सरक्षण दें रहे है। जिसके कारण सब्जियों के दाम आसमान छू रहे है।उनका कहना है कि इस बार आलू छोड़ कर सभी सब्जियों के दामों में बढोत्तरी हो रही है।गरीबों को महंगी सब्जी खरीदना मुश्किल हो रहा है।

 

कोयले के विकल्प पर कारगर कदम उठाने का समय

कोयले के संकट को लेकर देश में तरह –तरह की बातें की जा रही है कि आने वाले दिनों में कोयले की कमी के कारण बिजली की कटौती हो सकती है। वहीं केन्द्रीय मंत्री आर के सिंह का कहना है कि देश में कोयले की कोई किल्लत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में कोयले को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है। जबकि खुद केन्द्रीय मंत्री ने कहा था कि कोयला चार ही दिन का बचा है। वहीं देश के बड़े शहरों जिसमें दिल्ली सहित में बिजली की कटौती की जा रही है।

बिजली की किल्लत को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संबंधित मंत्रालय को पत्र लिखकर जानकारी दी है। आने वाले दिनों में कोयले की कमी के कारण दिल्ली में ब्लैक आऊट भी हो सकता है। कोयले की किल्लत को लेकर चलें आ रहे सियासी बयान बाजों के बीच दिल्ली के इलैक्ट्रानिक इंजीनियर आलोक कुमार
का कहना है कि सरकार को कोयले के समाधान के साथ –साथ कोयले के विकल्प के बारे में कारगर कदम उठाने
चाहिये। उन्होंन कहा कि विकल्प के तौर सौर ऊर्जा, पानी से बिजली और परमाणु बिजली पर काम होना चाहिये ताकि बिजली की समस्या उत्पन्न ना हो। उनका कहना है कि देश में आने वाले दिनों में बिजली की संकट कोयले
के कारण हो सकती है। इसलिये समय रहते कोयले के विकल्प पर कारगर कदम उठाने की जरूरत है।

राजधानी दिल्ली में कोरोना के कहर के साथ –साथ डेंगू का कहर दिन व दिन बढ़ता ही जा रहा है

दिल्ली –एनसीआर में तो आलम ये है कि हर रोज डेंगू के बढ़ते मामलों के चलते सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों
का तांता लगा है। चिकित्सकों का मानना है कि कोरोना के साथ डेंगू के मामलों में जरा सी लापरवाही घातक हो सकती है। स्टार इमेंजिंग पैथ लैब के डायरेक्टर डाँ समीर भाटी का कहना है कि कोरोना के मामले जरूर कम हुये है। लेकिन कोरोना अभी गया नहीं है। ऐसे में सावधानी के तौर पर हमें बुखार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिये।
अपने घरों के आस-पास पानी को जमा नहीं होने देना चाहिये। आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल ने कहा ने कहा कि हर साल अक्टूबर नवम्बर के महीने में डेंगू के मामले लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत डाल रहा है। उन्होंने बताया कि डेंगू ऐडिस मच्छर के काटने से होता है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम होने से रोगी की जान को खतरा हो सकता है। इसलिय डेंगू को लेकर लापरवाही ना बरतें बल्कि समय पर जांच करवायें।डाँ अनिल बंसल का कहना है कि अगर डेंगू के
मामलों को लेकर जल्दी काबू नहीं पाया गया तो ये डेंगू का कहर भी घातक हो सकता है।