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उत्तर प्रदेश की जनता का मिजाज, एक ही दल की बनें सरकार 

भले ही उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है। लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी यात्राएं निकाल कर अपनी बिसात बिछा दी है। और जनता का दिल जीतने में लगे है।

जैसे–जैसे चुनावी आहट तेज होती जा रही है। वैसे-वैसे प्रदेश का चुनाव शनैः शनैः समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच मुकाबला बढ़ता जा रहा है। भले ही अभी चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है।

इन दोनों दलों के बीच मुकाबले की मुख्य वजह साफ है कि बसपा और कांग्रेस के चुनाव लड़ने के तरीके सिर्फ चुनाव लड़ने वाले ही दिख रहे है। न कि चुनाव में कोई परिणाम चौंकाने वाले दिख रहे है। इस लिहाज से प्रदेश की जनता अब सीधे तौर पर सपा और भाजपा के बीच ही फैसला करना चाहती है। क्योंकि प्रदेश की जनता चाहती है कि पूर्ण रूप से एक दल की सरकार बनें, जिससे कि प्रदेश का विकास हो सकें। क्योंकि एक दल की सरकार न बनने पर, गठबंधन की सरकार बनने पर विकास के काम में रोड़ा बनती है।

जिस प्रकार  2007-2012 में बसपा की ही सरकार बनी थी। फिर, 2012-17 में सपा की सरकार बनी और उसके प्रदेश की जनता ने 2017 से 2022 तक भाजपा को पूर्ण समर्थन देकर जनता ने सरकार बनाने का मौका दिया था। उसी तर्ज पर इस बार भी चुनाव में जनता चाहती है कि एक ही दल की सरकार बनें। न कि गठबंधन की सरकार बनें।

प्रदेश की जनता का राजनीतिक मिजाज तो बदला है। इस लिहाज से जनता अगर इस बार सरकार को बदलने और न बदलने के मूड़ है या नहीं। ये तो आने वाले चुनाव परिणाम ही बतलाएंगे। लेकिन इतना तो जरूर है कि मौजूदा समय में जनता ने सपा और भाजपा के बीच मुकाबला तो कर दिया है। लेकिन सियासत में संभावनायें बनी रहती है कि कौन सा राजनीतिक दल कब कौन सा माहौल बना कर सियासी माहौल बना दें। फिलहाल प्रदेश की सियासत में आरोप–प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।

गैर कोरोना रोगियों की उपेक्षा न हो

अजीब बिडम्वना है कि एक तरफ कोरोना और ओमिक्रोन को लेकर स्वास्थ्य महकमें के साथ–साथ सरकार इस बात का दावा कर रही है कि कोरोना और ओमिक्रोन के मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी, मरीजों को पर्याप्त इलाज मिलेंगा। वहीं दूसरी तरफ सरकार कोरोना और ओमिक्रोन के अलावा अन्य रोग से पीड़ित मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को नजरअंदाज कर रही है।

दिल्ली में केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली दवाओं का टोटा है। जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। हेल्थ सेक्टर में काम करने वाले और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान से जुड़े पीयूष जैन का कहना है कि, दिल्ली मौजूदा समय में एक साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है। एक तो कोरोना, ओमिक्रोन, वायु प्रदूषण, डेंगू और साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली दवाओं की कमी से जूझ रही है।

उनका कहना है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी है। उससे बचाव और उपचार पर सरकार ध्यान दें। लेकिन जो मरीज हार्ट, कैंसर, लीवर, किड़नी के अलावा अन्य रोग से पीड़ित है। उनके उपचार वाधा न डाला और न ही उनके उपचार को नजरअंदाज करें। क्योंकि कोरोना और ओमिक्रोन का भय दिखाकर अन्य रोग से पीड़ित मरीज जो भर्ती है। उनको लेकर उपेक्षा के मामलें कई सामने आ रहे है।

कई अस्पतालों में तो ये भी चर्चा डाक्टरों के बीच है कि अगर कोरोना और ओमिक्रोन के मामलें बढ़ते है। तो अन्य रोग से पीड़ित मरीजों के बार्डे को खाली कराया जा सकता है। ऐसे हालात में गैर कोरोना रोगियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।दिल्ली स्टेट प्रोग्राम अधिकारी (एनसीसीएचएच) डाँ भारत सागर का कहना है कि दिल्ली सरकार कोरोना और ओमिक्रोन से निपटने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है। ताकि कोरोना और ओमिक्रोन के रोका जा सकें ।डाँ भरत सागर का कहना है कि इस बात पर भी गौर किया जा रहा है कि गैर कोरोना रोगियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो सभी रोगियों को बेहत्तर स्वास्थ्य सेवायें मिल सकें।

 

पंजाब के मंत्री ने केजरीवाल के घर स्टाफ से बदसलूकी की, सिसोदिया ने लगाया आरोप

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पंजाब के परिवहन मंत्री अमरिंदर सिंह राजा वर्रिंग कथित तौर पर ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर पहुंचे और उनके स्टाफ के साथ बदसलूकी की। सिसोदिया ने पंजाब के मंत्री के इस आरोप को गलत बताया कि दिल्ली सरकार पंजाब की बसों को एयरपोर्ट पर नहीं आने दे रही जबकि बादल परिवार की बसों को आने देती है।

उन्होंने कहा कि बादलों की बसें पंजाब में 200-250 किलोमीटर चलती हैं और इन बसों को न पंजाब सरकार और न हरियाणा सरकार रोकती है। सिसोदिया ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पंजाब के मंत्री का कहना है कि बादलों की बसें पंजाब में भी चलती हैं और हरियाणा में भी लेकिन उनको न तो पंजाब सरकार रोकती न हरियाणा सरकार,केवल दिल्ली सरकार रोकती है।

सिसोदिया के मुताबिक पिछले एक महीने में 115 बसें जब्त की हैं और 230 बसों के चालान काटे हैं। उन्होंने कह कि बादलों की गैरकानूनी तरीके से चल रही 75 बसों को 3 दिन में जब्त किया है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने सवाल पूछा कि राजा वर्रिंग बताएं कि उनको कितना पैसा मिलता है इन बसों से, क्योंकि यह बसें 200 से 250 किलोमीटर के क्षेत्र में चलती हैं।    वहां पर एक्शन लीजिये, यहां आ कर ड्रामे करने की क्या ज़रूरत है।

सिसोदिया ने कहा – ”इंटर स्टेट बसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आईएसबीटी से सवारियां ले सकती हैं और वहीं से चल सकती हैं। यह आदेश पंजाब की बसों को लेकर है।’

उन्होंने पंजाब के मंत्री से कहा – ”पंजाब में काम करने की हिम्मत नहीं है तो यहां आ कर ड्रामे कर रहे हैं। इस समय पंजाब में ब्लास्ट हो रहे हैं, बेअदबी के मामले आ रहे हैं और पंजाब के मंत्री को वहां ध्यान देना चाहिए. यह अब कुछ दिन की ही सरकार वहां बची है।’

ओमिक्रोन: यूपी में भी रात्रि कर्फ्यू, विवाह समारोह में 200 से ज्यादा लोगों को मंजूरी नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुरुवार शाम मंत्रियों और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद देश में ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने रात का कर्फ्यू घोषित कर दिया है। यूपी में शनिवार (25 दिसंबर) से रात्रि  कर्फ्यू की घोषणा की गयी है जिसके तहत कल रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू लागू रहेगा।

मध्य प्रदेश में रात्रि कर्फ्यू पहले ही लगा दिया गया था जबकि उत्तर सरकार ने आज ही इसकी घोषणा की है। इसके तहत कल रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू रहेगा और इस दौरान शादी-विवाह आदि सार्वजनिक आयोजनों में कोविड प्रोटोकॉल के साथ अधिकतम 200 लोगों के ही शामिल होने की अनुमति होगी। आयोजनकर्ता को इस तरह के किसी भी कार्यक्रम की सूचना स्थानीय प्रशासन को अग्रिम देनी होगी।

देश में कोरोना और ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने यह घोषणा की है। संभावित खतरे को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है और एक  और कारण क्रिसमस और न्यू इयर के सेलेब्रेशन भी हैं।

उधर आज स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक देशभर में पिछले 24 घंटे में कोविड के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से संक्रमिक लोगों की भी संख्या बढ़ती जा रही है। भारत में इसके अब तक कुल 358 मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक  यह फिलहाल 33 फीसदी रफ्तार के साथ देश के लोगों को संक्रमित कर रहा है।  अब तक महाराष्ट्र में 88, दिल्ली में 67, तेलंगाना में 38, तमिलनाडु में 34, केरल में 29 मामले सामने आए हैं।

दिल्ली में उ.प्र के वोटों को साधने के लिये लगे राजनीतिक दल

पूर्वाचंल वोट को साधने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बनारस में कई जनसभायें कर चुके है। वहीं दिल्ली भाजपा पूर्वाचंल प्रकोष्ठ, दिल्ली में रहने वाले पूर्वाचंल मतदाताओं को रिझाने के लिये लगातार संपर्क अभियान चलाये हुये है।

भाजपा के पूर्वाचंल वोटों में सेंध लगाने के लिये दिल्ली में रह रहे उत्तर प्रदेश के लोगों को अपने पक्ष में लाने के लिये समाजवादी पार्टी भी लोगों के बीच तालमेल बैठा रही है। जिसके लिये उत्तर प्रदेश के नोएड़ा में रहने वाले समाजवादी कार्यकर्ता जनसभायें कर रहे है। दोनों राजनीति दलों में इस बात की होड़ मची हुई है, कि कैसे दिल्ली में रहने वाले लाखों लोगों को अपने पक्ष में लाया जाये जो उत्तर प्रदेश के चुनाव में अहम् भूमिका निभाते है।

बताते चलें, दिल्ली में जब भी विधान सभा चुनाव या दिल्ली नगर निगम के चुनाव होते तब दोनों ही चुनावों में उत्तर प्रदेश के नेता आकर अपने–अपने राजनीतिक दलों के लिये वोट मांगते रहे है। इस लिहाज से नेताओं की पकड जो दिल्ली में रहती है। भले वे वोटर प्रदेश के ही क्यों न हो।

भाजपा के नेताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश के जो भी लोग है उनका संपर्क भाजपा से है। क्योंकि दिल्ली में कभी भी समाजवादी पार्टी का अस्तित्व ही नहीं रहा है। इस लिहाज से दिल्ली में समाजवादी पार्टी को वोट मिल ही नहीं सकता है।

वहीं समाजवादी के नेता का कहना है कि 2007 से 2012 तक समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में रही है। दिल्ली सटे नोएडा और गाजियाबाद के जो लोग दिल्ली में रहते या नौकरी करते है। उनका बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी से ताल्लुक रखता है। इस लिहाज से समाजवादी पार्टी को वोट दिल्ली में रहता है।

एनडीएमए की सलाह कोरोना गाइड लाइन का पालन करें

दिल्ली में लगातार बढ़ रहे कोरोना के बीच दिल्ली सरकार ही नहीं, बल्कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दिल्ली वासियों को कोरोना से बचने की सलाह दी है। साथ ही नया साल और क्रिसमस- डे पर लोगों को सीमित दायरे में रहकर उत्सव मनाने के लिये गाइड लाइन भी जारी की गर्इ है। उसके बावजूद दिल्ली के बाजारों में कोरोना गाइड-लाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही है। दिल्ली के छोटे-बड़े बाजारों के साथ साप्ताहिक बाजारों में हजारों की संख्या में बिना सोशल डिस्टेंसिंग के लोग खरीददारी करते नज़र आ रहे है। कई स्थान तो ऐसे भी है जहां पर लोग बिना मास्क के देखें जा सकते है।

बताते चलें देश–दुनिया में कोरोना के नये स्वरूप ओमिक्रोन को लेकर लोगों में चिंता का विषय बना हुआ है। भारत में ओमिक्रोन के 358 मामले सामने आ चुके है। ओमिक्रोन और कोरोना को देखते हुये उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सरकार ने नाइट कर्फ्यू भी लगा दिया है।

बाजारों में उमड़ी भीड़ को लेकर दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि क्रिसमस और नया साल का जश्न मनाने के लिये लोग बाजारों से खरीददारी कर रहे है। तो इसमें क्या बुराई है। क्योंकि ओमिक्रोन को लेकर जो बे-वजह हल्ला सरकार कर रही है, 2020 से दिल्ली का बाजार टूटा हुआ है।

जैसे-तैसे बाजार उठता है बाजारों में रौनक बढ़ती है तो दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सहित अन्य संस्था तमाम नियमों को लागू करने लगती है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच हमें सावधानी तो अपनानी होगी। साथ ही इस बात पर जोर देना होगा कि लोगों के काम-काज प्रभावित न हो। लेकिन अफवाहों पर ध्यान न दें। सचेत रहे और कोरोना गाइड लाईन का पालन करें।

मुम्बई अस्पताल में ‘सैप्टिक शॉक’ से पीड़ित 4 बच्चों की मौत, विपक्ष ने उठाए सवाल  

महाराष्ट्र के मुम्बई के भांडुप में सावित्री बाई फुले अस्पताल में पिछले तीन दिन में ‘सैप्टिक शॉक’ नामक रोग से पीड़ित आईसीयू में दाखिल 4 नवजात बच्चों की मौत हो गयी है। इस रोग से भंडारा और नासिक में भी बच्चों के पीड़ित होने खबर है। इस बीच भांडुप में सावित्री बाई फुले अस्पताल में लापरवाही के आरोप लगने के बाद सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया है कि संबधित अस्पताल के मेडिकल अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है और और जो भी गड़बड़ी हुई है उस पर जांच बैठा दी गई है।

इस  मसले को लेकर महाराष्ट्र में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में बीएमसी अस्पताल में हुई घटना पर गंभीर सवाल उठाए।  अभी तक की जानकारी के मुताबिक भांडुप में सावित्री बाई फुले अस्पताल में पिछले तीन दिन में आईसीयू में दाखिल 4 बच्चों की मौत हो चुकी है और इसका कारण सेप्टिक शॉक नामक समस्या है।

विपक्ष इसे लेकर सरकार हमलावर है। जानकारी के मुताबिक ऐसी घटनाएं नासिक और भंडारा में भी हुई हैं। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने अस्पतालों में लापरवाही के आरोप लगाते हुए इसे ”सरासर बच्चों का खून” करना बताया है। एनएसआईसी में दाखिल बच्चों को यह समस्या बताई गयी है।

फडणवीस ने सदन में कि बीएमसी देश की नहीं एशिया की सबसे धनी महानगर पालिका है, साथ ही मौजूदा समय में बीएमसी का बैंकों में 50 हजार करोड़ से ज्यादा डिपॉजिट है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने इसपर क्या कारवाई की है, इसका जवाब दें। उन्होंने अडिशनल कमिश्नर को अब तक सस्पेंड क्यों नहीं किया।

भाजपा ने इस में मामले में आक्रामक होकर मुंबई मेयर के खिलाफ नारेबाजी भी की।
बाद में केबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मसले पर जवाब दिया कि संबधित अस्पताल के मेडिकल अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। जो भी गड़बड़ी हुई है उस पर जांच बैठा दी गई है।

उत्तर प्रदेश की सियासत पूरी तरह से ध्रुवीकरण पर होगी निर्भर

उत्तर प्रदेश की सियासत को हासिल करने के लिए कोई भी राजनीतिक दल नागरिकों के लिए कितने ही बड़े-बड़े दावे क्यों न कर लें। लेकिन चुनाव आते–आते पूरी राजनीति हिंदू-मुसलमान जातीय धुव्रीकरण के बीच फंस कर रह जाती है। चुनाव में महंगाई, बेरोजगारी और विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे गौड़ हो जायेगें। जिसका नतीजा यह हो जाता है कि पूरी राजनीति धुव्रीकरण पर ही निर्भर दिखने लगती है।

उत्तर प्रदेश के सियासत के जानकारों का कहना है कि, मौजूदा समय में प्रदेश में जिस तरह एक दल धार्मिक कार्यो पर जोर दें रहा है। तो, वही अन्य दल इस बात को लेकर उलझन में है कि वे भाजपा कि इस रणनीति की क्या काट निकाले।

चुनाव की तिथि की सुगबुगाहट की चर्चा उत्तर प्रदेश की दिल्ली में सुनाई दें रही है। तमाम तरह के कयास लगाये जा रहे है। कि जनवरी के पहले या दूसरे सप्ताह में चुनाव तिथि की घोषणा कर दी जायेगी। कुल मिलाकर चुनाव को लेकर राजनीतिक दल कमर कस चुके है। चुनावी बिसात में भाजपा को छोड़ अन्य विपक्षी राजनीतिक दल इस बार महंगाई, बेरोजगारी और किसान आंदोलन में मारे गये किसानों जैसे गंभीर मुद्दों के साथ सरकार को घेर सकते है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार शैलेन्द्र कुमार का कहना है कि, उत्तर प्रदेश की राजनाति में सबसे अहम् भूमिका पिछड़ा वर्ग निभाता है। क्योंकि वह प्रदेश में लगभग 54 प्रतिशत है। पिछड़े के सहारे अगड़ा और दलित वर्ग भी राजनीति करता रहा है।

बताते चलें, उत्तर प्रदेश में भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा यह चार राजनीतिक दल मुख्य रूप से चुनाव मैदान में उतरेंगे। इस बार प्रदेश की सियासत में जिस तरह से छोटे दलों के साथ तालमेल बैठाया जा रहा है। वो पिछड़े वर्ग के मतदाता को अपने–अपने पक्ष में करने के लिये है।

शैलेन्द्र कुमार का कहना है कि, सपा पार्टी तो पिछड़े वर्ग की रहनुमा रही है। इस बार भाजपा भी जिस प्रकार पिछड़ो को साधने के लिए पार्टी पिछड़े वर्ग के नेताओं को आगे कर रही है। ताकि पिछड़ा वर्ग का मतदाता भाजपा के साथ ही रहे। जबकि कांग्रेस और बसपा अपने तरीके से सभी वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने की राजनीति कर रही है

ओमिक्रोन: कैंसर और लीवर रोगी बरतें विशेष सावधानी

कैंसर और लीवर रोगीयों पर ओमिक्रोन का वायरस तेजी से हमला कर सकता है। क्योंकि इन बिमारियों से जूझ रहे रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। यह जानकारी लोकनायक अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल कुमार ने साझा की है। उन्होंने बताया कि तमाम अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि अभी तक जितने भी वायरस आये है उनमें ओमाइक्रोन सबसे अधिक तेजी से फैलने वाला वायरस है।

लीवर रोग विशेषज्ञ डॉ संदीप कुमार का कहना है कि, लीवर शरीर का प्रमुख अंग है जो कि हमारे खान-खान को पचाने में अहम् भूमिका निभाता है। लेकिन जागरूकता के अभाव में खान–पान में अनियमितता के चलते और शराब के अत्याधिक सेवन से लीवर डैमेज की शिकायतें बढ़ी है। जो शारीरिक रूप से कमजोरी का बड़ा कारण बनती है।

बताते चलें, अभी तक लोगों के बीच इस बात पर जोर दिया जाता रहा है कि मधुमेह रोगी और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। उनको ही कोरोना वायरस अपनी चपेट में ले सकता है। जबकि सच्चाई ये है कि कैंसर रोगी व लीवर रोगियों के लिये भी यह उतना ही घातक है जितना की अन्य बीमारी से जूझ रहे रोगियों के लिए है।

स्वास्थ्य मिशन से जुड़े अधिकारी मधुकर प्रसाद ने बताया कि, अगर ओमिक्रोन वायरस का कहर धीरे-धीरे फैलता है तो वो दिन दूर नहीं जब गांव-गांव में लोग ओमिक्रोन की चपेट आ जायेंगे। उनका कहना है कि आज भी गांवों की स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह से लचर है। लोगों को कई बार बुनियादी स्वास्थ्य सेवायें तक मयस्सर नहीं होती है। जिसके चलते मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। इलाज के अभाव में मरीज दम तक तोड़ देते है।

जीएसटी बढ़ाये जाने से कपड़ा व्यापारी वर्ग नाराज

हाल ही में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) ने कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढ़ांचे में बड़ा बदलाव किया हैं। जीएसटी परिषद ने कपड़े और जूते उद्योग पर एक जनवरी 2022 से नया शुल्क ढांचा लागु करने की बात कहीं है। इसमें जीएसटी को 5 से बढ़ाकर 12 किया गया है।

यदि जीएसटी लगातार कपड़ा और जूता पर बढ़ता रहा तो व्यापारियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली के कपड़ा और जूता व्यापारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि, आगामी 1 जनवरी से जूता पर 5 से 12 प्रतिशत तक बढ़ाये जाने से जूता व्यापार पर काफी विपरीत असर पड़ेगा।

जूता व्यापारी रतन अग्रवाल ने कहा कि पहले कोरोना के चलते व्यापार टूटा है। वहीं लगातार महगांई के चलते और शादियों के कम होने से जूता का कारोबार काफी कम हुआ है। लक्ष्मी नगर व्यापार संघ के सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि सरकार न जाने क्या सोच कर जीएसटी को बढाने में लगी है। क्योंकि कपड़ा पर जीएसटी बढ़ाने से व्यापारी नाराज है। अब जूता पर जीएसटी ठोका जा रहा है। उनका कहना है कि अगर दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार ने जीएसटी संशोधन पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो दिल्ली के व्यापारी सरकार की व्यापारी नीतियों के विरोध में प्रदर्शन करेगें।

बताते चलें व्यापारियों ने कई बार सरकार की जीएसटी नीतियों को लेकर विरोध किया है। लेकिन सरकार जीएसटी पर समय-समय पर संशोधन कर व्यापारियों को प्रोत्साहन देती रही है। लेकिन अब सरकार न जाने क्यों व्यापारियों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। प्रदीप कुमार का कहना है ओमिक्रोन के कहर को लेकर व्यापार में डर का साया है। उस पर जीएसटी का बढ़ाया जाना व्यापार को संकट में डालने के बराबर है।उनका कहना है कि व्यापारी कोरोना काल से कर्ज में चल रहा है। ऐसे में छोटे –व्यापारियों के कारोबार पर विपरीत असर जरूर पड़ेगा।