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दिल्ली विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू, प्रोटेम स्पीकर बने अरविंदर सिंह लवली

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू हो चुका है। भाजपा विधायक अरविंदर सिंह लवली ने नवगठित विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली। विधानसभा की पहली बैठक से पहले लवली को राज निवास में एलजी विनय कुमार सक्सेना ने यह शपथ दिलाई।

सदन के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक लवली अब नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे। बाद में नए स्पीकर का चुनाव होगा और इस पद के लिए भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता को चुना जा सकता है। वहीं डिप्टी स्पीकर के पद के लिए मोहन सिंह बिष्ट के नाम की चर्चा है। चुनाव संपन्न होने के बाद नवनिर्वाचित स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को भी शपथ दिलाई जाएगी।

दिल्ली विधानसभा सदन में शपथ ग्रहण का शुभारंभ हो गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शपथ ली। इनके बाद अब मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य शपथ ले रहे हैं। इनके बाद बारी-बारी से सभी अन्य विधायक 70 विधायक शपथ लेंगे। प्रोटेम स्पीकर अरविंद सिंह लवली ने कहा कि विधानसभा द्वारा तैयार किए गए लिखित प्रारूप के अनुसार ही सभी सदस्य शपथ लें। दिल्ली विधानसभा के पहले दिन दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह हमारी एक शुरुआत है। मैं उन्हें (आप नेता और नेता प्रतिद्वंद्वी आतिशी) बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि वे पहले के विपरीत सकारात्मक सकारात्मकता के साथ काम करेंगे। एक-एक कर शपथ लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शपथ लेने के क्रम में पहले मंत्री शपथ ले रहे हैं। सिरसा ने पंजाबी में शपथ ली। वहीं पर कपिल मिश्रा ने संस्कृत में शपथ ली।

शेयर बाजार में नवेशकों के 3.40 लाख करोड़ हुए नुक्सान

मुंबई: शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। भारतीय बाजार में बीते कारोबारी हफ्ते में बड़ी गिरावट देखने के बाद सोमवार को शेयर मार्केट लाल निशान में खुला। सेंसेक्स खुलने के साथ ही 500 अंक से ज्यादा ज्यादा टूट गया जबकि निफ्टी 159 अंक टूटकर खुला। इस बीच शुरुआती कारोबार में लार्जकैप में शामिल 30 में से 29 शेयरों की शुरुआत भी गिरावट के साथ हुई। शेयर बाजार पर एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लगाने की धमकी का असर देखने को मिला है।

सेंसेक्स सोमवार को अपने पिछले बंद 75,311.06 की तुलना में फिसलकर 74,893.45 के लेवल पर खुला और कुछ ही देर में गिरावट तेज हो गई जिस सेंसेक्स फिसलकर 74,730 के स्तर पर पहुंच गया। वहीं दूसरी तरफ निफ़्टी भी अपने पिछले बंद 22,795.90 के स्तर से टूटकर 22,609.35 के लेवल पर खुला और मिनटों में सेंसेक्स के कदम से कदम मिलाकर 200 अंक टूटकर 22,607 के लेवल तक गिर गया।

शेयर बाजार में गिरावट इतनी तेज थी कि महज 5 मिनट में बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट करीब 3.40 लाख करोड़ रुपये डूब गया। ग्लोबल मार्केट में गिरावट के बीच अब ब्राडर मार्केट में भी हाहाकार की स्थित रही। BSE के सभी सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। सुबह 9.20 बजे के करीब, बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप घटकर 398.80 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। इस तरह लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप सोमवार को बाजार खुलने के कुछ मिनटों में ही 3.40 लाख करोड़ रुपये तक घट गया।

‘मेरी टैरिफ लगाने की धमकी के बाद टूट गया BRICS’, अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान

नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रिक्स को लेकर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि ब्रिक्स पर 150 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के बाद 5 देशों का ये समूह तितर-बितर हो गया है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी डॉलर को चुनौती देने की ब्रिक्स की कोशिशों से कुछ फायदा नहीं होगा। ट्रंप ने कहा कि ब्रिक्स देश हमारे डॉलर को तबाह करने की कोशिश कर रहे हैं। वे नई करेंसी शुरू करना चाहते हैं। इसलिए जब मैं सत्ता में आया तो मैंने पहली बात यही कही कि ब्रिक्स का जो भी देश नई करेंसी की बात करेगा उस पर 150 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा। हमें आपके प्रॉडक्ट नहीं चाहिए और इसके बाद ब्रिक्स टूट जाएगा।

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि ब्रिक्स में अब क्या हो रहा है। हमने कुछ समय से उनके बारे में कुछ नहीं सुना है। बता दें कि ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इसके साथ ही तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए आवेदन किया है।

ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट कर कहा था कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं लेकिन अब ये नहीं चलेगा। हम चाहते हैं कि ये हॉस्टाइल देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ना तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएं और ना ही किसी अन्य करेंसी को सपोर्ट करें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा। बता दें कि पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें सामने आ रही थीं कि ब्रिक्स देशों अपनी करेंसी शुरू कर सकते हैं। लेकिन अब ट्रंप ने इसे लेकर ब्रिक्स देशों को खुली धमकी दे दी है।

सौरव गांगुली के काफिले की गाड़ी हो गई हादसे का शिकार

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के काफिले में मौजूद कार हादसे का शिकार हो गई। जानकारी के अनुसार बर्दवान जाते समय उनके काफिले की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया। जानकारी के अनुसार अचानक एक लॉरी बीच में आ गई थी जिस वजह से गाड़ियों को अचानक ब्रेक लगानी पड़ी। हालांकि, राहत की बात यह है कि ना तो दादा को और ना ही उनके साथ मौजूद कोई घायल हुआ।

सौरव के काफिले के सामने एक लॉरी थी जिसने अचानक ब्रेक लगाई। हालांकि गांगुली की कार के चालक ने समय रहते ब्रेक लगा दिए, लेकिन काफिले के पीछे चल रही दो कारों के बीच मामूली टक्कर हो गई। दादपुर थाने के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना में सौरव की कार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। सौरव को भी कोई चोट नहीं आई। काफिले में शामिल दो वाहनों की टक्कर में मामूली क्षति हुई। हालांकि, ड्राइवरों को कोई चोट नहीं आई। सभी लोग स्वस्थ हैं। इसके बाद महाराज ने बर्दवान विश्वविद्यालय के गोलापबाग परिसर के सभागार में छात्रों के कई सवालों के जवाब दिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के मोहन बागान मैदान का भी दौरा किया। वहां से बर्दवान के राधारानी स्टेडियम जाएंगे। वहां, सौरव को बर्दवान खेल संघ द्वारा सम्मानित किया गया।

रेखा गुप्ता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

नई दिल्ली: भाजपा की रेखा गुप्ता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। रामलीला मैदान में उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने शपथ दिलाई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए शासित प्रदेशों के सीएम और डिप्टी सीएम भी मंच पर मौजूद रहे। रेखा गुप्ता के साथ 6 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इन मंत्रियों में प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंदर इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह शामिल हैं। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सबसे पहले मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को शपथ दिलवाई इसके बाद प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, कपिल मिश्रा, पंकज कुमार सिंह और अंत में रविंदर इंद्राज सिंह ने शपथ ली।

उनके बाद प्रवेश साहिब सिंह ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के लिए तीन अलग-अलग मंच तैयार किए गए। मुख्य मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मनोनीत मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के सहयोगी सदस्य, और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम भी उपस्थित रहे। दूसरे मंच पर धर्मगुरुओं और विशिष्ट अतिथि मौजूद थे, जबकि तीसरे मंच पर संगीत कार्यक्रम से जुड़े कलाकार मौजूद थे।

बता दें कि बुधवार शाम विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता को सीएम चुना गया था। सीएम चुने जाने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “पीएम मोदी ने जो दिल्ली की जनता के लिए विजन दिया है, उसे पूरा करना मेरी प्राथमिकता होगी। पीएम मोदी का तहे दिल से आभार जताना चाहती हूं कि यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं है, बल्कि यह देश की हर मां-बेटी का सम्मान है।”
रेखा गुप्ता दिल्ली की शालीमार बाग सीट से पहली बार विधायक चुनी गई हैं। उन्होंने ‘आप’ की बंदना कुमारी को 29,595 मतों के अंतर से हराया था। गत 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। भाजपा को 26 साल बाद ऐतिहासिक जीत मिली थी। उसने 70 में से 48 सीटें जीतीं, जबकि आम आदमी पार्टी 22 पर सिमट गई।

रेखा गुप्ता के साथ दिल्ली कैबिनेट के छह मंत्री भी लेंगे शपथ

नई दिल्ली: शालीमार बाग से विधायक रेखा गुप्ता दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के तौर पर आज शपथ लेंगी। वह दिल्ली की चौथी महिला सीएम होंगी। इनसे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी कमान संभाल चुकी हैं। शपथ ग्रहण समारोह दोपहर 12.15 रामलीला मैदान में आयोजित होगा। उनके साथ 6 मंत्री- प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंदर इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह भी शपथ लेंगे।

6 मंत्रियों को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना आज दोपहर 12.35 बजे नए मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल को शपथ दिलाएंगे। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तैयारी भी पूरी कर ली गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम केंद्रीय मंत्री, भाजपा और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम भी इसमें शामिल होंगे। रामलीला मैदान में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है। रामलीला मैदान में सुरक्षा के लिए एनएसडी कमांडो, दिल्ली पुलिस के जवान और आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) के जवान तैनात हैं। दिल्ली में 25,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी और अर्धसैनिक बलों की 15 से ज्यादा कंपनियां तैनात की गई हैं।

बता दें, कि बुधवार शाम विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता को सीएम चुना गया था। सीएम चुने जाने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ” पीएम मोदी ने जो दिल्ली की जनता के लिए विजन दिया है, उसे पूरा करना मेरी प्राथमिकता होगी। पीएम मोदी का तहे दिल से आभार जताना चाहती हूं कि यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं है, बल्कि यह देश की हर मां-बेटी का सम्मान है।”

रेखा गुप्ता दिल्ली की शालीमार बाग सीट से पहली बार विधायक चुनी गई हैं। उन्होंने ‘आप’ की बंदना कुमारी को 29,595 मतों के अंतर से हराया था। गत 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। भाजपा को 26 साल बाद ऐतिहासिक जीत मिली थी। उसने 70 में से 48 सीटें जीती जबकि आम आदमी पार्टी 22 पर सिमट गई।

खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह ने संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 20 फरवरी
जेल में बंद खडूर साहिब के सांसद और खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर संसद के चल रहे सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी है।
उनकी याचिका इस चिंता के बीच आई है कि लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण उनकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
संविधान के अनुच्छेद 101(4) के अनुसार “यदि संसद के किसी भी सदन का कोई सदस्य बिना अनुमति के 60 दिनों तक सभी बैठकों से अनुपस्थित रहता है, तो सदन उनकी सीट रिक्त घोषित कर सकता है. बशर्ते कि साठ दिनों की उक्त अवधि की गणना करते समय उस अवधि को ध्यान में नहीं रखा जाएगा, जिसके दौरान सदन को चार दिनों से अधिक लगातार स्थगित किया गया हो या स्थगित किया गया हो।
अमृतपाल सिंह पहले ही 46 दिनों तक संसदीय कार्यवाही से अनुपस्थित रह चुके हैं, जिससे उनकी सीट खतरे में आने में केवल 14 दिन और बचे हैं।
सूत्रों से पता चला है की उनकी याचिका पर सुनवाई दो दिन में होने की संभावना है।
वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने इससे पहले 23 जनवरी को एक याचिका दायर की थी, जिसमें संसद में उपस्थित होने और गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने की अनुमति मांगी गई थी।
उन्होंने कहा था कि उन्हें लगातार जेल में रखने से उनके 19 लाख मतदाताओं को प्रतिनिधित्व से वंचित किया जा रहा है।साथ ही उनकी हिरासत राजनीति से प्रेरित है और इसका उद्देश्य उनके बढ़ते प्रभाव को रोकना है।
अमृतसर के डिप्टी मजिस्ट्रेट ने शुरू में मार्च 2023 में उनकी हिरासत का आदेश जारी किया था और तब से इसे कई बार बढ़ाया जा चुका है।

रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमँत्री होंगी, RSS ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा

नई दिल्ली: आखिरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया है। रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमँत्री होंगी। RSS ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा था, जिसे भाजपा ने मान लिया है। प्रवेश वर्मा डिप्टी सीएम होंगे।बुधवार शाम दिल्ली में भाजपा विधायक दल की बैठक में इसका ऐलान किया गया। कल यानि 20 फरवरी को सुबह करीब 11.00 बजे दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण कार्यक्रम शुरू होगा। उपराज्यपाल वीके सक्सेना दोपहर 12.35 बजे नए मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को शपथ दिलाएंगे। पहले यह कार्यक्रम शाम 4.30 बजे के लिए प्रस्तावित था। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा-एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के रहने की भी उम्मीद जताई जा रही है।

शालीमार बाग से विधायक बनीं रेखा गुप्ता का जन्म 19 जुलाई 1974 को हरियाणा के जुलाना में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉमर्स में ग्रैजुएशन करने के बाद प्रबंधन और कला में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। उनका राजनीतिक सफर 1993 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू हुआ। साल 1996-97 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष बनीं। इसके बाद 2007 और 2012 में उन्होंने नॉर्थ पीतमपुरा से नगर निगम पार्षद का चुनाव जीता। 2022 में वह दिल्ली नगर निगम (MCD) के मेयर पद की बीजेपी उम्मीदवार भी रहीं। साल 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 29,595 वोटों के अंतर से हराया।

किसानों को सीधा लाभ पहुँचाने वाला नहीं है बजट

योगेश

किसानों को केंद्र सरकार उनकी फ़सलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य अभी तक नहीं दे रही है, दूसरी तरफ़ वो पूँजीपतियों का अरबों रुपये का क़र्ज़ माफ़ कर चुकी है और यह सिलसिला अभी रुका नहीं है। अनिल अंबानी, मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, जिन्दल और जयप्रकाश जैसे उद्योगपति क़र्ज़ की रक़म नहीं चुकाते हैं, तो उनका क़र्ज़ माफ़ कर दिया जाता है और दूसरी तरफ़ किसानों को 10-15 हज़ार के क़र्ज़ के लिए भी जलील किया जाता है। इन दोनों स्थितियों से किसानों पर तो क़र्ज़ का बोझ लगातार बढ़ ही रहा है, बैंकों पर भी बोझ लगातार बढ़ रहा है। बैंकों का एनपीए लगातार बढ़ रहा है, जिसका बोझ आम खातेदारों पर तरह-तरह के चार्ज लगाकर बैंक डालते हैं। पिछले 10 साल में बैंकों ने पूँजीपतियों के 12 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का क़र्ज़ माफ़ कर दिया। लेकिन किसानों का एक रुपया भी माफ़ नहीं किया है। पूँजीपतियों का सबसे ज़्यादा क़र्ज़ माफ़ करने वाली बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया है। स्टेट बैंक आफ इंडिया ने ही शॉर्ट बैलेंस के लिए सबसे ज़्यादा ग़रीबों से ज़ुर्माना वसूला है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार टॉप 100 डिफॉल्टरों के पास बैंकों के कुल एनपीए का 43 प्रतिशत क़र्ज़ बकाया है।

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की गारंटी देने वाली केंद्र की मोदी सरकार ने इसी 01 फरवरी को अपना 11वाँ आम बजट और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने कार्यकाल का आठवाँ बजट प्रस्तुत किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए कई घोषणाएँ कीं; लेकिन इन घोषणाओं में एक भी ऐसी नहीं थी जिसमें किसानों को कोई बड़ी राहत मिलती नज़र आये। कृषि की कुल छ: नयी योजनाओं के ऐलान में वित्त मंत्री तो कह रही हैं कि किसानों को इससे फ़ायदा मिलेगा; लेकिन ऐसा लगता है कि किसानों पर क़र्ज़ ही बढ़ेगा। क्योंकि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पाँच लाख रुपये की है। क्रेडिट कार्ड मतलब क़र्ज़ के लिए एक आसान सुविधा, जिसकी लिमिट हर किसान के लिए बराबर नहीं है और न ही हर किसान को क्रेडिट कार्ड मिला हुआ है। जब कुछ किसानों से किसान क्रेडिट कार्ड के बारे में पूछा गया, तो रंजीत नाम के एक किसान ने बताया कि उन्हें कोई क्रेडिट कार्ड नहीं मिला है। एक-दूसरे किसान ने कहा कि क्रेडिट कार्ड तो तब लेकर फ़ायदा हो, जब उन्हें उसका पैसा बिना ब्याज के भरना पड़े। ये तो बेवक़ूफ़ बना रहे हैं।

इस बार के कृषि बजट में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना लॉन्च की गयी है, जिसके तहत कम फ़सलें उगाने वाले 100 कृषि ज़िलों को विकसित करने की बात सरकार ने कही है। इस योजना के तहत इन ज़िलों के कम क़र्ज़ लेने वाले किसानों को क़र्ज़ लेने के लिए उत्साहित किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इससे फ़सल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा; लेकिन कृषि जानकारों का मानना है कि इससे किसानों को क़ज़र्दार बनाया जाएगा। सरकार कह रही है कि इससे 1.7 करोड़ किसानों को फ़ायदा होगा; लेकिन कृषि जानकार कह रहे हैं कि इससे लाखों किसान क़र्ज़ के जाल में फंस जाएँगे।

कृषि जानकारों का मानना है कि अगर सरकार को किसानों की आय बढ़ानी है तो वो न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारंटी क़ानून बनाकर स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले से किसानों की फ़सलें ख़रीदे और बीज, खाद, डीजल आदि उचित मूल्य पर बिना किसी समस्या और बाधा के समय पर उपलब्ध कराये। वित्त मंत्री ने इस बजट में अरहर, मसूर, उड़द जैसी दालों की पैदावार बढ़ाने के लिए मिशन लॉन्च किया है, जिसके तहत छ: साल तक नेफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी संस्थाएँ अगले चार साल तक दालें ख़रीदेंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार में मखना बोर्ड बनाने की घोषणा की है। कहा जा रहा है कि इससे मखाना किसानों की दशा सुधरेगी और मखाने का बाज़ार बढ़ेगा। कृषि में नयी तकनीक के तहत रिसर्च पारिस्थितिकी तंत्र मिशन शुरू किया जाएगा, जिसके तहत फ़सलों की ज़्यादा पैदावार के लिए कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-सहिष्णु 100 से ज़्यादा क़िस्मों के बीजों को विकसित करने के लिए वित्त मंत्री ने पाँच साल का विशेष मिशन लॉन्च किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने असम के नामरूप में 12.7 लाख टन क्षमता वाला नया यूरिया संयंत्र लगाने को कहा है। इसके अलावा सरकार ने 60,000 करोड़ रुपये के समुद्री खाद्य निर्यात की योजना बनायी है, जिससे मछली उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।

कृषि जानकार कह रहे हैं कि इस कृषि बजट से भी पिछली बार के सभी कृषि बजटों की तरह ही किसानों को कोई भी सीधा लाभ नहीं होने वाला। किसानों की दशा सुधारने के लिए उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य तो देना ही चाहिए उनके पुराने कम-से-कम पाँच लाख तक के क़र्ज़े माफ़ होने चाहिए। इसके अलावा जिन किसानों की आय एक लाख रुपये प्रति माह से कम है, उन्हें बिना ब्याज के क़र्ज़ देना चाहिए। मेक इन इंडिया के तहत ग्रामीण कृषि सम्बन्धी उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। गाँवों में फूड प्रोसेसिंग और जैविक खेती को प्रोत्साहन देना चाहिए। किसानों के बच्चों की कम-से-कम 12वीं तक की शिक्षा बिलकुल मुफ़्त होनी चाहिए। कृषि यंत्रों पर से जीएसटी हटानी चाहिए और किसानों को बिना ब्याज के कृषि यंत्र उपलब्ध कराये जाने चाहिए। हालाँकि कृषि यंत्रों को क़र्ज़ पर लेने वाले किसानों की आय का भी ज़रिया देखा जाना चाहिए और बिना क़र्ज़ चुकाए उन यंत्रों के किसानों द्वारा बेचने पर पाबंदी होनी चाहिए।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजटीय भाषण में ग़रीबी से मुक्ति की बात कही, जिसके लिए उन्होंने कई अलग-अलग घोषणाएँ कीं। लेकिन कृषि क्षेत्र को जब तक किसानों के लिए एक लाभकारी उद्योग के रूप में नहीं बदला जाएगा, तब तक ग़रीबी से मुक्ति नहीं मिल सकेगी। 80 करोड़ से ज़्यादा लोगों को 5 किलो महीने का राशन और लगभग 9.5 करोड़ किसानों को 500 रुपये महीने की सम्मान राशि देने से ग़रीबी समाप्त नहीं हो सकेगी। केंद्र सरकार को अगर देश को सोने की चिड़िया बनाना है, तो कृषि क्षेत्र में वो सभी क्रांतिकारी क़दम उठाने होंगे, जिनकी किसान पिछले चार साल से माँग कर रहे हैं।

केंद्रीय आम बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए ऐसा कुछ ख़ास नहीं दिखा, जिससे किसानों को कोई राहत सीधे तौर पर मिल सके। इस बजट में राज्यों की भागीदारी के साथ प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना नाम की न रह जाए, इसके लिए केंद्र सरकार को धरातल पर 100 नहीं, बल्कि देश के सभी 792 ज़िलों में कृषि कल्याण की योजनाएँ चलानी होंगी, जिससे कृषि और किसानों का समुचित विकास हो सके। किसानों के लिए बीज, खाद, कीटनाशक, डीजल, खुली बाज़ार व्यवस्था, न्यूनतम समर्थन मूल्य और बीज व फ़सल भंडारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी। कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी क़दम उठाने के लिए केंद्र सरकार को कृषि बजट का एक-एक पैसा किसानों के हितों के लिए उनके लिए बनायी योजनाओं पर ख़र्च करना होगा। खाद आदि की सब्सिडी कम्पनियों को न देकर सीधे किसानों को देनी होगी और किसानों के परिवार के अलावा फ़सलों का बीमा मामूली प्रीमियम राशि पर अधिभार ख़ुद उठाकर कराना होगा। बीमा कम्पनियों को निर्देश देने होंगे कि उन्हें हर किसान की ख़राब फ़सल का मुआवज़ा बिना देरी किये पूरी फ़सल अनुमानित क़ीमत के साथ देना होगा।

असिंचित क्षेत्रों में नहरों की व्यवस्था दुरुस्त करके सिंचाई की व्यवस्था 50 से 60 रुपये बीघा के हिसाब से करनी होगी। किसानों पर बिना सिंचाई के सिंचाई बिलों का बोझ हटाना होगा। किसानों को क्रेडिट कार्ड देने की जगह बिना ब्याज के सीधे क़र्ज़ की योजना बनायी जानी चाहिए, जो बिना किसी गारंटी के किसानों के खाते में सीधे आना चाहिए। बिचौलियों के माध्यम से और रिश्वत लेकर कृषि ऋण देने वाले बैंकों के कर्मचारियों को निलंबित किया जाना चाहिए। किसानों की खतौनियों को गिरवी रखने वाले बैंकों को आदेश देना चाहिए कि वो किसानों की खतौनियाँ वापस करें। खुले बाज़ारों में जिन खाद्य पदार्थों का जो भी भाव हो, किसानों तक उसका कम-से-कम 50 प्रतिशत मिलना चाहिए। कृषि क्षेत्र में किसानों के लिए इतनी सहूलियत करने के बाद किसानों को किसी तरह की मदद, सम्मान राशि और पाँच किलो महीने के राशन की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

आज देश के लगभग 16 लाख किसानों पर लगभग 21 लाख करोड़ से ज़्यादा क़र्ज़ है। ये क़र्ज़ देश में पूँजीपतियों के माफ़ किये गये क़र्ज़ से लगभग छ: लाख करोड़ ज़्यादा है। इस क़र्ज़ और फ़सलों का सही भाव न मिलने के चलते देश में हर साल लगभग 13,000 से ज़्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं और हर साल लगभग 20,000 किसान खेती छोड़ रहे हैं। शहरीकरण और भूमि अधिग्रहण क़ानून के तहत पूँजीपतियों के कृषि योग्य भूमि पर क़ब्ज़ा करने की साज़िश के चलते कृषि का रक़बा घटता जा रहा है। इसके साथ ही देश में बंजर भूमि भी बढ़ती जा रही है। पेड़ों की संख्या भी कम हो रही है, जिससे बेमौसम बारिश, कम बारिश, ज़रूरत से ज़्यादा बारिश और सूखा समेत बाढ़ की समस्याएँ आज भी ख़त्म नहीं हुई हैं। कृषि क्षेत्र के कमज़ोर होने से कृषि और कृषि अधारित उद्योंगों में निरंतर ह्रास हो रहा है।

केंद्र सरकार को चाहिए कि कृषि बजट बढ़ाकर दोगुना करे और किसानों के हितों वाली योजनाएँ लाकर उनकी ग़रीबी दूर करने के उपाय करे। पिछला केंद्रीय कृषि बजट 1,52 लाख करोड़ था, जो कि हमारे कृषि प्रधान देश के कृषि क्षेत्रफल के हिसाब से काफ़ी कम था। इस बार का भी कृषि बजट खुलकर नहीं रखा गया। बजट का स्वरूप क्या है, इसकी जानकारी किसानों को होनी चाहिए, जिससे उन्हें पता चल सके कि सरकार ने उनके लिए क्या किया है और क्या सोचा है।

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर, राहुल गांधी ने विरोध जताया

नई दिल्ली:  मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने विरोध जताया है। ट्वीट के माध्यम से उन्होंने अपनी नाराजगी का विवरण जारी किया। राहुल गांधी ने डिसेंट नोट में लिखा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का आधी रात को लिया गया यह फैसला अपमानजनक’ है।

राहुल गांधी ने बताया कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से संबंधित समिति की बैठक के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमतिपूर्ण नोट सौंपा था। इस नोट में राहुल गांधी ने साफ कहा कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता विशेष रूप से चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए।

उन्होंने डिसेंट नोट में लिखा,”सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है। विपक्ष के नेता के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब अंबेडकर और हमारे देश के संस्थापक नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जवाबदेह ठहराऊं।”