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पनामा पेपर्स लीक मामले में अभिनेत्री ऐश्वर्या रॉय से ईडी ने की लम्बी पूछताछ

पिछले महीने फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन के बाद अब पनामा पेपर्स लीक मामले में उनकी अभिनेत्री पत्नी ऐश्वर्या रॉय से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को कई घंटे तक पूछताछ की। ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए समन भेजा था।

बता दें, फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन पर हाल में आरोप लगे थे कि उन्होंने कथित तौर पर टैक्स चोरी के लिए विदेशों में चार सेल कंपनी बनाई थीं और यह सभी शिपिंग कंपनियां थीं। पनामा लीक में जो जानकारियां सामने आई हैं उनके मुताबिक अमिताभ ने बेटे अभिषेक बच्चन को कथित तौर पर एक कंपनी का निदेशक बनाया था जबकि बहु ऐश्वर्या रॉय इनमें से एक कंपनी की शेयर होल्डर भी थीं।

आरोपों के मुताबिक हालांकि, बाद में अमिताभ बच्चन की यह कंपनी साल 2008 में बंद कर दी गयी। बच्चन परिवार पर आरोप हैं कि कथित रूप से टैक्स बचाने के लिए इन कंपनियों को खड़ा किया गया था। हाल में जब दिग्गज अभिनेता का नाम पनामा पेपर्स लीक मामले में नाम आया था तो अमिताभ ने ट्वीट कर खुद को निर्दोष बताया था और कहा कि वे देश के क़ानून की पूरी इज्जत करते हैं।

इस ट्वीट में अमिताभ ने लिखा था – ‘मैं देश के कानून से बंधा नागरिक हूं और बताना चाहता हूं कि इंडियन एक्सप्रेस में जिस पनामा रिपोर्ट के हवाले से मेरे बारे में कहा गया है, मैं उन चार कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में कभी नहीं रहा। मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने इस पूरे मामले में जांच का आदेश दिया है और मैं खुद यह जानने के लिए उत्सुक हूं कि इन चार कंपनियों में मेरा नाम क्यों जोड़ दिया गया। मेरे नाम का गलत इस्तेमाल किया गया।”

हालांकि, अभिषेक बच्चन के बाद अब ऐश्वर्या रॉय को ईडी की तरफ से पूछताछ के लिए बुलाने से बच्चन परिवार सवालों के घेरे में है, भले अमिताभ बच्चन ने अपनी सफाई भी दी थी। जानकारी के मुताबिक पिछले महीने अभिषेक बच्चन से ईडी ने पूछताछ के दौरान कुछ फाइनेंसियल ट्रांसक्शन के बारे में जानना चाहा था। इन कथित ट्रांसक्शन की जांच अभी भी जारी है।

कोरोना को देखते हुये लग सकती है कई स्थानों पर पाबंदी

दिल्ली में गत दिनों से बढ़ रहे कोरोना के मामलों के बीच ओमिक्रोन के मामलें भी लोगों के बीच डर का माहौल तो बना ही रहे है। साथ ही दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के अस्पतालों में कोरोना के साथ अन्य मरीजों को सही तरीके का पर्याप्त इलाज नहीं मिलने से मरीजों में काफी रोष है।

मरीज मनोज के परिजन घनश्याम ने तहलका संवाददाता को बताया कि गत चार दिनों पहले डाँक्टरों की हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। गरीब मरीजों को इलाज को भटकना पड़ा है। कई मरीजों की तो इलाज के अभाव में मौत तक हो गयी है।

बाजारों में भीड़ बढ़ने से कोरोना के मामलें बढ़ने की संभावना ज्यादा है। एम्स के डॉ आलोक कुमार का कहना है कि समय रहते अगर कोरोना के नये स्वरूप ओमिक्रोन पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले दिनों में ओमिक्रोन भी मुसीबत बढ़ा सकता है। डाँ आलोक कुमार का कहना है कि तामाम सर्वेक्षणों के हवाले से ये जानकारी प्राप्त हो रही है कि जनवरी-फरवरी माह में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। इसलिये बचाव के तौर पर सावधानी अपनाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे।

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य कर्मचारी पवन सिंह ने कहा कि लगातार 10 दिनों से दिल्ली में केन्द्र और राज्य सरकारों के अस्पतालों में डाक्टरों की हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवायें चरमराई है। अगर लगातार हड़ताल का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में कोरोना का कहर लोगों की जिन्दगी में मुशीबत डाल सकता है।सूत्रों की माने तो दिल्ली सरकार कोरोना के बढते प्रकोप को देखते हुये 22 दिसम्बर से सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुये कई स्थानों पर पांबदी लगा  सकती है।

ओमिक्रोन का खौफ : सेंसेक्स 1,300 से ज्यादा अंकों से नीचे लुढ़का

देश में भले ओमिक्रोन के दस्तक देने के बावजूद इसका बहुत ज्यादा प्रभाव देखने को न मिला हो, इसका शेयर बाज़ार पर जबरदस्त असर देखने को मिला है। सोमवार को शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली और बीएसई सेंसेक्स आज 1,300 से ज्यादा अंकों से नीचे लुढ़क गया।

ओमिक्रोन के आने से बने दर के दबाव का साफ असर दिखा है और वैश्विक बाजारों में बिकवाली देखी गई। आज सुबह 10.30 बजे बीएसई सेंसेक्स में 1,349.16 अंकों अर्थात् 2.37 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी जबकि इंडेक्स 55,662.58 के लेवल पर था। इस दौरान एनएसई निफ्टी 382.20 अंकों या 2.25 फीसदी गिरावट के साथ 16,603 के लेवल पर चल रहा था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कच्चे तेल के बाजार में आज गिरावट दिखी। सेंसेक्स में सबसे अधिक चार फीसदी की गिरावट बजाज फाइनेंस में हुई जबकि टाटा स्टील, एसबीआई, एनटीपीसी, एमएंडएम और एचडीएफसी बैंक भी गिरने वाले प्रमुख शेयरों में शामिल रहे। सन फार्मा ज़रूर हरे निशान में थी।

आज सुबह 9.44 पर बेंचमार्क इंडेक्स में 1,142.88 अंकों या सीधे 2.00 फीसदी की गिरावट के साथ 55,868.86 अंकों पर आ गया जबकि एनएसई निफ्टी में इस दौरान 318.40 अंकों या 1.87 फीसदी की गिरावट दर्ज हो रही थी। इंडेक्स 16,666.80 अंकों के स्तर पर आ गया। बाजार खुलते ही आज बड़ी गिरावट रही। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 848.06 अंक गिरकर 56, 163.68 पर चल रहा था, वहीं निफ्टी 257.85 अंक टूटकर 16,727.35 पर आ गया था।

याद रहे शुक्रवार के आखिरी सत्र में भी बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज हुई थी। तब  सेंसेक्स-निफ्टी बड़ी गिरावट लेकर बंद हुए थे और सेंसेक्स 889.40 अंक या 1.54 फीसदी गिरावट के साथ 57,011.74 पर बंद हुआ था। उधर निफ्टी भी 263.20 अंक या 1.53 फीसदी की गिरावट के साथ 16,985.20 पर बंद हुआ था।

मधुमेह है तमाम बीमारियों की जड़

जैसे –जैसे सर्दी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे सर्दी से सम्बधित बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। सर्दी – जुकाम  के अलावा सर्दी में अस्थमा रोगियों की संख्या में काफी  इजाफा हो रहा है। अस्थमा रोगियों के लक्षण और कोरोना रोगियों के लक्षण एक जैसे होने से लोगों में कोरोना के नये स्वरूप ओमिक्रोन होने का भय सता रहा है।

दिल्ली –एनसीआर सहित देश के कई राज्यों में अस्थमा रोग जैसे पीड़ित मरीजों की संख्या दिन व दिन बढने से लोगों में तो हड़कंप मचा हुआ ही है। इस बारे में गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ डाँ प्रवीण भाटिया ने बताया कि सर्दी के मौसम को तो वैसे तो हेल्दी मौसम कहा जाता है।

लेकिन यह मौसम हार्ट रोगियों अस्थमा रोगियों और मधुमेह रोगियों के लिये काफी घातक माना जाता है।डाँ प्रवीण भाटिया का कहना है कि सारी बीमारियों की जड़ मधुमेह है। मधुमेह होने से हार्ट रोग, किड़नी रोग और नेत्र रोग जैसी बीमारियां बढ़ती है। इसलिये समय रहते मधुमेह रोग को नियत्रित रखें । समय-समय पर जांच करवाते रहे। वजन को काबू रखें। क्योंकि मोटापा रोग से पीड़ित मरीजों को मधुमेह रोग की शिकायत ज्यादा होती है।

मधुमेह और मोटापा से बचाव के लिये नियमित व्यायाम करें और तलीय पदार्थो का सेवन कम से कम करें।डाँ प्रवीण भाटिया ने बताया कि जागरूकता के अभाव में बच्चों तक में मधुमेह की शिकायत तेजी से बढ़ रही है। इसकी मुख्य वजह खान –पान में अनियमितता है। उन्होंने बताया कि समय रहते अगर मधुमेह पर काबू पाने का प्रयास नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में तेजी से मधुमेह सभी वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले लेगी।

पंजाब में किसान कर रहे हैं अपना ही राजनीतिक दल बनाने की पूरी तैयारी

मीनाक्षी भट्टाचार्य

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले नया राजनीतिक दल बन सकता है और यह दल बना रहे हैं खुद किसान। आंदोलन के बाद किसान घर लौटने से पहले भी यही बात कह गए थे। अगर किसानों की ओर से राजनीतिक दल बनाया जाता है तो इससे पहले से स्‍थापित सभी राजनीतिक पार्टियों की चिंता बढ़ सकती है |

किसानों के इस कदम से अन्‍य दलों का चुनावी गणित बिगड़ने के संभावना प्रबल है।  नाम न छापने की शर्त पर एक किसान नेता ने बताया, “कुछ राजनीतिक दल किसान संगठनों से राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए संपर्क कर रहे हैं। साथ ही बड़े स्‍तर पर चुनाव लड़ने को लेकर भी बात की जा रही है |”

उन्होंने कहा कि सभी प्रमुख लोगों को एक साथ लाकर किसानों की पार्टी बनाने में   इस बात को प्रमुखता से समझा जा रहा है कि इसमें अन्‍य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों और प्रोफेशनल्‍स को भी शामिल किया जाए ताकि पंजाब में राजनीति बदलाव लाया जाए | उन्होंने कहा कि संयुक्‍त किसान मोर्चा अन्‍य कृषि संगठनों और  मजदूर संगठनों से बातचीत कर रहा है।

किसान नेता ने कहा – ”जनता पहले से ही स्‍थापित दलों से तंग आ चुकी है, अब बड़े बदलाव की बात पूरी संभावना दिख रही है |” किसान संगठनों और किसानों के बीच इस बात की चर्चा है कि अब अपने दायरे को बढ़ाया जाए और चुनाव लड़ा जाए |

पिछले दिनों सरकार ने किसानों की इस नाराजगी को देखते हुए अपने तीनों विवादित कृषि कानून वापस ले लिए थे | इसके बाद सरकार ने किसानों की अन्‍य मांगों को भी मान लिया है। किसानों ने अपना आंदोलन स्‍थगित कर दिया है और घर लौट रहे हैं | पंजाब लौटने पर किसानों का बड़ा स्‍वागत किया गया था |

इस बीच इस बात की भी चर्चा है कि किसान पंजाब चुनाव से पहले राजनीतिक दल बना सकते हैं | केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों  के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी समेत अन्‍य जगहों से किसान दिल्‍ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय पहले से जुटे हुए थे |

पंचतत्व में देह, और अमर हो के नारे; ग्रुप कैप्टन वरुण को नम आँखों से अंतिम विदाई

तमिलनाड के कुन्नूर में सीडीएस रावत हेलिकॉप्टर हादसे में गंभीर घायल होने के बाद बुधवार को दिवंगत हुए वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। हज़ारों लोगों ने नम आँखों से मध्य प्रदेश के भोपाल में बैरागढ़ स्थित विश्राम घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी। उनके परिजन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कई मंत्रियों के अलावा जन-प्रतिनिधि इस मौके पर  उपस्थित थे।

अंतिम संस्कार से पहले ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के किए रखा गया। हज़ारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वरुण सिंह इकलौते शख्स थे जो 8 दिसंबर को तमिलनाड हेलिकॉप्टर हादसे में जीवित बच पाए थे जबकि अन्य  13 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी जिसमें भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी भी शामिल हैं।

इस बीच मध्य प्रदेश सरकार ने उनके परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा –
”मैं ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वरुण के पिता भी बहुत बहादुर हैं। पूरा परिवार देश के प्रति समर्पित है। हम इस दुख के समय में उनके साथ खड़े हैं।”

हेलिकॉप्टर क्रैश में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वरुण सिंह एक हफ्ते से ज्यादा तक मौत से लड़ते रहे। हालांकि बहुत प्रयास के बाद भी चिकित्सक उन्हें बचा नहीं पाए। बेंगलुरु के मिलिट्री हॉस्पिटल में वरुण का इलाज चल रहा था, जहां बुधवार को उनका निधन हो गया था। गुरुवार की दोपहर ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का पार्थिव शरीर बेंगलुरु से भोपाल लाया गया और भोपाल के एयरपोर्ट रोड पर स्थित सिटी कॉलोनी में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

यूपी में मिले चाचा-भतीजे के सुर

क्या दिखाएगी यह जोड़ी कमाल, अखिलेश–शिवपाल एक ही साईकिल पर सवार

आखिरकार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के बीच चुनावी तालमेल हो ही गया है। चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच तनातनी की खबरे अक्सर आ ही जाती थी। जैसे चुनावी माहौल बनने लगा तो चाचा–भतीजे ने दोस्ती करने में देरी नहीं की।

बताते चलें, शिवपाल यादव ने अपने भाई मुलायम सिंह यादव के साथ रहकर जमीनी राजनीति की है। उनकी प्रदेश में अच्छी पकड़ मानी जाती है। उनके साथ जमीनी स्तर के कई बड़े-बड़े नेता आज भी जुड़े है। उनकी प्रदेश करीबी एक सौ ऐसी सीटें है। जहां पर उनका अच्छा खासा प्रभाव है।

शिवपाल यादव ने 2019 के लोकसभा के चुनाव में प्रगतिशील समाजवादी से लगभग 40-50 सीटों पर प्रत्याशी उतारें थे। जिसके कारण समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान भी हुआ था।

समाजवादी पार्टी के समर्थक व उत्तर प्रदेश की सियासत में पकड़ रखने वाले पत्रकार बीरेन्द्र कुमार का कहना है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव जानते है कि अगर प्रदेश की सियासत में पकड़ के साथ –साथ चुनाव भी जीतना है तो चाचा शिवपाल यादव की पार्टी से चुनाव का तालमेल जरूरी है।

बताते चलें, प्रदेश में चुनावी मुकाबला समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच में ही है। मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी को लेकर एम बाई फैक्टर को लेकर तरह –तरह की चर्चा हो रही है।कि इस बार अगर एम फैक्टर समाजवादी पार्टी के साथ नहीं जुड़ता है। तो चुनावी परिणाम कुछ और ही निकलेगें।क्योंकि कांग्रेस और बसपा भी एम वोट पर नजर लगाये हुये है।

चुनाव प्रचार समिति की बैठक, वरिष्ठ नेता जाखड़ नाराज नहीं

पंजाब कांग्रेस में चुनाव प्रचार समिति की पहली ही बैठक काफी हंगामेदार रहने से साफ़ हो गया है कि पंजाब कांग्रेस में चीजेँ अभी पूरी तरह पटड़ी पर नहीं आये हैं। सुनील जाखड़ की अध्यक्षता में बनी कमेटी की बुधवार को हुई इस बैठक से पहले कयास थे कि जाखड़ नाराज हैं और वे यह पद ग्रहण करेंगे भी या नहीं। हालांकि, यह अटकलें गलत साबित हुईं और उन्होंने कल बैठक की जिससे साफ़ हो गया कि वह नाराज नहीं हैं।

इस बैठक में आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गयी। बैठक में आने वाले विधानभा चुनाव को लेकर सभी नेताओं ने अपने-अपने विचार रखे। चुनाव प्रचार समिति का गठन हाल में कुछ अन्य समितियों के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया था। उस समय ऐसा लग रहा था कि जाखड़, जिन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, पार्टी से नाराज हैं। हालांकि, आज उनके इस समिति की बैठक की अध्यक्षता करने से जाहिर हो गया है कि शायद यह बात सही नहीं थी ।

हालांकि, आज की बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल में पूरे राज्य में लगे मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के चेहरे वाले पोस्टरों पर सख्त ऐतराज जता दिया। उनका कहना था कि ऐसे पोस्टर में एक व्यक्ति की जगह पार्टी को तरजीह मिलनी चाहिए। जानकारी के मुताबिक बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पूरे राज्य में मुख्यमंत्री के चेहरे वाले पोस्टर लगाने पर नाखुशी का इजहार किया।

जाखड़ ने मुख्यमंत्री चन्नी से अलग से भी बैठक की। बैठक में प्रचार समिति के अध्यक्ष जाखड़ के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और वरिष्ठ मंत्री परगट सिंह ने भी हिस्सा लिया। रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में सीएम चन्नी और पीसीसी प्रमुख सिद्धू के बीच मतभेद साफ़ तौर पर उजागर हुए। सिद्धू अभी भी दबाव वाली राजनीति खेल रहे हैं।

अभी तक पार्टी ने यह साफ़ नहीं किया है कि वह किसे मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर विधानसभा चुनाव में आगे करेगी। हालांकि, पार्टी के बड़े नेता यह संकेत ज़रूर कर चुके हैं कि वह तीन बड़े नेताओं सिद्धू, चन्नी और जाखड़ को साझे तौर पर आगे करके चुनाव लड़ेगी।

सोशल मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी

व्हाट्सप्प, मेटा, ट्विटर के साथ-साथ साभी सोशल मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने के लिए ‘पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल’ पर बनी संयुक्त संसदीय समिति ने सोशल मीडिया के लिए रेगुलेटर बनाने की सिफारिश की है। संयुक्त संसदीय समिति ने आज यानी गुरुवार को संसद में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। संयुक्त संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, सोशल मीडिया कंपनियों के लिए भारत में अपने ऑफिस खोलना जरूरी है नहीं तो उन्हें ऑपरेट करने की अनुमति ना दी जाये।

रिपोर्ट में सोशल मीडिया के लिए रेगुलेटर बनाने की सिफारिश के साथ यह भी कहा गया है कि कंपनियां उपभोक्ताओं का अकाउंट अनिवार्य रूप से वेरीफाई करें। यदि कंपनियां अगर यूजर को वेरिफाई नहीं करती हैं तो कंपनियों को ही पब्लिशर माना जाए और इसके अलावा उनकी जवाबदेही भी तय की जाए।

समिति ने छोटे फर्मों को इससे अलग रखने की बात कही है, इसके लिए, डीपीए को कानून बनाने की बात कही गई है जिसके तहत एक सीमा तय कर डाटा जुटाने से जुड़ीं छोटी कंपनियों को अपवाद के तौर पर सूचीबद्ध किया जा सके, ताकि एमएसएमई के तहत आने वाली फर्मों के विकास में बाधा न आए।

‘डाटा प्रोटेक्शन बिल’ को पहली बार 2019 में संसद में लाया गया था और उस समय इसे सांसदों की मांग के मुताबिक संयुक्त संसदीय समिति के पास जांच के लिए भेजा गया था। यह विधेयक एक ऐतिहासिक कानून है, जिसका उद्देश्य यह विनियमित करना है कि विभिन्न कंपनियां और संगठन भारत के अंदर व्यक्तियों के डेटा का इस्तेमाल कैसे करते है।

संसद की संयुक्त समिति ने ‘पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल’ में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पब्लिशर्स के रूप में मानने के साथ-साथ उससे जुड़े डाटा की निगरानी और जांच के अधिकार को भी विधेयक के दायरे लाने की सिफारिश की थी। दो साल के विचार-विमर्श के बाद इस विधेयक में सुधार से जुड़े सुझावों को 22 नवंबर को स्वीकार कर लिया गया था।

समिति के प्रमुख पूर्व मंत्री व भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि, सरकार और उसकी एजेंसियों के डाटा को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ाने से उसी स्थिति में छूट दी गई है, जब इसका उपयोग लोगों के फायदे के लिए हो। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर किसी तरह की अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

‘पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल’ के दायरे को बढ़ाने के लिए संसदीय समिति ने अपने सुझावों में गैर-व्यक्तिगत डाटा और इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर द्वारा जुटाए जाने वाले डाटा को भी इसके अधिकार क्षेत्र में शामिल किया था। साथ ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी इसमें शामिल करने का सुझाव दिया गया था।

संसद की संयुक्त समिति ने इस विधेयक को लेकर कुल 93 अनुशंसाएं की है। जेसीपी का कहना है कि इस विधेयक में सरकार के कामकाज और लोगों की निजता की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने का पूरा प्रयास किया गया है। समिति के सुझावों में उस प्रावधान को बरकरार रखा गया है, जो सरकार को अपनी जांच एजेंसियों को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से मुक्त रखने का अधिकार देता है।

समिति के प्रमुख पीपी चौधरी ने कहा, “सदस्यों और दूसरे संबंधित पक्षों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद यह रिपोर्ट तैयार किया गया है। सहयोग के लिए मैं सभी सदस्यों का आभार प्रकट करता हूँ, इस प्रस्तावित कानून का वैश्विक असर होगा और  डाटा सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानक भी तय होगा”।

समिति के प्रमुख ने कहा की इस कानून से देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ने वाला है | संसदीय समिति ने डाटा जुटाने वाली फर्मों को कुछ समय देने की बात कही है ताकि वो कानून के हिसाब से अपनी नीतियों, बुनियादी ढांचे और प्रोसेस को तैयार कर सकें | समिति ने सुझाव दिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पब्लिश होने वाले या पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट की निगरानी व नियमों के लिए भी एक ऑथोरिटी बनाई जाए।

राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश और विवेक तन्खा, लोकसभा में मनीष तिवारी और गौरव गोगोई ; तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा और बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद अमर पटनायक ने समिति की कुछ सिफारिशों को लेकर अपनी असहमति जताई थी।

विपक्षी सदस्यों की ओर से मुख्य रूप से इसको लेकर विरोध जताया गया था कि केंद्र सरकार को अपनी एजेंसियों को कानून के दायरे से छूट देने के लिए बेहिसाब ताकत दी जा रही है। उन सांसदों ने यह कहते हुए विरोध किया कि इसमें निजता के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उचित उपाय नहीं किए गए है।

असहमति के नोट में यह भी सुझाव दिया गया था कि विधेयक की सबसे महत्वपूर्ण धारा 35 तथा धारा 12 में संशोधन किया जाए। धारा 35 केंद्र सरकार को असीम शक्तियां देती हैं कि वह किसी भी सरकारी एजेंसी को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर रख दे न|कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने समिति के कामकाज को लेकर असहमति का विस्तृत नोट सौंपते हुए दावा किया था कि यह प्रस्तावित अधिनियम, कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाएगा।

दुनिया की बड़ी कम्पनियों में भारतीय सीईओ का डंका

जब पराग अग्रवाल को हाल में ट्विटर इंक का सीईओ नियुक्त किया गया, तो एक बार फिर कोई भारतीय-अमेरिकी प्रमुख वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गज बनकर सुर्ख़ियों में आ गया। अग्रवाल का जन्म 21 मई, 1984 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था और उनके पिता परमाणु ऊर्जा विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी थे, जबकि उनकी माँ शिक्षिका थीं। पराग ने 2001 में तुर्की में अंतरराष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता और आईआईटी बॉम्बे से कम्प्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और फिर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक पैट्रिक डोरसी ने 29 नवंबर, 2021 को घोषणा की कि वह ट्विटर के सीईओ के रूप में इस्तीफ़ा दे रहे हैं और अग्रवाल तत्काल प्रभाव से उनकी जगह ले रहे हैं।

यह नियुक्तियाँ भारत की शीर्ष स्तर की प्रबन्धन प्रतिभा को उजागर करती हैं। शीर्ष स्तर पर आईटी पेशेवरों का वैश्विक दिग्गजों के साथ नेतृत्व करना निश्चित ही बड़ी उपलब्धि है। इसने भारत की सॉफ्ट पॉवर को एक नया आयाम दिया है। माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला से लेकर अल्फाबेट के सुंदर पिचाई और एबोड के शांतनु नारायण और आईबीएम के अरविंद कृष्ण, माइक्रोन टेक्नोलॉजी के संजय मेहरोत्रा से पालो ऑल्टो नेटवक्र्स के निकेश अरोड़ा तक और वीएमवेयर के रंगराजन रघुराम से लेकर अरिस्टा नेटवक्र्स जयश्री उल्लाल तक, वैश्विक प्रौद्योगिकी सीईओ की सूची में भारतीयों का नाम हर देशवासी गौरवान्वित कर रहा है।

इसमें कोई शक नहीं कि सांसद शशि थरूर ने इस नियुक्ति के तुरन्त बाद ट्वीट किया कि जितना हमें भारत पर गर्व है, उतना ही भारत को हम पर गर्व है। साथ ही ट्वीट में उन्होंने वैश्विक प्रौद्योगिकी कम्पनियों का नेतृत्व करने वाले शीर्ष भारतीयों की सूची भी संलग्न की है। ग़ैर-तकनीकी क्षेत्र में कई भारतीय अग्रणी वैश्विक फर्म हैं। इनमें इवान मेनेजेस, डियाजियो के सीईओ; नोवार्टिस के वास नरसिम्हन, बाटा के संदीप कटारिया, डेलॉइट के पुनीत रेनजेन, रेकिट बेंकिज़र के लक्ष्मण नरसिम्हन, जीएपी के सोनिया सिंघल, बकार्डी मार्टिनी के महेश माधवन और परफेटी वैन मेल के समीर सुनेजा आदि हैं। भारतीय सीईओ का उदय इस तथ्य की एक मज़बूत पुष्टि करता है कि दुनिया प्रतिभा को पहचानती है, जिससे सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को शीर्ष पर पहुँचने में मदद मिलती है। भले ही नस्ल, राष्ट्रीयता या पृष्ठभूमि कुछ भी हो। दुनिया भर में वे योग्यता को पुरस्कृत करते हैं। यह भी ज़ाहिर होता है कि सभी के लिए एक अवसर है। यदि आप अपनी कड़ी मेहनत करते हैं और परिणाम देते हैं, तो वे आपको शीर्ष पर ले जाएँगे। नब्बे के दशक तक, कॉरपोरेट क्षेत्र के शीर्ष क्षेत्रों में बहुत कम भारतीय अमेरिकी थे; लेकिन नब्बे के दशक के मध्य में यह सिलसिला बदल चुका था। सन् 2000 के दशक तक काफ़ी अधिक भारतीय अमेरिकी सीईओ के पद पर नियुक्त हो गये थे।

सन् 2001 में जब पेप्सिको ने इंद्रा नूयी को अपना सीईओ नियुक्त किया, तो वह फॉच्र्यून 100 कम्पनी का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय अमेरिकी महिला बनीं। नूयी, जिनका जन्म मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ; ने पेप्सिको का अध्यक्ष और सीईओ बनकर देश को गौरवान्वित किया था। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में स्नातक की डिग्री और आईआईएम, कोलकाता से स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्राप्त किया। सन् 1978 में नूयी को येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में दाख़िल कराया गया और वह संयुक्त राज्य अमेरिका चली गयीं, जहाँ उन्होंने सन् 1980 में सार्वजनिक और निजी प्रबन्धन में मास्टर डिग्री हासिल की। भारत में अपने करियर की शुरुआत करते हुए नूयी ने जॉनसन एंड जॉनसन में उत्पाद प्रबन्धक और बोस्टन में रणनीति परामर्श समूह में बतौर सलाहकार के पद पर कार्य किया। वह लगातार दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में स्थान पाती रही हैं।

दरअसल सन् 2014 में फोब्र्स की दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में नूयी को 13वें स्थान पर रखा गया था और सन् 2015 में फॉच्र्यून सूची में उन्हें दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का दर्जा हासिल हुआ। फिर सन् 2017 में उन्हें फोब्र्स की व्यापार में 19 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में, फिर दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का दर्जा दिया गया। राजस्व पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि कई भारतीय अमेरिकी सीईओ अमेरिकी कम्पनियों का नेतृत्व करते हैं, जिन्होंने इस स्तर पर संयुक्त राजस्व जुटाया, जो कई देशों के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक था। यह भारतीय सीईओ के लिए अपने सपनों को जीने का शुभ संकेत है। बैंकिंग एक और स्थान है, जहाँ भारतीयों की नेतृत्व में महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति है- अक्सर इस संख्या का श्रेय भारतीयों के तेज़ दिमाग़ को दिया जाता है। याद करें विक्रम पंडित को, जो सन् 2007 से 2012 के बीच सिटी के ग्लोबल सीईओ रहे। कुछ साल पहले तक ड्यूश बैंक चलाने वाले अंशु जैन को हटाकर सिंगापुर के डीबीएस बैंक का सीईओ पीयूष गुप्ता को बनाया गया। इसी तरह सुंदर पिचाई को जो गूगल के सीईओ हैं। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था और वह इसी शहर में पले-बढ़े। पिचाई ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-खडग़पुर से बी.टेक की डिग्री हासिल की और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग और मटीरियल साइंस में एमएस और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया है। वह सन् 2015 से गूगल का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने तत्कालीन सीईओ और संस्थापक लैरी पेज का स्थान लिया था।

माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष के रूप में स्टीव बाल्मर की जगह लेने वाले सत्य नडेला का जन्म 19 अगस्त, 1967 को हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने सन् 1988 में मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कर्नाटक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में स्नातक स्तर तक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने सन् 1990 में अमेरिका के विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की और सन् माइक्रोसिस्टम्स में अपना करियर शुरू किया। सीईओ बनने से पहले उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड एंड एंटरप्राइज ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। हैदराबाद में जन्मे नडेला ने सन् 1992 में माइक्रोसॉफ्ट में शामिल होने से पहले सन माइक्रोसिस्टम्स में काम किया। उन्होंने भारत में मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी विश्वविद्यालय से एमएस और शिकागो बूथ स्कूल विश्वविद्यालय से एमबीए किया।

एडोब के सीईओ शांतनु नारायण का जन्म हैदराबाद में हुआ। वह सन् 2007 से एडोब इंक के सीईओ रहते हुए कम्पनी में बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं और इसके रचनात्मक और डिजिटल दस्तावेज़ सॉफ्टवेयर फ्रैंचाइजी को आगे बढ़ा रहे हैं। सन् 1998 में दुनिया भर में उत्पाद विकास के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में एडोब में शामिल होने से पहले नारायण ने सन् 1986 में सिलिकॉन वैली स्टार्ट-अप मेजऱक्स ऑटोमेशन सिस्टम के साथ काम किया और बाद में सन् 1989 से 1995 तक ऐपल में रहे। सन् 1996 में उन्होंने पिक्टरा इंक नाम की कम्पनी की सह-स्थापना की, जिसने इंटरनेट पर डिजिटल फोटो शेयरिंग की अवधारणा का बीड़ा उठाया। नारायण पूर्व अमेरिकी राष्टट्रपति बराक ओबामा के प्रबन्धन सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, उस्मानिया यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक, यूसी बर्कले से एमबीए और बॉलिंग ग्रीन स्टेट यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

अरविंद कृष्ण भी भारतीय मूल के हैं और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के पूर्व छात्र हैं। सन् 1990 के दशक में कम्प्यूटर हार्डवेयर कम्पनी आईबीएम में शामिल हुए। उन्हें जनवरी, 2020 में गिन्नी रोमेट्टी के स्थान पर आईबीएम के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया था। आईबीएम के सूचना प्रबन्धन सॉफ्टवेयर और सिस्टम और प्रौद्योगिकी समूह में महाप्रबन्धक की भूमिका निभाने के बाद वह आईबीएम रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बाद में आईबीएम के क्लाउड और संज्ञानात्मक सॉफ्टवेयर डिवीजन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने। अब वह कृष्णा कम्पनी के निर्माण के लिए अग्रणी हैं और उसका विस्तार कर रहे हैं।

पालो ऑल्टो नेटवर्क के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी निकेश अरोड़ा ने सॉफ्टबैंक कॉर्प के उपाध्यक्ष और सॉफ्टबैंक इंटरनेट एंड मीडिया, इंक. (सिमी) के सीईओ के रूप में भी कार्य किया है। उन्होंने सन् 1989 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी।