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दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर हुई 34, चार नए न्यायाधीशों ने ली पद की शपद

एक महिला सहित चार नए न्यायाधीशों ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पद की शपथ ग्रहण की। इन नई नियुक्तियों में अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 60 की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 34 हो गर्इ है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल ने इन सभी को दिल्ली  न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलार्इ। इनमें नीना बंसल कृष्णा, दिनेश कुमार शर्मा, अनूप कुमार मेंदीरत्ता और सुधीर कुमार जैन शामिल है।

कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कानून सचिव को उनकी पदोन्नति पर ट्वीट कर बधाई दी कहा, “हमारे कानून सचिव अनूप कुमार मेंदीरत्ता को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। वे उच्च सत्यनिष्ठा और कानून के अच्छे ज्ञान वाले न्यायिक अधिकारी रहे हैं। मैं उनकी बहुमूल्या सेवाओं के लिए उनका धन्यवाद करता हूं। मैं इस नर्इ भूमिका में उनकी सफलता की कामना करता हूं।“

न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता को भारत के विधि सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। साथ ही केंद्रीय कानून सचिव के रूप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात होने से पहले वह उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिला न्यायालय के जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। इसके अलावा अपनी पहली नियुक्ति में उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ प्रमुख सचिव कानून विभाग के रूप में भी कार्य किया हुआ है।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा नर्इ दिल्ली जिला न्यायालय के जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। शर्मा ने इससे पहले 1 मई 2017 से 6 जनवरी 2020 तक दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के रूप में भी काम किया था।

न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन वर्तमान में राउज एवेन्यू कोर्ट के जिला व सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे।

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा साकेत (दक्षिण पूर्व) जिला न्यायालय में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थीं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में 1 फरवरी 2022 को हुई अपनी बैठक में दिल्ली उच्च न्यायालय में छह न्यायिक अधिकारियों को न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, केंद्र से बाहर उच्च न्यायालय के रूप में चार न्यायाधीशों के नामों को मंजूरी दी है। 

युद्ध का असर पेट्रोलियम जरूरत पर

रूस और यूक्रेन के बीच अगर युद्ध लंबा चलता है तो भारत पर क्या असर पड़ सकता है। इसको  लेकर भारत के विदेश मामलों के जानकार डॉ अमित रंजन का कहना है कि वैसे तो भारत का रूस और यूक्रेन इन दोनों ही देशोॆं से काफी सामान का आयात-निर्यात होता है किंतु इसमें फार्मास्युटिकल व यूरेनियम यह दो महत्वपूर्ण है। 
लेकिन भारत की असल चिंता तो पेट्रोलियम सप्लाई से जुड़ी हुई है। जिसमें कच्चे तेल का मामला भी जुड़ा हुआ है। डॉ अमित रंजन का कहना है कि प्राकृतिक गैस के अलावा रूस कच्चे तेल का भी बड़ा उत्पादक है। भारत देश के लिये यह मुश्किल की बात है कि वह अपनी पेट्रोलियम जरूरत के लिये  80 प्रतिशत तक आयात करता है। और इसका बड़ा हिस्सा रूस से आता है।
ऐसी स्थिति में भारत पर क्या असर पड़ेगा पेट्रोलियम विभाग से जुड़े एक अधिकारी डॉ हरमीत सिंह ने बताया कि देश-दुनिया में कही भी युद्ध हो तो सारी दुनिया पर असर पड़ता है। क्योंकि मौजूदा समय में यूक्रेन और रूस के बीच जो युद्ध चल रहा है। इसको लेकर ये अनिश्चिता बनी हुई है कि कब तक युद्द चलेंगा और किस हद तक चलेगा। ऐसे हालात पर सरकार पैनी नजर रखे हुये है।
वहीं भारत पेट्रोलियम से जुड़े पूर्व अधिकारी जीत कुमार का कहना है कि जब दोनों देशों के बीच आर-पार की नौबत आ जाएगी तब पेट्रोल-डीजल के साथ घरेलू गैस का संकट गहरा सकता है। ऐसे हालात में इन पदार्थो का महंगा होना कोई मायने नहीं रखता है। मायने रखता है कि आपूर्ति में कोई बाधा न आये। बचाब के तौर पर हमें अभी से डीजल-पेट्रोल की खपत कम से कम करनी चाहिये। ताकि कोई काम बाधित न हो सकें।

भारतीयों को अधिकारियों के साथ सम्पर्क के बिना सीमा चौकियों पर ना जाने की सलाह: यूक्रेन में भारतीय दूतावास

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से ही यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों के लिए भारतीय दूतावास ने कई एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में भारतीयों को अधिकारियों के साथ पूर्व समन्वय के बिना सीमा चौकियों पर ना जाने की सलाह दी है।

एडवाइजरी जारी करते हुए कहा गया है कि, जिस प्रकार रूस पूर्व सोवियत गणराज्य पर चौतरफा आक्रमण कर रहा है उससे सभी को खतरा है। इसलिए भारतीय को सलाह दी जाती है कि सीमा पर तैनात भारतीय अधिकारियों से समन्वय के बिना सीमा की तरफ़ न जाए, जहां है वहीं रहें।

भारतीय दूतावास ने शुक्रवार को नर्इ एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि, यूक्रेन के पश्चिमी-दक्षिणी सीमा पर हंगरी और रोमानिया स्थित है। इन सीमाओं पर चेकप्वाइंट्स बनाए गए है जिससे भारतीयों को निकालने की तैयारी की गई है। इन बॉर्डर चेकप्वाइंट्स के नजदीक रहने वाले भारतीय छात्रों को सबसे पहले वापस आने के लिए कोशिश जारी है।

आपको बता दें, यूक्रेन मेडिकल शिक्षा के लिए भारतीय मेडिकल छात्रों का एक आकर्षक प्वाइंट रहा है। परंतु मौजूदा संकट के चलते छात्र भारत लौटने के लिए सरकार से निरंतर गुहार लगा रहे है।

मूसलाधार बारिश से अस्पतालों का बुरा हाल

राजधानी दिल्ली में शुक्रवार की देर रात हुई मूसलाधार बारिश से दिल्ली के कई इलाकों में जल भराव और जाम से लोगों को जूझना पड़ा है। वहीं शनिवार की सुबह तेज सर्द हवाओं के चलने से लोगों को सर्दी का सामना भी करना पड़ा है।

बारिश को लेकर लोगों का कहना है कि दिल्ली में थोड़ी बारिश होने से जगह-जगह जलभराव से लोगों को जूझना पड़ता है। जलभराव को लेकर दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल और जीबी पंत अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि लोकनायक और जीबी पंत अस्पताल के बीचों में निर्माण कार्य चल रहा है। जिसके कारण निर्माणधीन बिल्डिंग की धूल और मिट्टी से मरीजों के साथ–साथ डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि अभी कोरोना के मामले कम हुये है। लेकिन कोरोना अभी गया नहीं है। वहीं दिल्ली में डेंगू का भी कहर लोगों के बीच मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।

अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि जल भराव के कारण जलजनित बीमारी ही नहीं होती है। बल्कि संक्रमण को भी बढ़ावा देता है। ऐसे में दिल्ली सरकार का दायित्व बनता है कि वो इस मामलें में कोई काम करें अन्यथा जल भराव भी अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिये मुसीबत का कारण बन सकती है। क्योंकि जल भराव से जमीन की नमी में ही डेंगू का मच्छर पनपता है।

डॉ ने बताया कि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल में जल भराव के कारण ही मरीजों को संक्रमित बीमारी होने का भय सता रहा है। तो अन्य जगहों से क्या उम्मीद की जाये।

यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते भारत में भी चुनाव के बाद हो सकती है महगांई

यूक्रेन और रूस के बीच अगर युद्ध लंबा चला तो, आने वाले दिनों में जो तनाव का माहौल बनेगा उससे तबाही के अलावा देश-दुनिया को काफी महगांई का सामना करना पड़ेगा। जिससे अछूता भारत भी नहीं रहेगा।
इस बारे में जानकारी देते हुये दिल्ली व्यापार संघ के प्रधान विजय प्रकाश का कहना है कि अभी पांच राज्यों में चुनाव चल रहे है। जिसके चलते तामाम पहलुओं के मद्देनजर महगांई को रोका गया है। अन्यथा महगांई देश में दिखने लगती।
दुनिया के कई देशों में डीजल -पेट्रोल के दामों में इजाफा होने से वहां पर खाने -पीने के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। अगर उसी तरह भारत में डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ते है। तो निश्चित तौर पर महगांई का ताडंव हम सबको देखना पड़ेगा। जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों की जेब पर असर पड़ेगा।
उनका कहना है कि दोनों देसों के बीच चल रहे युद्द के चलते आयात -निर्यात पर असर देखने को मिलने लगा है। रूस में सामान-ना आ पा रहा और ना जा पा रहा है। इसी तरह कई देशों में यहीं हाल हैै। दिल्ली के चांदनी चौक के व्यापारी नेता राकेश यादव का कहना है कि पहले कोरोना की मार से भारत ही नहीं कई दोशों की आर्थिक तंगी से दुनिया जूझी है। अब युद्द से बाजार लडखड़ा रहे है। शेयर बाजार धाराशाही हो रहे है। राकेश यादव ने भारत सरकार से अपील की है कि दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध को देखते हुये  व्यापार पर कोई असर न पडे उससे निपटने के लिये सार्थक पहल करें ताकि भारत पर किसी प्रकार का कोई संकट न आ सकें। 

यूक्रेन में फंसे भारतीयों को बुखारेस्ट और हंगरी से होकर लाने की तैयारी

युद्धग्रस्त यूक्रेन में बड़े स्तर पर भारतीयों के फंसने के बाद देश में उभरी नाराजगी के बीच सक्रिय हुई केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षित वापसी के लिए कोशिशें तेज कर दी  हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट के लिए दो उड़ानें भेजे जाने की तैयारी है जबकि कल भी एक उड़ान हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट भेजी जा  सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत में भारतीयों की सुरक्षा को मुद्दा उठाया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इन सभी उड़ानों का खर्चा सरकार उठाएगी। रूस की यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के दूसरे दिन सरकार ने यह कदम उठाया है। हमले के समय यूक्रेन में 15  भारतियों के होने की बात गयी है। इस दौरान यूक्रेन में फंसे बहुत से भारतीय छात्रों के वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें सरकार पर लापरवाही करने जैसी बातें की गई हैं। छात्रों का कहना था कि उन्हें काफी दिक्कतें झेलनी पद रही हैं और वे मुश्किल झेल रहे हैं।

अब सरकार की पहल से इन छात्रों के परिजनों ने राहत की सांस ली है। सरकार के सामने बड़ी चुनौती यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने की है, जिसके लिए  प्रयास तेज कर दिए गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए हंगरी और पोलैंड की सीमाओं के जरिए सरकारी दल भेजे हैं।

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा – ‘सुरक्षित मार्गों की पहचान हमने कर ली है। सड़क मार्ग से, यदि आप कीव से जाते हैं, तो आप नौ घंटे में पोलैंड और करीब 12 घंटे में रोमानिया पहुंच जाएंगे। सड़क का नक्शा भी तैयार है।’ बता दें इस समय युद्ध के कारण यूक्रेन ने अपना एयरस्‍पेस वाणिज्यिक उड़ान के लिए बंद कर दिया है। रूस के हमले में कई हवाई अड्डों के तबाह होने की भी ख़बरें हैं।

चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ नहीं लेकिन प्रचार शुरू

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव की तारीख का ऐलान होने के पहले ही दिल्ली की गलियों में संभावित प्रत्याशियोें का चुनाव प्रचार धूम मचाने लगा है। यह प्रचार पोस्टर और ई-रिक्शा के द्वारा सुबह, दोपहर और शाम को जमकर हो रहा है। प्रचार मे भाजपा, कांग्रेस और आप पार्टी के नेता शामिल है।
दिल्ली की गलियों में इस बार एमसीडी में परिवर्तन का माहौल बनाया जा रहा है। वहीं कांग्रेस के नेता भी अपने खोये हुये जनाधार को पाने के लिये गलियाें में व्यापक संपर्क अभियान चलाये हुये है। कांग्रेस का कहना है कि एमसीडी में भाजपा और दिल्ली सरकार में आप पार्टी की सरकार में जनता को कोई खास सुविधायें नहीं मिल रही है।
कांग्रेस इस बात का दावा भी कर रही है कि दिल्ली में जो भी विकास कार्य हुये है। वो कांग्रेस के शासन काल में हुये है। आप पार्टी ने तो जनता को ठगने के लिये फ्री में कुछ सुविधाये देकर जनता को वोट बैंक के तौर पर प्रयोग किया है। वहीं भाजपा ने एमसीडी में भ्रष्टाचार को बढ़ाकर जनता के काम तक नहीं किये है। आज एमसीडी में कोई भी काम बिना पैसा दिये नहीं हो रहे है। लेटंर से मकान बनवाने तक के लिये पैसा देना होता है। तब जाकर काम होते है। 
दिल्ली की गलियों में हो रहे चुनाव प्रचार को लेकर दिल्ली के सियासत के जानकर पवन कुमार का कहना है कि जो भी प्रचार हो रहा है। वो भी चुनाव की तारीख की घोषणा के पहले इससे पैसा की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है। क्योंकि प्रचार तो संभावित प्रत्याशी कर रहे है। मतलब कि इनमें  से ज्यादा त्तर लोगों  को टिकट नहीं मिलना है। उनका कहना है कि चुनाव को लेकर माहौल बनाया जा रहा है। कांग्रेस अपने खोये हुये जनाधार को पाने के लिये  संघर्ष कर रही है। वही भाजपा अपनी जीत को बनाये रखने के लिये प्रयास कर रही है। जबकि आप पार्टी एमसीडी में कब्जा करने के लिये ऐडी चोटी  का जोर लगा रही है।

यूक्रेन और रूस को लेकर शंका और आशंका के बीच भारतीय बाजार

यूक्रेन पर रूस के घातक हमले के बाद देश-दुनिया के बाजारों में सन्नाटा छा गया है। वहीं भारतीय बाजारों में यूक्रेन और रूस के युद्ध को लेकर भय का माहौल है। व्यापारियों का कहना है कि अगर युद्ध लंबा चला तो महगांई व्यापक स्तर पर बढ़ेगी। डीजल-पैट्रोल के दामों में इजाफा होगा।
व्यापारिक गतिविधियों के जानकार अशोक जिन्दल का कहना है कि जब भी कहीं युद्ध होता है। तो देश-दुनिया के बाजारों पर सीधा असर पड़ता है। मौजूदा समय में रूस से भारतीय बाजार में कच्चा माल आता है। साथ ही फार्मास्युटिकल का कारोबार भी जुड़ा है। ऐसे में स्वाभाविक है। कि भारतीय बाजार में आशंका और शंका का माहौल है।
बढ़ती महगांई को भापते हुये देश में जमा खोरी का माहौल बन सकता है। इसलिये हमारी सरकार को इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि बाजार में अफरा-तफरी न मचें। क्योंकि देश में सटोरियों का बोलबाला इस कदर है कि अपने मुनाफे को लेकर वह कोई भी मौका नहीं छोड़ते है। सटोरियों का एक संगठित ग्रुप है। जो आपदा में लोगों के बीच सुनियोजित तरीके से भय और डर का माहौल बनाकर कालाबाजारी करने से नहीं चूकता है।
चांदनी चौक के व्यापारी व चावल का आयात-निर्यात करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि चावलों के दामों में इजाफा तो होने लगा है। अगर युद्ध लंबा चला तो चावल के दाम और भी ज्यादा बढ़ सकते है। इस तरह अन्य खाद्य सामानों के दाम बढ़ने की आशंका बढ़ रही है। ऐसे में सरकार को विशेष नजर बाजार पर ऱखनी चाहिये। अन्यथा सटोरियों का बाजार में बोलबाला बढ़ जायेगा।
आलू-प्याज का थोक का काम करने वाले व्यापारियों का कहना है कि सब्जियों पर महगांई की मार तो डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी के साथ ही बढ़ती है। अगर डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ते है। क्योंकि सब्जियों की फसल उगाने में डीजल की जरूरत होती और वहीं बाजार तक सब्जियों को लाने में किराया-भाड़ा में बढ़ोत्तरी के चलते सब्जियों के दाम बढ़ जाते है।

रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया के बाज़ार में खलबली, सेंसेक्स 1,700 पॉइंट्स टूटा

रूस के यूक्रेन हमले के बाद दुनिया में मची खलबली के बीच आर्थिक जगत में बड़ी  हलचल मच गयी है। हमले के बाद दुनिया के सभी शेयर बाजार गिरावट में हैं। शेयर बाजार में गुरुवार को पहले मिनट में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 1,700 पॉइंट्स टूटकर 55,563 पर पहुंच गया है। बैंकिंग शेयर्स की खराब हालत होने से निवेशकों को 7 लाख करोड़ रुपए का चूना लग गया है।

यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया के सभी शेयर बाजार गिरावट में हैं। आज सेंसेक्स 1,814 अंक नीचे 55,416 पर खुला था। पहले घंटे में इसने 55,984 का ऊपरी और 55,375 का निचला स्तर बनाया। इसके सभी 30 शेयर गिरावट में हैं। गिरने वाले प्रमुख स्टॉक में टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट, एयरटेल, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक के शेयर्स 3-3 फीसदी से ज्यादा टूटे हैं।

उधर टेक महिंद्रा, टीसीएस, विप्रो, एचसीएल टेक, एचडीएफसी, एसबीआई, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फिनसर्व, इंफोसिस, एक्सिस बैंक, बजाज फाइनेंस, मारुति, डॉ. रेड्डी, हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी के स्टॉक 2 से 3 फीसदी तक टूटे हैं। पावरग्रिड, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एशियन पेंट्स, कोटक बैंक, टाइटन, नेस्ले, सनफार्मा और एनटीपीसी के शेयर एक-एक परसेंट तक गिरे हैं।

सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 248.18 लाख करोड़ रुपए है, जो कल 255 लाख करोड़ रुपए था। सेंसेक्स के 76 शेयर अपर सर्किट में और 578 लोअर सर्किट में हैं। सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों में से 2,378 शेयर्स गिरावट में और 270 शेयर्स बढ़त में हैं जबकि 35 शेयर्स एक साल के ऊपरी स्तर और 171 निचले स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में तेज हो रहे आरोप-प्रत्यारोप के हमले 

उत्तर प्रदेश विधानसभा के सात चरण में होने वाले चुनाव में चार चरण में मतदान हो चुका है। जैसे-जैसे चुनाव सिमट रहा है। वैसे-वैसे नेताओं की चुनावी सभाओं में तीरों के बाण तेजी से चल रहे है। आलम ये है कि अब नेता अपनी बात जनता के बीच रखने के लिये सारी मर्यादाओं को तार-तार कर रहे है। जनता तो जनता है जो मचा लेने से नहीं चूक रही है।
नेताओं के भाषणों का अपने तरीके से विश्लेषण कर नेताओं के कथनी-करनी को तौल रहे है। उत्तर प्रदेश की राजनीति का अपना मिजाज है। यहां के मतदाता बोलते कम है। उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार संतोष बघेल का कहना है कि चुनाव क्या न करायें। क्योंकि चुनाव मेंं कब नेता किस के पक्ष में बोलने लगे तो कब किस के विरोध में बोलने लगे।
चुनाव मेंं किसी दावेदार नेता को टिकट न मिलने पर वह रातो-रात दूसरे दल में चला गया। ऐसे में चुनाव के हाल और परिणाम का जानना आसान नहीं होता है। प्रदेश, भूगोलिक और जनसंख्या के लिहाज से काफी बड़ा है। इसलिये ये कहना पाना आसान है कि सपा और भाजपा के बीच ही टक्कर है। जबकि कुछ विधानसभा सीटों पर  बसपा का ग्राफ बढ़ा है। तो कांग्रेस भी जी तोड़ मेहनत करके चुनाव लड़ रही है। इससे तो ये लगता है कि कांग्रेस भी पिछलें चुनाव की तुलना में बढ़ा कर सकती है।
कुल मिलाकर चुनाव परिणाम जरूर चौंकाने वाले साबित होगे। लोगों का कहना है कि भाजपा को दोबारा सत्ता पाने के लिये अभी बचें तीनों चरण के मतदान के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। क्योंकि सपा के पक्ष में जो भी माहौल बन रहा है।उससे सपा को जरूर फायदा दिख रहा है।सपा के पक्ष में एक शत-प्रतिशत एम-बाई फैक्टर एक साथ रहा तो सपा को काफी सियासी लाभ मिल सकता है।