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महिला जवानों की सुरक्षा भी हो प्राथमिकता

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की पहली महिला बटालियन के गठन की मंज़ूरी दे दी है। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और लैंगिक समानता में योगदान देने वाला एक ऐतिहासिक क़दम के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना और सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं को अधिक मौक़े प्रदान करना है। 10 मार्च, 1969 को सीआईएसएफ की स्थापना की गयी थी और वर्तमान में इसमें 1,88,000 सैनिक हैं, जिनमें महिला कार्मिकों की संख्या सात प्रतिशत है। अब सीआईएसएफ की पहली महिला बटालियन में महिला कर्मियों की संख्या 1,025 होगी।

सीआईएसएफ के प्रवक्ता के अनुसार, प्रशिक्षण विशेष रूप से एक बेहतरीन बटालियन बनाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है, जो वीआईपी सुरक्षा और हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो आदि की सुरक्षा में कमांडो के रूप में एक बहुमुखी भूमिका निभाने में सक्षम हो। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि महिला बटालियन के जुड़ने से देश भर की अधिक महत्त्वाकांक्षी युवा महिलाओं को सीआईएसएफ में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इससे सीआईएसएफ में महिलाओं को एक नयी पहचान मिलेगी।

दरअसल सरकार की ओर से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिला कर्मियों की भर्ती को प्रोत्साहित करने के लिए क़दम उठाये जा रहे हैं। इन दिनों प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करके भर्ती अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं को आवेदन शुल्क के भुगतान से भी  छूट दी गयी है। इसके साथ ही बलों में भर्ती के लिए महिला उम्मीदवारों के लिए शारीरिक मानक परीक्षण और शारीरिक दक्षता परीक्षण में छूट दी गयी है।

ग़ौरतलब है कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों- सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल, सशस्त्र सीमा बल, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और असम राइफल्स की कुल संख्या लगभग 10 लाख है और इसमें महिलाओं की तादाद महज़ 41,006 ही है। महिलाओं की कम तादाद चिन्ता का विषय है। सन् 2016 में केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में महिला कर्मियों के लिए कांस्टबेल स्तर पर 33 प्रतिशत पद और बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी में कांस्टेबल स्तर पर 14-15 प्रतिशत पद आरक्षित करने के निर्देश जारी किये थे; लेकिन इस निर्देश के बावजूद महिला कर्मियों की संख्या कम है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लैंगिक समानता का रास्ता बहुत लंबा नज़र आता है। इसके पीछे कई कारण हैं।

भारतीय समाज की आम सोच आज भी महिलाओं को पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की वर्दी में देखने को तैयार नज़र नहीं आती। समाज का पुरुष-प्रधान ढाँचा ऐसी वर्दी में अपने बेटों को ही देखने में सहज है। उसने महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलकर नौकरी करने वाले कुछ क्षेत्र ही तय किये हुए हैं, जिसमें उसे लगता है कि पारिवारिक ढाँचा अधिक चरमराता नहीं है। और समाज ऐसे क्षेत्रों को सम्मान की निगाहों से भी देखता है। मसलन, अध्यापन और बैंकिंग आदि। लेकिन रात की पाली वाली नौकरी और ऐसी नौकरियाँ, जिनमें अवकाश बहुत कम मिलते हों और तबादला जल्दी होता हो, किसी भी पल दफ़्तर से बुलावा आ जाता हो, पुरुष सहकर्मियों के साथ ड्यूटी लगती हो, घर व बच्चों की देखभाल में संतुलन नहीं बैठता हो, समाज को महिलाओं के लिए अधिक नहीं भाती हैं।

दिल्ली मेट्रो में सफ़र के दौरान सीआईएसएफ की एक महिला कर्मी से बातचीत करके उनके पेशे से जुड़ी चुनौतियों को समझने की कोशिश लेखिका ने की, तो पता चला कि तेलंगाना की रहने वाली वह महिला कर्मी बीते साढ़े सात साल से दिल्ली मेट्रो में तैनात हैं। घर व नौकरी के बीच संतुलन बनाने के सवाल पर उन्होंने बड़ी मायूसी से बताया कि हमारी नौकरी सिविल क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं से बिलकुल अलग है। यही चुनौती है। हमारे काम में कोई अवकाश निश्चित नहीं है। परिवार, बच्चे प्रभावित होते हैं। कब कहाँ धकेल दिया जाए, नहीं मालूम। इसके लिए हर पल मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है। शारीरिक फिटनेस पर भी फोकस रहता है।

जहाँ तक कार्यस्थल संस्कृति का सवाल है, वह कितनी महिला अनुकूल है, यह बताने की ज़रूरत नहीं है। उच्च अधिकारी भी कई मर्तबा मानसिक प्रताड़ना देते हैं। इसके अलावा शारीरिक शोषण के मामले भी सामने आते रहते हैं। हाल ही में कई राज्यों से महिला जवानों के साथ रेप होना बेहद शर्मनाक है। कार्यस्थल का माहौल तो अमूमन ही महिला कर्मियों की शारीरिक बनावट पर तंज कसने वाला व उनकी गरिमा को चोट पहुँचाने वाला होता है। दरअसल पुलिस से लेकर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तक की व्यवस्था पुरुषवाद को ही सम्मानित करती है। इसे तोड़ना एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए एक साथ कई मोर्चों पर काम करने की ज़रूरत है।

किसान जातियों को सियासत में सिफ़र किये जाने की कोशिश

जातिवाद और धर्मवाद जहाँ देश के लोगों को आपस में बाँटने का काम कर रहे हैं, वहीं इनके सहारे देश की तमाम राजनीतिक पार्टियाँ पुष्ट हो रही हैं। यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी जाति-धर्म की राजनीति करने के लिए सहज ही न सिर्फ़ तैयार है, बल्कि इनके सहारे नफ़रत की आग को हवा भी देने में पीछे नहीं है। अब तो हालत यह है कि जातियों में जातियाँ और उपजातियाँ निकाली जा रही हैं, जो काफ़ी समय से थीं; लेकिन अब इसे और हवा दी जा रही है। अब चुनावों में हर पार्टी जातिगत जनगणना या जातिगत बँटवारे के साथ-साथ धर्मों के जिन्न निकाल लेती है और उसका चुनावों में फ़ायदा लेना चाहती है।

दरअसल, देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से दिल्ली के इर्द-गिर्द के राज्यों या यूँ कहे कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में विशेष किसान नस्लों और उनमें भी ख़ास तौर पर जाटों को सियासी रूप से शून्य करने की योजना पर दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियाँ- भाजपा और कांग्रेस काम करती रही हैं। आजकल तो उत्तर प्रदेश और बिहार की क्षेत्रीय पार्टियाँ भी इस षड्यंत्र में शामिल होती नज़र आती हैं। आज जिस प्रकार से सत्ताधारी भाजपा ने हरियाणा में 35 बनाम एक किया है, इस ख़तरे की गहराई को कितने प्रतिशत लोग, आम किसान या यूँ कहे कि 35-1 रूपी ब्रह्मास्त्र से घायल जाट समझते हैं? और क्या जो समझते हैं, उन्होंने इन राजनीतिक दलों की $गुलामी स्वीकार कर ली है?

ग़ौरतलब है कि पिछले 10 वर्षों में किसान बिरादरियाँ, ख़ासतौर पर जाट भाजपा, संघ और तथाकथित सवर्ण हिन्दू समाज के एक भयंकर षड्यंत्र का शिकार हुए हैं। आप अगर ग़ौर करें, तो केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार बनते ही सर्वोच्च न्यायालय ने किसान जाति के सबसे बड़े वर्ग यानी जाट आरक्षण समाप्त कर दिया, तो केंद्र सरकार की ओर से कोई ख़ास पैरवी न करना बताता है कि पार्टी किसानों को आरक्षण दिलाने में दिलचस्पी न लेकर केवल रस्म अदायगी करती रही है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जाटों को अपने आवास पर बुलाकर आरक्षण देने का आश्वासन दिया था, जो न सिर्फ़ झूठा साबित हुआ, बल्कि सिर्फ़ एक जुमला बनकर रह गया है। हालाँकि इसके बाद भी तक़रीबन हर चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह जाटों से उन्हें उनका हक़ दिलाने का वादा करते रहे हैं। जाटों को आरक्षण देने का वादा उन्होंने 2019 में भी किया था। लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने जाटों से कभी उनका हाल भी नहीं पूछा। और इसका नतीजा यह हुआ कि इससे लाखों जाट युवाओं का भविष्य बर्बाद हो गया। आज भी जो जाट युवा नौकरी करना चाहते हैं, और जिसके लिए उन्होंने महँगी पढ़ाई लंबे समय तक अपने माता-पिता की गाड़ी मेहनत की कमायी से ख़र्च करके की है, उनमें से ज़्यादातर युवा नौकरी के लिए जगह-जगह धक्के खा रहे हैं। हालात ये हैं कि साल 2016 के जाट आरक्षण आन्दोलन में जाटों के दो दज़र्न युवाओं को हरियाणा की भाजपा सरकार ने गोलियों से भून डाला। इतना ही नहीं, बल्कि इस आन्दोलन को बदनाम करने के लिए मुरथल रेप कांड की कहानी गढ़कर सोशल मीडिया पर जाटों को $खूब नीचा दिखाया गया। किसान आन्दोलन में भी जाटों के पीछे ही केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और हरियाणा सरकार ने षड्यंत्र रचे और कई जाट किसानों की बलि ले ली। उनके ख़िलाफ़ झूठे मुक़दमे दर्ज किये और उन पर कई तरह के आरोप लगाये। हालाँकि इसमें सिख और दूसरे किसानों को भी उसी प्रकार परेशान और प्रताड़ित किया गया, जिस प्रकार जाट किसानों को किया गया। लेकिन चाहे वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट किसान हों, चाहे हरियाणा के जाट किसान हों, चाहे राजस्थान के जाट किसान हों और चाहे पंजाब के जाट किसान हों, उन्हें सबसे ज़्यादा परेशान और प्रताड़ित किया गया, क्योंकि किसान आन्दोलन की अगुवाई जाट समुदाय के किसान नेता ही कर रहे थे।

दरअसल, वर्तमान समय में देश की राजनीति में शिखर से शून्य पर आ चुके कुछ तथाकथित नेता अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इच्छाओं की पूर्ति में डेमोग्राफी संतुलन के ख़तरे को अपने-अपने क्षेत्र और राज्यों के निवासियों को जानबूझकर बता नहीं रहे हैं। हाशिए पर खड़े जाटों से राजनीतिक रूप से दिल्ली भी छिन गयी और उनके हाथों से राष्ट्रीय राजनीति भी गयी। अब उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से किसानों को राजनीतिक वनवास दिलाने की नीति के तहत इन तमाम राज्यों में काम धंधों के बहाने और निजी उद्योग लगाकर बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से रोज़ी-रोटी के ज़रिया यानि रोज़गार के लिए आने वालों को पश्चिमी जाट बहुल राज्यों में बसाकर वोट का कारख़ाना लगाने को प्रयासरत मौज़ूदा केंद्र सरकार और भाजपा की राज्य सरकारें इन नयी चाल से जाटों का हक़ मारने का काम कर रही हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक जितेंद्र सिंह सहरावत कहते हैं कि अगर हमें अपने जाट बहुल राज्यों में अपनी पहचान, संस्कृति, कारोबार, व्यापार और शिक्षा को बचाना है, तो इन राज्यों में अच्छे विश्वविद्यालय यानी उच्च शिक्षण संस्थान खोलने पर ज़ोर दें, ताकि हमारे बच्चे पढ़कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और बिहार आदि राज्यों से उच्च प्रशासनिक, शिक्षण संस्थानों और उद्योगों में सेवा देकर उन राज्यों की डैमोग्राफी चेंज करके इन राज्यों की विधानसभाओं और विधानसभाओं से लोकसभा, राज्यसभा में जाकर अपने सामाजिक हितों को सुरक्षित और मज़बूत कर सकें। पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित बागपत बड़ौत के जाटों का एक बड़ा वर्ग चौधरी चरण सिंह से इसलिए नाराज़ रहता था कि उन्होंने अपने विधानसभा और लोकसभा सहित पार्टी के राजनीतिक क्षेत्र में कोई बड़े उद्योग नहीं लगवाये।

सहरावत कहते हैं कि मैं कहता हूँ, वे इस (डेमोग्राफी) ख़तरे को जानते थे। इसलिए उन्होंने इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया, इस क्षेत्र में शिक्षण संस्थान बनवाने में चौधरी अजीत सिंह ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के जाट नेताओं ने भी पिछले 10-15 वर्षों में इस तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया। दिल्ली को लहू से सींचने वाले जिन जाट, गुज्जर और अहीरों की संतानों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बाहरी लोगों के आने से मकान का किराया और रुपये पर ब्याज का धंधा करके जो मोटा धन मिल रहा है। वे यह भूल रहे हैं कि पहले तो आपकी अधिकतम संतानें लंबे समय तक बिना कोई संघर्ष किये मौज़ उड़ाने के कारण बर्बाद हो रही हैं। दूसरा मनुष्य के भाग्य निर्णय निर्धारित करने वाले जीते जागते मंदिरों विधानसभा, लोकसभा और नगर निगम आदि सहकारी संस्थाओं में आपके पुजारी यानी जन-प्रतिनिधि शून्य होते जा रहे हैं। इसलिए अपने हक़ के लिए जाटों को जागना होगा और समझदारी से सत्ता में हिस्सेदारी पाकर अपने समुदाय को हक़ दिलाना होगा।

इसी प्रकार से दूसरी जातियों के लोगों को भी आपसी मनमुटाव और जातिवाद का ज़हर दिमाग़ से निकालकर आपस में एक होना होगा, जिससे नेता उनकी फूट का फ़ायदा न ले सकें। कुछ नहीं तो भाजपा के ही नारे को समझ लें कि बँटेंगे, तो कटेंगे। यानी अगर जातिवाद के चक्कर में पड़कर बँटे, तो भी कटेंगे, और अगर धर्म के चक्कर में फँसकर बँटे, तो भी कटेंगे। कटेंगे का मतलब है कि अपनी हिस्सेदारी और हक़ कभी नहीं ले सकेंगे और उसका फ़ायदा नेता और उनके क़रीबी उठाते रहेंगे। और आम लोगों को वही पाँच किलो राशन के लिए हर महीने लाइन में लगना पड़ेगा, जो कि उनके स्वाभिमान को ठेस लगाने के लिए काफ़ी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर से किसान जातियों जाट, गुज्जर और अहीर आदि का राजनीतिक वजूद ख़त्म होता जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर लोगों का युद्ध स्तर पर बसना जारी है, जिसके परिणाम असंतुलन के रूप में हमारे सामने है। इसके अलावा सियासत के शिकार होकर किसान जातियाँ हिन्दुत्व की अफ़ीम पीये जा रही है, जिसमें जाट, गुज्जर और सैनी आदि मुख्य हैं। ये तमाम जातियाँ इस सत्य भूली हुए हैं कि किस प्रकार से इनको बाँटा और बर्बाद किया जा रहा है।

दु:ख इस बात का होता है कि आज हिन्दुस्तान में कई धर्म और पंथ हैं, तो जातियाँ भी अनगिनत हैं। और इन जातियों में आपसी फूट होने के चलते राजनीतिक पार्टियाँ अपना फ़ायदा देखती हैं। इस समय देश में कुल कितनी जातियाँ हैं, इसका कोई आँकड़ा नहीं है। हालाँकि सन् 1901 में तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने जातिगत गणना की थी, जिसमें देश में कुल जातियों की संख्या 2,378 थी। यह जातिगत गणना अब तक की सबसे सही जनगणना मानी जाती है। लेकिन इसके ठीक 30 साल बाद साल 1931 में जब ब्रिटिश हुकूमत ने देश में पहली जनगणना में करायी, तो जातियों की संख्या 4,147 बनायी गयी। इसके बाद जब कांग्रेस सरकार में साल 2011 में हुई जनगणना हुई, तो उसमें जातिगत गणना के तहत देश में कुल जातियों और उपजातियों की संख्या 46 लाख से भी ज़्यादा निकली। इसके बाद जातियों और उपजातियों की संख्या और भी बढ़ी है। और इसी जातिवाद या कहें कि जातीय भिन्नता का फ़ायदा, और इससे भी ज़्यादा धर्मों की आड़ लेकर राजनीतिक पार्टियाँ अंग्रेजों की नीति फूट डालो और राज करो की ही तरह देश में आज यही काम कर रही हैं।

बहरहाल, संकेत साफ़ है कि राजनीति के शिकार वही लोग हो रहे हैं, जो जातिवाद के नाम पर, तो कभी धर्म के नाम पर बँटते जा रहे हैं। इसलिए लोगों से अपील है कि न तो जाति के नाम पर और न ही धर्म के नाम पर बँटिए, वर्ना भविष्य में आपकी नस्लों को न सिर्फ़ $गुलामी की खाई में धकेल दिया जाएगा, बल्कि उन्हें राजनीतिक वनवास इस प्रकार दे दिया जाएगा कि फिर वे कभी राजनीति में नहीं आ सकेंगी और ऐसा होने पर वे न तो राजनीति में सुधार कर सकेंगी और न ही किसी भी पीड़ित-प्रताड़ित व्यक्ति के न्याय के लिए आवाज़ नहीं उठा सकेंगी। क्योंकि इन दिनों दबे-कुचले लोगों को राजनीतिक वनवास दिलाने की तैयारी काफ़ी हद तक ज़मीन पर सफलता से चल रही है। इस तैयारी में सबसे पहले उन जातियों के लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा, जो संपन्न हैं और पीड़ितों के लिए आवाज़ उठाने से भी पीछे नहीं हटते। आज समाज में जाति और धर्म के नाम पर जो फूट पड़ी है, और धर्मांधता के कुएँ में धकेलने वाले कई तरह से लोगों के टैक्स का पैसा लूट रहे हैं और इसके अलावा रेल, हवाई जहाज़ के किराये से, महँगाई बढ़ाकर और दूसरे तरीक़े से भ्रष्टाचार करके पैसा बटोर रहे हैं और लोगों को मूर्ख बनाकर सत्ता का लाभ उठा रहे हैं। जो जाट नेता सत्ता में हैं, उन्हें भी अपनी फ़ि$क्र है। उनके लिए न तो लोकतंत्र के कोई मायने हैं, जिसके तहत सभी के साथ न्याय करने की प्रक्रिया को वे आगे बढ़ा सकें और न ही अपनी पीढ़ियों की राजनीतिक शून्यता का दंश वे अभी समझ पा रहे हैं। बल्कि इनमें ज़्यादातर नेता सत्ता में शामिल होकर मलाई खा रहे हैं। ऐसे लोगों को देश की सारी जनता से तो दूर की बात, अपनी ही जाति के ग़रीबों से दूरी बनाकर रहने की आदत हो चुकी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

आपके खातों पर हैकर्स की नज़र

पिछले महीने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (एमएचए) ने धन-शोधन में शामिल अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधी सिंडिकेट्स के द्वारा किराये के बैंक खातों का उपयोग करके बनाये गये अवैध भुगतान के तरीक़ों के ख़िलाफ़ चेतावनी दी थी। गुजरात (एफआईआर 0113/2024) और आंध्र प्रदेश (एफआईआर 310/2024) के मुताबिक की गयी छापेमारी से पता चला कि आपराधिक नेटवर्क अवैध डिजिटल भुगतान की सुविधा के लिए किराये के खातों का उपयोग करते हैं।

जाँच से पता चला कि फ़र्ज़ी कम्पनियों या संदिग्ध व्यक्तियों के चालू और बचत खातों को सोशल मीडिया, मुख्य रूप से टेलीग्राम और फेसबुक के माध्यम से निशाना बनाया जाता है। इन किराये के खातों को दूर से नियंत्रित किया जाता है तथा भुगतान के रास्ते स्थापित किये जाते हैं, जो फ़र्ज़ी निवेश जैसे घोटालों, ऑनलाइन जुआ खेलने की साइट्स और नक़ली स्टॉक ट्रेडिंग ऐप्स जैसे धोखाधड़ी वाले प्लेटफॉर्म्स से अवैध रूप से धन की निकासी करते हैं। चुराये गये धन को अक्सर बैंकों द्वारा प्रदान की गयी थोक भुगतान सुविधाओं का लाभ उठाकर कई स्तरों के लेन-देन के माध्यम से शीघ्रता से सफ़ेद कर लिया जाता है। पीस-पे, आरटीएक्स-पे और पोको-पे जैसे भुगतान के माध्यमों को इन अवैध कामों में प्रमुख उपकरण के रूप में पहचाना गया है।

इस अवैध काम को बारीक़ी से उजागर करने के लिए ‘तहलका’ एसआईटी ने एक गुप्त पड़ताल शुरू की, जिसमें यह उजागर किया गया कि साइबर अपराधी किस प्रकार व्यक्तिगत बैंक खातों को हैक करते हैं और गेमिंग प्लेटफॉर्म को भी निशाना बनाते हैं। ये हैकर्स अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए उधार लिए गये खातों का उपयोग करते हैं। पड़ताल में बैंकिंग सुरक्षा में गंभीर ख़ामियाँ उजागर हुईं। आवरण कथा- ‘बिक रहे हैं बैंक खाते’ में विस्तार से बताया गया है कि किस प्रकार साइबर अपराधी अब धन शोधन के लिए निष्क्रिय बैंक खातों को ख़रीद लेते हैं, जिससे क़ानून प्रवर्तन के लिए नयी चुनौतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।

पड़ताल में साइबर अपराधियों और भ्रष्ट बैंकरों के बीच ख़तरनाक सहयोग पर भी प्रकाश डाला गया है, जो इन योजनाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए ग्राहकों की संवेदनशील जानकारी, जिसमें एटीएम पिन, आईएफएससी कोड और खाता संख्या शामिल हैं; प्रदान करते हैं। पद्म भूषण से सम्मानित और वर्धमान समूह के मालिक से सात करोड़ रुपये की ठगी का हालिया मामला बताता है कि यह साज़िश कितनी गहरी है। गुवाहाटी और पश्चिम बंगाल में हुई गिरफ़्तारियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं कि अपराधियों की पहुँच देशव्यापी है।

‘तहलका’ के निष्कर्षों से पता चलता है कि किस प्रकार धोखेबाज़ आम नागरिकों को खाते खोलने के लिए लुभाते हैं या प्रोत्साहन देकर मौज़ूदा खातों तक पहुँच प्रदान करते हैं, जिससे चुराये गये धन को दूसरे खातों में हस्तांतरित किया जाता है। ये खाते न केवल धन शोधन के लिए माध्यम बनते हैं, बल्कि इनका उपयोग आतंकवादी वित्तपोषण में भी किया जा सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा पैदा करता है।

डिजिटल भुगतान के अधिक व्यापक होने के कारण साइबर अपराध का ख़तरा भी बढ़ रहा है। गृह मंत्रालय की सलाह स्पष्ट है- ‘नागरिकों को अपने बैंक खाते, कम्पनी पंजीकरण प्रमाण-पत्र या उद्यम आधार प्रमाण-पत्र नहीं बेचने चाहिए या किराये पर नहीं देने चाहिए। ऐसे खातों में अवैध धनराशि जमा होने पर गंभीर क़ानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिसमें गिरफ़्तारी भी शामिल है।’ यह जोखिम बहुत बड़ा है; सिर्फ़ व्यक्तियों के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी। हमें अपनी वित्तीय प्रणालियों को शोषण से बचाने के लिए मिलकर कार्य करना होगा।

सुखबीर सिंह बादल को मिली सजा, गले में पहनेंगे तख्ती

प्रकाश सिंह बादल से ‘फक्र ए कौम ‘सम्मान वापस लिया

अमृतसर : अकाली दल की सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा सिरसा के मुखी राम रहीम को माफी और बेअदबी के मामले में सुखबीर बादल और बाकी सिख मंत्रियों को सजा सुना दी गई है। इस मामले को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब पर सोमवार को पांच सिख साहिबानों की मीटिंग हुई।

श्री अकाल तख्त साहिब में व्हीलचेयर पर पहुंचे सुखबीर बादल ने अपनी गलती कबूल ली है। उन्होंने राम रहीम को माफी देना और गोली कांड का गुनाह भी कबूल किया है। सुखबीर बादल ने कहा कि हमारी सरकार के दौरान हमसे कई गलतियां हुई है। वहीं प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि मुझे पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं।

सुखबीर बादल को श्री दरबार साहिब (गोल्डन टेंपल) के घंटाघर के बाहर ड्यूटी करनी होगी। इस दौरान उनके गले में तख्ती और हाथ में बरछा रहेगा। ये सजा उन्हें 2 दिन के लिए दी गई है। इसके बाद 2 दिन श्री केसगढ़ साहिब, 2 दिन श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो, 2 दिन श्री मुक्तसर साहिब और 2 दिन श्री फतेहगढ़ साहिब में सेवादारों वाला चोला पहनकर हाथ में बरछा लेकर ड्यूटी करेंगे। बादल चोट के चलते ये ड्यूटी वह व्हीलचेयर पर बैठ कर देंगे। जत्थेदार ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल इन साहिबों में ड्यूटी के बाद एक-एक घंटा लंगर घर में जाकर संगत के जूठे बर्तन साफ करेंगे। साथ ही एक घंटा बैठकर कीर्तन सुनना होगा और श्री सुखमणि साहिब का पाठ करना होगा। इसके अलावा पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल से फक्र ए कौम सम्मान वापस लिया जाएगा।

साल 2015 में बादल कैबिनेट मेंबर रहे वह सभी 3 दिसंबर को 12 बजे से लेकर 1 बजे तक दरबार साहिब के बाथरूम साफ करेंगे। जिसके बाद नहा कर वह लंगर घर में सेवा करेंगे। बाद में श्री सुखमणि साहिब का पाठ करना होगा। इन्हें भी श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से तख्ती पहनाई जाएगी।

पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने जेपी नड्डा के जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का सोमवार को जन्मदिन है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेपी नड्डा के संगठनात्मक कार्य की तारीफ करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। मैं नड्डा को वर्षों से जानता हूं और पार्टी में उनके उल्लेखनीय योगदान का गवाह हूं। उन्होंने हर संगठनात्मक, विधायी और कार्यकारी जिम्मेदारी को पूरी लगन से निभाया है। वे स्वस्थ भारत सुनिश्चित करने के प्रयासों में सबसे आगे हैं। ईश्वर उन्हें दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करे।”

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जेपी नड्डा के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, “भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। आपके नेतृत्व में संगठन विस्तार व विश्वास का सुंदर कालखंड देख रहा है। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने में आप सराहनीय योगदान दे रहे हैं। ईश्वर से आपकी दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”

केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “केंद्रीय कैबिनेट में मेरे साथी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। आप स्वस्थ और दीर्घायु रहें, ईश्वर से यही कामना करता हूं।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को जन्मदिन की हार्दिक बधाई! प्रभु श्री राम से आपके स्वस्थ, सुदीर्घ एवं सुयश पूर्ण जीवन की प्रार्थना है।”

इन दिग्गज नेताओं के अलावा पार्टी के भारतीय जनता पार्टी के अन्य नेता, संगठन के नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा जेपी नड्डा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी जा रही हैं।

बॉर्डर पर ट्रैक्टर और बुलडोजर लेकर पहुंचे किसान, नोएडा पुलिस का बैरिकेड तोड़ आगे बढ़े

नोएडा : संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में हजारों किसान नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। किसानों ने नोएडा से दिल्ली की ओर विरोध मार्च शुरू किया है और वे संसद का घेराव करने की धमकी दे रहे हैं।

किसानों के दिल्ली कूच की खबर मिलते ही दिल्ली पुलिस ने भी एहतियात बरतते हुए चिल्ला बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया है। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर किसानों के मार्ग को अवरुद्ध करने की कोशिश की है। किसानों ने पुलिस की बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की, जिससे पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई। किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है।

किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा एक्सप्रेस-वे को दोनों ओर से बंद कर दिया गया है। इससे यातायात व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है। 5 किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि सरकार किसानों की बात सुनने के लिए तैयार है और पहले भी किसानों के हित में कई फैसले लिए गए हैं।

झारखंड  के लातेहार में अपराधियों ने दो वाहनों को आग के हवाले किया

झारखंड के लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र अंतर्गत कुसमाही रेलवे कोल साइडिंग के पास बीती रात अपराधियों ने जमकर उत्पात मचाया।

इस दौरान अपराधियों ने दो वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया है। फिलहाल घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस की टीम पूरे मामले की जांच कर रही है।

दरअसल बीती रात करीब 2:00 बजे अज्ञात अपराधी बालूमाथ थाना क्षेत्र के मकईयाटांड़ के पास पहुंचे और वहां कोयले से लदे दो वाहनों में आग लगा दी।

जानकारी के अनुसार, जब अपराधियों ने एक वाहन में आग लगाई तो दूसरे वाहन का चालक वहां से भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन, अपराधियों ने फायरिंग कर ट्रक चालक को रोक लिया और उसके साथ बदसलूकी करते हुए चालक को वाहन से उतार कर दूसरे वाहन में भी आग लगा दी।

घटनास्थल नेशनल हाईवे के बिल्कुल किनारे है। ट्रक चालक साबिर अंसारी ने बताया कि वह तुबेद से कोयला लेकर कुसमाही साइडिंग आ रहा था। लेकिन, साइडिंग के पास चार अपराधी पहुंचे और उसके वाहन को रोक लिया। अपराधियों ने सबसे पहले उसका मोबाइल छीन लिया और गाड़ी में पेट्रोल डालकर आग लगा दी।

इससे पहले, लातेहार जिले के बालूमाथ स्थित रेलवे कोयला साइडिंग पर 28 नवंबर की सुबह अज्ञात अपराधियों ने कोयला लदे ट्रकों को निशाना बनाकर जमकर फायरिंग की थी।

हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी। लेकिन, घटना से क्षेत्र में डर का माहौल बन गया था।

इस संबंध में घटनास्थल पर मौजूद ट्रक चालकों ने बताया था कि तड़के सुबह 4 बजे के लगभग मोटरसाइकिल पर सवार होकर अपराधी साइडिंग के अंदर प्रवेश किए और ट्रकों को निशाना बनाकर गोलियां चलानी आरंभ कर दी। अपराधियों ने इस दौरान लगभग 15 से 20 फायरिंग की थी। इसके बाद अपराधी घटनास्थल से फरार हो गए थे।

किसानों का दिल्ली कूच, सभी रास्तों पर भयंकर जाम

दिल्ली : अपनी मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली कूच पर निकले हैं। जिसके कारण दिल्ली बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। दिल्ली आने वाले सभी रास्तों पर भारी जाम की स्थिति है। किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली पहुंच रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण, कर्ज माफी और फसल की उचित कीमतें शामिल हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते पुलिस ने दिल्ली-एनसीआर में बैरिकेड लगाने और रूट डायवर्ट करने सहित सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं।

पुलिस की तरफ से जारी किए गए बयान के मुताबिक 2 दिसंबर को किसानों के दिल्ली आह्वान को लेकर दिल्ली/बार्डर एरिया में चेकिंग की जा रही है, जिसमें यातायात धीमी गति से संचालित हो रहा था, वर्तमान में सभी रेड लाइट को निरन्तर ग्रीन कर दिया गया है। एक बार फिर यातायात सामान्य गति से संचालित है। कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर पुलिस यातायात को सुचारू रूप से संचालित करा रही है।

पुलिस अपने इस बयान के जरिए यह बताने की कोशिश कर रही है कि जाम को खुलवा दिया गया है। लेकिन सड़कों पर उतरे वाहन चालकों को मिनटों का सफर घंटे में तय करना पड़ रहा है। यह स्थिति तब बनी हुई है जब अभी तक किसानों ने अपने मीटिंग प्वाइंट तक पहुंचना शुरू भी नहीं किया है। हालांकि यातायात विभाग के मुताबिक डायवर्जन प्लान तैयार कर लिया गया है और जरूरत के हिसाब से उसे लागू किया जाएगा।

महामाया फ्लाईओवर एक केंद्र बिंदु है जहां पर सभी किसानों को एकत्र होना है और फिर यहां से दिल्ली की तरफ बढ़ना है। यहां से कालिंदी कुंज के जरिए और डीएनडी और उसके बाद चिल्ला बॉर्डर के जरिए दिल्ली की तरफ जाया जा सकता है, जहां पर दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस दोनों ही तरफ से चेकिंग अभियान चलाकर किसी भी किसान को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश कर रही है।

झारखंड में आज से हेमंत सरकार की चौथी पारी, सीएम अकेले लेंगे शपथ

विश्वास मत के बाद होगा कैबिनेट विस्तार

हेमंत सोरेन गुरुवार शाम चार बजे झारखंड के सीएम के तौर पर चौथी बार शपथ लेंगे। रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में देश भर से ‘इंडिया’ ब्लॉक के शीर्ष नेता जुट रहे हैं।

शपथ ग्रहण के पूर्व हेमंत सोरेन ने राज्य की जनता के नाम जारी संदेश में है, ‘विधानसभा चुनाव में झारखंड की जनता ने ‘सोना झारखंड’ के निर्माण के लिए अनेकता में एकता का जो संदेश दिया है, वह ऐतिहासिक है, अद्भुत है, अविस्मरणीय है। वीर पुरखों के सपनों और राज्यवासियों की आशाओं-आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अबुआ सरकार पूरी संवेदनशीलता और नई ऊर्जा के साथ काम करेगी।‘

नई सरकार के मंत्रियों के नाम फिलहाल तय नहीं हुए हैं इसलिए हेमंत सोरेन अकेले शपथ लेंगे। सरकार के करीबी सूत्रों के अनुसार, विधानसभा में विश्वास मत साबित करने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। समारोह को भव्य बनाने की तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

कार्यक्रम में एक लाख से ज्यादा लोगों के जुटने का अनुमान है। सड़कों पर ट्रैफिक का बोझ देखते हुए आज रांची के तमाम सरकारी और प्राइवेट स्कूल बंद रखे गए हैं। शहर में ऑटो और ई-रिक्शा का परिचालन भी प्रशासन ने बंद करा दिया है।

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, पश्चिम बंगाल की की मुख्यमंत्री और टीएमसी की अध्यक्ष ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, मेघालय के मुख्यमंत्री कोराड कोंगकल संगमा, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, सीपीआई एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, शिवसेना (उद्धव) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे,

जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदय स्टालिन, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, बिहार के सांसद पप्पू यादव और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह समारोह में मौजूद रहेंगे।

हेमंत सोरेन झारखंड में मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ लेने वाले पहले नेता होंगे। इसके पहले उन्होंने पहली बार 13 जुलाई 2013 को झामुमो, कांग्रेस, राजद गठबंधन के सहयोग से बनी सरकार में सीएम पद की शपथ ली थी। इस सरकार का कार्यकाल 23 दिसम्बर 2014 तक था। दूसरी बार उन्होंने 29 दिसम्बर 2019 में शपथ ली थी। 31 जनवरी 2024 को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जमानत पर बाहर आने के बाद 4 जुलाई 2024 को उन्होंने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी। हेमंत सोरेन के पहले उनके पिता शिबू सोरेन और भाजपा के अर्जुन मुंडा तीन-तीन बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं।

कौन बनेगा महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री ?…प्रधानमंत्री मोदी लेंगे बड़ा फैसला

मुंबई : महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री के नाम के ऐलान को लोग तरस रहे है कि आखिर कौन सीएम बनेगा? वहीं इसी बीच एकनाथ शिंदे ने सरेंडर कर दिया है। ठाणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिंदे ने कहा कि मैंने राज्य के लिए काम किया है और आगे भी करता रहूंगा। मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा और मैं उसे पूरे मन से स्वीकार करूंगा। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी किसे मुख्यमंत्री बनाएगी, इस पर सस्पेंस बरकरार है।

एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने अपने आपको कभी सीएम नहीं समझा। मैंने हर क्षण जनता के लिए काम किया। पीएम मोदी और अमित शाह ने हमेशा मेरा साथ दिया। मोदी-शाह में जनता के सपनों को पूरा करने की ताकत है। एकनाथ शिंदे ने कहा, महाराष्ट्र के अगला मुख्यमंत्री भाजपा से ही होगा। मैंने पीएम मोदी को फोन करके कहा था कि हमारे बीच कोई अड़चन नहीं है। आप जो भी फैसला करेंगे वो हमें मंजूर होगा। हम सब एनडीए का हिस्सा हैं और रहेंगे। पीएम मोदी जो कुछ भी निर्णय लेंगे वो शिवसेना को मंजूर है। महायुति मजबूत है और हम सब मिलकर काम करने को तैयार हैं।’

महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैं महाराष्ट्र के सभी मतदाताओं को महायुति का समर्थन करने और हमें भारी जीत दिलाने के लिए धन्यवाद देता हूं। यह अभूतपूर्व है। पीएम मोदी और अमित शाह ने एक आम शिवसैनिक को सीएम बनाने के बालासाहेब ठाकरे के सपने को पूरा किया है। वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि चुनाव में हमें जनता का प्यार और भरोसा मिला। इसके लिए मैं सबका दिल से धन्यवाद करता हूं।

हमने लाडकी बहीण योजना पर बहुत अच्छे से काम किया। मैंने हमेशा एक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया है। मैंने कभी खुद को मुख्यमंत्री नहीं माना। सीएम का मतलब आम आदमी होता है, मैंने यही सोचकर काम किया। हमें लोगों के लिए काम करना चाहिए। मैंने नागरिकों का दर्द देखा है, उन्होंने कैसे अपना घर चलाया। शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा, ‘पिछले 2-4 दिनों से आपने अफवाहें सुनी होंगी कि कोई नाराज है। हम नाराज होने वाले लोग नहीं हैं। मैंने कल पीएम से बात की और उन्हें बताया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में हमारी तरफ से कोई बाधा नहीं है। आप फैसला करें। हम फैसला स्वीकार करेंगे। सीएम पद के बारे में बीजेपी के वरिष्ठ नेता जो भी फैसला करेंगे, उनके उम्मीदवार को शिवसेना पूरा समर्थन देगी।’