Home Blog Page 51

बिहार में नीतीश को लेकर अनिश्चितता, भाजपा हुई महत्वाकांक्षी

भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के एक प्रमुख सहयोगी लोजपा के केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिहार एनडीए में यह कहकर हलचल मचा दी है कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री वह व्यक्ति होगा जिसके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है। इससे राजनीतिक परिदृश्य और भी अनिश्चित हो गया है। वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने यह कहकर आग में घी डालने का काम किया कि भाजपा का यह सोचना गलत नहीं है कि मुख्यमंत्री इसी पार्टी से होना चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़े जाएंगे। ये बयान ऐसे समय में आए हैं, जब एनडीए में पूरी तरह से असमंजस की स्थिति है, क्योंकि भाजपा नेता राज्य में नेतृत्व के मुद्दे पर अलग-अलग सुर में बोल रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ सप्ताह पहले कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नवंबर में होने वाले चुनावों में बिहार में एनडीए के अभियान का नेतृत्व करेंगे। लेकिन अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड चुनावों के बाद इस मुद्दे पर फैसला करेगा। भाजपा में कुछ कट्टरपंथी लोग हैं जो मानते हैं कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए रखने के बजाय पार्टी को अपना खुद का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।

2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 243 सदस्यीय सदन में 74 सीटें जीती थीं, जबकि जनता दल (यू) ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद केवल 43 सीटें जीती थीं। भाजपा ने केवल 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इन कट्टरपंथियों का मानना है कि भाजपा अब अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम है और उसे बहुमत हासिल करने के लिए नीतीश कुमार की जरूरत नहीं है और वह 2025 में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी। ये बयान आने वाली चीजों का संकेत हैं।

सिसोदिया को राज्य सभा भेजा जाएगा ?

राष्ट्रीय राजधानी में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खास मनीष सिसोदिया को अब पंजाब से राज्यसभा भेजा जा सकता है। चूंकि केजरीवाल की योजनाएं लगभग धराशायी हो चुकी हैं, इसलिए अब कयास लगाए जा रहे हैं कि सिसोदिया को राज्यसभा में भेजा जा सकता है। लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के मौजूदा सदस्य संजीव अरोड़ा के जीतने पर राज्यसभा की सीट खाली हो सकती है। सिसोदिया केजरीवाल के बेहद करीबी माने जाते हैं और और उन्हें अस्तित्व बचाने के लिए पार्टी के समर्थन की जरूरत है।

दिल्ली के उपराज्यपाल को मिलेगी पदोन्नति!

दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने तीन साल के भीतर ही अपना काम पूरा कर लिया है, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी हार चुकी है और भाजपा सत्ता में आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी पसंद के मुताबिक दिल्ली के एलजी के तौर पर सक्सेना की नियु​क्ति ने 2022 में कई लोगों को चौंका दिया था, क्योंकि वह केवीआईसी (खादी और ग्रामोद्योग आयोग) से आए थे, जिसके वे 2015 से अध्यक्ष थे।

मोदी भी उनके खादी को लोकप्रिय बनाने के तरीके से प्रभावित हुए थे। सक्सेना ने अकेले दम पर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आप को बेनकाब कर दिया, जबकि भाजपा का स्थानीय नेतृत्व कोई रणनीति नहीं बना पाया। एक तरह से उन्होंने शहर में भाजपा की सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया।

क्या अब सक्सेना को जाना चाहिए या वे बने रहेंगे? दिल्ली के उपराज्यपाल ने ठीक वही किया है जिसकी उनके राजनीतिक आकाओं ने उनसे अपेक्षा की थी और अब दिल्ली में डबल इंजन की बजाय ट्रिपल इंजन वाली सरकार को केंद्र के साथ मिलकर काम करने और दिल्ली के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए एक नई तरह की भूमिका की आवश्यकता होगी।

ऐसा लगता है कि सक्सेना को पदोन्नत करने का समय आ गया है, हालांकि वे कुछ और समय तक पद पर बने रह सकते हैं, जब तक कि नई दिल्ली सरकार स्थापित नहीं हो जाती। उन्होंने उपराज्यपाल के रूप में अपनी कार्यशैली का परिचय दिया है और हर मुद्दे पर बारीकी से नजर रखी है, जिसमें राजनीतिक मुद्दे भी शामिल हैं, जिन्होंने आप को हर बिंदु पर बेनकाब किया है।

भाजपा को अब शहरी आवास, बुनियादी ढांचे, शहर की गतिशीलता सहित पेयजल पाइपलाइनों, बिजली, यमुना की सफाई, वायु प्रदूषण आदि का ध्यान रखने के अलावा लोकलुभावन वादों को पूरा करने की जरूरत है। लेकिन अभी शुरुआत है और सक्सेना, जिनका ग्राफ बहुत ऊपर चला गया है, पर अंतिम फैसला केवल प्रधानमंत्री लेंगे।

मोती की खेती कर बनीं पर्ल क्वीन, लोगों को दे रही रोजगार

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में एक ऐसी युवती है जो मोती की खेती कर लोगों को रोजगार दे रही है. साथ ही इनके इस कार्य को देखकर लोग इन्हें पर्ल क्वीन के से नाम से पुकारने लगे है. हम बात कर रहे पूजा विश्वकर्मा की जो मोती की खेती के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. पूजा ने बताया कि वह सुन्दर गोल-मटोल व रंगीन मोती के अलावा डिजाइनर मोती पानी की टंकी बनाती है. पूजा ने बताया कि वह श्रद्धाजीवन ज्योति वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से मोती की खेती का कार्य करती है. उन्होंने बताया जॉब करने के बजाये कुछ नया करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र रूचि उत्पन्न हुई. उसके बाद पूजा ने नागपुर जाकर मोती की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया. वहां से आने के बाद अपने घर में ही मोती की खेती करने की शुरुआत की. फिर धीरे-धीरे इस कार्य में नयापन देने डिजाइनर मोती तैयार करना शुरु कर दिया. जिसे लोग काफी पसंद कर रहे है. 

8 माह करती है परिश्रम 

पूजा विश्वकर्मा ने बताया कि मोती की खेती सामान्य खेती की तरह होती है. जिसमें काफी परिश्रम की आवश्यकता होती है. मोती की खेती के लिए तालाब या बहुत बड़ी टंकी या कुआँ होना चाहिए. जिसमें मोती के बीज केमिकल के साथ सीप में डालकर पानी में डाला जाता है. बीच-बीच में देखरेख करने की जरुरत पड़ती है. अंत में बड़ी सावधानी के साथ सीप से मोती निकालने का कार्य किया जाता है.

डिजाइनर मोती कर रही है तैयार 

मोती की खेती में सिम्पल मोती के साथ ही गणेश, माँ सरस्वती, भगवान शंकर, ओम, स्वास्तिक के प्रतीक चिन्ह वाले मोती तैयार करती है. इसके साथ ही क्रॉस व अन्य धर्म के अनुसार उनके प्रतीक चिन्ह वाले मोती बनाती है.

लागत से ज्यादा मेहनत 

पूजा ने बताया कि मोती की खेती में लागत काम है, लेकिन मेहनत बहुत अधिक होता है. बहुत ही बारिकी से हर एक चीज को देखना व करना होता है. एक मोती को बनाने में 30 से 50 रूपये की लागत आती है, लेकिन एक मोती ज़ब सुन्दर तैयार होती है तो उसकी मार्केट में कीमत अच्छी मिलती है. अच्छी मोती बनाने के लिए काफी धैर्य रखना पड़ता है.

यमुना बैराज बनाओ, तालाब बचाओ!

बृज खंडेलवाल

विश्व जल दिवस 2025 पर, दुनिया जब पानी की कमी से जूझ रही है, दो मिलियन से अधिक लोगों का शहर आगरा सरकारी लापरवाही और गलत प्राथमिकताओं का जीता-जागता सबूत और असफलता की बेहतरीन मिसाल है।

135 किलोमीटर लंबी गंगाजल पाइपलाइन से हालिया संकट कुछ हद तक नियंत्रित हुआ है,  मगर शहर की जीवनदायिनी, पावन यमुना नदी का गला घोंटकर, आगरा के पर्यावरण को तबाह कर दिया गया है। नदी किनारे खड़ी बेहतरीन  मुगलकालीन इमारतें अब पर्यावरणीय खतरे में हैं।

यमुना आरती के महंत, पंडित जुगल किशोर कहते हैं, “देवी माँ के रूप में पूजी जाने वाली यमुना आज एक नाला बन गई है। इसका पानी ज़हरीला हो गया है, और इसकी सहायक नदियाँ, उठनगन, खारी, पार्वती, कार्बन आदि, लगभग ख़त्म हो चुकी हैं। ताज महल की छाँव में, शहर का जल संकट पारिस्थितिकी की अनदेखी और शहरी बदइंतजामी की एक भयावह तस्वीर पेश करता है।”

पर्यावरणविद डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य के अनुसार, “यमुना नदी की दुर्दशा सिस्टम के नाकाम होने की कहानी है। ऊपर की ओर, ओखला बैराज इसके प्रवाह का अधिकांश हिस्सा डायवर्ट कर देता है, जिससे आगरा में एक कंकाल जैसी धारा रह जाती है। नीचे की ओर, नदी एक ज़हरीले कूड़ेदान में बदल जाती है, जो दिल्ली और हरियाणा से आने वाले अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक कचरे से भरी हुई है। घाटों पर रसायन युक्त झाग तैर रहे हैं, और इसकी सतह पर मरी हुई मछलियाँ दिखती हैं – जो पारिस्थितिकी तंत्र के पतन की एक कठोर याद दिलाती हैं। नदी की सहायक नदियाँ, जो कभी महत्वपूर्ण धमनियाँ हुआ करती थीं, अतिक्रमण और उदासीनता के बोझ तले लुप्त हो चुकी हैं, जिससे भूजल पुनर्भरण और भी कम हो गया है। यमुना, जिसने कभी आगरा के अतीत को आकार दिया था, अब इसके भविष्य को सूखने का ख़तरा है।”

नदी के उस पार, आगरा के ऐतिहासिक तालाब – जो कभी जीवन और जीविका के जीवंत केंद्र थे – विलुप्त हो रहे हैं। रिवर कनेक्ट अभियान के सदस्य चतुर्भुज तिवारी कहते हैं, “जिले में लगभग 1000 तालाब थे, जो कभी मानसून की बारिश का पानी इकट्ठा करते थे और सूखे महीनों में पड़ोस को सहारा देते थे, अब कंक्रीट के नीचे दबे हुए हैं या कचरे से भरे हुए हैं। शहर के सांस्कृतिक और पारिस्थितिक ताने-बाने में उकेरे गए ये जल निकाय अनियंत्रित शहरीकरण और नागरिक उपेक्षा का शिकार हो गए हैं। जहाँ कभी पानी नीले आसमान की परछाई दिखाता था, वहाँ अब बंजर टीले धूप में तप रहे हैं, जिससे शहर की निर्भरता पहले से ही तनावग्रस्त यमुना और घटते तालाब, पोखर, बावड़ी पर और बढ़ गई है। कीठम झील जो अंग्रेजों ने आगरा की ग्रीष्मकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई थी, वो सुविधा मथुरा रिफाइनरी को मिल रही है।”

आगरा के निवासियों के लिए, इसके नतीजे डरावने हैं। शहर की जल उपयोगिता, डिमांड सप्लाई,  आगरा जल संस्थान, के लिए चुनौती है। नल घंटों तक सूखे रहते हैं। पंडित महेश शुक्ला कहते हैं कि झुग्गियों और ट्रांस यमुना कॉलोनियों में, महिलाएँ सामुदायिक पंपों पर घंटों कतार में खड़ी रहती हैं, जबकि जिले के किसान अपनी फसलों को सूखते हुए देखने को मजबूर हो जाते हैं,  क्योंकि बोरवेल सूख जाते हैं या जल स्तर गिर जाता है। ज़हरीले पानी से बीमारियाँ भी फैलती हैं, जिससे शहर की मुश्किलें और बढ़ रही हैं।

यहाँ तक कि आगरा का नायाब रत्न ताजमहल भी इससे अछूता नहीं है। ग्रीन एक्टिविस्ट पद्मिनी अय्यर के अनुसार, सूखी, प्रदूषित यमुना ताज की लकड़ी की नींव को कमज़ोर कर रही है, जिससे स्मारक की संरचनात्मक अखंडता और इससे जुड़ी पर्यटन अर्थव्यवस्था पर ख़तरा मंडरा रहा है। सर्किट हाउस के तालाबों और शाहजहां गार्डन को  अब नहरी पानी नहीं मिल रहा है, उक्खररा माइनर, शमशाबाद रोड पर अतिक्रमणों के बोझ तले मर चुकी है.”

यमुना भक्त ज्योति खंडेलवाल कहती हैं, “सभी ब्लॉकों में जल स्तर लगातार पाताल लोक की ओर बढ़ रहा है, फ्लोराइड और अन्य ज़हरीले रसायनों की वजह से कई गाँवों में लोग बेबस, बीमार और कुबड़े हो रहे हैं, हरियाली सूख रही है, चंबल नदी भी पानी के लिए तरस रही है, लेकिन जन प्रतिनिधियों को कोई फ़िक्र नहीं है।”

रिवर कनेक्ट कैंपेन के सदस्य कहते हैं कि यमुना की सफाई के लिए अंतरराज्यीय सहयोग की ज़रूरत है, जिसमें दिल्ली में सख़्त अपशिष्ट नियंत्रण, गाद निकालने के ज़रिए सहायक नदियों को पुनर्जीवित करना और अवैध रेत खनन पर लगाम लगाना शामिल है।

स्थानीय स्तर पर, आगरा नगर निगम अतिक्रमण हटाकर, गाद निकालकर और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देकर सामुदायिक तालाबों को पुनर्जीवित कर सकता है।

आगरा सिविल सोसाइटी के संयोजक अनिल शर्मा का कहना है कि शहर में वाटर हार्वेस्टिंग, छत पर संग्रह प्रणाली और जन जागरूकता अभियान भूजल तनाव को कम कर सकते हैं, जबकि किसान ड्रिप सिंचाई जैसे जल-कुशल तरीकों को अपना सकते हैं।

श्री मथुराधीश मंदिर के गोस्वामी नंदन श्रोत्रिय को अभी भी उम्मीद है। “ताजमहल अभी भी चमक रहा है, जो इंसानी प्रतिभा और लचीलेपन का सबूत है। इसकी झलक को किसी सूखी खाई में गायब होने की ज़रूरत नहीं है। सामूहिक इच्छाशक्ति और योगी सरकार की निर्णायक कार्रवाई से, आगरा अपने हालात बदल सकता है – इससे पहले कि इसकी विरासत धूल में मिल जाए।”

बीजापुर-कांकेर में 30 नक्सली ढेर, घंटो चली मुठभेड़

बीजपुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर के अड़ी जंगल और कक्रि जिले के नारायणपुर सरहदी क्षेत्र में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच गुरुवार को हुई मुठभेड़ में 30 नक्सली ढेर हो गए जबकि एक जवान बलिदानी हो गया। बीजापुर जिल के गंगालुर थाना क्षेत्र अंर्तगत नक्सलियों के फोर सरही इलाके बीजापुर-दंतेवाड़ा सीमा पर अंडी के जंगल में आज सुबह 7 बजे से सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच चल रही मुठभेड में 30 नक्सली मारे गए हैं जबकि डीआरजी के एक जवान का बलितन हो गया। इस मुठभेड़ में नक्सलियों के बड़े कैडर्स के मारे जाने की संभावना जताई गई है।

और बढ़ सकती है संख्या, एक जवान भी हुआ खलिदानी

सिंचंग अभियान पर संयुक्त पुलिस बल रवाना हुई थी। इस इलाके में भी आज सुबह से डीआरजी और बीएसएफ की संयुक्त पुलिस और नक्सलियों के बीच पुल भेड़ हुए में अभी तक 4 नक्सलियों के शव और आटोमैटिक हथियार सहित अन्य नक्सल साम्धी बरामद को गयी है। बस्तर अहंजी सुंदरराज पी ने बीजापुर एवं कफिर जिले में जारी मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए बताया कि बीजापुर से 26 नक्सललियों के शव और ककिर जिले से 4 नक्सलियों के शव सहित मुठभेड़ स्थल से खाड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारुद के साथ अब तक 30 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गये हैं। क्षेत्र में मुठभेड़ के साथ ही सिंचिंग अधिशन जारी है विस्तृत जानकारी पृथ्क से दी जाएगी।

अगले साल 31 मार्च से पहले देश होने वाला है नक्सलमुक्त: अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र बोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार नक्सलियों के विरुद्ध रुचलेस अफ्रोव के नाथ आगे बह रही है। उन्होंने चावा किया कि अगले साल 31 मार्च से पहले देश नक्सालमुक्त होने वाला है। छत्तीसपद में गुरुवार की दो अलग-अलग अभियानों में 22 नकालियों के मारे जाने के बाद सोसल मीडिया लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए एक पोस्ट में अमित शाह ने कहा कि नक्चलमुक्त भारत अभियान की दिशा में आज हमारे जवानों जवानों ने एक और बड़ी मृफलता हासिल की है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और कफिर में चुरक्षा बलों के 2 अलग-अलग ऑपरेशन में 22 नक्सली मारे गए। मोदी सरकार नक्सलियों के विरुद्ध रथलेश अधोच से आगे बाद रही है और समर्पच से लेकर चमावेशन की तमाम सुविधाओं के बावजूः जो वसली आतासमर्पण नहीं कर रहे उनके खिलाफ जीने टॉलरेंस की नीति अपना रही है।

अगले साल 31 मार्च से पहले देश नक्सलबुक्त होने बाला है। गृह नत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृा एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में स्क्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते वर्ष 3025 में अब तक 90 नक्सली बारे जा चुके हैं, 104 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 164 ने आत्मसमर्पण किया है। वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया गया था. 1090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया था। अभी तक कुल 5 शीर्ष नफाली नेताओं को न्यूट्रलाइज किया जा चुका है। बयान में कहा गया है कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच नाम्खाली हिसा की कुल 16,263 घटनाएं हुई थीं

सरकारी उपक्रमों में 600 सेअधिक ‘स्वतंत्र निदेशक’ पदरिक्त

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ‘स्वतंत्र निदेशकों’ के 625 से अधिक बोर्ड-स्तरीय पद खाली पड़े हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ऐसे 750 पद हैं। स्वतंत्र निदेशक गैर-कार्यकारी निदेशकों की भूमिका निभाते हैं और कंपनी के दिन-प्रतिदिन के कार्यों में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हैं, लेकिन उनसे बेहतर कॉर्पोरेट प्रशासन सुनिश्चित करने और शेयरधारकों के हितों की रक्षा करने की अपेक्षा की जाती है। अधिकारियों के लगातार फेरबदल के कारण फाइलों के निपटान में भारी देरी होने लगी है। सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन डीपीई सचिव तुहिन कांत पांडे ने दिसंबर 2024 तक कम से कम 50 प्रतिशत पदों को तेजी से भरने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन जिम्मेदारियों के लगातार अतिरिक्त बोझ ने उनकी योजनाओं को क्रियान्वित करने में बाधा उत्पन्न की।

इसी तरह, मौजूदा सचिव (अतिरिक्त प्रभार) अरुणीश चावला पर भी दीपम सचिव के रूप में अपने नियमित प्रभार के अलावा संस्कृति मंत्रालय के कार्यों का भी भारी बोझ है। पिछले साल जुलाई में अली रजा रिजवी के सेवानिवृत्त होने के बाद से डीपीई लगातार तदर्थ व्यवस्था के अधीन है। इसके अलावा, एक वर्ग कहता है कि हाल ही में एक तरह की केंद्रीकृत राजनीतिक मंजूरी स्वतंत्र निदेशक की नियुक्तियों में प्रमुख भूमिका निभा रही है, जो इस तरह की नियुक्तियों में बाधाओं और देरी को भी बढ़ाती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब 64 सूचीबद्ध सीपीएसई के बोर्ड में लगभग 200 रिक्तियों को भरने के लिए तत्काल उपाय किए जा रहे हैं। विचाराधीन विकल्पों में चयन प्रक्रिया को तेज करना और कुछ मामलों में मौजूदा गैर-आधिकारिक निदेशकों के कार्यकाल को बढ़ाना शामिल है। इन रिक्तियों को भरने की आवश्यकता महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्वतंत्र निदेशक कॉर्पोरेट प्रशासन मानकों को बनाए रखने और हितधारकों के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे उन ऑडिट कमेटियों का भी महत्वपूर्ण भाग होते हैं जो वैधानिक अनुपालन की देखरेख करते हैं।

पंजाब पुलिस ने खाली कराया खनौरी और शंभू बॉर्डर; हिरासत में कई किसान नेता

एक साल से शंभू और खनौरी सीमाओं पर जमे किसानों को पंजाब पुलिस ने हटा दिया है। पंजाब पुलिस ने बुधवार को शंभू और खनौरी सीमाओं पर विरोध स्थलों को खाली करा दिया और बैरिकेड्स, वाहनों और अस्थायी ढांचों को हटा दिया। इसके साथ ही माना जा रहा है आज से एनएच-44 भी खुल जाएगा।

अब किसानों की आगे की रणनीति क्या होगा यह देखना होगा। क्योंकि किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत ने मीडिया को बताया कि सरवण सिंह पंधेर और जगजीत सिंह दल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को मोहाली में उस समय हिरासत में लिया गया है और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को बुधवार देर रात डेढ़ बजे जालंधर के पिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पंजाब सरकार ने बड़े सुनियोजित ढंग से हटाते हुए दोनों मोर्चों पर बुलडोजर चलवा दिया। बुधवार को दिन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की चंडीगढ़ में सातवें दौर की बैठक बेनतीजा रहने के बाद पुलिस ने पिछले चार महीनों से अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान नेता सरवण सिंह पंधेर को हिरासत में लिया। जब पुलिस ने डल्लेवाल व पंधेर को हिरासत में लिया तो किसानों में आक्रोश फैल गया। किसानों ने बैरिकेड हटाने की कोशिश की जिससे पुलिस व किसानों में धक्का-मुक्की हुई।

जानकारी के मुताबिक पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों ने किसानों से यह कहते हुए नेशनल हाइवे खोलने की अपील की कि इससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है पर किसानों ने बात मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद उनसे केवल एक ओर का रास्ता खोलने की अपील की गई, परंतु किसान नहीं माने। बैठक के बाद चंडीगढ़ से शंभू व खनौरी लौट रहे किसानों को पुलिस ने रास्ते में ही पकड़ना शुरू कर दिया।

बता दें किसानों ने 13 फरवरी, 2024 को शंभू व खनौरी बार्डर पर एक साथ धरना शुरू किया था। किसानों के धरने के कारण हरियाणा पुलिस की ओर से बैरिकेडिंग करके इस रास्ते को बंद कर दिया गया है जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही थी तथा उद्योग-धंधे प्रभावित हो रहे थे। जिस तरह से कार्रवाई हुई है, उससे स्पष्ट कि यह रणनीति केंद्र व पंजाब सरकार के अधिकारियों ने मिलकर तय की है।

अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौटे

फ्लोरिडा समुद्र तट पर लैंडिंग, डॉल्फिन्स ने किया स्वागत

फ्लोरिडा: अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर, साथ ही नासा के निक हैग और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोर्बुनोव, नौ महीने 14 दिन के लंबे मिशन के बाद पृथ्वी पर वापस लौटे हैं। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान द्वारा सुरक्षित रूप से फ्लोरिडा के तट पर उतारा गया था। धरती पर लौटे अंतरिक्ष यात्रियों को एक सुंदर और अप्रत्याशित अनुभव हुआ। उनका स्वागत डॉल्फिन्स ने किया। ड्रैगन कैप्सूल के समुद्र में उतरते ही डॉल्फिन कैप्सूल के आसपास तैरते हुए देखे गए।

यह एक लगभग जादुई क्षण था जब डॉल्फिन ने ड्रैगन कैप्सूल के चारों ओर चक्कर लगाया, इससे पहले कि इसे रिकवरी पोत पर रखा जाता। रिकवरी टीम ने कैप्सूल के साइड हैच को सावधानी से खोला, जो सितंबर के बाद से पहली बार खुला था। अंतरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल से बाहर निकाला गया और 45 दिनों के पुनर्वास कार्यक्रम के लिए ह्यूस्टन ले जाया गया। क्रू-9 की पृथ्वी पर वापसी में अपनी चुनौतियां थीं।

मूल रूप से, यह मिशन (जो बोइंग के स्टारलाइनर की पहली चालक दल वाली उड़ान होने वाला था) केवल आठ दिनों तक चलने वाला था। हालांकि, स्टारलाइनर कैप्सूल के साथ तकनीकी समस्याओं के कारण, विलियम्स और विलमोर अंतरिक्ष में फंस गए थे। स्टारलाइनर के प्रणोदन समस्याओं के चलते सितंबर में इसकी वापसी बिना चालक दल के हुई।

वापसी की अनिश्चितता के कारण, नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेसएक्स के क्रू-9 मिशन में फिर से सौंप दिया। सितंबर में, स्पेसएक्स ने उन्हें वापस लाने के लिए एक ड्रैगन अंतरिक्ष यान भेजा, जिसमें चार के बजाय केवल दो चालक दल के सदस्य थे, ताकि फंसे हुए अंतरिक्ष यात्रियों को समायोजित किया जा सके। फाल्कन 9 रॉकेट पर ड्रैगन कैप्सूल को मिशन के लिए लॉन्च किया गया था। क्रू-10 ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर क्रू-9 की जगह ले ली है।

चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, पैन कार्ड के बाद अब, वोटर आईडी भी होगा आधार से लिंक

नई दिल्ली: वोटर आईडी को आधार से लिंक करने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार को हुई एक अहम बैठक में देश के निर्वाचन आयोग ने इन दोनों को आपस में जोड़ने की अनुमति दे दी है। आयोग ने साफ किया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत ही होगी।

चुनाव आयोग की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के अनुसार ईपीआईसी को आधार से जोड़ा जाएगा। इससे पहले सरकार ने पैन कार्ड को आधार से जोड़ने का फैसला किया था। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आधार कार्ड सिर्फ पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं। इसलिए आधार से लिंक करने की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि सिर्फ भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में दर्ज हों। आयोग ने कहा, “संविधान के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही मिल सकता है। आधार सिर्फ व्यक्ति की पहचान साबित करता है, उसकी नागरिकता नहीं। इसलिए इस प्रक्रिया को कानूनी दायरे में रखा जाएगा और सुप्रीम कोर्ट के सिविल के फैसले के अनुरूप आगे बढ़ाया जाएगा।” चुनाव आयोग और आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही इस पर काम शुरू करेंगे। इस पूरी प्रक्रिया को साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए किया जाएगा, ताकि कोई भी नागरिकता से जुड़ा भ्रम न फैले।

दरअसल, चुनाव आयोग ने हाल ही में फैसला लिया था कि वो अगले तीन महीने के भीतर डुप्लिकेट नंबर वाले वोटर आईडी को नए EPIC नंबर जारी करेगा। चुनाव आयोग ने कहा थआ कि डुप्लिकेट नंबर होने का मतलब फर्जी वोटर नहीं है। आधार को EPIC से जोड़ने के पीछे का मुख्य उद्देश्य वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को दूर करना और उसे साफ सुथरा बनाना है. चुनाव आयोग का मानना है कि इस कदम से फर्जी वोटरों की पहचान करने में मदद मिलेगी।