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नूपुर शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर 15 पूर्व न्यायाधीश व 77 पूर्व नौकरशाहों ने की आलोचना

निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ की गई कोर्ट की टिप्पणी- “देश में जो हो रहा है उसके लिए नूपुर शर्मा अकेले जिम्मेदार है” की आलोचना 15 पूर्व न्यायाधीशों, 77 पूर्व नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के 25 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने की है।

आज जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ की “दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व टिप्पणियां” न्यायिक लोकाचार के अनुरूप नहीं है। साथ ही इस तरह के अपमानजनक रवैये का न्यायपालिका के इतिहास में कोई समानांतर नहीं है।“

आगे कहा गया है कि दोनों जजो द्वारा की गई दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों ने देश-विदेश में लोगों को सदमा पहुंचाया है। और इस मुद्दे को समाचार चैनलों द्वारा एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है जो की बिल्कुल सही नहीं है। ये टिप्पणियां न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं। और लोग सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर स्तब्ध है। साथ ही अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को जुड़वाना कानूनी अधिकार है।“

“सुप्रीम कोर्ट ने बिना कारण याचिका सुनने से मना किया है यह याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने के बजाय, याचिका का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। ऐस कर के याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने व हाईकोर्ट से संपर्क करने के लिए मजबूर किया। सुप्रीम कोर्ट यह जानता है कि हाईकोर्ट के पास एफआईआर को स्थानांतरित करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट बिना नोटिस जारी किए अन्य जांच एजेंसियों पर टिप्पणी की है वे चिंता का विषय है।“

आपको बता दे, नूपुर शर्मा ने टीवी शो में पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की थी जिसके बाद से लोगों में विरोध पैदा हो गया था। और उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की दो युवको ने सिर काट कर नृशंस हत्या कर दी थी।

इस मामले में नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि देश भर में उनके खिलाफ दर्ज हुई सभी एफआईआर को एक साथ जोड़कर दिल्ली स्थानांतरित किया जाए। साथ ही अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि उन्हें और परिवार को सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

किंतु अदालत ने 1 जुलाई को उनकी याचिका को खारिज तो किया ही था साथ ही नूपुर पर तीखी टिप्पणियां भी की थी। और आज जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ की “दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व टिप्पणियां” न्यायिक लोकाचार के अनुरूप नहीं है। साथ ही इस तरह के अपमानजनक रवैये का न्यायपालिका के इतिहास में कोई समानांतर नहीं है।“

राहुल गांधी के बयान को गलत संदर्भ में चलाने के मामले में एंकर रोहित रंजन को नोएडा पुलिस ने लिया हिरासत में

राहुल गांधी के एक बयान को गलत संदर्भ में चलाने के मामले में ज़ी टीवी के एक न्यूज़ एंकर रोहित रंजन को मंगलवार को छत्तीसगढ़ पुलिस उनके घर पहुंच गर्इ। जिसके बाद नोएडा और छत्तीसगढ़ पुलिस एक दूसरे के साथ भिड़ती नजर आर्इ। और अंत मे नोएडा पुलिस ने रोहित रंजन को गिरफ्तार कर लिया।

आपको बता दें, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के केरल के वायनाड कार्यालय पर युवकों द्वारा हमला किया गया था और तोड़-फोड़ की गर्इ थी और इस मामले पर बयान देते हुए राहुल ने कहा था कि, “जिन बच्चों ने ऐसा किया है, उन्हें माफ कर दो।”

किंतु राहुल गांधी के इस बयान की वीडियो को ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित रंजन ने अपने शो डीएनए में 1 जुलाई को इस प्रकार जिक्र किया जैसे वह उदयपुर दर्जी के हत्यारों को माफ करने की बात कर रहे है। यह वीडियो भाजपा नेता राज्यवर्धन राठौर ने भी शेयर किया था।

इसके बाद से एंकर के खिलाफ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मामले दर्ज किए गए थे। साथ ही राज्यवर्धन के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गयी है।

बताते चलें, मामले में चैनल ने माफी मांगी थी। साथ ही एंकर रंजन ने अपने शो में कहा कि, “कल हमारे शो डीएनए में राहुल गांधी के बयान को उदयपुर की घटना से जोड़कर गलत संदर्भ में लिया गया, यह एक मानवीय भूल थी जिसके लिए हमारी टीम माफी मांगती है।“

राहुल के बयान को उदयपुर से जोड़ने वाले भाजपाईयों पर एफआईआर दर्ज

भाजपा सांसद राज्यवर्धन राठौड़ सहित कई पार्टी नेताओं के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वायनाड से जुड़े बयान को उदयपुर की नृशंस घटना से जोड़कर बताने के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। कांग्रेस ने यह एफआईआर दर्ज करवाई हैं जिनमें कहा गया है कि राहुल गांधी के वायनाड स्थित उनके दफ्तर पर हमला करने वाले लड़कों को बच्चा कहा था जबकि भाजपा नेताओं ने इसे उदयपुर के दर्जी हत्याकांड के हत्यारों से जोड़ दिया।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेरा ने सोमवार को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी। खेरा ने कहा – ”राहुल के ब्यान को झूठे तरीके से पेश किए जाने के मामले में एमपी के बिलासपुर में राज्यवर्धन राठौड़ और चार अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है। हमने उनपर राहुल गांधी के बयान को फेक न्यूज की तरह फैलाने का आरोप लगाया है।’

बता दें कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने हलके वायनाड के दौरे के दौरान अपने वायनाड स्थित दफ्तर में की गयी तोड़फोड़ के आरोपियों के बारे में कहा था कि ‘वे बच्चे हैं, उन्हें माफ कर देना चाहिए’। लेकिन ज़ी टीवी ने चला दिया कि उदयपुर में जिन्होंने कत्ल किया है उनके बारे में राहुल गांधी कह रहे हैं कि बच्चे हैं, उनको माफ कर देना चाहिए।’ इसके बाद भाजपा नेताओं ने इसे उद्धत करते हुए सोशल मीडिया पर इसे वायरल कर दिया।

खेरा ने कहा कि हमने छह राज्यों में राज्यवर्धन राठौड़, भोला सिंह सहित कई विधायक और सांसद के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा – ‘हमारे प्रिय नेता (राहुल गांधी) के खिलाफ फेक न्यूज बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राहुल गांधी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र केरल के वायनाड के कार्यालय में तोड़फोड़ के संदर्भ में बयान दिया था जबकि भाजपा नेताओं ने इसे उदयपुर की घटना से जोड़ दिया।’

उनके मुताबिक एक मामला जयपुर में भी दर्ज हुआ है। भाजपा के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यवर्धन राठौड़, सेना के मेजर सुरेन्द्र पूनिया और उत्तर प्रदेश के विधायक कमलेश सैनी समेत कई अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जयपुर के बनीपार्क थाने में कांग्रेस नेता राम सिंह ने भादंसं की धारा 504, 505, 153ए, 295ए, 120बी आईपीसी और आईटी एक्ट 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया गया है।

शिंदे को 164 विधायको ने दिया वोट, पवार बोले 6 महीने नहीं चलेगी सरकार

महाराष्ट्र विधानसभा में नए सीएम एकनाथ शिंदे ने आज (सोमवार) विश्वास मत हासिल कर लियाा है और कुल 164 विधायको ने उनके हक में वोट किया है। रविवार को शिव सेना के उनके गुट और भाजपा के साझे उम्मीदवार राहुल नार्वेकर स्पीकर चुन लिए गए थे। इस बीच शिव सेना के उद्धव गुट के 16 विधायकों को लेकर स्पीकर के संभावित फैसले के खिलाफ उद्धव गुट कोर्ट की शरण में जा सकता है। इस बीच एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा है कि नवगठित सरकार अगले छह महीने में गिर सकती है, लिहाजा हमें चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए।

राज्य विधानसभा के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को आज विश्वास मत का सामना करना है। वैसे रविवार को विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार की जीत से फ्लोर टेस्ट का रास्ता शिंदे के लिए आसान दिख रहा है।

रविवार को हुए स्पीकर के चुनाव में शिंदे गुट-भाजपा के साझे उम्मीदवार राहुल नार्वेकर को 164 वोट मिले जबकि जबकि एमवीए उम्मीदवार (उद्धव) राहुल साल्वे को 107 वोट ही मिले। विधानसभा में सदस्यों की संख्या 288 है, जिसमें से एक का निधन हो चुका है। शिवसेना के 39 बागी सदस्यों को निकालने के बाद कुल सदस्यों की संख्या 248 हो जाती है, जिसके बाद बहुमत का आंकड़ा 125 रह जाता है।

ऐसे में अगर सपा, एआईएमआईएम और सीपीएम के विधायक और जेल में बंद एनसीपी विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक भी उद्धव गुट के पक्ष में वोट डालते हैं, तो भी उनकी संख्या 125 तक नहीं पहुंच पाएगी।

इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव होने की संभावना है, क्योंकि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार अगले छह महीने में गिर सकती है। पवार ने यहां रविवार शाम को राकांपा विधायकों और पार्टी के अन्य नेताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही।

जम्मू-कश्मीर: भाजपा का पदाधिकारी निकले आतंकी के पास से मिले बड़ी मात्रा में हथियार

भाजपा के आर्इटी और सोशल मीडिया सेल में पदाधिकारी रहे तालिब हुसैन और अमद डार दो आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियारों को बरामद किया गया है। उसे रविवार को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में गिरफ्तार किया गया था। भाजपा का यह पदाधिकारी लश्कर का आतंकी निकला है और भाजपा ने स्वीकार किया है कि संभवता वह ऑनलाइन पार्टी से जुड़ा हुआ था।

गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने आतंकी तालिब हुसैन के बताने पर उसके ठिकाने से और हथियार बरामद किये हैं जो राजौरी जिले के द्रज में मिले हैं। पुलिस ने तालिब के इस ठिकाने से 6 स्टिकी बम, एक पिस्तौल, तीन पिस्टल मैगज़ीन, दो ग्लॉक पिस्टल, एक 30 बोर पिस्टल, एक यूबीजीएल लांचर, तीन यूबीजीएल ग्रेनेड, 75 एके के राउंड, 15 ग्लॉक पिस्टल राउंड, पिस्टल के 30 बोर राउंड और एंटीना के साथ एक आईईडी रिमोट बरामद किये हैं।

याद रहे राजोरी के निवासी तालिब को टुकसन गांव में स्थानीय ग्रामीणों की मदद से पुलिस ने एक अन्य लश्कर-ए-तैयबा आतंकी के साथ गिरफ्तार किया था। भाजपा का यह पदाधिकारी लश्कर का आतंकी निकला है और भाजपा ने स्वीकार किया है कि संभवता वह ऑनलाइन पार्टी से जुड़ा। दूसरे आतंकी जिसका नाम फजल अहमद डार है यह कश्मीर के बारामूला का निवासी है।

ग्रामीणों ने दोनों आतंकियों को काबू कर पुलिस के हवाले कर दिया था। जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी ने खूंखार आतंकियों को पकड़वाने के लिए गांव वालों को दो लाख रुपये के पुरुस्कार की घोषणा की घोषणा की है। यह आतंकी कई गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

कुल्लू में गहरी खाई में गिरी बस, छात्रों सहित 11 लोगों की मौत

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक बड़े हादसे में सोमवार को कम से कम 11 लोगों की मौत हो गयी है जिनमें स्कूल के बच्चे भी शामिल हैं। हादसे में काफी लोग गंभीर घायल हो गए हैं।

हादसा तब हुआ जब करीब 40 लोगों को ले जा रही एक निजी बस सैंज इलाके के सेंशर में करीब 200 मीटर गहरी खाई में जा गिरी। हादसा इतना भीषण था कि बस के परखचे उड़ गए। हादसे में 11 से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका है। इनमें स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। स्थानीय ग्रामीणों ने भी बचाव अभियान में सहयोग किया। हादसा कुल्लू जिले के शैंशर में हुआ। बस में स्कूल के बच्चे और अन्य लोग भी थे।

बस जब जांगला गांव के पास पहुँची तो अचानक चालक के नियंत्रण खो देने से करीब 200 मीटर गहरी खाई में जा गिरी। हादसा सुबह करीब 8.30 बजे हुआ। बस शैंशर से औट की तरफ जा रही थी।

अधिकारियों ने बताया कि बचाव कार्य जारी है। अब तक 16 शव मिल चुके हैं। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती किया गया है। कई यात्रियों के शव बस के भीतर फंस गए जिससे निकालने में कठिनाई हुई। राहत कार्य जारी है।

नक़ली नोटों का नेटवर्क

नोटबंदी के बावजूद फल-फूल रहा नक़ली मुद्रा का धंधा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 देश में जब विमुद्रीकरण की घोषणा की, तो उन्होंने कहा था कि यह फ़ैसला देश में नक़ली मुद्रा (करेंसी) की कमर तोड़ देगा। नक़ली मुद्रा तो ज्यों-की-त्यों रह गयी, पर लोगों ने ज़रूर कई महीने तक मुसीबत झेली। देश में अभी भी सरकारी एजेंसियों की नाक के नीचे नक़ली नोटों का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। नक़ली मुद्रा का यह रैकेट देश भर में फैला हुआ है। इसका ख़ुलासा कर रही है तहलका एसआईटी की यह रिपोर्ट :-

भारतीय रिजर्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट, जिसमें कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी मूल्यवर्ग के नक़ली नोटों में वृद्धि हुई है; ‘तहलका’ ने नक़ली मुद्रा पर जाँच की है। जाँच में नक़ली मुद्रा रैकेट का पर्दाफ़ाश होता है, जो देश भर में फैला हुआ है। अपने बटुए में रखी नक़दी को लेकर आप भी नहीं जानते होंगे कि यह नक़ली मुद्रा हो सकती है। यानी पाकिस्तान में छपे और बांग्लादेश के माध्यम से यहाँ पहुँचे नोट। यह सब विमुद्रीकरण के बावजूद है, जिसका एक प्रमुख लक्ष्य नक़ली मुद्रा को ख़त्म करना था। निश्चित ही नक़ली मुद्रा का प्रचलन सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर के रहने वाले बशीर अहमद भट्ट, जिसने स्वीकार किया कि वह भारत में आईएसआई के लिए काम करता है; ने मुझे 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान छिपे हुए कैमरे पर नक़ली मुद्रा मार्ग के बारे में बताया। उसने बताया कि ‘यह पाकिस्तान से जुड़ा मामला है और मुद्रा बांग्लादेश से होकर आती है। वहाँ (पाकिस्तान) के मास्टरमाइंड इसे (भारतीय नक़ली मुद्रा रैकेट) चला रहे हैं। उन्होंने बांग्लादेश में टकसाल स्थापित की है।’

कहानी के दौरान, जो अब सार्वजनिक है; बशीर ने कई क़ुबूलनामे किये। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने सन् 2019 के आम चुनाव में नक़ली नोटों की आपूर्ति की थी? बशीर ने कहा- ‘हाँ, नक़ली पैसा ग़रीब मतदाताओं के बीच शराब के लिए वितरित किया जाता है। किसी को 1,000 रुपये, किसी को 2,000 रुपये, किसी को 3,000 रुपये मिलते हैं। पार्टी एजेंट पश्चिम बंगाल से खेप उठाते हैं।’ रेट के बारे में पूछे जाने पर बशीर का जवाब था- ‘यह फिफ्टी-फिफ्टी है। एक लाख रुपये के नक़ली नोटों के लिए आपको 50,000 रुपये के असली नोट देने होते हैं।’
सन् 2019 के आम चुनाव की यह कहानी सार्वजनिक होने के बाद बशीर $गायब हो गया। आज तक हमें उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन भारतीय प्रणाली में अभी भी कई बशीर मौज़ूद हैं। सन् 2019 के पिछले भारतीय आम चुनावों के तीन साल बाद अब 2022 में ‘तहलका’ ने हिन्दी भाषी क्षेत्रों में ऐसे लोगों को पकड़ा, जो नक़ली नोटों का कारोबार करते हैं। इन लोगों ने न केवल विभिन्न भारतीय चुनावों, बल्कि आम जनता को अपने दैनिक जीवन को चलाने के लिए नक़ली मुद्रा नोटों की आपूर्ति की है।
हम पहली बार रोहित शर्मा से मिले, जो लम्बे समय से नक़ली नोटों का कारोबार करता है। हमसे मिलने के फ़ौरन बाद रोहित शर्मा ने हमें अपना नक़ली करेंसी एक्सचेंज रेट (नक़ली नोट लेने का भाव) बताया। उसके मुताबिक, हमें उसे 3,00,000 रुपये नक़ली नोटों के लिए 1,00,000 रुपये देने होंगे।

रोहित : एक का तीन मिलता है।
रिपोर्टर : मैं आपको एक लाख दूँगा…, एक का मतलब तीन?
रोहित : तीन लाख रुपये दूँगा मैं आपको।
रिपोर्टर : मैं एक लाख दूँगा…, आप मुझे नक़ली नोट के तीन लाख दोगे?
रोहित : हाँ।
रोहित शर्मा ने क़ुबूल किया कि चुनावों के दौरान नक़ली नोटों की माँग बढ़ जाती है और उन्हें नक़ली नोटों के ढेर सारे ऑर्डर मिलते हैं।
रिपोर्टर : अभी चुनाव में तो तुम्हारा काम बढ़ गया होगा। कितना बढ़ गया?
रोहित : अभी चालू होने वाला है। धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बढ़ेगा थोड़ा-थोड़ा। चुनाव में ही तो ज़्यादा काम आता है।
रिपोर्टर : ज़्यादा आता है?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कौन लोग आते हैं ज़्यादा, चुनाव में?
रोहित : सांसद, विधायक के काम आते हैं हमारे पास। विधायक के चुनाव हैं अब।
रिपोर्टर : विधायक, सांसद ख़ुद आते हैं या उनके लोग आते हैं?
रोहित : लोग आते हैं उनके।
रोहित ने अब ख़ुलासा किया कि उसने एक दिन में सबसे ज़्यादा नक़ली नोटों की आपूर्ति की है।
रिपोर्टर : आपने एक दिन में सबसे ज़्यादा कितना माल
सप्लाई किया है?

रोहित : 10 लाख रुपये, एक दिन में।
रिपोर्टर : करें हैं?
रोहित : हाँ।
जब आगे बात की गयी, तो रोहित ने स्वीकार किया कि नक़ली मुद्रा की आपूर्ति देशव्यापी है।
रिपोर्टर : देश में कहाँ-कहाँ सप्लाई कर सकते हैं?
रोहित : हमारा देश बहुत बड़ा है…, कहीं भी कर सकते हैं।
रिपोर्टर : कहीं भी कर सकते हैं?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कश्मीर-दक्षिण?
रोहित : हाँ, नोट तो यहीं के हैं, कोई हॉन्गकॉन्ग का नोट तो है नहीं।
रिपोर्टर : हॉन्गकॉन्ग क्या?
रोहित : हॉन्गकॉन्ग देश का है नहीं हमारे पास।
रोहित शर्मा ने अब हमें आश्वासन दिया कि उनकी नक़ली मुद्रा बैंकों को छोड़कर पूरे भारत में काम करेगी।
रिपोर्टर : मतलब कोई पकड़ न पाये नक़ली नोट, दे रहे आप हमें?
रोहित : हमारा काम पक्का है। कान पकड़ लेना हमारा। मार्केट में कहीं भी घूम लेना। पूरे हिन्दुस्तान घूम लेना, कहीं भी।
रिपोर्टर : किस बारे में हिन्दुस्तान में घूम आएँ?
रोहित : इसी बारे में कि कहीं पर चला सकते हैं…, बैंक छोड़कर।
रिपोर्टर : नोटों के बारे में?

रोहित शर्मा ने अब नक़ली नोटों के मूल्यवर्ग का ख़ुलासा किया, जो वह हमें आपूर्ति करेगा।
रिपोर्टर : ये माल जो लेंगे आपसे, इसमें कौन-कौन से नोट होंगे?
रोहित : ये होंगे 50 के, 100 के।
रिपोर्टर : 500 का नहीं होगा?
रोहित : नहीं, बड़े माल पर शक होता है। …500 पर।
रिपोर्टर : बड़े माल पर क्या होता है?
रोहित : शक…, 500, 2000 पर शक होता है। जैसे आदमी बैंक में जाएगा।
रिपोर्टर : 500 वाले में शक ज़्यादा होता है?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : 100-50 में कम होता है?
रोहित : हाँ।

हमारी माँग पर रोहित हमारे लिए भी 500 और 2,000 के नक़ली नोटों की व्यवस्था करने को तैयार हो गया।
रिपोर्टर : हमारे लिए कौन-कौन सा मँगा सकते हो?
रोहित : कौन-सा मँगाना है? बताएँ!
रिपोर्टर : 500?
रोहित : 500 मँगवा देंगे।
रिपोर्टर : 2,000?
रोहित : 2,000 का भी आ जाएगा।
रिपोर्टर : 50 और 100? वो तो आ ही जाएँगे?
रोहित : हाँ।

रोहित ने अब क़ुबूल किया कि उसने नक़ली नोटों में इतना नाम कमा लिया है कि दूर-दराज़ के लोग उससे मिलने आते हैं। लेकिन उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमारे मामले में वह ख़ुद हमारे यहाँ हमसे मिलने
आये थे।
रोहित : मेरे पास लोग चले आते हैं कहाँ-कहाँ से। मैं आपके पास चलकर आया हूँ।
रिपोर्टर : लोग आते हैं?
रोहित : हाँ; पता नहीं कहाँ-कहाँ से?
रिपोर्टर : बहुत-बहुत धन्यवाद।
रोहित : मैं आपके पास चला आया हूँ।

रोहित ने स्वीकार किया कि राजस्थान के सरपंच के चुनाव में उसने नक़ली नोटों की आपूर्ति की थी।
रोहित : राजस्थान में सरपंच का चुनाव हुआ था। पैसा बहुत जाता है।
रिपोर्टर : उसका ऑर्डर आया था आपके पास?
रोहित : हाँ।
(रोहित ने बताया कि उसे राजस्थान के सरपंच चुनाव में नक़ली नोटों की आपूर्ति करने का आदेश मिला था।)

रोहित शर्मा ने अब इस नक़ली करेंसी के धंधे में शामिल लोगों की संख्या का ख़ुलासा किया और हमें अपना कमीशन भी बताया।
रिपोर्टर : तो आपका इसमें कितना कमीशन होता है?
रोहित : इसमें मेरे अकेले का नहीं है, काफ़ी लोगों का कमीशन होता है। 10 किसी के, 20 किसी के, 50 किसी के…, ऐसा होता है…। सबका कमीशन होता है।
रिपोर्टर : 10,000, 20,000 या लाख?
रोहित : हाँ, जैसे रक़म आयी, ऐसे बढिय़ा काम हो गया…। जैसे 10 लाख आयी, उसमें से लाख-लाख उठ जाती है।
रिपोर्टर : अच्छा-अच्छा, लाख आपका हो गया, लाख किसी और का होगा, मतलब चेन है पूरी?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कितने लोग हैं आपकी चेन में?
रोहित : कोई गिनती नहीं।
रिपोर्टर : बहुत सारे हैं?
रोहित : एक-दूसरे से लिंक हैं। आप से हो गयी। मुझसे हो गयी। ऐसे हो जाती है।
रिपोर्टर : आपको नहीं लगता जितने ज़्यादा लोग होंगे, उतना ज़्यादा ख़तरा है?
रोहित : नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।
रिपोर्टर : तो आप इसी काम से पैसा कमाते हो?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : महीने में कितना कमा लेते हो। लाख-दो लाख?
रोहित : हाँ, दो-तीन लाख कमा लेता हूँ।
जैसे ही रोहित शर्मा के साथ बैठक आगे बढ़ी, उन्होंने ख़ुलासा किया कि नक़ली नोट देने के लिए उन्हें एक दिन चाहिए।
रिपोर्टर : जैसे आज हम ऑर्डर करते हैं 10 लाख का, कब दे
दोगे हमें?
रोहित : आज देते हो, तो कल आ जाना।
रिपोर्टर : कल आ जाएँ?
रोहित : हाँ।
रोहित के बाद अब हम नक़ली नोटों का कारोबार करने वाले एक और शख़्स वीरपाल से मिले। वीरपाल उनके हेल्प डेस्क पर काम करने वाली आईटी कम्पनी का पूर्व कर्मचारी था। रोहित की तरह वीरपाल भी वर्षों से नक़ली करेंसी के धंधे में है। हमारे मिलने के तुरन्त बाद उसने हमें अपनी नक़ली मुद्रा दर बतायी। उसने कहा कि वह हमें एक लाख रुपये में दो लाख रुपये का नक़ली माल देगा।
वीरपाल : वहाँ से मिलेगा एक का डबल।
रिपोर्टर : कहाँ से?
वीरपाल : जहाँ से भी आएगा, वहाँ से आएगा एक का डबल।
रिपोर्टर : एक का डबल मानें तो?
वीरपाल : एक लाख के दो लाख मिलेंगे।
रिपोर्टर : एक लाख के हम असली नोट देंगे और दो लाख के आप नक़ली नोट दोगे?
वीरपाल : हाँ।
वीरपाल ने हमें सलाह दी कि चूँकि उसके सभी नक़ली नोट एक ही क्रमांक के होंगे, इसलिए हमें उन्हें किसी को भी एक बार में नहीं देना चाहिए। उसने हमें उन्हें हिस्सों में देने की सलाह दी, अन्यथा हम पकड़े जाएँगे।
वीरपाल : जो मैं आपको बता रहा हूँ, वो ही साफ़ रहेगा। नोट नक़ली आपका चलेगा मार्केट में, ये नहीं है कि अब आप एक लाख किसी को दें… वो तो पकड़ा जाएगा। आज भी, या कल भी, क्योंकि एक ही सीरियल नंबर के हैं। अगर उसने ध्यान दिया.. और ध्यान क्यों नहीं देगा…, बड़े नोट हैं। हर बंदा ध्यान देगा।
रिपोर्टर : इसमें तो ये है कि छोटे-छोटे नोट दिये जाएँ। एक साथ गड्डी दे दें?
वीरपाल : गड्डी में नहीं दे सकते। गड्डी में दि$क्क़त है।
रिपोर्टर : गड्डी में तो पकड़ा जाएगा न?
वीरपाल : पकड़ा जाएगा भाई! आप किसी को एक लाख रुपये दे रहे हों। उसमें 10,000 नक़ली मिक्स करके दे दो। 50,000 दे रहे हो तो उसमें 10,000 मिक्स कर दो।
रिपोर्टर : पूरा नहीं दे सकते?
वीरपाल : पकड़े जाएँगे आप। एक बंदे को पकड़ लिया, तो ख़त्म है कहानी।

जैसे-जैसे बैठक आगे बढ़ी, वीरपाल ने ख़ुलासा किया कि उसने दिल्ली, नोएडा और मेरठ में नक़ली नोटों की आपूर्ति की है।
रिपोर्टर : आपकी सप्लाई वैसे कहाँ-कहाँ रही है, वीरपाल जी! नक़ली नोटों की?
वीरपाल : सेक्टर-37 नोएडा में, दिल्ली के कुछ बंदे थे। मेरठ किया है। मेरठ में काफ़ी किया है। मेरठ के आसपास देवबंद पूरा उधर किया है।
वीरपाल ने कहा कि वह हमें एक हफ़्ते में छ: लाख रुपये के नक़ली नोटों की आपूर्ति कर सकता है।
रिपोर्टर : एक बार में आप कितने दे सकते हैं नोट?
वीरपाल : एक बार में क्या बताऊँ भाई… ज़्यादा के लफड़े में नहीं पडऩा…। दो-तीन लाख रुपये कर दूँगा; …तीन लाख रुपये।
रिपोर्टर : एक दिन में?
वीरपाल : आप हफ़्ते में दो बार लगा लीजिए।
रिपोर्टर : मतलब हफ़्ते में छ: लाख रुपये, नक़ली नोट?
वीरपाल : हफ़्ते में छ: लाख रुपये नक़ली के दे सकता हूँ। क्योंकि मैं इतना बड़ा रिस्क नहीं लूँगा कि मैं पैसे समेत वहाँ पकड़ा जाऊँ…। आपका तो हो गया, दुश्मन ज़िन्दगी भर का… मैं वहाँ पड़ा हुआ हूँ जेल में।
रिपोर्टर : अच्छा चुनाव चल रहा है। चुनाव की कोई माँग आयी आपके पास?
वीरपाल : मेरे पास नहीं आयी।
रिपोर्टर : उसके पास?
वीरपाल : उसके पास तो चल रहा है.., वो कहाँ $खाली बैठा है।
रिपोर्टर : चल रहा है काम उसका?
वीरपाल : वो कर रहा है अपना।
वीरपाल ने अब क़ुबूल किया कि कैसे वह और उसके दोस्त रात में नक़ली नोटों का इस्तेमाल बाज़ार में सामान ख़रीदने के लिए करते थे।
रिपोर्टर : आपका, किसी का भी नहीं पकड़ा गया? …आपका, न समीर का, न तीसरे का?
वीरपाल : पकड़ा जाता, कुछ-न-कुछ तो होता। हम शाम को चलते थे। 9-10 बजे फ्री हो जाते थे अपना। कई-कई बोरी तो सब्ज़ी हो जाती थी। गुटखे इतने हो जाते थे।
रिपोर्टर : वो ही नक़ली नोट से?
वीरपाल : हाँ।
जाली नोटों पर ‘तहलका’ की छानबीन से वह सब साबित हो जाता है, जो भारतीय रिजर्व बैंक की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट कहती है। विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म पर छपी रिपोट्र्स के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में सभी मूल्यवर्ग के जाली नोटों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है। आरबीआई ने पिछले वर्ष की तुलना में 500 रुपये मूल्यवर्ग के 101.9 फ़ीसदी अधिक नक़ली नोट और 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के 54.16 फ़ीसदी अधिक नक़ली नोटों का पता लगाया।
आरबीआई की इस रिपोर्ट ने विपक्षी दलों को सन् 2016 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के विमुद्रीकरण क़दम पर हमला करने के लिए मसाला प्रदान किया है। हमारी सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, बढ़ी हुई जालसाज़ी को पाकिस्तान से निरंतर समर्थन मिलता है, जहाँ से अधिकांश नक़ली नोट आते हैं। पड़ोसी देश का कथित उद्देश्य भारतीय अर्थ-व्यवस्था को अस्थिर करना है। सीमा पार की सुविधाओं में मुद्रित होने के बाद नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात में अच्छी तरह स्थापित वितरण नेटवर्क के माध्यम से भारत में इसकी तस्करी की जाती है। पिछले साल चीन के रास्ते का इस्तेमाल नक़ली नोटों की खेप भारत भेजने के लिए किया गया था।
नशीली दवाओं के तस्करों और हथियारों के तस्करों के साथ-साथ संगठित अपराध गिरोह और लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) जैसे आतंकवादी संगठन भी इस कमाऊ मशीन का हिस्सा हैं। वास्तव मे आईएम के यासीन भटकल सहित गिर$फ्तार आतंकवादी गुर्गों की पूछताछ से पता चलता है कि आतंकवादी समूहों ने नक़ली मुद्रा कारोबार से प्राप्त आय का उपयोग हथियारों और विस्फोटक ख़रीद, भर्ती और कैडरों की घुसपैठ जैसी अन्य विध्वंसक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया है।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि चुनावों में पर्याप्त मात्रा में धन का उपयोग किया जाता है, जिसमें पहले से कहीं अधिक बड़े पैमाने पर नक़दी का उपयोग शामिल है। ऐसे में जब तक मज़बूत क़दम नहीं उठाये जाते, हमारी नाक के नीचे भारी मात्रा में नक़ली धन प्रचलन में रहेगा, जो अराजक आर्थिक स्थिति पैदा करेगा। इससे मुद्रास्फीति में भी बढ़ोतरी होगी।
कोई इसे मानने को तैयार हो या न हो; लेकिन सच तो यह है कि पाकिस्तान अपनी एजेंसी आईएसआई के ज़रिये भारत में विनाशकारी प्रभाव से आर्थिक उथल-पुथल मचाने पर आमादा है। राजनीतिक बातचीत जारी रह सकती है; लेकिन भारत को देश में आर्थिक स्थिरता जैसे मामलों पर अपने दृष्टिकोण में यथार्थवादी और व्यावहारिक होने की ज़रूरत है।

ख़तरे की मुद्रा

नक़ली नोटों के मामले में 2021-22 में 10.7 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। इनमें से 2,000 रुपये मूल्य के नक़ली नोटों में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2021-22 में 55 फ़ीसदी की वृद्धि हुई, जबकि 500 रुपये के नक़ली नोटों में 102 फ़ीसदी की। यह कोई अतिशयोक्तिपूर्ण अनुमान नहीं, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के आँकड़े हैं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में पाये गये भारत में मौज़ूद कुल नक़ली नोटों में से 6.9 फ़ीसदी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में और 93.1 फ़ीसदी अन्य बैंकों में पाये गये। दरअसल, राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 2016 के बाद पिछले पाँच साल में ज़ब्त किये गये नक़ली नोटों को लेकर बताया कि 2020 में 8,34,947 नोट, 2019 में 2,87,404 नोट, 2018 में 2,57,243 नोट, 2017 में 3,55,994 और 2016 में 2,81,839 नोट ज़ब्त किये गये।

इससे पता चलता है कि नक़ली नोटों से वास्तविक ख़तरा कितना बड़ा है। दरअसल ये नक़ली नोट हू-ब-हू असली नोटों की तरह दिखते हैं और एक ही जैसे विशेष काग़ज़ पर छपे हुए प्रतीत होते हैं। इनमें सुरक्षा की वही विशेषताएँ दिखती हैं, जो केवल सरकारी प्रेस ही प्रदान कर सकती है। खोजी पत्रकारिता की अपनी परम्परा को जारी रखते हुए ‘तहलका’ की विशेष जाँच टीम ने इस बार की कवर स्टोरी के ज़रिये नक़ली नोटों के नेटवर्क और उसके तौर-तरीक़ों का भंडाफोड़ किया है। वास्तव में इंटेलिजेंस ब्यूरो की तरफ़ से पुलिस महानिदेशकों के एक सम्मेलन में भाग लेने वालों ने पकड़े गये नक़ली नोटों को हक़ीक़त में मौज़ूद नक़ली नोटों से कहीं कम बताया था।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एक पूर्व चेयरमैन ने मज़ाक़ में मुझसे कहा था कि मेरे बटुए में जितने नोट हैं, उनमें से एक-तिहाई नक़ली हो सकते हैं। आजकल प्रचलन में नक़ली नोटों की गुणवत्ता कितनी अच्छी है, यह एक बैंकर की टिप्पणी से समझा जा सकता है, जिन्होंने कहा- ‘ऐसा लगता है कि नक़ली नोट उसी प्रेस में छपे हैं, जहाँ असली मुद्रा छपती है।’

यह आम धारणा है कि पाकिस्तान भारत में नक़ली नोट भेजकर भारतीय मुद्रा को सरप्लस करके मुद्रास्फीति बढ़ाने, असली मुद्रा की वैल्यू कम करने और हमारे अपने बिलों में विश्वास की कमी पैदा करके भारत के ख़िलाफ़ छद्म युद्ध लड़ रहा है। इसकी ज़मीनी हक़ीक़त बहुत भयावह है। बिडम्वना यह है कि नोटबंदी के बाद छप रहे नोटों के बीच नक़ली नोटों को पहचानना बहुत मुश्किल है; जबकि पुराने नोटों के बीच चल आने वाले नक़ली नोट को छूने और ध्यान से देखने से ही पता चल जाता था कि वह नक़ली है। आज के ज़माने के जालसाज़ संगठित और तकनीक की समझ रखने वाले लोग हैं। जालसाज़ों को पकडऩे और जड़ से ख़त्म करने के लिए देश भर के सभी खुदरा बिक्री काउंटरों और बैंकों पर बड़े पैमाने पर सही तकनीकी विकल्पों को तैनात करने की तत्काल ज़रूरत है। साथ ही आरबीआई को मुद्रा (नोटों) में अधिक सुरक्षा विशेषताओं को शामिल करना चाहिए, ताकि एक आम व्यक्ति भी असली-नक़ली का भेद कर सके।

आरबीआई की कैशलेस व्यवस्था बनाने की कोशिश निश्चित ही एक स्वागत योग्य क़दम है। इसके बेहतर नतीजे आने शुरू हो गये हैं। भारत में डिजिटल भुगतान में 2021-22 के दौरान 33 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। इस दौरान कुल 7,422 करोड़ रुपये का डिजिटल भुगतान लेन-देन दर्ज किया गया, जो 2020-21 के 5,554 करोड़ रुपये के लेन-देन से काफ़ी अधिक है। वास्तव में नक़ली मुद्रा एक ऐसी चुनौती है, जिस पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है।

राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू मज़बूत

अगले लोकसभा चुनाव के लिए एकजुटता की कोशिश में जुटे विपक्ष ने अन्तिम समय में जीत की उम्मीद से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार चुना था। लेकिन इसके तुरन्त बाद भाजपा (एनडीए) ने आदिवासी पृष्ठभूमि वाली द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार घोषित करके मज़बूत दावेदारी पेश कर दी। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुर्मू के प्रस्तावक बने और उनके नामांकन में साथ गये। यह दावेदारी यूपीए के घटक दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) समेत कुछ अन्य के मुर्मू को समर्थन के ऐलान से और मज़बूत दिखती है। बसपा प्रमुख मायावती ने सिन्हा की उम्मीदवारी में विपक्ष पर उनकी सलाह न लेने का आरोप लगाते हुए मुर्मू को समर्थन की बात कही है। एक समय राष्ट्रपति चुनाव में काँटे की टक्कर दिख रही थी; लेकिन उम्मीदवार घोषित होते ही एनडीए का पलड़ा भारी हो गया।

अनुभवी यशवंत सिन्हा ने भी नामांकन पत्र दाख़िल कर दिया है। उनका राजनीतिक क़द निश्चित ही बड़ा है। लेकिन राजनीतिक और प्रशासकीय अनुभव वाली द्रोपदी मुर्मू के नाम की घोषणा होते ही उनके गृह राज्य ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजद से लेकर आंध्र प्रदेश की वाईएसआर और झारखण्ड की यूपीए की सहयोगी जेएमएम तक ने उनका समर्थन कर दिया। इससे भाजपा के सामने जीत के लिए मतों का जो टोटा था, वह लगभग बढ़त में बदल गया। राष्ट्रपति का चुनाव विपक्ष के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी ताक़त और एकजुटता दिखाने का बड़ा अवसर था। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। महाराष्ट्र की राजनीतिक घटनाओं ने भी विपक्ष का काम मुश्किल किया है। माकपा ने भी टीएमसी के साथ अपने राजनीतिक विरोध के आधार पर सिन्हा को समर्थन देने से हाथ खींच लिये। लिहाज़ा राष्ट्रपति चुनाव से राजनीतिक संकेत यही गया है कि फ़िलहाल विपक्षी दल मानसिक रूप से साथ आने के लिए अभी भी तैयार नहीं हैं। इसी साल के आख़िर में देश में कुछ विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। उससे पहले राष्ट्रपति चुनाव में यदि विपक्ष मज़बूत मुक़ाबला करता, तो देश की जनता में उसके प्रति अच्छा संकेत जाता। उम्मीदवारों की घोषणा से पहले तक भाजपा के पास बहुमत लायक मत नहीं थे। ऐसे में विपक्ष के पास पूरा अवसर था कि वह सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन पर दबाव बनाता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब बैठक के लिए दिल्ली आयीं, तो उनकी मुलाक़ात पहले ही दिन एनसीपी नेता शरद पवार के साथ हुई। अगले दिन जब बैठक में ममता ने पवार का नाम प्रस्तावित किया, तो उन्होंने मना कर दिया। फिर ममता ने राजमोहन गाँधी और फ़ारूक़ अब्दुल्ला के नाम प्रस्तावित किये। फ़ारूक़ ने मना कर दिया और गाँधी का जवाब आता, उससे पहले ही यशवंत सिन्हा का नाम सामने आ गया। ज़ाहिर है विपक्ष ने बिना रणनीति और बिना अन्य विपक्षी दलों को भरोसे में लिये ऐसा किया। राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी तय करने में जिस विपक्ष ने कोई ठोस रणनीति बनाना ज़रूरी नहीं समझा, उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में साथ आएगा। दरअसल सबके अपने अहं हैं। ज़्यादातर क्षेत्रीय दल इस डर से कांग्रेस को ताक़तवर नहीं होने देना चाहते कि कहीं कांग्रेस के मज़बूत होने से उनकी सत्ता $खतरे में न पड़ जाए।

एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू
आदिवासी समुदाय से सम्बन्ध रखने वाली और द्रौपदी मुर्मू जीत जाती हैं, तो वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति और पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। उनका जन्म बिरंची नारायण टुडू के घर 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज में हुआ। सन् 1997 से भाजपा से जुड़ी मुर्मू ने स्नातक भुवनेश्वर के रामा देवी महिला कॉलेज से किया इसके बाद वह सन् 1979 में ओडिशा के बिजली महकमे में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर नौकरी करने लगीं। यह नौकरी उन्होंने सन् 1983 तक की। इसके बाद सन् 1994 में रायरंगपुर में अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में अध्यापिका बनकर वहाँ सन् 1997 तक काम किया।

राजनीति में आने के बाद मुर्मू सन् 1997 में रायरंगपुर ज़िले में ज़िला पार्षद और उपाध्यक्ष चुनी गयीं। सन् 2002 से सन् 2009 तक मयूरभंज ज़िला भाजपा का अध्यक्ष रहीं। सन् 2004 में रायरंगपुर सीट से वह विधानसभा के लिए चुनी गयीं और सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनीं। बाद में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, एसटी मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष (2009 तक) रहीं। वह सन् 2013 से सन् 2015 तक भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रहीं।

सन् 2015 में जब झारखण्ड अलग राज्य बना, तो मुर्मू वहाँ की राज्यपाल बनायी गयीं। इस पद पर वह सन् 2021 तक रहीं। उनका विवाह श्यामाचरण मुर्मू के साथ हुआ था, जिनसे उन्हें तीन बच्चे हुए। हालाँकि उन्होंने इनमें से दो बेटों और अपने पति को खो दिया। फ़िलहाल उनकी एक बेटी इतिश्री ही हैं, जो विवाहित हैं। मुर्मू सन् 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए ओडिशा विधानसभा के नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं।

विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा
विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को पटना के एक कायस्थ परिवार में हुआ। उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में सन् 1960 तक बतौर शिक्षक काम किया। इस दौरान उन्होंने आईएएस की तैयारी जारी रखी। सन् 1960 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ। उन्होंने बतौर प्रशासनिक अधिकारी 24 साल तक काम किया। इस दौरान वह कई अहम पदों पर रहे।

सिन्हा बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो साल तक उप-सचिव और सचिव के पद पर रहे। बाद में उनकी नियुक्ति भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में उप-सचिव के पद पर हो गयी। सिन्हा ने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय दूतावास में अहम ज़िम्मेदारी भी सँभाली। वह सन् 1971 से सन् 1974 तक जर्मनी में भारतीय दूतावास के पहले सचिव रहे। सन् 1986 में वह जनता पार्टी में बतौर महासचिव शामिल हुए। सन् 1988 में राज्यसभा के लिए चुने गये। वह सन् 1990-91 में चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री के पद पर रहे। इसके बाद सन् 1998 से सन् 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रहे। सिन्हा ने सन् 2009 को भाजपा के उपाध्यक्ष पद से त्याग-पत्र दे दिया और सन् 2018 में भाजपा छोड़ दी। फिर सन् 2021 में ममता बनर्जी की टीएमसी में शामिल हो गये। राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए उन्होंने 23 जून को टीएमसी से त्याग-पत्र दे दिया।
कौन, किसके साथ?

एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जदयू, एआईएडीएमके, लोक जन शक्ति पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले), एनपीपी, एनपीएफ, एमएनएफ, एनडीपीपी, एसकेएम, एजीपी, पीएमके, एआईएनआर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी, यूडीपी, आईपीएफटी, यूपीपीएल जैसी पार्टियों का समर्थन है। लोकसभा की तीन और विधानसभा की सात सीटों के नतीजों में भी एनडीए के मत बढ़े हैं। उधर यूपीए (विपक्ष) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम), समाजवादी पार्टी, रालोद, आरएसपी, टीआरएस, डीएमके, नेशनल कॉन्फ्रेंस, भाकपा, राजद जैसे दल शामिल हैं। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी, टीडीपी, झामुमो, शिअद ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। महाराष्ट्र की स्थिति भी साफ़ नहीं है। अभी तक का गणित देखें, तो एनडीए के पास छ: लाख से ऊपर वोट हैं।

बेरोज़गारी का अग्निपथ

केंद्र की योजना पर देश भर में मचा बवाल

नोटबंदी, जीएसटी और कृषि क़ानूनों से लेकर सेना भर्ती की अग्निपथ योजना तक सुधार (रिफॉम्र्स) की मोदी सरकार की योजनाएँ विवादों में घिरी हैं और जनता को इसमें लाभ की जगह नुक़सान और जोखिम अधिक नज़र आया है। क्या जनता सरकार को समझ नहीं पा रही या सरकार जनता और देश की स्थितियों और ज़रूरतों को समझे बिना जल्दबाज़ी में रिफॉम्र्स की योजनाएँ ला रही है? अग्निपथ योजना के विरोध में जिस तरह देश में युवाओं ने आन्दोलन किया, उससे ज़ाहिर होता है कि रोज़गार इस देश की कितनी विकराल समस्या बन चुका है। अग्निपथ योजना के तमाम पहलुओं पर मुदित माथुर की ख़ास रिपोर्ट :-

विमुद्रीकरण की अचानक घोषणा के साथ शुरू हुई मोदी सरकार की चौंकाने वाली योजना-प्रवृत्ति अभी जारी है। अतिशयोक्तिपूर्ण शैली के साथ अपने प्रमुख नीतिगत फ़ैसलों और हितधारकों के साथ किसी भी परामर्श तंत्र का पालन किये बिना सरकार की घोषणाओं पर सवाल उठे हैं। भागीदारी की इस परम्परा को लोकतंत्र और लोकाचार के ख़िलाफ़ बताते हुए जानकारों ने भी इन फ़ैसलों पर नाक-भौं सिकोड़ी है। वे बेरोज़गार युवा, जिन्होंने हर साल दो करोड़ नौकरियाँ पैदा करने के उनके चुनावी वादों के लिए मोदी सरकार पर भरोसा किया और उनका समर्थन किया; अब नयी सेना भर्ती योजना अग्निपथ की घोषणा के बाद भारतीय रक्षा बलों के ज़रिये देश सेवा करने और इसका एक गौरवशाली सिपाही बनने के अपने सपने को टूटता हुआ महसूस कर रहे हैं।

यह मोदी सरकार पर एक मज़ाक़ जैसा ठप्पा लगने जैसा है कि वह पहले तो सभी हितधारकों को विश्वास में लिये बिना बड़े नीतिगत निर्णयों की घोषणा करती है, और बाद में व्यापक प्रतिक्रिया या असन्तोष या दोनों के कारण उनमें परिवर्तन या फेरबदल की घोषणा शुरू कर देती है; जैसा कि उसने कृषि क़ानूनों के मामले में किया था। सरकार का तरीक़ा कमोबेश एक जैसा रहा है, चाहे वह विमुद्रीकरण हो, जीएसटी रोल आउट हो, भूमि अधिग्रहण विधेयक हो, कृषि क़ानून हों या सीएए और एनआरसी क़ानून हों। उसने हर बार अपनी नीति के मूल संस्करण को कई बदलावों के साथ इतना बदल दिया कि वह पहचानने लायक ही नहीं रही।

अग्निपथ, जो एक अल्पकालिक सैन्य भर्ती योजना है; स्वतंत्रता के बाद रक्षा क्षेत्र में प्रमुख नीतिगत बदलाव की शृंखला में नवीनतम योजना है। अग्निपथ योजना की अकल्पनीय और नाटकीय घोषणा के बाद देश ने युवाओं में ग़ुस्से की एक बड़ी लहर देखी, जिसमें बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। युवाओं का धैर्य टूटता दिखा, जो भारतीय सेना और अर्ध-सैन्य बलों में लम्बित भर्ती अभियान को फिर शुरू करने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। सशस्त्र बलों की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के बीच बढ़ते असन्तोष ने केंद्र को नयी योजना शुरू करने के एक सप्ताह के भीतर इसमें फेरबदल करने को मजबूर कर दिया।

केंद्र सरकार की 14 जून को घोषित अग्निपथ योजना थल सेना, नौसेना या वायु सेना में 17.5 साल से 21 आयु वर्ग के युवाओं को केवल चार साल की अवधि के लिए रोज़गार प्रदान करती है, जिसमें उनमें से 25 फ़ीसदी को 15 और वर्षों के लिए बनाये रखने का प्रावधान है। वहीं 75 फ़ीसदी को निकाल दिये जाने की योजना है। सड़कों पर बड़े पैमाने पर अशान्ति को देखते हुए केंद्र ने अग्निवीर की भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को 21 साल से 23 साल के लिए संशोधित किया; सिर्फ वर्तमान भर्ती सत्र के लिए। इसके बाद केंद्र की योजना के ख़िलाफ़ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए और यह असन्तोष अभी भी बना हुआ है।

इस योजना की मुख्य विशेषताएँ युवाओं के लक्षित वर्गों को आकर्षित करने में विफल रहीं, जो वोटों का बड़ा हिस्सा बनाते हैं। अग्निवीर अनिवार्य रूप से युद्ध या सुरक्षा सम्बन्धी कर्तव्यों के लिए प्रशिक्षित सैनिक नहीं होंगे। योजना के बाद देश युवाओं में ग़ुस्से को देखते हुए सरकार ने नुक़सान की भरपाई का बोझ तीनों सेना प्रमुखों पर डाल दिया और सरकार चुप्पी साध गयी। वास्तव में यह योजना रहस्य में डूबी एक पहेली है। क्योंकि कोई नहीं जानता कि अग्निपथ योजना क्यों लायी गयी? इसके मकसद क्या हैं? यह योजना छोटी और लम्बी अवधि में किसकी मदद करती है?

भारतीय क्षेत्र में कथित चीनी घुसपैठ और सीमा पार आतंकवाद पर बढ़ती चिन्ताओं के मद्देनज़र भारतीय सेना को अभी सैनिकों की भर्ती की ज़रूरत है; क्योंकि सन् 2018 के बाद कोई भर्ती अभियान नहीं हुआ है और कोरोना महामारी ने प्रक्रिया में और देरी की है। यह तर्क कि सेना को युवा शक्ति की आवश्यकता है, पूरी तरह से ग़लत, भ्रामक और असंबद्ध पाया गया। क्योंकि सैनिकों की ड्यूटी चार साल की सेवा पूरी करने के बाद भी सभी अग्निवीरों को काम पर रखने की केंद्र की योजना नहीं है। जिन 25 फ़ीसदी को बनाये रखा जाएगा, वे मुख्य रूप से रसोइया, चपरासी, क्लर्क आदि जैसी नौकरियों में प्रशिक्षित होंगे। अन्य क्षेत्रों में 10 फ़ीसदी तक अवशोषण की सम्भावना नहीं है; क्योंकि अर्धसैनिक बलों, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में 50 फ़ीसदी आरक्षण पहले से मौज़ूद है। इसलिए इसके परिणामस्वरूप समाज में क़ानूनी और सामाजिक संघर्ष हो सकते हैं।

रक्षा मंत्रालय ने 14 जून को कहा कि अग्निपथ देशभक्त और प्रेरित युवाओं को चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में सेवा करने का अवसर देता है। इसकी अधिसूचना में कहा गया है कि एआरओ रैली कार्यक्रम के अनुसार अग्निवीर जनरल ड्यूटी, अग्निवीर तकनीकी, अग्निवीर तकनीकी (विमानन / गोला बारूद परीक्षक), अग्निवीर क्लर्क / स्टोर कीपर तकनीकी, अग्निवीर ट्रेड्समैन (10वीं पास) और अग्निवीर ट्रेड्समैन (8वीं पास) के लिए सम्बन्धित सेना भर्ती कार्यालयों (एआरओ) द्वारा जुलाई से पंजीकरण खोले जाएँगे।

अग्निपथ योजना किसी भी रेजिमेंट या ब्रिगेड का हिस्सा नहीं होगा और नियमित सेना में भर्ती होने वालों की तुलना में एक अलग पहचान चिह्न धारण करेगा। इस प्रकार वे संविदात्मक रोज़गार पर होंगे। रोज़गार की ऐसी शर्तें सशस्त्र बलों की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के मानस पर मनोबल गिराने वाला प्रभाव डाल सकती हैं, जो मोदी सरकार से अप्रत्याशित झटके के कारण सड़कों पर हिंसक रूप से अपना ग़ुस्सा दिखा चुके हैं।

अग्निपथ देश की बोरोज़गारी की बड़ी समस्या के निवारण की कोई उम्मीद नहीं जगाती। यह बाज़ार उन्मुख कौशल के लिए अग्निवीरों को प्रशिक्षित नहीं करेगी। किसी भी निजी नियोक्ता को गोला-बारूद परीक्षक, सेना स्टोर कीपर की आवश्यकता नहीं होगी। इसलिए चार साल की सेवा के बाद उनका भविष्य अनिश्चितताओं के अँधेरे में लटका हुआ है। आगे चौथे वर्ष में एक अग्निवीर को 40,000 रुपये प्रति माह वेतन और सेवा अवधि पूरी होने पर उन्हें 11.71 लाख रुपये का कर-मुक्त सेवा निधि पैकेज प्राप्त होगा, जो कर्मचारी-नियोक्ता के समान मासिक योगदान और उस पर ब्याज के भविष्य निधि प्रकार के संचय के समान है।
योजना में प्रावधान है कि अग्निवीरों के प्रत्येक विशिष्ट बैच के 25 फ़ीसदी तक सशस्त्र बलों के नियमित संवर्ग में नामांकित किया जाएगा। वर्तमान में बाज़ार में एक सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति 10,000 से 15,000 रुपये प्रति माह के बीच है। चार साल के बाद वेतन में इतनी भारी कटौती सामाजिक तनाव पैदा करेगी और इसके परिणामस्वरूप हिंसक उथल-पुथल हो सकती है।

नीति की 14 जून को घोषणा के बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, तेलंगना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, पंजाब, झारखण्ड और असम सहित विभिन्न राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये। जैसे ही कुछ स्थानों पर आन्दोलन तेज़ हुआ, प्रदर्शनकारियों ने रेल गाडिय़ों और वाहनों को आग लगा दी, जिससे निजी और सार्वजनिक सम्पत्ति का विकट नुक़सान हुआ। देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों के कारण रेल सेवाएँ बाधित हुईं। चल रहे आन्दोलन के कारण पूरे देश में लगभग 600 ट्रेन सेवाएँ प्रभावित हुई हैं।

इसलिए अग्निवीरों की भर्ती से देश में बोरोज़गारी के परिदृश्य में कोई क्रान्तिकारी सुधारात्मक परिवर्तन नहीं होने जा रहा है; क्योंकि यह समुद्र में एक बूँद भर है। संक्षेप में यह योजना युवा पीढ़ी को उत्साहित करने में विफल रही है। सत्तारूढ़ $खेमे में भी यह महसूस किया गया है कि यह योजना भाजपा को अपेक्षित राजनीतिक लाभ नहीं देगी। अग्निपथ पर विरोध का ज़िक्र किये बिना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समारोह में इसका बचाव किया और कहा कि सरकार की कई अच्छी योजनाओं का राजनीतिकरण किया गया है। इसके तुरन्त बाद इंडिया इंक (औपचारिक क्षेत्र) ने बढ़ते असन्तोष को शान्त करने के उद्देश्य से भविष्य के अग्निपथ सेवानिवृत्त लोगों के लिए अपने दरवाज़े खोलने की पेशकश की। अंबानी, टाटा और महिंद्रा जैसे उद्योगपतियों को यह आश्वासन देने के लिए लाया गया कि इन अग्निवीरों को कॉर्पोरेट जगत में सेवानिवृत्ति के बाद उचित प्लेसमेंट मिलेगा। एक वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने तो इन अग्निवीरों को पार्टी कार्यालयों में सुरक्षा गार्ड की नौकरी देने की बात कह दी, जिसके बाद उन्हें लोगों की जबरदस्त आलोचना झेलनी पड़ी। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि अग्निवीरों को चार साल की सेवा के बाद राज्य सरकार में गारंटीकृत नौकरी प्रदान की जाएगी।

विपक्षी भी विरोध मेंअग्निपथ योजना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अग्निपथ योजना वापस लेनी होगी। सरकार सशस्त्र बलों को कमज़ोर कर रही है। राहुल गाँधी ने कहा कि सरकार चाहे कुछ भी करे, वह नौकरी नहीं दे पाएगी। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को दो-तीन उद्योगपतियों को सौंप दिया है, जो युवाओं को रोज़गार सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कार्यक्रम की मदद से अपना सशस्त्र कैडर बनाने की कोशिश कर रही है। वे (अग्निवीर) चार साल बाद क्या करेंगे? जनता दल सेक्युलर के नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि यह सेना को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के नियंत्रण में लाने और अपने एजेंडे को लागू करने की एक चाल है। ख़ास पंचायत के नेताओं और कुछ किसान संघ के प्रतिनिधियों ने रोहतक ज़िले के सांपला क़स्बे में एक बैठक की, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के विभिन्न ख़ासों और अन्य सामुदायिक समूहों ने भाग लिया। बैठक में छात्र संगठनों के सदस्य भी शामिल हुए। बैठक में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के राजनेताओं और इस योजना का समर्थन करने वाले कॉरपोरेट घरानों के बहिष्कार की भी घोषणा की गयी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अग्निपथ योजना न तो देश के हित में है और न ही युवाओं के हित में है। यह भर्ती होने वाले 75 फ़ीसदी युवाओं के भविष्य से जुड़ा सवाल है। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि सरकार को सांसदों और विधायकों के भारी भत्तों, सुविधाओं और पेंशन पर अंकुश लगाने के साथ बचत की शुरुआत करनी चाहिए, न कि सेना की भर्ती से।

“भाजपा सरकार ख़ुद को राष्ट्रवादी कहती है। लेकिन अग्निपथ योजना के माध्यम से सशस्त्र बलों को कमज़ोर कर रही है। अग्निवीर के ज़रिये इस सरकार ने युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में जाने के लिए अन्तिम उपाय को भी बन्द कर दिया है।“
राहुल गाँधी
कांग्रेस नेता