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झारखण्ड: पेशे का रूप ले रही राजनीति!

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफ़े की उठी माँग, चर्चा है कि फिर कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

पिछले कुछ वर्षों में देश के राजनीतिक माहौल में तेज़ी से बदलाव आया है। समाज में अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के जीवन में कोई सुधार नहीं आया है। राजनीतिक दलों के समानता का अधिकार देने के वादे, सबको छत, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार और अन्न आदि देने के दावे ज़मीनी हक़ीक़त से कोसों दूर हैं। समाज सेवा के लिए बनी राजनीति अब कहीं-न-कहीं पेशे का रूप ले रही है। झारखण्ड भी इससे अछूता नहीं है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री और मंत्री जैसे गरिमामयी पदों पर बैठे लोगों की सदस्यता पर भी प्रश्न चिह्न लग रहे हैं। राज्यपाल और चुनाव आयोग के साथ-साथ मामले न्यायालय तक पहुँच रहे हैं। नतीजतन राजनेता से लेकर नौकरशाह तक सभी इसी में उलझे हुए हैं। झारखण्ड में पिछले एक महीने से विकास के मुद्दे गौण हैं। प्रदेश के हालात पर बता रहे हैं प्रशांत झा :-

झारखण्ड एक बार फिर नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है। मौज़ूदा हेमंत सरकार में भूचाल आया हुआ है। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और विधायक अपनी-अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं। मुख्यमंत्री, एक अन्य मंत्री और दो विधायकों की सदस्यता पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। वहीं सरकार के एक मंत्री कोरोना प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी के विवाद में फँसे हुए हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। सरकार हिलडुल रही है। विकास का बाट जोह रही जनता अँधेरे में है। हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं? सरकार रहेगी या गिरेगी? अगर गठबंधन की सरकार रहेगी, तो अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? क्या भाजपा तोडफ़ोड़ कर सरकार बनाएगी? क्या राज्य में एक बार फिर राष्ट्रपति शासन लगेगा?

ये तमाम सवाल राजनीतिक गलियारे से लेकर आम लोगों के बीच तैर रहे हैं। सभी अपनी-अपनी दलीले दे रहे हैं। यह हो सकता है, वो हो सकता है। इस सियासी तूफ़ान के बीच एक आईएएस पूजा सिंघल पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी और करोड़ों रुपये मिलने ने आग में घी का काम कर दिया है। क्योंकि आईएएस पूजा सिंघल खान एवं उद्योग विभाग की सचिव हैं। पूर्व सरकार में तो गहरी पैठ थी ही, वतर्मान सरकार में भी पहुँच कम नहीं है। कई और आईएएस अधिकारियों के ईडी के राडार पर होने की सूचना प्राप्त हो रही है। इस सियासी और ब्यूरोक्रेसी तूफ़ान पर राज्य के साथ-साथ पूरे देश की नज़र टिकी हुई है और ऊँट किस करवट बैठता है? इसका इंतज़ार हो रहा है।

मुख्यमंत्री की सदस्यता पर सवाल

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता ख़तरे में हैं। उन्होंने रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल (3,562.24 वर्ग मीटर) ज़मीन पर दिसंबर, 2021 में स्टोन माइनिंग का लीज लिया है। ख़ास बात यह है कि खान विभाग मुख्यमंत्री के अधीन ही है। पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने इस मामले को उजागार किया। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए माइंस लेने का आरोप लगाया। भाजपा की ओर से इसकी शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की गयी। मुख्यमंत्री की सदस्यता पर सवाल उठाते हुए उन्हें बर्ख़ास्त करने की माँग की गयी। राज्यपाल ने सारे मामले से चुनाव आयोग को अवगत कराया और सलाह माँगी।

चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस

चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेजकर यह बताने के लिए कहा कि अपने पक्ष खदान का पट्टा जारी करने के लिए उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए? जो प्रथम दृष्टया लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-9(ए) का उल्लंघन करती है। धारा-9(ए) सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से सम्बन्धित है। इससे पहले आयोग ने दस्तावेज़ की सत्यता प्रमाणित करने लिए राज्य के मुख्य सचिव से रिपोर्ट माँगी थी। मुख्य सचिव से रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेजा गया। इस बीच मुख्यमंत्री ने खनन पट्टा वापस कर दिया है।

मुख्यमंत्री ने दिया जवाब

मुख्यमंत्री ने 9 मई को चुनाव आयोग को जवाब दे दिया है। उन्होंने अपनी माँ की गम्भीर बीमारी का हवाला देते हुए ज़िक्र किया है कि वह लगातार उपचार के सिलसिले में हैदराबाद में थे। इस वजह से आयोग द्वारा भेजे गये नोटिस का अध्ययन नहीं कर पाये। रिपोर्ट का ठीक से अध्ययन करने उस पर क़ानूनी सलाह लेने के लिए वक़्त की ज़रूरत है। हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग से एक माह का समय माँगा, ताकि वह नोटिस का अध्ययन कर क़ानूनी विशेषज्ञों से राय लें सकें। अब चुनाव आयोग उनकी बातों से कितना सन्तुष्ट होता है और क्या क़दम उठाता है? राज्यपाल को क्या सलाह देता है? इसका इंतज़ार है।

हेमंत के बचाव में उतरा झामुमो

इस बीच झामुमो कई फ्रंट पर काम कर रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो उनके बचाव में उतर गया है। मुख्मंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफ़ा देने की स्थिति में वैकिल्पक रास्ता भी तलाशा जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा को घेरने का प्रयास चल रहा है। झामुमो ने हेमंत सोरेन के बचाव में राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया गया। झामुमो नेताओं का कहना है कि माइनिंग लीज धारा-9(ए) के तहत नहीं आता है। साथ ही मुख्यमंत्री ने इस पर काम भी शुरू नहीं किया है। उन्होंने लीज सरेंडर भी कर दिया है। पार्टी द्वारा कहा जा रहा है कि अगर मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ असंवैधानिक क़दम उठाये जाते हैं, तो वह सर्वोच्च न्यायालय जाएँगे। अगर मुख्यमंत्री हेमंत को पद से इस्तीफ़ा देना ही पड़ा, तो गठबंधन की सरकार में किसे मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है? इसकी भी अंदरख़ाने क़वायद चल रही है। इधर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर कई आरोप लगाये जा रहे हैं। उनके ख़िलाफ़ जाँच की माँग की जा रही है। भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने और जनता को दिग्भ्रमित करने का आरोप लगाया जा रहा है।

हेमंत के भाई पर भी संकट

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई विधायक बसंत सोरेन भी संकट में हैं। उनकी सदस्यता पर भी सवाल उठाया गया है। बसंत सोरेन पर दुमका में माइनिंग लीज लेने का मामला है। भाजपा ने इस सन्दर्भ में भी राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था। भाजपा ने राज्यपाल को सौंपे पत्र में कहा था कि विधायक बसंत सोरेन मेसर्स ग्रैंड माइनिंग नामक कम्पनी चलाते हैं। पश्चिम बंगाल की कम्पनी मेसर्स चंद्रा स्टोन में पार्टनर हैं। पाकुड़ की इनकी माइनिंग कम्पनी पर सरकार का 14 करोड़ रुपये बक़ाया है। राज्यपाल ने उनका भी मामला चुनाव आयोग को भेजा था। चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव से बसंत सोरेन के बारे में भी रिपोर्ट माँगी थी, जो आयोग को उपलब्ध करा दिया गया। इसके बाद पिछले दिनों आयोग ने बसंत सोरेन को भी नोटिस भेजते हुए पूछा है कि क्यों न आपकी सदस्यता रद्द की जाए? वह भी क़ानूनी सलाह ले रहे और जल्द ही आयोग को जवाब देंगे।

मंत्री मिथिलेश भी निशाने पर

झारखण्ड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर की सदस्यता का भी मामला चुनाव आयोग पहुँचा है। विधानसभा चुनाव के समय उनके द्वारा ठेका कम्पनी संचालित किये जाने तथा इसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-9(ए) के दायरे में आने की शिकायत मिलने के बाद आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से इस पर नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा है। शिकायतकर्ता सुनील महतो ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान मिथिलेश ठाकुर द्वारा भरे गये फार्म-26 में इसका ज़िक्र है कि वह चाईबासा के सत्यम् बिल्डर्स के पार्टनर हैं। यह कम्पनी सरकारी ठेका लेने का काम करती है। विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी राज्य सरकार के साथ की गयी कई संविदाएँ अस्तित्व में थीं। शिकायत में ऐसी कई संविदाओं का उल्लेख भी किया गया है। शिकायतकर्ता ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उनकी सदस्यता रद्द करने की माँग की है।

भाजपा विधायक भी घेरे में

भाजपा विधायक समरीलाल भी इन सभी के पीछे-पीछे चल रहे हैं। उनकी सदस्यता को लेकर भी आरोप लग रहे हैं। समरीलाल ने आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा था। उनके जाति प्रमाण-पत्र को अवैध करार दिया गया है। उनकी सदस्यता को रद्द करने का आग्रह किया गया है। समरीलाल ने राज्य सरकार के उस आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका दाख़िल की है, जिसमें उनका अनुसूचित जाति प्रमाण-पत्र रद्द कर दिया गया है।

कल्याण सचिव की अध्यक्षता में गठित जाति छानबीन समिति ने सुरेश बैठा की शिकायत की जाँच के बाद उनका जाति प्रमाण-पत्र गलत पाया था। इसके बाद इस मामले को आवश्यक कार्रवाई के लिए राजभवन भेज दिया गया था। अब राजभवन कोर्ट के $फैसले का इंतज़ार कर रहा है।

कांग्रेस कोटे से मंत्री विवाद में

इन सब के बीच हेमंत सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता भी विवादों में फँस गये हैं। उनके पास स्वास्थ्य विभाग है। निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता पर कोरोना के लिए प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने दस्तावेज़ पेश करते हुए कहा कि बन्ना गुप्ता समेत उनके कार्यालय के 58 कर्मचारियों ने कोरोना-काल में काम के लिए प्रोत्साहन राशि ख़ुद ले ली है। बन्ना गुप्ता ने आनन-फ़ानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और राशि भुगतान नहीं होने की बात कही। हालाँकि राशि लेने के लिए काग़ज़ी कार्रवाई पूरी हो गयी थी। बन्ना गुप्ता ने सरयू राय के ख़िलाफ़ न्यायालय में मानहानि का दावा किया है। साथ ही मंत्री बन्ना गुप्ता के अवर सचिव विजय वर्मा ने विधायक सरयू राय पर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है।

सड़क पर भाजपा-झामुमो

राज्य के ब्यूरोक्रेसी में 6 मई को बड़ी हलचल हुई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएएस पूजा सिंघल और उनके क़रीबियों के लगभग दो दर्ज़न ठिकानों पर एक साथ छापा मारा। झारखण्ड के रांची, खूँटी के अलावा बिहार, राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर, कोलकाता आदि जगहों पर टीम पहुँची। पूजा सिंघल के सरकारी आवास उनके पति अभिषेक झा और सीए सुमन कुमार के घर पर छापा मारा गया। पति अभिषेक और सीए सुमन कुमार के घर से 19 करोड़ रुपये नक़द बरामद हुए। इसके अलावा करोड़ों के निवेश और शैल कम्पनियों के सुबूत मिले हैं। सुमन कुमार को गिरफ़्तार कर लिया गया है। पूजा सिंघल और अभिषेक झा से पूछताछ चल रही है। पूजा सिंघल वर्तमान में खान एवं उद्योग विभाग की सचिव हैं। इसलिए भाजपा सरकार पर हमलावार हैं। वहीं पूजा सिंघल पर जिन मामलों (मनरेगा राशि और माइंस मामले) को लेकर कार्रवाई चल रही है, वह भाजपा के शासन काल का है। उस वक़्त वह उपायुक्त थीं। लिहाज़ा झामुमो भी हमलावार है। दोनों तरफ़ से बयानबाज़ी और सड़कों पर धरना-प्रदर्शन जारी है। झामुमो केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं पर दुरुपयोग का आरोप लगा रही। वहीं भाजपा राज्य सरकार की विफलता, सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचार पनपने और पूजा सिंघल के मामले को सीबीआई जाँच कराने की माँग कर रही है।

सियासी घमासान में जनता गौण

राज्य में सियासी घमासान पिछले एक महीने से मचा है। सभी की नज़र राजभवन पर टिकी हुई है। हालात बाता रहे है कि आने वाले दिनों में झारखण्ड पर से संकट के बादल छँटने के आसार कम ही हैं। क्योंकि चर्चा है कि जल्द ही दो और मामलों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग से नोटिस भेजे जाने की उम्मीद है।

उधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरने के माइनिंग लीज का मामला, उनके परिवार में आय से अधिक सम्पत्ति का मामले को लेकर झारखण्ड उच्च न्यायालय में पीआईएल दाख़िल है। जिस पर जल्द ही सुनवाई शुरू होने वाली है। वहीं, आईएएस पूजा सिंघल मामले में कई ख़ुलासे होंगे। साथ ही पिछले दिनों आरोपित आईएएस और आईपीएस की सूची राजभवन ने सरकार से माँगी थी। जो राजभवन को उपलब्ध करा दिया गया है। इसमें आधा दर्ज़न अधिकारियों के नाम हैं। इनके ख़िलाफ़ भी जल्द ही जाँच एजेंसियाँ क़दम उठाएँगी। पिछले एक महीने से राज्य इन्हीं सब में उलझा हुआ है। नया वित्तीय वर्ष का एक महीना बीत चुका है। पिछले एक महीने में विकास की बात कहीं से निकलकर नहीं आ रही। जनमुद्दे, जनसमस्या और विकास गौण है। जनता पाँच साल के लिए चुने जनप्रतिनिधियों की तरफ़ विकास और अपना हित करने के लिए मुँह ताक रही है। उनके पास एक ही सवाल है- आख़िर राज्य की स्थिति कब और कैसे बदलेगी?

कोरोना से ज़्यादा मौतें दिखाने से भारत नाख़ुश

डब्ल्यूएचओ के मॉडलों की वैधता और डाटा संग्रह की पद्धति को बताया संदिग्ध

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में कोरोना से मौतों का आँकड़ा सरकार के आधिकारिक आँकड़ों से क़रीब 10 गुना ज़्यादा अर्थात् 47.4 लाख बताया गया है। हालाँकि भारत ने प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता को देखते हुए अधिक मृत्यु दर अनुमान के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जतायी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ज़्यादा मृत्यु दर के आँकड़ों ने कई सवाल उठाये हैं; क्योंकि भारत का कहना है कि इस्तेमाल किये गये मॉडलों की वैधता और डेटा संग्रह की पद्धति संदिग्ध हैं।

भारत लगातार डब्ल्यूएचओ द्वारा गणितीय मॉडल के आधार पर अधिक मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिए अपनायी गयी कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताता रहा है। इस मॉडलिंग अभ्यास की प्रक्रिया, कार्यप्रणाली और परिणाम पर भारत की आपत्ति के बावजूद, डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिन्ताओं पर पर्याप्त रूप से ध्यान दिये बिना अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।

भारत ने डब्ल्यूएचओ को यह भी सूचित किया था कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के माध्यम से प्रकाशित प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता को देखते हुए गणितीय मॉडल का उपयोग भारत के लिए अतिरिक्त मृत्यु संख्या पेश करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। सरकार का कहना रहा है कि भारत में जन्म और मृत्यु की पंजीकरण व्यवस्था काफ़ी मज़बूत है और दशकों पुराने वैधानिक क़ानूनी ढाँचे ‘जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम-1969’ द्वारा शासित है। नागरिक पंजीकरण डेटा के साथ-साथ आरजीआई द्वारा प्रतिवर्ष जारी किये गये नमूना पंजीकरण डेटा का उपयोग घरेलू और वैश्विक स्तर पर बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।

आरजीआई एक सदी से अधिक पुराना वैधानिक संगठन है और इसे राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों और देश भर में लगभग तीन लाख रजिस्ट्रारों / सब-रजिस्ट्रारों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्रस्तुत रिपोट्र्स के आधार पर राष्ट्रीय रिपोर्ट- नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) पर आधारित भारत के महत्त्वपूर्ण आँकड़े आरजीआई द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किये जाते हैं। वर्ष 2019 के लिए इस तरह की अन्तिम राष्ट्रीय रिपोर्ट जून, 2021 में प्रकाशित हुई थी और वर्ष 2020 के लिए 3 मई, 2022 को प्रकाशित की गयी थी। ये रिपोर्ट सार्वजनिक है। भारत का दृढ़ विश्वास है कि किसी सदस्य राज्य के क़ानूनी ढाँचे के माध्यम से उत्पन्न इस तरह के मज़बूत और सटीक डेटा को ग़ैर-आधिकारिक डेटा स्रोतों के आधार पर सटीक गणितीय अनुमान से कम पर भरोसा करने के बजाय डब्ल्यूएचओ द्वारा सम्मान, स्वीकार और उपयोग किया जाना चाहिए।

भारत ने श्रेणी-1 और श्रेणी-2 देशों को वर्गीकृत करने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा उपयोग किये गये मानदंड और धारणा में विसंगतियों (जिसके लिए एक गणितीय मॉडलिंग अनुमान का उपयोग किया जाता है) की ओर इशारा किया था और साथ ही भारत को श्रेणी-2 वाले देशों में रखने के आधार पर सवाल उठाया था। भारत ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया था कि एक प्रभावी और मज़बूत वैधानिक प्रणाली के माध्यम से एकत्र किये गये मृत्यु डेटा की सटीकता को देखते हुए भारत श्रेणी-2 देशों में रखे जाने के योग्य नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने आज तक भारत की दलील का जवाब नहीं दिया है।

भारत ने डब्ल्यूएचओ के स्वयं के इस स्वीकारोक्ति पर लगातार सवाल उठाया है कि 17 भारतीय राज्यों के सम्बन्ध में डेटा कुछ वेबसाइट्स और मीडिया रिपोट्र्स से प्राप्त किया गया था और गणितीय मॉडल इस्तेमाल किया गया था। यह भारत के मामले में अधिक मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिए डेटा संग्रह की सांख्यिकीय रूप से ख़राब और वैज्ञानिक रूप से संदिग्ध कार्यप्रणाली को दर्शाता है।

डब्ल्यूएचओ के साथ संवाद, जुड़ाव और संचार की प्रक्रिया के दौरान उसने कई मॉडलों का हवाला देते हुए भारत के लिए अलग-अलग अतिरिक्त मृत्यु दर का अनुमान लगाया है; जो ख़ुद इस्तेमाल किये गये मॉडलों की वैधता और मज़बूती पर सवाल उठाता है। भारत के लिए अधिक मृत्यु दर अनुमानों की गणना के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा उपयोग किये जाने वाले मॉडलों में से एक में वैश्विक स्वास्थ्य अनुमान (जीएचई) 2019 के उपयोग पर भी भारत ने आपत्ति जतायी। जीएचई अपने आप में एक अनुमान है। इसलिए एक मॉडलिंग दृष्टिकोण एक अन्य अनुमान के आधार पर मृत्यु दर का अनुमान प्रदान करता है, जबकि देश के भीतर उपलब्ध वास्तविक आँकड़ों की पूरी तरह से अवहेलना करना अकादमिक कठोरता की कमी को प्रदर्शित करता है।

भारत में कोरोना वायरस के परीक्षण की सकारात्मकता दर पूरे देश में किसी भी समय एक समान नहीं थी। ऐसा मॉडलिंग दृष्टिकोण देश के भीतर स्थान और समय दोनों के सन्दर्भ में कोरोना सकारात्मकता दर में परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखने में विफल रहता है। यह मॉडल विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में उपयोग किये जाने वाले विभिन्न नैदानिक विधियों (आरएटी/आरटी-पीसीआर) के परीक्षण की दर और प्रभाव को ध्यान में रखने में भी विफल रहता है।

अपने बड़े क्षेत्र, विविधता और क़रीब 1.3 अरब की आबादी के कारण जिसने अंतरिक्ष और समय दोनों में महामारी की परिवर्तनशील गम्भीरता देखी, उस भारत ने लगातार ‘एक आकार में सभी को फिट बैठाने वाले इस दृष्टिकोण और मॉडल के उपयोग पर आपत्ति जतायी। क्योंकि यह छोटे देशों पर लागू हो सकता है; लेकिन ये आँकड़े भारत पर लागू नहीं हो सकते विविधता। एक मॉडल में भारत के आयु-लिंग वितरण को भारत के साथ जनसांख्यिकी और आकार के मामले में अतुलनीय अन्य देशों द्वारा रिपोर्ट की गयी कि अतिरिक्त मौतों के आयु-लिंग वितरण के आधार पर एक्सट्रपलेशन (आँकड़े सृजित करने की एक प्रक्रिया) किया गया था और भारत के प्रामाणिक भारतीय स्रोत से उपलब्ध डेटा का उपयोग करने का अनुरोध नहीं माना था।

मॉडल ने तापमान और मृत्यु दर के बीच एक विपरीत सम्बन्ध माना, जिसे भारत के बार-बार अनुरोध के बावजूद डब्ल्यूएचओ द्वारा कभी भी प्रमाणित नहीं किया गया था। इन मतभेदों के बावजूद भारत ने इस तरीक़े पर डब्ल्यूएचओ के साथ सहयोग और समन्वय करना जारी रखा और कई औपचारिक संचार (नवंबर, 2021 से मई, 2022 तक 10 बार) के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ के साथ कई आभासी बातचीत हुई। 3 मई, 2022 को आरजीआई द्वारा प्रकाशित 2020 के सीआरएस डेटा से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि भारत के कोरोना से मौतों के विभिन्न मॉडलिंग अनुमानों के आधार पर बनायी जाने वाली कथा को कई बार रिपोर्ट किया गया आँकड़ा वास्तविकता से पूरी तरह से हटा दिया गया है।

सन् 2018 और 2019 के लिए मृत्यु दर के आँकड़े भी सार्वजनिक उपलब्ध हैं। चूँकि आरजीआई के आँकड़े किसी विशेष वर्ष के लिए मृत्यु दर से जुड़े हैं, इसलिए कोरोना से मृत्यु दर के आँकड़ों को उस वर्ष सर्व-मृत्यु दर का एक उप-समूह माना जा सकता है। इसलिए देश भर में एक कठोर प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त किये गये वैधानिक प्राधिकरण द्वारा जारी किये गये विश्वसनीय आँकड़े वर्तमान में नीति नियोजन में विश्लेषण और समर्थन के लिए उपलब्ध हैं। यह एक ज्ञात तथ्य है कि मॉडलिंग, अधिक बार नहीं अधिक अनुमान लगा सकता है और कुछ अवसरों पर ये अनुमान बेतुकेपन की सीमा तक फैल सकते हैं।

भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) के कार्यालय के तत्त्वाधान में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) रिपोर्ट-2020 द्वारा जारी आँकड़ों को डब्ल्यूएचओ के साथ अतिरिक्त मृत्यु रिपोर्ट तैयार करने के लिए साझा किया गया था। डब्ल्यूएचओ को उनके प्रकाशन का समर्थन करने के लिए इस डेटा को संप्रेषित करने के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने उनके लिए सबसे अच्छी तरह से ज्ञात कारणों से भारत द्वारा प्रस्तुत उपलब्ध आँकड़ों की अनदेखी करना चुना और ज़्यादा मृत्यु दर के अनुमानों को प्रकाशित किया, जिसके लिए कार्यप्रणाली, डेटा के स्रोत और परिणामों पर भारत ने लगातार सवाल उठाये गये हैं। भारत के मामले में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 2020 में ही क़रीब 8.3 लाख मौतें होने का अनुमान है। यह संख्या भारत द्वारा अपने नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) में दर्ज वर्ष 2020 के लिए जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए अपना वार्षिक डेटा जारी करने के दो दिन बाद आयी है, जिसमें पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 4.75 लाख अधिक मौतें हुई हैं, जो इस प्रवृत्ति के अनुरूप है। पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते पंजीकरण देखे जा रहे हैं।

सीआरएस कारण-विशिष्ट मृत्यु दर रिकॉर्ड नहीं करता है। सरकार ने डब्ल्यूएचओ द्वारा अधिक मौतों की गणना के लिए अपनायी गयी प्रक्रिया और कार्यप्रणाली पर बार-बार आपत्ति जतायी है, और इस सम्बन्ध में वैश्विक संगठन को कम से कम 10 पत्र भेजे थे। सरकार ने एक बयान में कहा- ‘डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिन्ताओं को पर्याप्त रूप से सम्बोधित किये बिना अतिरिक्त मृत्यु दर का अनुमान जारी किया है।‘

समस्या धर्म नहीं, घृणा है

पिछले कई साल से देखने में आ रहा है कि कई सनातनी और इस्लामिक त्योहार एक साथ पड़ रहे हैं। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ ही होगा। जबसे विभिन्न धर्मों में त्योहार मनाने की परम्परा शुरू हुई होगी, तबसे न जाने कितने ही त्योहार एक साथ आये और मनाये गये होंगे। होली, जन्माष्टमी, दीपावली, दशहरा, लोहड़ी, वैशाखी, गुरु पर्व, मुहर्रम, ईद, क्रिसमस, गुड फ्राइडे, ईस्टर और भी कई छोटे-बड़े त्योहार कितनी ही बार एक साथ अथवा थोड़े-बहुत आगे-पीछे आये होंगे। ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं, जो एक-दूसरे को अपने त्योहारों पर निमंत्रण और बधाई, मुबारकबाद भेजते हैं। मैंने दर्ज़नों मुस्लिम समुदाय के लोगों को दीपावली, होली, जन्माष्टमी मनाते देखा है। मन्दिरों का प्रसाद खाते देखा है। वहीं सनातनधर्मियों को ईद मनाते देखा है, ताजिया उठाते देखा है। कोई भेदभाव नहीं। कोई बैर नहीं। कोई धर्मवाद नहीं। सब एक जैसे दिखे हैं। किसी ने किसी से नहीं कहा कि यह तुम्हारा त्योहार नहीं है, तो क्यों मना रहे हो? बल्कि ख़ुश होकर दूसरे धर्म वालों का स्वागत किया है।

दरअसल यह भारत की परम्परा रही है कि दुश्मन को भी प्यार दो। फिर यहाँ बसने वाले तो अपने हैं। यहाँ जिस धर्म के भी लोग आये, उन पर यहाँ की अतिथि देवो भव: संस्कृति का इतना गहरा असर हुआ कि उन्होंने न केवल यहाँ की इस परम्परा को अपनाया, वरन् एकता के महत्त्व को भी समझा। भारत में इन दिनों क़रीब सात धर्म और दर्ज़नों पन्थ हैं। इनमें सनातन धर्म में क़रीब 23, इसाई धर्म में नौ, इस्लाम धर्म में पाँच, बौद्ध धर्म में पाँच, जैन धर्म में चार और सिख धर्म में तीन पन्थ हैं। मतभेद और झगड़े की जड़ यहीं से शुरू होती है। इसी की आड़ लेकर हर धर्म से गहरे जुड़े कुछ पाखण्डी धर्माचारियों ने धर्मों को लोगों में फूट डालने का हथियार बना लिया।

इन लोगों की बातों में लोग इसलिए आते गये, क्योंकि लोगों को हमेशा अपने-अपने धर्म से मोह रहा है, जिसके चलते धर्माचारियों की हर बात उन्हें धर्म पर चलने जैसी लगती है और वे उस पर आँख बन्द करके अमल करते हैं। यही वजह है कि जैसे ही धर्म के चंद तथाकथित ठेकेदार उन्हें उकसाते हैं, लोग आँख बन्द करके बिना सोचे-समझे आपस में मरने-मारने पर आमादा हो जाते हैं। आज यही हालात बने हुए हैं। जिधर देखो नफ़रत की आग धधक रही है। अन्दर-ही-अन्दर नफ़रत की विषबेल दिमाग़ों में उग रही है। यह तब है, जब सब एक ही हवा में साँस ले रहे हैं। एक ही सूरज से धूप और प्रकाश ले रहे हैं। एक चंद्रमा की चाँदनी में नहाते हैं। एक ही धरती पर रहते हैं और इसी पर निर्भर हैं। फिर भी लड़ते हैं। लेकिन जिनके बहकाने पर लड़ते हैं, वे कभी नहीं लड़ते। बल्कि जिस दिन कहीं दो धर्मों के मूर्खों में दंगे होते हैं, उस दिन उन दोनों धर्मों के लोग रात को एक साथ जश्न मना रहे होते हैं। उसके कुछ दिन बाद जब मामला शान्त हो जाता है, तब धर्म संसद में बैठकर शान्ति का उपदेश देते हैं। एक-दूसरे के धर्म की तारीफ़ करते हैं। लडऩे वाले नफ़रत से ऊपर कभी नहीं निकल पाते। दरअसल यह कमी धर्मों की नहीं है, वरन् धर्मों को समझे बग़ैर मूर्ख बनने वालों की है। अर्थात् समस्या धर्म नहीं हैं, बल्कि समस्या घृणा है, जो धर्मों को न समझने के चलते पनपती है। इस घृणा को निकाल फेंकना होगा। आज धर्म को जानने वालों का अभाव है। किसी के पास किताबी ज्ञान के सिवाय कुछ नहीं है। एक ईश्वर को ही बाँटकर देखते हैं।

लोग तो इतने मूर्ख हैं कि जब सन्त कबीरदास उन्हें समझाते थे, तो वे उन पर ही हमलावर हो जाते थे। कई बार लोगों ने सन्त कबीरदास पर हमले किये, उनका सिर फोड़ा। धीरे-धीरे लाखों लोग उनके अनुयायी बने और उनकी बातें मानने लगे। लेकिन हैरानी की बात देखिए कि जब सन्त कबीरदास अपनी अन्तिम साँसे ले रहे थे, तब उन्हीं के अनुयायी इस बात पर झगड़ रहे थे कि कबीर का धर्म क्या है? सनातनी कह रहे थे कि कबीर सानतनधर्मी हैं और मुस्लिम कह रहे थे कि कबीर मुसलमान हैं। जिन लोगों को उम्र भर एक महान् सन्त सीधे रास्ते पर लाने का प्रयास करते रहे, वही लोग उनके शरीर के अन्तिम संस्कार को लेकर झगड़ रहे थे। जब उनके बेटे कमाल ने उन लोगों को समझाने के लिए पिता के पास से उठना चाहा, तो सन्त कबीरदास ने उनका हाथ पकड़ लिया और बोले- ‘रहने दो, मत समझाओ! ये नहीं समझेंगे। इन्हें मैं जीवन भर यही समझाता रहा कि सब एक ही ईश्वर की सन्तानें हैं। बाहरी धर्म आडम्बर और मिथ्या हैं। अगर ये इस छोटी-सी बात को समझ गये होते, तो आज झगड़ा क्यों कर रहे होते? इस बारे में मेरा एक शेर है-

कबीरा ज़ात से क्या था, बहस इस बात की थी।

सगे दो भाइयों ने ख़ून आपस में बहाया।।“ 

डिजिटल धोखा: सोशल मीडिया पर फ़र्जी लाइक्स, फॉलोअर्स का ख़ूब फल-फूल रहा धंधा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नक़ली फॉलोअर्स, लाइक, कमेंट और व्यूज से लेकर प्रतिद्वंद्वी की वेबसाइट क्रैश करने तक हर सेवा धंधेबाज़ों की तश्तरी में तैयार है। तहलका एसआईटी की ख़ास जाँच रिपोर्ट :-

दुनिया भर में मशहूर हस्तियों और नामी लोगों ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी पोस्ट्स के ज़्यादा व्यूज दिखाने या फ़र्जी फॉलोअर्स संख्या बनाने के आरोपों को लेकर समय-समय पर सुख़ियाँ बटोरी हैं। सोशल मीडिया पर देखे जाने वाले व्यूज और लाइक करने की बढ़ी हुई संख्या अपनी तरफ़ ध्यान आकर्षित करने का सबसे आसान तरीक़ा है। लोकप्रिय ब्रांड एंडोर्समेंट हासिल करने के लिए सोशल मीडिया हस्तियों और नामी लोगों के बीच यह एक आम बात है।

एक हालिया मामला प्रसिद्ध बॉलीवुड गायक और रैपर बादशाह का है, जिन्होंने दावा किया है कि उनके गीत के वीडियो- ‘पागल है’ को यूट्यूब पर रिलीज होते ही पहले ही दिन 75 मिलियन बार देखा गया था। कई रिपोट्र्स ने यह भी दावा किया कि इसने इसे यूट्यूब पर पहले दिन का सबसे लोकप्रिय वीडियो बना दिया। जाँच के बाद मुम्बई पुलिस ने पाया कि बादशाह ने विभिन्न साइटों को कुल 72 लाख रुपये का भुगतान किया, जो उनके वीडियो को लोकप्रिय करने के लिए फ़र्जी लाइक करवाते हैं। बादशाह अपने ऊपर लगे इन आरोपों को ख़ारिज़ कर चुके हैं।

हालाँकि बादशाह अकेले नहीं, जो सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। भारत के प्रमुख राजनेताओं के कितने ही नक़ली फॉलोअर्स हैं, इस बारे में कई चर्चाएँ सामने आती रही हैं। कभी-कभी उनके पूरे कथित फॉलोअर्स में से क़रीब आधे नक़ली होते हैं। लेकिन सिर्फ़ ऑनलाइन ही क्यों? ऑफलाइन देखो! राजनीतिक रैलियों और प्रचार में सबसे आम तरीक़ों में से एक है- स्टेडियम / सभा-स्थल में भीड़ दिखाना। ऐसे लोग जिन्हें पता ही नहीं होता कि मंच पर क्या हो रहा है? पैसे, शराब और भोजन का लालच देकर रैली स्थल पर उन्हें बुलाया जाता है। वे वास्तव में नक़ली श्रोता हैं। ऑफलाइन, सिर्फ़ उस कार्यक्रम भर के लिए। क्या यह क़ानूनी रूप से ग़लत है? बिलकुल नहीं। क्या यह नैतिक रूप से ग़लत है? हाँ, निश्चित ही।

बादशाह अपनी प्रोफाइल को बूस्ट करने के लिए बैंडवैगन इफेक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। विश्व रिकॉर्ड को उनकी उपलब्धियों की सूची में जोड़ा जा सकता है, और प्रचार के लिए ब्रांडों और एजेंसियों के साथ उनकी सौदेबाज़ी की क्षमता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारत में फ़िल्म निर्माता हर समय इसका इस्तेमाल करते हैं। जब वे दावा करते हैं कि उनकी फ़िल्म 100 करोड़ रुपये की फ़िल्म है, तो वे परोक्ष रूप से यह कह रहे हैं कि चूँकि इतने सारे लोगों ने इसे देखा है, इसलिए फ़िल्म वास्तव में अच्छी होनी चाहिए। और यह उन लोगों को फोमो (फियर ऑफ मिसिंग आउट) संकेत (सामने वाले के दिमाग़ में यह भय भरना कि उसने यदि इसे नहीं देखा, तो वह एक शानदार चीज़ देखने से वंचित होने वाला है) भेजता है। यदि 100 करोड़ रुपये वैध रूप से अर्जित किये गये थे (और फ़र्जी रूप से उत्पन्न नहीं हुए थे, जो कि अवैध है), तो यह फोमो बनाने का एक अच्छा तरीक़ा है।

लेकिन बादशाह ने अपने 100 करोड़ रुपये पाने के लिए, जो एक विश्व रिकॉर्ड है; नक़ली लाइक्स और कमेंट्स का सहारा लिया। सीधे शब्दों में कहें, तो अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के लिए लाइक, फॉलोअर्स या व्यू ख़रीदना ग़ैर-क़ानूनी नहीं है; क्योंकि ऐसा कोई विशिष्ट अधिनियम या क़ानूनी प्रावधान नहीं है, जो सीधे तौर पर इस तरह के कृत्य पर रोक लगाता है या जिस पर मुक़दमा दायर हो सकता हो। लेकिन फॉलोअर्स की संख्या या व्यूज की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से फ़र्जी अकाउंट बनाने वाले व्यक्ति के ख़िलाफ़ भारतीय दण्ड संहिता की धारा-468 के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है। भा.दं.सं. का यह विशेष खण्ड धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाज़ी के अपराध से सम्बन्धित है।

क़ानूनी प्रावधान की ज़रूरत

इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए भारत को एक ऐसे क़ानून की ज़रूरत है, जो इस समस्या से पूरी तरह निपटे। ऑनलाइन झूठ और हेराफेरी से बचने के लिए सुरक्षा अधिनियम को अक्टूबर, 2019 में सिंगापुर सरकार ने अधिसूचित किया था। इस अधिनियम में समन्वित फ़र्जी आचरण के ख़िलाफ़ उपयोगकर्ताओं का पता लगाने, नियंत्रित करने और उनकी सुरक्षा करने के उपाय शामिल हैं। यह अधिनियम सोशल मीडिया खातों और बोट (इंटरनेट पर स्वतंत्र प्रोग्राम) के दुरुपयोग से सम्बन्धित चिन्ताओं को भी दूर करता है। एक अन्य उल्लेखनीय उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका का है, जिसके पास हाल तक क़ानून के इस क्षेत्र से सम्बन्धित कोई क़ानून नहीं था। लेकिन 2019 में एक पूर्ववर्ती समझौते के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका ने फ़र्जी खातों से नक़ली गतिविधि का उपयोग करके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फ़र्जी फॉलोअर्स बनाने, लाइक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।

लेकिन भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फ़र्जी फॉलोअर्स, लाइक और व्यूज की बिक्री बेरोकटोक जारी है। संख्या जितनी अधिक होगी, आप उतनी ही अधिक मूल्यवान इकाई बनेंगे। इन्फ्लुएंसर्स (जो ब्रांडों के लिए सम्भावित विज्ञापनदाताओं के रूप में कार्य करते हैं), विशेष रूप से अपनी सोशल मीडिया उपस्थिति को बढ़ावा देने के लिए अपने फॉलोअर्स को बढ़ाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। और जब माँग होती है, तो आपूर्ति भी होती है। दिल्ली में कई डिजिटल मीडिया कंसल्टेंसी हैं, जो फॉलोअर्स बेचने का दावा करती हैं। इन धंधेबाज़ों ने इस डिमांड को पैसा बनाने वाले सफल उद्यम में बदल दिया है।

‘तहलका’ ने सच्चाई का पता लगाने के लिए जाँच करने की ठानी। और इसमें चौंकाने वाले ख़ुलासे हुए। दिल्ली स्थित कंसल्टेंसी पूर्व निर्धारित राशि के लिए फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसी लोकप्रिय सोशल मीडिया साइटों पर फॉलोअर्स, नक़ली कमेंट्स, लाइक और टिप्पणियाँ प्रदान करने का दावा करती है। हमने ख़ुद को सम्भावित ग्राहकों के रूप में पेश किया और दिल्ली स्थित एमडीईईजेड, ई-कॉमर्स समाधान सॉफ्टवेयर कम्पनी के दो भागीदारों सुहैब और उज़ैर से मुलाक़ात की। ये मुलाक़ात दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में हुई थी। हमने सुहैब और उज़ैर से कहा कि हम एक न्यूज वेबसाइट और एक यू ट्यूब चैनल लेकर आ रहे हैं। और उनके लॉन्च के पहले दिन से हम अपने उत्पाद के लिए लाखों में सोशल मीडिया व्यू, लाइक्स, कमेंट्स, फॉलोअर्स जेनरेट करना चाहते हैं। सुहैब और उज़ैर ने हमारी माँग पर तुरन्त ‘हाँ’ कहा और कहा कि पैसे से सब कुछ सम्भव है। बिना किसी झिझक के वे मौखिक रूप से हमारे सलाहकार बनने के लिए सहमत हो गये। और हमसे कहा कि हमें अपनी माँग पूरी करने के लिए उन्हें पैसे देने होंगे; क्योंकि सोशल मीडिया पर सब कुछ पेड है। हमारे बजट को जानने के बाद दोनों ने हमें उन सेवाओं के बारे में बताना शुरू किया, जो वे हमें प्रदान करेंगे।

 

यह पूछे जाने पर कि वे हमारे यूट्यूब चैनल के लॉन्च के पहले दिन से एक लाख व्यूज कैसे देंगे? शोएब और उज़ैर ने एक साथ विस्तार से बताया।

रिपोर्टर : मान लीजिये मुझे पहले दिन अपने चैनल पर एक लाख व्यूज चाहिए। पहले दिन, यूट्यूब पर… जब मैंने चैनल लॉन्च किया, पहला वीडियो डाला पहले दिन मुझे यूट्यूब पर एक लाख व्यूज चाहिए।

 शोएब : बिलकुल सम्भव है सर! प्रति कमेंट का चार्ज रहता है। ठीक है सर! …आप कितने लोगों तक पहुँच रहे हैं, ये बजट पर निर्भर करता है… जितना बजट होगा, उतने ही ज़्यादा फॉलोअर्स।

 

रिपोर्टर : समझा नहीं मैं आपकी बात, 24 घंटे में?

उज़ैर : आपका कहना यह है कि आपको लाखों व्यूज चाहिए।

रिपोर्टर : पहले दिन।

 उज़ैर : मैंने वीडियो डाली… 12 घंटे मैं मुझे इतने चाहिए। मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि 12 लाख व्यूज चाहिए। वो चीज़ तो हासिल करने योग्य हो जाएगी। हम लगाएँगे पैसा वो हो जाएँगे।

जैसे-जैसे बैठक आगे बढ़ी, शोएब ने और ख़ुलासा किया। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ मामलों में वह हमारे उत्पाद के लिए नक़ली व्यूज का प्रबन्ध करेंगे।

शोएब : और ऐसे ही कुछ मामले नक़ली रिव्यू के भी डलवाने पड़ते हैं।

रिपोर्टर : नक़ली व्यूज…वो कैसे?

शोएब : सर! उसकी भी सर्विस होती है। ख़ास कुछ डेटा हमारे पास है, उसे इस्तेमाल कर सकते हैं। फेक रिव्यू डलवाने पड़ते हैं। उसके भी सर चार्ज हैं, 100 रुपये प्रति व्यू और जो भी चार्ज हैं। क्योंकि इसमें असलियत तभी आती है, जब आपका आईपी ट्रैक होता है। आपका आईपी, आपका ईमेल और आईडी ट्रैक होता है। अगर वो एक ही बन्दे से करवा दिया 100 पेज बनाकर, तो वो नक़ली लगता है। नीचे कर दिया जाता है, सच्चाई लाने के लिए उनके अलग आईपी पते पर लोग बैठे होते हैं, वो रिव्यू डलवाते हैं।

शोएब : कुछ मामलों में हम अपने उत्पाद के लिए नक़ली रिव्यू का प्रबन्ध करेंगे। वास्तविक दिखने के लिए हम विभिन्न आईपी पतों से नक़ली रिव्यू का प्रबन्ध करेंगे, अन्यथा हम पकड़े जाएँगे। और हमारी वेबसाइट को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। एक नक़ली व्यू की क़ीमत 100 रुपये होगी।

शोएब ने ‘फेक रिव्यू’ का कारण भी बताया।

रिपोर्टर : किस चीज़ के रिव्यू?

शोएब : सर! उदाहरण के लिए जैसा हमारा कोई ब्रांड चल नहीं रहा, किसी ब्रांड को चलवाने के लिए नक़ली रिव्यू डालेंगे।

शोएब ने समझाया कि हमारे ब्रांड को चलाने के लिए हम नक़ली रिव्यू के लिए जाएँगे। इसके बाद शोएब समझाया कि ‘बीओटी’

क्या है?

रिपोर्टर : और उस के लिए हम लोग आपको हायर भी कर रहे हैं, जो भी बजट होगा आपका? अब वो चाहिए नक़ली हो या असली हो, वो सब आपको देखना है… बस आप ये ध्यान रखिएगा, जहाँ आप नक़ली इस्तेमाल कर रहे हैं, वो चीज़ कहीं यहाँ न आ जाए।

शोएब : सर! यही महत्त्वपूर्ण है…, वरना तो हम अपने हैंड से भी करवा सकते हैं। लेकिन मूल रूप से हमारे बंदे बैठे हैं; अलग-अलग जगह पर, अलग-अलग आईडी पर। वे हर किसी चीज़ के लिए होते हैं, ठीक से सेटअप है। वे इसी चीज़ के लिए होते हैं। उनका काम ही यही है सर! अलग-अलग जगह पर व्यूज डलवाने का।

रिपोर्टर : उसे बोट बोलते हैं न?

शोएब : हाँ।

उज़ैर : ऑर्गेनिक रीच पेड हो जाएगी इससे।

शोएब : सर! ये 2 टाइप के होते हैं, एक तो ओरिजिनल होते हैं, जो ओरिजिनल होते हैं। बोट में पकड़ हो जाती है, उन पर आप इतना विश्वास नहीं कर सकते, जो छोटे लेवल पर होते हैं।

रिपोर्टर : नहीं, तो आप जो फेक बता रहे हैं; वो नक़ली ही तो हुए?

शोएब : सर! इनको आप शब्दावली दे सकते हैं; लेकिन सर! ये असली हैं।

रिपोर्टर : आप कह सकते हैं बोट हैं?

शोएब : आप कह सकते हैं। लेकिन हमारे लिए तो नक़ली ही हैं।

शोएब बताते हैं कि अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग आईडी वाले लोग ब्रांड के लिए नक़ली व्यूज कैसे लिखते हैं। वह उन्हें बोट कहते हैं।

जैसे-जैसे शोएब और उज़ैर से मुलाक़ात आगे बढ़ती है, वे हमें अन्दर की कहानी बताते हैं कि सोशल मीडिया को कैसे मैनेज किया जाता है? इस शृंखला में उन्होंने अब ख़ुलासा किया कि सोशल मीडिया पर वीडियो कैसे वायरल होते हैं? यह सब भुगतान पर किया जाता है। दोनों के अनुसार, यह सच्चे नहीं।

 

रिपोर्टर : अच्छा इसके अलावा अगर हमको वीडियो वायरल करवाने हैं?

उज़ैर : वायरल करवाना है?

शोएब : सर! वायरल करवाने के लिए न अलग रणनीति इस्तेमाल की जाती है।

उज़ैर : आजकल मीम्स से भी चीज़ वायरल होती है। वो स्ट्रैटेजी भी लेकर चलना पड़ता है।

शोएब : वो भी सर!

रिपोर्टर : अच्छा यह वायरल भी पेड ही होगा?

शोएब : सर! वो ऑर्गेनिक बहुत कम केस में होता है। हर चीज़ का वायरल पेड ही होता है; …ऑर्गेनिक कुछ नहीं होता। पता है सर! जो चीज़ वायरल हो रही होती है न, उसमें 3-4 लोग बैठे होते हैं। …उनको पता होता है कि वायरल करवानी है, वो पेड ही होता है।

रिपोर्टर : अपने आप कुछ नहीं होता। …ऑर्गेनिक कुछ नहीं।

शोएब ने आगे ख़ुलासा किया कि पैसों के ज़रिये वह छवि बदलने में हमारी मदद करेंगे। उनके मुताबिक नेगेटिव मार्केटिंग किसी के लिए भी अच्छी होती है।

शोएब : सर! इमेज तो बदलती रहती है, पैसे देकर ट्रेंडिंग करवा देंगे अच्छे से। …ज़्यादा लोगों के दिमाग़ में पहुँचा देंगे। …अच्छा पैसा लगा देंगे सर, वो बदल जाएँगे। सर! असल में नेगेटिव मार्केटिंग बहुत अच्छी चीज़ होती है। जो हम ग़लत कर रहे हैं न, वो हमारे फ़ायदे में होता है।

शोएब ने कहा कि पैसे से वह हमारे ब्रांड की छवि बदल देंगे। वह पैसे से हमारे ब्रांड को ट्रेंड करवाकर सोशल मीडिया पर लाएँगे, जिससे लोगों को हमारे ब्रांड के बारे में पता चलेगा।

रिपोर्टर : अच्छा, अगर किसी को बदनाम करना है, तो कैसे करेंगे? वायरल करना है वीडियो।

शोएब : सर! ये उनके लिए फ़ायदा भी हो सकता है। अगर पहले ही सेटअप कर लिया है। लेकिन वो ही है सर, पेड विज्ञापन। आप किसी से करवा सकते हैं, बड़े लोगों से बुरा करवा सकते हैं। सर! एक तरह से यह रिसर्च होती है।

उज़ैर : हमारे कंटेंट के हिसाब से सर! जैसे कि अगर हम शेफ की बात कर रहे हैं, एक शेफ को बदनाम करना है, उसके खाने की दूसरे शेफ से बुराई करवा लो, वो ख़ुद ही बदनाम हो जाएगा। वो पहले से ही तीन लाख तक पहुँच जाएगा।

रिपोर्टर : वो शेफ है आपके पास?

उज़ैर : बिलकुल।

रिपोर्टर : वो महाराज अगर मना कर दे?

उज़ैर : नहीं मना करेगा सर! एक मना करेगा, तो दूसरा हाँ कर देगा…। ऐसा थोड़ी है कि एक ही शेफ है। हमारे पास मल्टीपल लोग हैं।

रिपोर्टर : मतलब अगर मुझे किसी के फाइव स्टार होटल के खाने की बुराई करनी है? जबकि खाना बहुत अच्छा है, तो मैं काम आपको दे दूँ; आप शेफ से करवा देंगे?

उज़ैर : हाँ सर!

रिपोर्टर : शेफ ने मना कर दिया?

उज़ैर : सर! एक शेफ नहीं है।

रिपोर्टर : 10 ने मना कर दिया…?

उज़ैर : कुछ और तरीक़ा इस्तेमाल करेंगे।

शोएब : पेड एडवरटाइजिंग भी है सर! पेड एड चला दिया, फेक रिव्यू कर दिया, किसी को अगर डाउन ग्रेड करना होता है, आप ऑनलाइन प्रेजेंस पर अटैक करते हैं। ये इमेज पर अटैक करते हैं, ऑनलाइन जो पोर्टल्स हैं या चीज़े हैं। उन पर नक़ली व्यूज डाल सकते हैं। वो अपने आप डाउन ग्रेड हो जाता है।

रिपोर्टर : और ट्विटर पर ट्रेंड कैसे होगी कोई भी चीज़?

उज़ैर : ट्विटर पर सर? वो यह है कि ट्वीट करना पड़ता है सर! उसके लिए भी हायरिंग होती है। …आप देखो, राजनीतिक पार्टियाँ भी करती हैं। …ट्वीट करना पड़ता है, …मल्टीपल लॉगऑन से।

शोएब : ट्वीट का कंटेंट दे दिया सबको, फिक्स। …हर बंदा वही डालेगा।

रिपोर्टर : ऐसे लोग हैं आपके पास?

शोएब : सर! ये भी इस्तेमाल करते हैं आउटसोर्सिंग कम्पनियाँ हैं, फ़र्जी रिव्यू ये लोग करते हैं।

शोएब और उज़ैर के मुताबिक, वे उन कम्पनियों को हायर करेंगे, जो ट्विटर पर हमारा कंटेंट ट्रेंड करवाएँगी। इन कम्पनियों में कई लोग हैं, जिन्हें वे सामग्री प्रदान करते हैं, और ये लोग अलग-अलग स्थानों से ट्विटर पर एक ही सामग्री को ट्वीट करते हैं।

शोएब ने अब अपनी अगली योजना का ख़ुलासा किया- प्रतिद्वंद्वी वेबसाइट को कैसे क्रैश किया जाए?

शोएब : ये भी होता है सर! अगर डाउनग्रेड करना है किसी को; अगर किसी वेबसाइट को डाउनग्रेड करना है, तो आपके पास स्क्रिप्ट्स होती हैं, हैंड स्क्रिप्ट्स चला करके किसी की भी वेबसाइट डाउनग्रेड करायी जा सकती है।

रिपोर्टर : समझा नहीं मैं!

शोएब : सर! आपका रहता है… सर्वर स्पेस होता है किसी भी वेबसाइट का। …आप एक्सेस कर रहे हैं। सर्वर पर हिट कर रहे हैं। मैं एक्सेस कर रहा हूँ। सर्वर पर हिट कर रहा हूँ, जितने ज़्यादा लॉग सर्वर पर हिट करते हैं, उतना सर्वर सँभल नहीं पाता। ठीक है सर! कुछ स्क्रिप्ट बनायी जाती हैं, डाउनग्रेड करने के लिए ये अपना चलाते हैं। …अपने कम्प्यूटर से हाई पॉवर पर, वो एक के बाद एक हिट कर रहा होता है। वो दिखता ऐसा है कि लाख लोग वेबसाइट पर आ गये हैं, उनकी वेबसाइट पर; …और वेबसाइट क्रैश हो जाती है। सर्वर डाउन हो जाता है।

रिपोर्टर : मतलब, अगर आपको अपने प्रतियोगी की वेबसाइट डाउन करवानी है, तो ऐसे हम करवा सकते हैं?

शोएब : हम्म… ऐसा करा जाता है। हो सकता है सर! हमारे साथ भी कुछ मामलों में हमें सर्वर चेंज करना होगा, फटाफट से।

अब शोएब ने ख़ुलासा किया कि वह हमारे लिए फेक नेगेटिव और पॉजिटिव कमेंट्स को कैसे मैनेज करेंगे।

रिपोर्टर : अच्छा, अगर हम कमेंट चाहते हैं… अपनी किसी कंटेंट पर पॉजिटिव; वो कैसे मिलेंगे?

शोएब : सर! सकारात्मक टिप्पणियाँ, वही तरीक़ा है उसके लिए भी। मूल रूप से उपभोक्ता को लक्षित करना है। रिव्यू वाला तरीक़ा है, जहाँ से रिव्यू मिलता है। …इनकी अपनी अलग-अलग दरें होती हैं। …वो देखते-पढ़ते हैं।

रिपोर्टर : अच्छा, यह भी पेड होगा… कमेंट वाला?

शोएब : जी, पेड रहेगा सर! क्योंकि अगर हमें कमेंट्स करवाने हैं, तो फिर हम असली लोगों से करवाएँगे। असली लोगों से आप कितने करवा लोगे अधिकतम…? आप मान लीजिये 100 से करेंगे। 100 से हम करेंगे। 200 से करवा लें, इनसे हमारा काम नहीं होने वाला; …हज़ारों होते हैं।

रिपोर्टर : वो नक़ली होंगे?

शोएब : हाँ।

रिपोर्टर : वो हैं आपके पास?

शोएब : सर! वो इनसे ही मिला है।

रिपोर्टर : कम्पनी के खाते के माध्यम से?

शोएब : कम्पनी के ज़रिये ही मिला है। उनसे टाईअप करना… और जो रहती है इनकी कॉस्ट (लागत)।

रिपोर्टर : कितना रहता है इनका चार्ज, एक कमेंट का?

शोएब : इनका अलग-अलग रहता है। …100-150 के आस पास मान लीजिए।

रिपोर्टर : एक कमेंट का?

शोएब : जी।

रिपोर्टर : उसमें पॉजिटिव भी करवा लें, नेगेटिव भी?

शोएब : जी, जी।

रिपोर्टर : किसी को गाली बकवानी है, तो वो भी होगा?

शोएब : जी, बिलकुल।

अब हम मनीष कुमार से मिले। दिल्ली की एक और डिजिटल मार्केटिंग कम्पनी माई आईटी टेकी के मालिक। यह मुलाक़ात भी दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में हुई थी। शोएब और उज़ैर की तरह हमने मनीष को भी बताया कि हम न्यूज वेबसाइट और एक यूट्यूब चैनल लेकर आ रहे हैं। और इसके लॉन्च के पहले दिन से हम लाखों में व्यू, सब्सक्राइबर, लाइक, फॉलोअर आदि चाहते हैं। मनीष ने हमारी माँग पर सहमति जतायी और तुरन्त हमें अपने यूट्यूब चैनल के लॉन्च के पहले दिन से ही लाखों व्यूज जनरेट करने की अपनी योजना के बारे में बताया।

रिपोर्टर : अच्छा हमें ये व्यूज पहले दिन से लाखों में चाहिए; यूट्यूब पर पहले दिन से।

मनीष : हर वीडियो पर?

रिपोर्टर : हर वीडियो पर।

मनीष : हो जाएगा।

रिपोर्टर : जैसा आपने उदाहरण दिया था, बादशाह का वीडियो डाला था।

मनीष : हाँ।

रिपोर्टर : लड़की पागल है? …लाखों व्यूज आ गये थे।

मनीष : हाँ, क़रीब 30 लाख। …वो एक बार में नहीं आने देते; लेकिन धीरे-धीरे ले जाते हैं।

रिपोर्टर : वैसे ही लाखों देखे गये, दिन एक से यूट्यूब पर; वो कैसे आएँगे?

 मनीष : शुरुआत से अगर लेके चलेंगे, तो कर सकते हैं। अगर मान लीजिए आप लाखों में बात कर रहे हैं, एक लाख तक तो हम कर सकते हैं।

रिपोर्टर : पहले दिन से?

मनीष : पहले दिन से।

रिपोर्टर : लेकिन वो ऑर्गेनिक तो होंगे नहीं।

मनीष : ऑर्गेनिक भी आते हैं और बोट्स भी आते हैं… बोट्स के मुक़ाबले आर्गेनिक हमें सस्ते पड़ते हैं। …होते ऑर्गेनिक ही हैं। पर वो देश सस्ते दे रहा है, जहाँ से वो व्यू आ रहे हैं।

रिपोर्टर : अच्छा जो बोट्स होंगे, वो आपके डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में होंगे या आप जिस कम्पनी से सर्विस लोगे?

मनीष : सर्विस है, वो आप भी करोगे, …मैं भी यूज करूँगा, …कोई भी यूज करेगा, उसके पैनल प्रोवाइडर हैं। …किसी भी कम्पनी में आप सर्च करोगे, …सबका प्राइस (भाव) वही होगा।

रिपोर्टर : मतलब आप कह रहे हैं कि जो पहले दिन से एक लाख व्यूज आएँगे हमारे यूट्यूब पे?

मनीष : हाँ, दे सकते हैं।

रिपोर्टर : उसमें बोट्स होंगे?

मनीष : सर! अगर मैं 300 डॉलर ख़र्च कर रहा हूँ एक लाख व्यूज के लिए या 2,000 ख़र्च कर रहा हूँ; तो वही चीज़ मैं 100 डॉलर में भी ले सकता हूँ। वही व्यूज मैं 500 डॉलर में भी ले सकता हूँ। 100 डॉलर भी मेरे लग रहे हैं और 500 डॉलर भी। क़ीमत का भेदभाव ही यही है कि जो सस्ते ब्रांड ले रहा हूँ उसकी कोई गारंटी नहीं है, बोट्स में भी वहाँ पे वो।

रिपोर्टर : आप बोल रहे हैं- बोट्स जो हैं, वो सस्ते होते हैं?

मनीष : सस्ते होते हैं।

बैठक के दौरान मनीष ने हमें आश्वासन दिया कि बोट्स का उपयोग करने के लिए हमें दण्डित नहीं किया जाएगा।

रिपोर्टर : और दूसरा यह बताएँ कि कहीं पकड़े तो नहीं जाएँगे हम?

मनीष : नहीं; ऐसा कोई मुद्दा नहीं है।

रिपोर्टर : बोट्स जो करोगे आप हमारे उसमें यूट्यूब की पॉलिसी, इंस्टाग्राम की पॉलिसी या फेसबुक की पॉलिसी का उल्लंघन हो रहा हो कहीं?

मनीष : नहीं हो रहा है। …व्यापक रूप से उपयोग करें।

रिपोर्टर : मतलब?

मनीष : मतलब, अधिकतम लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, ये सारी सेवाएँ अधिकतम लोग इस्तेमाल कर रहे हैं।

रिपोर्टर : नहीं, मैं बोट्स की बात कर रहा हूँ।

मनीष : सारी सेवाएँ, सब करते हैं।

रिपोर्टर : ऐसा न हो, कोई ब्लॉक कर दे?

मनीष : नहीं..नहीं…नहीं।

मनीष ने आगे भरोसे के साथ ख़ुलासा किया कि उनके लिए सबसे आसान काम इंस्टाग्राम और फेसबुक पर फॉलोअर्स लाना है।

रिपोर्टर : इंस्टाग्राम पेज भी बना सकते हैं आप?

मनीष : जी, बनेगा; बिलकुल बनेगा।

रिपोर्टर : उसके फॉलोअर्स कैसे आएँगे?

मनीष : हम्म… सबसे आसान काम फेसबुक या इंस्टाग्राम ही है।

रिपोर्टर : वो आसान है। …फेसबुक या इंस्टाग्राम के लिए फॉलोअर्स लाना?

मनीष : वो आसान है; …वो हो जाएगा।

मनीष : सर! आप बोलो, अभी 10 हज़ार फॉलोअर्स डाल दूँगा।

रिपोर्टर : इंस्टाग्राम पर? वो कैसे? …बोट्स?

मनीष : बोट्स भी हैं, अच्छे वाले भी हैं। …मतलब, सबसे आसान होता है। सबसे ज़्यादा मार्केट में ट्रेंड ही यही है। सबसे ज़्यादा लोग जो सर्विसेज इस्तेमाल करते हैं, वो इंस्टाग्राम की ही करते हैं। इंस्टाग्राम आजकल लोगों में काफ़ी फेमस है।

उपरोक्त तीन पात्र सागर की चंद बूँदें मात्र हैं। उनके जैसे बहुत-से लोग फ़र्जी फॉलोअर्स, लाइक्स और कमेंट्स पैदा करने का दावा करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक, यूट्यूब आदि पर नक़ली लाइक, व्यू या कमेंट ख़रीदना सैद्धांतिक रूप से उनकी सेवा की शर्तों के ख़िलाफ़ है। हालाँकि अनुशंसित कम्पनियों जैसी प्रतिष्ठित कम्पनियों से वास्तविक फॉलोअर्स को ख़रीदना उनकी सेवा की अवधि के विरुद्ध बिलकुल भी नहीं है। कोई अपराध नहीं किया जा रहा है। आप किसी क़ानूनी परेशानी में नहीं पड़ेंगे। लेकिन आपको याद रखने की ज़रूरत है कि सोशल मीडिया कम्पनियाँ निजी स्वामित्व में हैं। उनकी साइट का उपयोग करना निजी सम्पत्ति पर होने जैसा है। आपको उनके नियमों का पालन करने की ज़रूरत है, अन्यथा वे आपको अपनी सम्पत्ति का उपयोग करने से रोक सकते हैं।

दो दिन के भीतर अमेरिका में गोलीबारी की दूसरी घटना में एक की मौत

दो दिन के भीतर दूसरी घटना में अमेरिका के लॉस एंजिल्स के पास एक चर्च में  गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि चार लोग गंभीर घायल हो गए हैं। इस  घटना में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले न्यूयॉर्क राज्य में एक किराने की दुकान पर एक बंदूकधारी द्वारा 10 लोगों की हत्या के ठीक एक दिन बाद ये घटना हुई है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑरेंज काउंटी शेरिफ विभाग ने एक ट्वीट में बताया कि चार लोग गंभीर घायल हैं जबकि एक की मौके पर ही मौत हो गई। एक अन्य को मामूली घायल है।

विभाग मुताबिक घटना में एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। उसके पास से एक हथियार बरामद हुआ है। हो सकता है इसे ही घटना में इस्तेमाल किया गया हो।  घटना के बाद एक चर्च के बाहर आपातकालीन वाहन खड़े दिखे।

कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम के ऑफिस ने कहा – ‘स्थिति पर नजर रखी जा रही है। हम स्थानीय अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं। किसी को भी अपने पूजा स्थल पर जाने से डरने की जरूरत नहीं है। हमारी संवेदनाएं पीड़ितों के साथ हैं।’

सुनील जाखड़ ने फेसबुक लाइव में कहा – ‘गुडबाय कांग्रेस’, बोले राहुल पार्टी की कमान थामें

मेरा दिल तोड़ दिया कांग्रेस ने…गुड लक एंड गुड बाई। एक फेसबुक लाइव में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ने की बात कही है। जाखड़ का यह फैसला तब आया है जब कांग्रेस उदयपुर में चिंतन शिविर में संगठन को मजबूत करने की रणनीति बनाने के लिए जुटी है। लाइव के दौरान जाखड़ ने राहुल की जमकर तारीफ की और उन्हें चापलूसों से सावधान रहते हुए पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने का सुझाव दिया।

इस फेसबुक लाइव में जाखड़ ने यह भी कहा – ‘अगर सिस्टम न बदला तो पंजाब में कांग्रेस ख़त्म हो जाएगी।’ जाखड़ पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और कुछ समय पहले पार्टी की अनुशासन समिति की तरफ से उन्हें उनके बयानों के लिए ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया गया था।

जाखड़ के साथ पार्टी के जिन वरिष्ठ नेता केवी थामस को भी नोटिस जारी किया गया था उन्हें तीन दिन पहले पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। हो सकता है कि उन्हें एहसास हो कि पार्टी उन्हें भी पार्टी से बाहर कर सकती है। हाल के विधानसभा चुनाव के समय भी जाने की काफी अटकलें लगी थीं लेकिन वे कांग्रेस में बने रहे थे।

अब फेसबुक लाइव में जाखड़ ने कहा है कि उनका दिल उस दिन ही टूट गया था जब उन्हें नोटिस भेजा गया था। हालांकि, उनपर कार्रवाई स्थगित राखी गयी थी, लेकिन माना जा रहा है कांग्रेस ने अनुशासन के मामले में किसी तरह का समझौता न करने का फैसला किया है।

फेसबुक लाइव में आकर जाखड़ ने अंत में कहा – ‘गुडलक और गुडबाय कांग्रेस’।  लाइव आने से पहले उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट के बायो से कांग्रेस नेता की पहचान हटा ली। लाइव के दौरान जाखड़ ने पंजाब कांग्रेस के नेताओं, राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर और सीएम भगवंत मान पर भी निशाना साधा। इससे उनके भाजपा में जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

दिल्ली के मुंडका में आगजानी में अब तक 27 की मौत, कंपनी के मालिक दो भाई गिरफ्तार

राजधानी दिल्ली के मुंडका इलाके में एक व्यावसायिक इमारत में लगी आग में जिन्दा जल जाने वाले 27 लोगों के शव मिल गए हैं। कुछ लोग झुलसने से गंभीर हालत में हैं। अभी भी 19 लोगों का पता नहीं चल पाया है जबकि 50 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया  है। इस बीच पुलिस ने मामला दर्ज़ करके भवन में कम्पनी चला रहे दो भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि भवन का मालिक फरार हो गया है। इस बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को घटना की मजिस्ट्रेट से जांच की घोषणा करते हुए कहा कि, मृतको के निकट परिजनों को 10-10 लाख मुआवजा जबकि घायलों को 50-50 हजार रूपये की सहायता राशि दी जाएगी।

जानकारी के मुताबिक मुंडका मेट्रो स्टेशन से सटी एक चार मंजिला व्यावसायिक इमारत में पिछली शाम आग लगी। आग लग जाने से 27 लोगों की जलकर मौत हो गई जबकि कई लोग झुलसने से काफी गंभीर हालत में हैं। अभी भी भवन में कई लोगों के फंसे होने की जानकारी है। फायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुँच गयी और आग बुझाने और फंसे लोगों को बचाने का काम किया।

एनडीआरएफ का सर्च ऑपरेशन अभी जारी है और भवन के भीतर रह गए लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है हालांकि, उनके जिन्दा रहने को लेकर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।

पुलिस ने घटना को लेकर भादंसं की धारा 304/308/120/34 के तहत मामला दर्ज किया है। कंपनी के गिरफ्तार मालिक वरुण और हरीश गोयल के पिता अमरनाथ गोयल की भी आग में झुलस कर मौत हो गई है।जब आग लगी उस वक्त मोटिवेशनल स्पीच चल रही थी। अमरनाथ वहां मौजूद थे जिससे वे आग में फंस गए और निकल नहीं पाए। काफी ज्यादा झुलसने से अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

जिस व्यावसायिक इमारत में आग लगी, उसमें ज्यादातर कंपनियों के कार्यालय थे।  दिल्ली पुलिस के मुताबिक आग पहली मंजिल पर स्थित एक सीसीटीवी एंड राउटर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में लगी। रेस्क्यू में स्थानीय लोगों ने काफी मदद की।

तालिबानी फरमान, पति-पत्नी रेस्त्रां में नहीं जा सकते साथ

अफगानिस्तान में तालिबान ने एक और फरमान जारी करके रेस्त्रां में पति-पत्नी के एक साथ खाना खाने पर पाबंदी लगा दी है। इसे पहले पार्कों में महिला-पुरुष के एक साथ जाने पर पाबंदी लगा दी गयी थी। तालिबान का यह फरमान हेरात प्रांत के लिए है।

देश की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान ने अफगानिस्तान के पश्चिमी हेरात प्रांत में लैंगिक भेदभाव वाला यह आदेश लागू किया है। इस आदेश के मुताबिक  पुरुषों को परिवार के सदस्यों के साथ रेस्तरां में बैठकर खाना खाने की इजाजत नहीं होगी। सम्बंधित मंत्रालय की ओर से लागू किए गए आदेश में साफ़ कहा गया है कि  पति-पत्नी हों तब भी रेस्तरां में साथ नहीं बैठ सकते।

मंत्रालय ने इससे पहले हेरात के पार्कों के लिए एक आदेश जारी करके पुरुष और महिला के लिए पार्कों में जाने को अलग-अलग दिन निर्धारित किये हैं। महिलाओं को कहा गया है कि वो गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को पार्क जाएंगी जबकि बाकी दिन पुरुष।

उधर पश्चिमी देशों के मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके विदेश मंत्रियों ने एक साझे ब्यान में अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार इस इन आदेशों पर ‘निराशा’ जताई है और कहा है कि इससे अफगानी महिलाओं के मौलिक अधिकार पर असर पड़ेगा।

मध्य प्रदेश में शिकारियों ने उन्हें पकड़ने गए तीन पुलिस वालों की हत्या की

मध्य प्रदेश में शुक्रवार देर रात काले हिरन के शिकारियों ने उन्हें पकड़ने गए तीन पुलिस कर्मियों की गोलियां मारकर हत्या कर दी। इन पुलिस कर्मियों को गुना के इलाके के जंगल में काले हिरन का शिकार होने की  सूचना मिली थी।

जानकारी के मुताबिक गुना में पुलिस को जब काले हिरन के शिकार की जानकारी मिली तो वे उन्हें पकड़ने के लिए थाना आरोन थाना क्षेत्र के सगा बरखेड़ा गांव पहुंचे। वहां जब शिकारियों ने पुलिसकर्मियों पर गोली चलाई तो पुलिस कर्मियों ने जबावी फायर किया। हालांकि, इस मुठभेड़ में हुई फायरिंग में तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए।

ये घटना शुक्रवार देर रात की है। शिकारियों के साथ हुईं मुठभेड़ में एसआई  राजकुमार जाटव, आरक्षक नीरज भार्गव और आरक्षक संतराम की मौत हो गई।  पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पुलिस और शिकारियों के बीच हुईं भिड़ंत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर मुख्यमंत्री ने आपात उच्चस्तरीय बैठक की है जिसमें उन्होंने आरोपियों को तुरंत पकड़ने के आदेश दिए हैं। बैठक में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा , सीएस, डीजीपी (वर्चुअली) , आदि अधिकारी भी जुटे।

तीर्थयात्रियों के अभूतपूर्व आगमन के कारण केदारनाथ मंदिर में सुरक्षा और दर्शन को सुव्यवस्थित करने के लिए ITBP की तैनाती

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) केदारनाथ मंदिर और केदारनाथ घाटी में तीर्थयात्रियों के दर्शन और उनके आवागमन को नियंत्रित कर रही है। मंदिर में प्रतिदिन 20 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं और सोनप्रयाग, ऊखीमठ और केदारनाथ जैसे स्थानों पर केदारनाथ घाटी में आने-जाने वाले तीर्थयात्रियों की भीड़ भक्तों से भरी है।

आपको बता दे, 6 मई, 2022 के बाद मंदिर के कपाट खोले हुए एक सप्ताह का समय हो चुका है और अब तक अनुमानतः 1 लाख 30 हजार से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं।

ITBP ने इलाके में अपनी आपदा प्रबंधन टीमों को भी अलर्ट कर दिया है। जगह-जगह ऑक्सीजन सिलेंडर और चिकित्सा उपकरणों के साथ मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं और राज्य प्रशासन की मदद से मेडिकल इमरजेंसी और जरूरत पड़ने पर बीमार लोगों को निकालने का अभ्यास किया जा रहा है।

उधर बद्रीनाथ मंदिर में भी ITBP की टीमें मंदिर और नागरिक प्रशासन को दर्शन के सुचारू संचालन और तीर्थयात्रियों के मंदिर परिसर आदि में आवागमन आदि के प्रबंधन में मदद कर रही हैं।

इस साल चार धाम यात्रा के शुरुआती दिनों में तीर्थयात्रियों की अभूतपूर्व संख्या देखी जा रही है क्योंकि इसे 2 साल बाद कोविड प्रतिबंध हटाने के बाद पूर्व की भांति श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है।