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‘पहलगाम हमले पर बुलाया जाए संसद का विशेष सत्र’- राहुल गांधी

नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में दहशत का माहौल है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आतंकी हमले पर चर्चा करने का अनुरोध किया। साथ ही पत्र में संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया गया है। पिछले हफ्ते हुए आतंकी हमले के बाद से विपक्ष के कई सांसदों ने सरकार से ऐसी मांग की है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में आगे कहा गया, ‘इस समय में एकता और एकजुटता जरूरी है, इस महत्वपूर्ण समय में भारत को यह दिखाना होगा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हमेशा एकजुट हैं।’

खरगे के मुताबिक, संसद का विशेष सत्र बुलाकर सभी 22 अप्रैल को निर्दोष नागरिकों पर पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले से निपटने के लिए हमारे सामूहिक संकल्प और इच्छाशक्ति का एक शक्तिशाली प्रदर्शन करेंगे। हमें उम्मीद है कि सत्र तदनुसार बुलाया जाएगा। कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने मंगलवार सुबह पत्र जारी किया।

राहुल गांधी ने भी पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने लिखा, ‘प्रिय प्रधानमंत्री जी, पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने हर भारतीय को झकझोर कर रख दिया है। इस नाजुक समय में भारत को यह दिखाना होगा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हमेशा एकजुट रहेंगे। विपक्ष का मानना ​​है कि संसद के दोनों सदनों का एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए, जहां जनता के प्रतिनिधि अपनी एकता और दृढ़ संकल्प दिखा सकें। हम अनुरोध करते हैं कि ऐसा विशेष सत्र जल्द से जल्द बुलाया जाए।’

21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार आधुनिक बनाई जा रही देश की शिक्षा प्रणाली: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में आयोजित ‘युग्म कॉन्क्लेव’ में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर होता है, इसलिए ये जरूरी है कि हम अपने युवाओं के भविष्य के लिए और उनको भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करें।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज यहां सरकार, एकेडमी, साइंस और रिसर्च से जुड़े भिन्न-भिन्न क्षेत्र के लोग इतनी बड़ी संख्या में उपस्थि​त हैं। इस एकजुटता को ही युग्म कहते हैं। एक ऐसा युग्म जिसमें विकसित भारत के फ्यूचर टेक से जुड़े स्टेकहोल्डर्स एक साथ जुड़े हैं, एक साथ जुटे हैं। मुझे विश्वास है, हम जो भारत की इनोवेशन कैपेसिटी और डीप टेक में भारत की भूमिका को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, उसे इस आयोजन से बल मिलेगा।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है, इसलिए उन्हें भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करना बहुत जरूरी है। इसमें शिक्षा की अहम भूमिका है। इसलिए हम 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बना रहे हैं। नई शिक्षा नीति इस बदलाव को आगे बढ़ा रही है। देश में नई शिक्षा नीति लाई गई है। इसे शिक्षा के वैश्विक मानक को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। नई शिक्षा नीति आने के बाद हम भारतीय एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव भी देख रहे हैं। कक्षा 1 से 7 तक के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार हो चुकी हैं। पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफॉर्म जैसी पहल पूरे देश में एकीकृत शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर रही हैं। इस परिवर्तन का समर्थन करने के लिए एआई द्वारा संचालित एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर होता है, इसलिए ये जरूरी है कि हम अपने युवाओं के भविष्य के लिए और उनको भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करें। इसमें बड़ी भूमिका देश के एजुकेशन सिस्टम की भी होती है, इसलिए हम देश के एजुकेशन सिस्टम को 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक आधुनिक बना रहे हैं। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और इसे आगे बढ़ाने के लिए, भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमने इस दिशा में लगातार काम किया है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि दीक्षा मंच के तहत वन नेशन, वन डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है। ये इंफ्रास्ट्रक्चर एआई आधारित है। इसका उपयोग कई देशों में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने में किया जा रहा है। वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन ने युवाओं को ये भरोसा दिया है कि सरकार उनकी जरूरतों को समझती है। आज इस योजना की वजह से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों तक विश्व स्तरीय शोध पत्रिकाओं तक पहुंचना आसान हो गया है। भारत के विश्वविद्यालय परिसर आज नए गतिशील केंद्र बन रहे हैं। ऐसे केंद्र, जहां युवा शक्ति सफलता के नवाचारों को बढ़ावा दे रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की बाधा का सामना न करना पड़े, प्रधानमंत्री अनुसंधान फेलोशिप की स्थापना की गई है। हमने विकसित भारत के लक्ष्य के लिए अगले 25 वर्षों की समयसीमा तय की है। हमारे पास समय सीमित है, लक्ष्य बड़े हैं।

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने के लिए निवेश किए 290 करोड़- केंद्रीय मंत्री

देश की छह ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने अब तक स्टार्टअप इकोसिस्टम को सपोर्ट करने के लिए 290 करोड़ रुपए का निवेश किया है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को यह बयान दिया।

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने अपने 550 करोड़ रुपए के स्टार्टअप फंड से 303 उभरते हुए स्टार्टअप्स को सपोर्ट किया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है।

पुरी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “भारत की स्टार्टअप यात्रा सिर्फ संख्याओं के बारे में नहीं है। यह सपनों, दृढ़ संकल्प और इनोवेशन द्वारा आकार दिए गए नए भविष्य के बारे में है।”

हरदीप पुरी ने आगे कहा कि देश में 1.5 लाख से अधिक स्टार्टअप और 120 यूनिकॉर्न हैं।

पुरी ने पोस्ट में आगे कहा, “पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत आने वाली छह ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने अपने 550 करोड़ रुपए के स्टार्टअप फंड में से 290 करोड़ रुपए का निवेश 303 कंपनियों में किया है।”

सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 में फंड ऑफ फंड्स स्कीम के माध्यम से डीपटेक और एआई-सक्षम प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए स्टार्टअप्स को 10,000 करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया था।

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में ‘स्टार्टअप महाकुंभ’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार एक नियामक के रूप में नहीं बल्कि एक सुविधाकर्ता के रूप में स्टार्टअप का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। इनोवेशन में भारत की बढ़ती ताकत पर प्रकाश डालते हुए, गोयल ने डीप टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स में देश की क्षमता पर विश्वास जताया।

गोयल ने कहा, ” मुझे विश्वास है कि भारत इनोवेशन की दुनिया में बड़े पैमाने पर आगे बढ़ेगा। हम वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।”    

पाकिस्तान ने किया मिसाइल टेस्ट करने का एलान, अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। अब भारत की प्रतिक्रिया के 24 घंटे के भीतर पाकिस्तान ने सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण करने की घोषणा कर दी है। इस कदम के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने 24-25 अप्रैल के बीच कराची तट के पास अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में मिसाइल परीक्षण की अधिसूचना जारी की है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षण महज तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश भी है, खासकर ऐसे समय में जब भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते पहले से ही बेहद तनावपूर्ण हैं।

पहलगाम आतंकी हमले पर प्रधानमंत्री मोदी की दहाड़, आतंकियों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को भारत की आत्मा पर हमला बताया और देश की 140 करोड़ आबादी की इच्छाशक्ति के संबल से दहाड़ते हुए आज कहा कि अब आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है और आतंकियों एवं साजिशकर्ताओं को ऐसी सजा मिलेगी जो उनकी कल्पना से भी बड़ी होगी।

श्री मोदी ने गुरुवार को यहां झंझारपुर के लोहना पंचायत में पंचायती राज स्थापना दिवस पर आयोजित सभा में 13,480 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा, “यह हमला सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं हुआ है। देश के दुश्मनों ने भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। अब आतंकियों की बची खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंक के आकाओं की कमर तोड़कर रहेगी।”

पीएम मोदी ने कहा कि पहलगाम में आतंकियों ने मासूम देशवासियों को जिस बेरहमी से मारा है। इस दुख की घड़ी में पूरा देश साथ खड़ा है। इस आतंकी हमले में किसी ने बेटा, किसी ने भाई, किसी ने जीवनसाथी खोया है, कोई बांग्ला, कोई कन्नड़ा, कोई मराठी, कोई उड़िया, कोई गुजराती, कोई बिहार का लाल था। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारा दुख, आक्रोश एक जैसा है। ये हमला सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं हुआ है। देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया। हमला करने वाले आतंकियों और साजिश रचने वालों को कल्पना से बड़ी सजा मिलेगा। सजा मिलकर रहेगी। आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है।

मातृ-शिशु की मृत्यु दर घटाना एक बड़ी चुनौती

विश्व आबादी आठ अरब से अधिक है, इस आबादी का स्वास्थ्य भी एक अहम विषय है और इस मुद्दे पर विश्व भर का ध्यान आकर्षित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रत्येक 07 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाता है। इसकी शुरुआत 1950 को हुई थी। 2025 विश्व स्वास्थ्य दिवस का थीम स्वस्थ शुरुआत, आशा-पूर्ण भविष्य है। इसके तहत मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य पर एक साल तक चलने वाले अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान में सरकारों और स्वास्थ्य समुदाय से आग्रह किया गया है कि वे रोके जा सकने वाली मातृ एवं नवजात शिशुओं की मृत्यु को रोकने के लिए कोशिशें तेज़ करें और महिलाओं के दीर्घकालिक स्वास्थ्य एवं कल्याण को प्राथमिकता दें।

ग़ौरतलब है कि दुनिया भर में वर्ष 2023 में 2.60 लाख महिलाओं की मौत प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं के कारण हुई। और हर साल 20 लाख से अधिक बच्चे अपने जीवन के पहले महीने ही मर जाते हैं और लगभग 20 लाख बच्चे मृत पैदा होते हैं। चिन्ता की बात यह है कि सतत विकास लक्ष्य 3.1 (वर्ष 2030 तक वैश्विक मातृ मृत्यु दर को प्रति लाख जीवित जन्मों पर 70 से नीचे लाना है।) की सूची में निर्धारित मातृ स्वास्थय लक्ष्य को हासिल करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। मातृ स्वास्थ्य में सुधार लाने के लक्ष्य को पूरा करने में पाँच में से चार देश पीछे चल रहे हैं। तीन में से एक देश नवजात मृत्यु दर को कम करने के लक्ष्य को पूरा करने में पिछड़ जाएगा।

इसी 07 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस पर मातृ मृत्यु दर में प्रवत्ति नामक एक रिपोर्ट जारी की गयी। इसके अनुसार, 2000-2023 के दौरान मातृत्व मौतों (गर्भावस्था या प्रसव के दौरान या उसके 42 दिनों के भीतर मौत होना) में 40 प्रतिशत की कमी आयी है; लेकिन 2016 के बाद से इस मामले में सुधार की रफ़्तार धीमी हो गयी है। यह चिन्ता का विषय है। इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में दुनिया भर में 2.60 लाख महिलाओं की मौत मातृत्व मौत के रूप में दर्ज की गयी, जो कि लगभग हर दो मिनट में एक मातृत्व मौत के समान है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2023 में 19,000 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई। भारत में हर रोज़ 52 मातृ मृत्यु हो रही हैं। 2023 के मातृ मृत्यु दर के आँकड़ों पर निगाह डालें तो सबसे अधिक 75,000 मौतें नाइजीरिया में हुईं यानी दुनिया में यह भागीदारी 28.7 प्रतिशत। इसके बाद भारत है, जहाँ यह संख्या 19,000 है यानी 7.2 प्रतिशत। इसके बाद कांगो व पाकिस्तान का नंबर आता है। दुनिया की 47 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की मौत इन चार देशों में दर्ज की गयीं। बेशक भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मातृ मृत्यु दर के मामले में भारत (145 करोड़) की तुलना नाइजीरिया (23.26 करोड़) से करने पर चिन्ता व्यक्त की है तथा यह स्पष्ट किया कि जनसंख्या के आकार को समायोजित किये बिना निरपेक्ष संख्याओं का उपयोग किये जाने से भारत की सापेक्षिक प्रगति का त्रुटिपूर्ण चित्रण हो सकता है। भारत की मातृ मृत्यु दर में वर्श 2000-2020 में कमी आयी है; लेकिन भारत के कई ऐसे राज्य हैं, जहाँ यह दर अधिक चिन्ता का विषय है। ऐसे राज्यों में असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और बिहार हैं। अब विश्व की सबसे बड़ी पाँचवी अर्थव्यवस्था के सामने एक प्रमुख चुनौती सतत विकास लक्ष्य 3.1 को हासिल करना है। भारत में दुर्गम इलाक़ों में जच्चा व बच्चा को सही समय पर स्वास्थ्य सुविधाएँ सरलता से उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे इलाक़ों से गर्भवती महिलाओं को सही समय पर उचित चिकित्सा सेवाएँ न मिलने के चलते मरने की ख़बरें आती रहती हैं।

वर्ष 2000 से भारत में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में 61 प्रतिशत व पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 70 प्रतिशत की कमी आयी है; पर इसके बावजूद यहाँ के बच्चों का वज़न व लंबाई तय मानकों से कम है, जो कि चिन्ता का विषय है। इसकी एक प्रमुख वजह कुपोषण है। दरअसल, आर्थिक असमानता समाज के ग़रीब, वंचित तबक़े को सबसे अधिक प्रभावित करती है। सरकार का दायित्व है कि वह स्वास्थ्य बजट को अधिक रक़म आवंटित करे; लेकिन भारत सरकार कुल बजट का दो प्रतिशत के आसपास ही स्वास्थ्य के लिए आवंटित करती है। हालाँकि सरकारी बजट में ही समाज की सेहत को अधिक गंभीरता से लेने वाली प्रवृत्ति नहीं झलकती, तो इसे क्या समझना चाहिए? हाल ही में इटली के हज़ारों लोगों ने अपनी सरकार द्वारा हथियारों पर अधिक ख़र्च करने का विरोध करने के लिए सड़कों पर नारे लगाते नज़र आये। उनकी माँग हथियारों पर ख़र्च करने की बजाय स्वास्थ्य सेवाओं का बजट बढ़ाने की थी, ताकि उनके देश के लोग बेहतर एवं स्वस्थ ज़िन्दगी जी सकें। ऐसा प्रदर्शन एक मिसाल है।

पहलगाम हमले के बाद एक्शन में सरकार, प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर हाईलेवल मीटिंग

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सरकार अलर्ट पर है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए है। इस हमले को लेकर पूरे देश में गुस्सा है। वहीं, प्रधानमंत्री आवास पर सीसीएस की बैठक जारी है। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर, अजीत डोभाल आदि मौजूद हैं।

हमले की जिम्मेदारी कश्मीर में आतंक का नया पर्याय बने लश्कर- ए-तैयबा के हिट स्क्वॉड द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। अमित शाह ने आतंकी वारदात को लेकर कहा कि इस जघन्य आतंकी हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और हम अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देंगे। गृह मंत्री अमित शाह थोड़ी देर में श्रीनगर पहुंचे हैं। गृह मंत्री सभी एजेंसियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहलगाम में एक धर्म विशेष को निशाना बनाकर आतंकवादियों ने कायराना हरकत की। जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार हर जरूरी कदम उठाएगी। हम न सिर्फ इस कृत्य के दोषियों तक पहुंचेंगे, बल्कि पर्दे के पीछे के लोगों तक भी पहुंचेंगे। आरोपियों को जल्द ही करारा जवाब मिलेगा, यह मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं।

इससे हमारा कोई लेना-देना नही, पहलगाम अटैक पर आया पाकिस्तान का पहला बयान

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जहां भारत में शोक और आक्रोश का माहौल है, वहीं पाकिस्तान की ओर से इस हमले पर सफाई देने के साथ-साथ विवादित बयान भी सामने आए हैं। इस हमले में अब तक 27 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि “इस हमले से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं है। हम हर तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं।” हालांकि इसके बाद उन्होंने भारत पर ही हमला बोलते हुए कहा कि “इस हमले के पीछे खुद भारत के लोग भी हो सकते हैं।”

ख्वाजा आसिफ ने कहा, “भारत के नागालैंड, मणिपुर और कश्मीर में लोग सरकार के खिलाफ हैं। भारत सरकार अल्पसंख्यकों को शोषित कर रही है – चाहे वे बौद्ध हों, ईसाई हों या मुसलमान। इसलिए लोग आवाज उठा रहे हैं।”

इस बीच, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का एक पुराना बयान भी वायरल हो रहा है, जो उन्होंने 16 अप्रैल को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान दिया था। मुनीर ने कहा था, “कश्मीर हमारी नस है, यह थी, है और रहेगी। हम कश्मीर को कभी नहीं भूलेंगे। हम कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ सकते।”

इस बयान को भारत में हो रहे आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है, और इसे भारत-विरोधी मानसिकता का प्रतिबिंब बताया जा रहा है। पहलगाम हमले के बाद भारत में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा तेज़ हो गया है। रक्षा विशेषज्ञों और राजनेताओं का कहना है कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में फर्क है। एक ओर पाकिस्तान आतंकी हमलों से खुद को अलग बताता है, वहीं दूसरी ओर उसके सेना प्रमुख ‘कश्मीर को नस’ बताकर उकसावे वाले बयान देते हैं।

पहलगाम आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत की आशंका, ट्रंप-पुतिन ने की निंदा

पहलगाम के बैसरन में मंगलवार को बड़ा आतंकी हमला हुआ. आतंकियों ने पर्यटकों के ग्रुप को निशाना बनाया, जिसमें आशंका है कि 26 लोगों की मौत हो गई. दर्जन भर से ज्यादा लोग इस हमले में घायल भी हुए हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. आतंकियों को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा सर्च ऑपरेशन  

चलाया जा रहा है. सीआरपीएफ (CRPF) की क्विक एक्शन टास्क फोर्स भी आतंकियों की तलाश कर रही है. इस बीच गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर में हैं और हालात पर बारीकी से नजर रखे हैं ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर सऊदी अरब की ओर से आयोजित आधिकारिक रात्रिभोज में भाग नहीं लिया. उन्होंने अपनी सऊदी यात्रा को छोटा करने का फैसला लिया. आज रात वह भारत के लिए रवाना होंगे. बुधवार की सुबह भारत पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री दो दिनों के दौरे के लिए सऊदी गए हुए थे।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए कहा कि मुश्किल समय में हम भारत के साथ हैं.

पहलगाम आतंकी हमला: दो आतंकियों के स्कैच जारी, NIA ने संभाली जांच की कमान

जम्मू-कश्मीर : पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसके बाद जांच एजेंसियां पूरी तरह एक्शन मोड में आ गई हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दो संदिग्ध आतंकियों के स्कैच जारी किए गए हैं। इन स्कैच के जरिए आतंकियों की पहचान और तलाश तेज कर दी गई है।

कश्मीर घाटी के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या से देश स्तब्ध है। इस आतंकी घटना ने न केवल घाटी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि एक बार फिर आतंक के साए को उजागर कर दिया है। हमले के बाद केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच की जिम्मेदारी NIA को सौंप दी है।

घटनास्थल पर पहुंची NIA की टीम ने प्रारंभिक जांच के आधार पर दो संदिग्ध आतंकियों के स्कैच जारी किए हैं। इन स्कैच को सार्वजनिक कर लोगों से आतंकियों की पहचान में मदद की अपील की गई है। बताया जा रहा है कि ये आतंकी घटना के बाद पहलगाम क्षेत्र से भाग निकले थे और घाटी के भीतर ही कहीं छिपे हो सकते हैं।

सुरक्षा बलों ने पहलगाम और उससे लगे इलाकों में सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है और ड्रोन की मदद से भी पहाड़ियों और घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि हमले की योजना लंबे समय से बनाई जा रही थी और इसका उद्देश्य घाटी में दहशत फैलाना और पर्यटन गतिविधियों को नुकसान पहुंचाना था। इस बात की भी जांच हो रही है कि क्या स्थानीय मदद से आतंकी हमला अंजाम दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कायराना हमले की निंदा करते हुए शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और जल्द ही उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस हमले की तीखी प्रतिक्रिया हुई है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस समेत कई देशों ने इस घटना की निंदा करते हुए भारत के साथ एकजुटता दिखाई है।