अंजलि भाटिया
नई दिल्ली : मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनों में सफर अब पहले से ज्यादा सुरक्षित होने जा रहा है। हाल ही में लोकल ट्रेन से गिरने की घटनाओं में चार यात्रियों की मौत के बाद रेलवे ने बड़ा फैसला लिया है। नॉन-एसी लोकल ट्रेनों को अब नई तकनीक और डिजाइन के साथ तैयार किया जाएगा। पहली ट्रेन जनवरी 2026 में मुंबई की पटरियों पर दौड़ने लगेगी।
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुंबई उपनगरीय रेल सेवा पर अत्याधिक दबाव के चलते हर रोज एक दर्जन से अधिक यात्रियों की मौत हो जाती है। इसके समाधान के लिए पूर्व में नॉन एसी ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाने का प्रावधान किया गया था। लेकिन इसका ट्रॉयल सफल नहीं रहा। रेल यात्रियों में वेंटिलेशन की कमी और घुटन होने की शिकायत की। कई यात्री बेहोशी होने की स्थिति में पहुंच गए। मुंबई की घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चैन्नई के इंजीनियरों व शीर्ष अधिकारियों से बैठकर इसका समधान ढूढ निकाल है।
अधिकारी ने बताया कि उपनगरीय रेल सेवा के लिए अब नई तकनीक की नॉन एसी ट्रेनें बनाई जाएंगी। उनमें वेंटिलेशन की इस समस्या को तीन बड़े डिज़ाइन बदलावों से हल किया जाएगा। पहला दरवाज़ों में लूवर (छिद्रयुक्त झरोखे) लगाए जाएंगे ताकि हवा आसानी से आर-पार होगी। दूसरा कोच की छत पर वेंटिलेशन यूनिट्स लगाई जाएंगी जो कोच में ताज़ी हवा पहुंचाएंगी।
तीसरा कोचों के बीच वेस्टिब्यूल होंगे जिससे यात्री एक डिब्बे से दूसरे में जा सकें और भीड़ अपने आप संतुलित हो सके। इससे रेल यात्री कोच के पायदान पर लटकर सफर नहीं करेंगे। अधिकारी का दावा है कि पहली नई डिजाइन की कोच जनवरी 2026 में पटरी पर दौड़ने लगेगी। इसके सफल ट्रॉयल के पश्चात नई डिजाइन लोकल ट्रेनों का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके अलावा मुंबई में वर्तमान मे दौड़ रही नॉन एसी 3202 लोकल ट्रेनों में नई डिजाइन में परिवर्तित करने की योजना है।
रेलवे विशेषज्ञों का कहना है नॉन-एसी लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाने से ट्रेनों की गति पर असर पड़ेगा। वर्तमान में लोकल ट्रेनें स्टेशन पर सिर्फ 15–20 सेकंड रुकती हैं, इतने में यात्री चढ़-उतर जाते हैं। लेकिन ऑटोमैटिक दरवाजों को बंद होने में 50–60 सेकंड तक लगते हैं। अगर किसी एक कोच का दरवाजा नहीं बंद हुआ, तो पूरी ट्रेन नहीं चल पाएगी।सभी स्टेशनों पर इतना समय लगाने पर पीछे की ट्रेनें प्रभावित होंगी और पूरा संचालन धीमा पड़ सकता है। साथ ही, ऑटोमैटिक दरवाजों के कारण एक कोच में यात्री क्षमता भी कम हो जाएगी।
नए साल में पटरियों पर होगी नई डिजाइन की नॉन एसी लोकल ट्रेन
भीषण गर्मी से निजात: वाइल्डलाइफ एसओएस ने हाथी और भालुओं को ठंडा रखने के लिए किये विशेष इंतज़ाम
जैसे-जैसे पूरे उत्तर भारत में तापमान बढ़ रहा है, वाइल्डलाइफ एसओएस ने अपने आगरा और मथुरा केंद्रों में बचाए गए भालू और हाथियों की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अपने विशेष प्रबंधन प्रोटोकॉल को फिर से सक्रिय कर दिया है। इन विशेष प्रबंधन के तहत जानवरों को हाइड्रेट रखना एवं उन्हें गर्मी में भी ठंडा रखने के उपाय शामिल हैं।
आगरा भालू संरक्षण केंद्र में भालुओं को दिए जाने वाले तरबूज और खीरे जैसे हाइड्रेटिंग मौसमी फलों की मात्रा में वृद्धि हुई है। आइस पॉप्सिकल्स और जमे हुए फलों के ब्लॉक जैसे शीतलता बढ़ाने वाले पदार्थ भालुओं को दिए जा रहे हैं, जो पोषण प्रदान करने और उन्हें ठंडा रखने में मदद करते हैं। बाड़ों में कूलर और ओवरहेड स्प्रिंकलर लगे हैं, जबकि पानी के पूल गर्मी के दिनों में बहुत जरूरी राहत प्रदान करते हैं। गर्मी से तनाव के लक्षण दिखाने वाले भालुओं में निर्जलीकरण को रोकने के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) भी दिया जा रहा है।

इस बीच, मथुरा में हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र और हाथी अस्पताल परिसर में, नए अनुकूलन में दिन के ठंडे समय में हाथी सैर पर जाते हैं – सुबह जल्दी और देर शाम – जिससे हाथी दोपहर की गर्मी से बच सकें। स्प्रिंकलर, नियमित पूल रखरखाव और अतिरिक्त ओआरएस सेवन हाथियों को हाइड्रेटेड और आरामदायक बनाए रख रहे हैं। दिन में कई बार साफ पीने का पानी बदला जाता हैं, जबकि छायादार संरचनाएं और मिट्टी के गड्ढे शरीर के तापमान को स्वाभाविक रूप से नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “भारत में गर्मियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं और हमारी देखभाल में रहने वाले जानवर भी इंसानों की तरह ही इसका सामना कर रहे हैं। हमारी टीमें हर साल इन चुनौतियों का अनुमान लगाती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि हमारी देखरेख में रह रहे हर भालू और हाथी के पास वह सब कुछ हो जो उन्हें स्वस्थ, हाइड्रेटेड और खुश रहने के लिए चाहिए।”
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा, “हमारे ग्रीष्मकालीन प्रोटोकॉल शारीरिक राहत से कहीं आगे जाते हैं; वे जानवरों की भावनात्मक और व्यवहारिक भलाई का भी समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। चाहे वह जमे हुए भोजन का आनंद ले रहा भालू हो या आरामदायक स्नान का आनंद ले रहा हाथी, हर उपाय वर्षों की विशेष देखभाल को दर्शाता है।”
वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक डॉ. इलियाराजा ने कहा, “ओआरएस अनुपूरण, अनुकूलित आहार और आवास शीतलन कुछ पशु चिकित्सा-नेतृत्व वाले हस्तक्षेप हैं जिन्हें हमने शुरू किया है। निरंतर निरीक्षण हमें गर्मी के तनाव या थकान के किसी भी शुरुआती संकेत पर तुरंत प्रतिक्रिया करने की अनुमति देता है।”
बेंगलुरु भगदड़ मामला में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करने का दिया आदेश
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार (10 जून) को राज्य को बेंगलुरु भगदड़ मामले में सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब पेश करने की अनुमति दे दी। इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को होगी। कोर्ट ने इस हादसे का स्वतः संज्ञान लिया था।
बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में चार जून को रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत का जश्न मनाने आए फैंस के बीच भगदड़ मची थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई। इस मामले पर अगले दिन हाई कोर्ट स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत इस हादसे के पीछे की वजह का पता लगाना चाहती है। अदालत जानना चाहती है कि क्या इस हादसे को रोका जा सकता था और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की खंडपीठ के समक्ष बताया कि उन्होंने जवाब दाखिल नहीं किया है।
शशि किरण शेट्टी ने कहा, “न्यायिक आयोग का गठन किया गया है और रिपोर्ट देने के लिए एक महीने का समय दिया गया है। पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। लंबित जमानत याचिकाओं में, जो कुछ भी यहां कहा जाता है, उसका इस्तेमाल वहां आरोपी कर रहे हैं।”
हाई कोर्ट ने पूछा, “क्या आप यह कह रहे हैं कि आप हमारे निर्देशों का जवाब नहीं देंगे?” इस पर महाधिवक्ता ने कहा, “कृपया इसे कल रखें, हम जवाब दाखिल करेंगे। कुछ चीजें हैं”।
हाई कोर्ट ने जवाब दाखिल करने में कठिनाई की वजह पूछी, जिस पर महाधिवक्ता ने कहा, “मैं खुली अदालत में नहीं रखना चाहता, हम पूर्वाग्रह से ग्रसित हो जाएंगे। स्वतंत्र जांच की रिपोर्ट आने दें और ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम पक्षपाती हैं। यह केवल एक महीने का मामला है।”
हाई कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को आदेश दिया कि वह अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में दाखिल करें। एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने कोर्ट से स्वतंत्र जांच की रिपोर्ट आने तक इंतजार करने की अपील की है।
कोर्ट ने आदेश में कहा, “हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल (आरजी) ने 5 जून के हमारे पिछले आदेश के अनुसार रिट याचिका (डब्ल्यूपी) दाखिल किया है। शशि किरण शेट्टी ने बताया कि एडवोकेट जनरल ने कहा है कि वह सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करना चाहते हैं, उन्हें गुरुवार तक या उससे पहले ऐसा करने की अनुमति है। आरजी यह सुनिश्चित करेंगे कि जवाब सुरक्षित रखा जाए।” इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को होगी।
दिल्ली में कोरोना से एक और मौत, 24 घंटे में मिले 37 नए मरीज
राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामलों में फिर से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। मंगलवार को दिल्ली में कोरोना से एक 90 साल की महिला की कोरोना से मौत हो गई। अब तक मरने वालों की संख्या 8 हो गई है। वहीं कोविड के अब तक एक्टिव केस 691 सामने आई हैं। पिछले 24 घंटे में 37 नए मामले आए, जबकि 1232 मरीज ठीक हुए और 104 मरीज 24 घंटे में ठीक हुए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार, बीते रविवार को दिल्ली में कोरोना के एक्टिव केस 686 हैं। रविवार को दिल्ली में कोरोना के 21 नए मामले सामने आए। दिल्ली में एक जनवरी से अभी तक कोरोना के 1024 मरीज ठीक हो चुके हैं।
रविवार को कोरोना को 132 मरीज ठीक हुए। दिल्ली में कोरोना से अभी तक सात मरीजों ने दम तोड़ दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के मामले कम जरूर हो रहे हैं, लेकिन इसे लेकर लापरवाही नहीं कर सकते। ऐसा करने से गंभीर मरीजों को दिक्कत हो सकती है।
राजा रघुवंशी हत्या मामले में बड़ा खुलासा, पत्नी सोनम निकली हत्यारिन
शिलॉन्ग से कथित तौर पर लापता हुई इंदौर की सोनम रघुवंशी ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। मेघालय के सीएम कोनरॉड संगमा ने एक्स पोस्ट पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक महिला ने आत्मसमर्पण कर दिया है। उसके साथ तीन हमलावर भी पकड़े गए हैं, जबकि एक की तलाश जारी है।
संगमा ने एक्स पर मेघालय पुलिस की सराहना करते हुए लिखा- राजा हत्याकांड में मेघालय पुलिस को सात दिनों के भीतर एक बड़ी सफलता मिली है… मध्य प्रदेश के रहने वाले तीन हमलावरों को गिरफ्तार किया गया है, महिला (सोनम) ने आत्मसमर्पण कर दिया है और एक अन्य हमलावर को पकड़ने के लिए अभियान अभी भी जारी है। बहुत बढ़िया मेघालय पुलिस!
मेघालय के डीजीपी आई नोंग्रांग ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि इंदौरके पर्यटक राजा रघुवंशी की हत्या कथित तौर पर मेघालय में हनीमून के दौरान उनकी पत्नी द्वारा किराए पर लिए गए लोगों ने की।
उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमिताभ यश ने बताया, ’24 वर्षीय सोनम रघुवंशी वाराणसी-गाजीपुर मेन रोड पर काशी ढाबा पर मिली। उसे प्राथमिक उपचार के लिए सदर अस्पताल भेजा गया और फिर उसके बाद गाजीपुर के वन स्टॉप सेंटर में रखा गया।’
बता दें कि इस केस को लेकर मेघालय पुलिस पर काफी दबाव भी था। इंदौर के राजा और सोनम रघुवंशी की शादी 11 मई को हुई थी। जोड़ा 20 मई को हनीमून के लिए असम में मां कामाख्या के दर्शन करने के बाद 23 मई को मेघालय के शिलॉन्ग रवाना हुआ। शुरुआत में परिवार की दोनों से बात होती रही, फिर संपर्क टूट गया।
24 मई से ही दोनों के मोबाइल बंद हो गए तो परिवार वालों को चिंता हुई। कई कोशिशों के बाद जब कोई संपर्क नहीं हो सका तो सोनम के भाई गोविंद और राजा के भाई विपिन इमरजेंसी फ्लाइट से शिलॉन्ग पहुंचे।
यहां दोनों के लापता होने पर एनडीआरएफ और पुलिस ने व्यापक तलाशी अभियान चलाया, जिसके आठ दिन बाद राजा रघुवंशी का शव एक गहरी खाई में मिला। सोनम रघुवंशी की तलाश जारी थी। मामले को लेकर देशभर में खूब शोर मचा, इसके बाद दोनों के परिवार और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने भी सीबीआई जांच की मांग की थी।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का बड़ा हमला, एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे शहीद; अन्य अधिकारी हुए घायल
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर कायराना हरकत को अंजाम दिया है। कोंटा क्षेत्र के फंडीगुड़ा के पास नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर अफसर की गाड़ी को उड़ा दिया। इस हमले में कोंटा के एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए। उन्हें गंभीर रूप से घायल हालत में अस्पताल लाया गया था, लेकिन उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस धमाके में थाना प्रभारी सोनल भी घायल हुए हैं। उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद कोंटा से रायपुर रेफर करने की तैयारी की जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार, एएसपी गिरिपुंजे और उनकी टीम डोंडा के जंगल में मौजूद चिकवार गुड़ा खदान में पोकलेन मशीन को आग लगाए जाने की घटना की जांच के लिए गए थे। यह खदान कोंटा से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां नक्सलियों ने रात को आगजनी की थी। इसी दौरान नक्सलियों ने इलाके में पहले से ही आईईडी बिछा दी थी, जिसे रविवार को विस्फोट कर सक्रिय किया गया।
इस हमले की पुष्टि करते हुए छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने शोक जताते हुए कहा, “एएसपी सुकमा आकाश राव गिरिपुंजे ने कोंटा-एर्राबोरा रोड पर डोंडा के पास हुए IED विस्फोट में घायल होने के बाद अपने प्राणों की आहुति दे दी। वे एक बहादुर अधिकारी थे और उन्हें कई वीरता पुरस्कार मिले थे। यह राज्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है।”
उन्होंने यह भी बताया कि घटना के बाद सुरक्षाबलों ने तलाशी और सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। सुकमा जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार बढ़ती आतंकी घटनाएं राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र पर सवाल खड़े कर रही हैं। यह हमला उन सुरक्षा बलों के हौसले को चुनौती देने वाला है जो हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर राज्य में शांति बहाली की कोशिश कर रहे हैं।
कैंपस की खामोशी: क्या लोकतंत्र का दीया बुझ रहा है
वो दिन कहाँ गए?
एक ज़माना था जब विश्वविद्यालयों के कैंपस गूंज उठते थे—”इंकलाब जिंदाबाद!”, “हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के!” के नारों से। विश्वविद्यालयों की दीवारें सिर्फ पत्थर नहीं, विचारों की आग से लाल होती थीं। बीएचयू, इलाहाबाद, दिल्ली, लखनऊ—हर कैंपस में बहसें होती थीं, छात्र नेताओं के भाषणों में आग होती थी। आज? सन्नाटा। सिर्फ फुसफुसाहटें। क्या हमारा लोकतंत्र सो गया है? क्रांति के वारिस अब ‘स्वाइप’ करते हैं इतिहास। 1960-70 का दशक याद कीजिए। अमेरिका में वियतनाम युद्ध के खिलाफ छात्रों ने कैंपस जलाए। फ्रांस में ‘मई 1968’ की क्रांति ने सरकार को झुकाया। भारत में जेपी आंदोलन ने इमरजेंसी को धूल चटाई। लेकिन आज? युवा “रिफॉर्मर्स”नहीं, “इन्फ्लुएंसर्स” बनना चाहते हैं। उनके हाथों में पोस्टर नहीं, स्मार्टफोन हैं। वे सत्ता से नहीं, “स्टोरीज और लाइक्स” से टकराते हैं। “हमारे युवा अब सड़कों पर नहीं, मेटावर्स में विरोध करते हैं,” एक प्रोफेसर ने मायूसी से कहा, “वे ‘ट्रेंडिंग हैशटैग’ को क्रांति समझ बैठे हैं!”
भ्रष्टाचार, परिवारवाद और अवसरवाद ने युवाओं का भरोसा तोड़ दिया है।
“नेता बनने के लिए अब विचार नहीं, सरनेम चाहिए,” एक छात्र ने व्यंग्य किया। सोशल मीडिया का झूठा सुकून: “रील्स बनाने से सिस्टम नहीं बदलता,” पर युवा “स्लैक्टिविज्म” (आलसी सोशल एक्टिविज्म) के शिकार हैं।
लोकतंत्र की वर्तमान उदासी और युवाओं की सियासत से दूरी।
क्यों खामोश हैं विश्विद्यालयों के कैंपस और क्यों नहीं उभर रहे नए नेता?”
बृज खंडेलवाल द्वारा
क्या हमारा लोकतंत्र थक गया है? क्या बदलाव की चिंगारी बुझ चुकी है? बीते दशकों में और आजादी के संघर्ष के दौरान जिस ऊर्जा और जुनून से छात्र आंदोलनों ने लोकतंत्र को दिशा दी थी, वह आज पूरी तरह से ग़ायब है।
भारत हो या अमेरिका, फ्रांस हो या दक्षिण अफ्रीका—कहीं से भी अब वह युवा सैलाब नहीं उठता जो सत्ता के गलियारों को हिलाकर रख दे। हमारे कैंपस अब खामोश हैं जो कभी इंकलाब के अड्डे थे। JNU का सन्नाटा चौंकाने वाला है।
बीएचयू, इलाहाबाद, लखनऊ जैसे कैंपस, जो कभी विचारों की प्रयोगशालाएं थे, अब मद्धम पड़ चुके हैं। छात्र संघ चुनाव या तो पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं या उन्हें नाममात्र की रस्म में तब्दील कर दिया गया है। इससे युवा न सिर्फ सियासत से दूर हो रहे हैं, बल्कि नेतृत्व के जरूरी अनुभव से भी वंचित रह जाते हैं।
हमारा आज का नौजवान क्रांति के सपने नहीं देखता। उसका फोकस सिर्फ विदेश निकलना रह गया है। शैक्षिक गलियारे बेशर्म फैशन परेड या ड्रग, दारू, फ्री सेक्स के साथ नई एज लाइफ स्टाइल्स प्रमोट कर रहे हैं। पढ़ा-लिखा, नौजवान, ग्लोबल, डिजिटल हो गया है, लेकिन सियासी रूप से ‘स्विच ऑफ’ मोड में है। करियर, स्टार्टअप्स, विदेश जाने की प्लानिंग, रील बाजी, यू ट्यूबिंग, इंस्टाग्राम पर ब्रांडिंग—इन सब में वह इतना व्यस्त है कि उसे ये भी नहीं लगता कि बदलाव की लड़ाई उसकी जिम्मेदारी है।
शायद इसमें उसका दोष भी नहीं है। राजनीति को जिस तरह से करप्शन, अवसरवाद और वंशवाद से जोड़ा गया है, उसने नौजवानों का भरोसा तोड़ा है। वे इसे ‘गटर’ मानते हैं, और ‘सेल्फ-ग्रोथ’ को तरजीह देते हैं।
सियासत में ताजा खून नहीं आ रहा है?
राजनीतिक पार्टियों ने युवाओं को सिर्फ पोस्टर चिपकाने या ट्रेंड चलाने की मशीन बना दिया है। पारंपरिक दलों में बूढ़े चेहरों का वर्चस्व है। जो युवा नेता दिखते भी हैं, वे या तो परिवारवाद की देन हैं या सोशल मीडिया प्रोजेक्ट।
हकीकत ये है कि कोई राहुल गांधी हो या अखिलेश, तेजस्वी यादव, उनकी उम्र भले कम हो, लेकिन वे उस सिस्टम का ही हिस्सा हैं जो युवा सोच को दबाता है।
दरअसल ये एक यूनिवर्सल ट्रेंड है, सिर्फ भारतीय समस्या नहीं है। ये खालीपन सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। अमेरिका में कभी प्रगतिशील राजनीति को युवा ऊर्जा मिली थी, लेकिन पार्टी स्ट्रक्चर ने उसे किनारे कर दिया। ब्रिटेन में लेबर पार्टी लंबे समय से युवा वर्ग से कट गई है। फ्रांस और लैटिन अमेरिका में बिखरे हुए विरोध हैं, लेकिन संगठित आंदोलन नहीं।
टेक्नोलॉजी: दोधारी तलवार
जहां 70 के दशक में क्रांति के लिए सड़कों पर उतरना जरूरी था, वहीं आज आंदोलन ‘#’ में सिमट गए हैं। डिजिटल एक्टिविज्म आसान है, लेकिन उसमें वो धड़कन नहीं जो शासन को चुनौती दे सके। रील्स और रिट्वीट से क्रांति नहीं होती।
क्या हो अब?
यूनिवर्सिटियों को चाहिए कि छात्रसंघ चुनाव बहाल करें, बिना सरकारी दखल और डर के। राजनीतिक दलों को अपने दरवाजे युवाओं के लिए खोलने होंगे — न कि सिर्फ दिखावे के लिए। स्कूल और कॉलेज स्तर पर लोकतांत्रिक शिक्षा को पुनर्जीवित करना होगा।
विचारधाराओं को फिर से प्रासंगिक बनाना होगा—सिर्फ चुनाव जीतने की रणनीतियों से राजनीति नहीं चलती।
आज जब हम चारों ओर तानाशाही प्रवृत्तियों, सेंसरशिप और पॉपुलिज्म का उभार देख रहे हैं, तो यह खामोशी खतरनाक है। जब युवा सवाल पूछना बंद कर दें, तो सत्ता बेलगाम हो जाती है।
इसलिए, अब वक्त है—फिर से कैंपस में बहस हो, पोस्टर लगें, नारों की गूंज उठे। नहीं तो लोकतंत्र की यह धीमी धड़कन एक दिन थम भी सकती है।
कोरोना के नये वेरिएंट जेएन.1 ने दी दस्तक!
कोरोना महामारी के पुन: फैलने के समाचार हर राज्य से आ रहे हैं। वर्ष 2020 में पूरे संसार में फैली कोरोना महामारी का डर अभी तक लोगों के मन से गया था नहीं कि इस महामारी ने उन्हें फिर से डरा दिया है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण से हर राज्य की सरकार सतर्क हो गयी है। कहते हैं कि कोरोना महामारी की वापसी चीन के हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर एवं थाईलैंड से हुई है। एशियाई देशों में भी कोरोना महामारी पैर पसार रही है। बीते कुछ दिनों से भारत में भी कोरोना संक्रमित रोगी मिल रहे हैं, जिनकी संख्या बढ़ रही है। भारत में कोरोना महामारी से मई में 12,000 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे, जिनमें अधिकतर स्वस्थ हो गये। कोरोना संक्रमण से एक दज़र्न से अधिक लोगों की कथित मृत्यु भी इस बार हो चुकी है।
इन कोरोना महामारी के नये विषाणु का नाम जेएन.1 वेरिएंट है। यह विषाणु ओमिक्रॉन के बीए2.86 नाम के सब-वेरिएंट का वंशज बताया जा रहा है, जिसका पहला मामला अगस्त, 2023 में अमेरिका में मिला था। यह विषाणु तीव्र गति से लोगों में फैलने की क्षमता रखता है, जिसके लगभग 30 म्यूटेशन हैं। इन नये विषाणु के बारे में राष्ट्रीय आईएमए कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष रह चुके डॉ. राजीव जयदेवन कहते हैं कि कोरोना महामारी जिसे सार्स कोव2 भी कह सकते हैं, वास्तव में समाप्त ही नहीं हुआ है। डॉक्टर तनेजा कहते हैं कि संसार में जितने भी रोग अब तक हुए हैं, उनमें से कोई भी सदैव के लिए नष्ट अथवा समाप्त नहीं होता। कोरोना महामारी का रोग भी अब कभी भी सदैव के लिए समाप्त नहीं हो सकेगा। इससे बचने का एक ही उपाय यह है कि लोग अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें एवं बाहर निकलते समय संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचें। कोरोना महामारी के सामान्य लक्षण वही हैं- बुख़ार, सर्दी, जुकाम, सिर दर्द, बदन दर्द, थकान दुर्बलता आदि।

यदि ऐसे लक्षण किसी में दिखें, तो उस रोगी को अलग रखना चाहिए एवं दूसरे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। कोरोना महामारी के बारे में जनसामान्य की राय अलग-अलग है। कुछ लोग कह रहे हैं कि अब इससे उतना डरने की आवश्यकता नहीं है, अब कोरोना महामारी घातक नहीं है। ऐसे लोग कहते हैं कि जिन लोगों ने कोरोना के टीके लगवाये हैं, वे स्वस्थ हैं। मगर जब उनसे यह पूछा गया कि फिर लोगों में कोरोना टीके के बाद हृदयाघात एवं पक्षाघात क्यों हुए हैं? इसका उत्तर किसी के पास उचित नहीं था। कुछ लोग कहते हैं कि कोरोना महामारी तो गयी ही नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि कोरोना के रोगियों की बढ़ती संख्या सरकार की लापरवाही का ही परिणाम है। मगर कुछ लोग तो इसे सरकार का षड्यंत्र ही मान रहे हैं।
वास्तव में भारत में कोरोना महामारी यदि अधिक बढ़ी, तो जनसामान्य के लिए विकट समस्या खड़ी हो जाएगी; क्योंकि वर्तमान में देश के मध्यम एवं निर्धन वर्ग के लोग अनेक समस्याओं से घिरे हुए हैं। महँगाई बेरोज़गारी एवं आर्थिक तंगी ने लगभग मध्यम एवं निर्धन वर्गों के अधिकांश लोगों को पहले ही तंग कर रखा है। मगर प्रश्न यह है कि क्या भारत में इस बार फैल रहा कोरोना महामारी का संक्रमण कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर की तरह घातक एवं हाहाकार मचाने वाला होगा? क्या लोगों को इससे बचाव के लिए पुन: टीके लगवाने होंगे? किन राज्यों में सबसे अधिक संक्रमण फैल रहा है? चिकित्सकों के अतिरिक्त अधिकांश लोग इन प्रश्नों के उत्तर पाना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त यह प्रश्न भी उठ रहा है कि भारत के किन राज्यों में सबसे अधिक संक्रमण फैल रहा है?
केरल में सबसे अधिक संक्रमण
भारत के दक्षिणी राज्य केरल में कोरोना महामारी का संक्रमण सबसे अधिक फैल रहा है। स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचनाओं की रिपोर्ट के अनुसार केरल में मई के अंत तक लगभग 1150 के आसपास रोगी कोरोना संक्रमित मिल चुके थे। कुछ दिन पूर्व केरल की स्वास्थ्य एवं महिला एवं बाल विकास मंत्री वीणा जॉर्ज ने राज्य के जनपदीय चिकित्सा एवं निगरानी अधिकारियों के साथ बैठक की थी। तब उन्होंने बताया था कि केरल में कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के कारण स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सतर्क किया गया है कि वे अपने अपने जनपदों में कड़ी सतर्कता बरतें एवं कोरोना महामारी के संक्रमितों की पहचान करके उनके तुरंत उपचार का प्रबंध करें। वीणा जॉर्ज कहती हैं कि दक्षिण-पूर्व एशिया में कोरोना महामारी के मामलों में वृद्धि का प्रभाव केरल पर पड़ा है। उन्होंने केरल में कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को लेकर चिन्ता व्यक्त करते हुए प्रदेश में चिकित्सीय सतर्कता की बात भी कही।
उत्तर प्रदेश सरकार सतर्क
देश के अनेक राज्यों में कोरोना महामारी के संक्रमण का प्रभाव उत्तर प्रदेश पर भी पड़ने लगा है। उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में कोरोना महामारी से संक्रमित रोगी मिल रहे हैं। कोरोना महामारी रोगियों की बढ़ती संख्या के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शासित उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार सतर्क हो गयी है। कुछ दिन पूर्व से ग़ाज़ियाबाद, नोएडा, गौतमबुद्धनगर, लखनऊ एवं कुछ अन्य जनपदों में कोरोना महामारी के रोगी मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अब तक कोरोना संक्रमित रोगियों के सही आँकड़े नहीं मिले हैं; मगर कहते हैं कि सरकारी एवं निजी अस्पतालों में कोरोना महामारी को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। प्रदेश सरकार की ओर से स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क रहकर अस्पतालों में कोरोना महामारी के उपचार हेतु आवश्यक सुविधाएँ जुटाने को कहा गया है। हालाँकि उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी को लेकर अभी कोई सतर्कता अभियान अथवा जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है; मगर अस्पतालों में सतर्कता देखने को मिल रही है। कोरोना महामारी के समाचारों के उपरांत लोग पुन: इस महामारी के चर्चा करने लगे हैं।
उत्तराखंड में भी मिल रहे रोगी
वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग हुए पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में मई के मध्य में ही कोरोना महामारी से संक्रमित कुछ रोगियों के मिलने से प्रदेश सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग सजग हो चुके थे। मगर फिर भी कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या बढ़ने के अतिरिक्त ऋषिकेश एम्स के दो डॉक्टर भी कोरोना संक्रमित मिलने से लोग डरे हुए हैं। कोरोना महामारी के नये वेरिएंट के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार, उत्तराखंड में रह रहे लोगों से अधिक बाहरी राज्यों से उत्तराखंड पहुँच रहे लोगों में कोरोना महामारी के संक्रमण की संभावनाएँ हैं। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के लक्षण सबसे पहले बाहर से आयीं दो महिलाओं में मिले थे, जिनमें एक महिला गुजरात की यात्रा से वापस लौटी थी एवं एक महिला बेंगलूरु यात्रा से वापस लौटी थी। उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार कहते हैं कि प्रदेश के सभी जनपदों में निगरानी बढ़ाने के निर्देश स्वास्थ्य अधिकारियों को दिये गये हैं। जिन लोगों में कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं उनकी जाँच के निर्देश दिये गये हैं। प्रदेश के सभी अस्पतालों में पहले से ही कोविड प्रोटोकॉल की संभावना बढ़ गयी है।
दिल्ली में भी फैल रहा कोरोना
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी संक्रमण बढ़ने के समाचार प्राप्त हुए हैं। राजधानी में मई महीने के समाप्त होने तक कोरोना महामारी के 300 से आसपास रोगी मिल चुके थे एवं एक रोगी की मौत हो चुकी थी। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह कहते हैं कि दिल्ली सरकार संभावित रोगियों की तुरंत जाँच करा रही है। इसके अतिरिक्त सरकार पता लगा रही है कि संक्रमित रोगी दिल्ली में ही रहते हैं अथवा बाहर से आये हुए हैं। दिल्ली सरकार कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह कहते हैं कि कोरोना महामारी के लक्षण आम फ्लू जैसे ही हैं मगर इस महामारी से बचाव के लिए हर स्थिति से निपटने के लिए उनकी सरकार पूरी तरह तैयार है। उन्होंने 22 मई तक के लिए कहा कि बीते 10 दिनों में लगभग 23 कोरोना संक्रमित रोगी मिले थे, जो ठीक हैं।
किन-किन प्रदेशों में संक्रमण
भारत के कई प्रदेशों में कोरोना महामारी का संक्रमण फैल रहा है। सबसे अधिक कोरोना संक्रमित रोगी केरल में मिले हैं। इसके अतिरिक्त क्रमश: तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पांडिचेरी, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, सिक्किम आदि राज्यों में कोरोना महामारी से संक्रमित रोगी मिले हैं। कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के मध्य राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) व एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) की ओर से कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए सभी राज्यों को निगरानी बढ़ाने एवं सतर्क रहने के दिशा-निर्देश दिये गये हैं।
देश में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने लिया अहम फैसला
अंजलि भाटिया
नई दिल्ली,6जून – देश में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श नितिन गडकरी ने आदेश जारी किया है कि देश के उन दो लेन राष्ट्रीय राजमार्गों, जिन्हें असुरक्षित माना जा रहा है, उन्हें अब चार लेन या छह लेन में बदला जाएगा।डिवाइडर के अभाव में दो लेन राजमार्ग पर सड़क हादसे अधिक होते हैं, जबकि चार लेन-छह लेन राजमार्ग एक्सेस कंट्रोल और डिवाइडर होने के कारण अधिक सुरक्षित माने जाते हैं। इससे सड़क यात्री तेज, सुरक्षित और आरामदेय होगा।
सरकार ने साफ किया है कि वे सभी दो लेन राष्ट्रीय राजमार्ग, जहां हर दिन 10,000 से ज्यादा वाहन पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू ) चलते हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर चौड़ा किया जाएगा। ऐसे सभी मार्गों को वार्षिक योजना 2025-26 में शामिल किया जाएगा।
भारत में हर साल 5 लाख से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं, जिनमें करीब 1.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
इनमें से 36.2% मौतें राष्ट्रीय राजमार्गों पर, और 24.3% राज्य राजमार्गों पर होती हैं।
सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि दोे लेन राष्ट्रीय राजमार्ग 10 मीटर चौड़े होते हैं। कम चौडाई और डिवाइडर नहीं होने के कारण ओवरटेक के समय वाहनों की आमने-सामने टक्कर होती है। एक्सेस कंट्रोल नहीं होने के कारण साइकिल सवार, पैदल राहगीर, रिक्शा आदि दो लेन राजमार्ग में घुस जाते हैं। यह सड़क हादसों का प्रमुख कारण माना जाता है। वहीं चार लेन राष्ट्रीय राजमार्ग 14.8 से 15.6 मीटर तक चौड़े होते हैं। जबकि छह लेन राजमार्ग 60 चौड़े होते है ।
इसके विपरीत इन राजमार्गे पर डिवाइडर, एक्सेस कंट्रोल व पेश शोल्डर का प्रावधान होने से सड़क हादसों का खतरा कम होता है।
मंत्रालय के अनुसार, देशभर में लगभग 25,000 किलोमीटर ऐसे दो लेन राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिन्हें चौड़ा करने की योजना है। अनुमान के मुताबिक, इन्हें चार या छह लेन में बदलने में करीब 10 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं। हालांकि, वास्तविक लागत का पता डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार होने के बाद ही चलेगा।
मंत्रालय ने 10,000 से ज्यादा पीसीयू दबाव वाले सभी दो लेन राष्ट्रीय राजमार्गों की पहचान और अध्ययन शुरू कर दिया है। इसके बाद विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जाएगी और निर्माण कार्य शुरू होगा।
ट्रंप टैरिफ इस साल की दूसरी छमाही में मंदी का कारण बनेंगे: एलन मस्क
‘टेस्ला’ और ‘स्पेसएक्स’ के सीईओ एलन मस्क ने शुक्रवार को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के नए व्यापार टैरिफ इस साल की दूसरी छमाही तक मंदी को बढ़ावा दे सकते हैं।
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच सार्वजनिक विवाद गहरा गया है।
मस्क ने अपने ‘एक्स’ प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया, “ट्रंप टैरिफ इस साल की दूसरी छमाही में मंदी का कारण बनेगा। अगर अमेरिका की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है, तो बाकी कुछ भी मायने नहीं रखता।”
ट्रंप और मस्क के बीच टकराव ने वित्तीय बाजारों में हलचल मचा दी है। गुरुवार (अमेरिकी समय) को टेस्ला के शेयर में 14 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जिससे मार्केट वैल्यू में लगभग 150 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि सरकार के लिए पैसे बचाने का ‘सबसे आसान तरीका’ अरबपति और पूर्व सलाहकार मस्क को दिए जाने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स और सब्सिडी को ‘टर्मिनेट’ करना होगा।
इसके जवाब में मस्क ने कहा, “मेरे सरकारी अनुबंधों को रद्द करने के बारे में राष्ट्रपति के बयान के मद्देनजर, स्पेसएक्स अपने ‘ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट’ को तुरंत बंद करना शुरू कर देगा।”
ट्रंप की यह धमकी तब आई, जब मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर ‘कृतघ्नता’ का आरोप लगाया। मस्क ने कहा कि उनके बिना ट्रंप चुनाव हार जाते, उन्होंने पिछले साल ट्रंप को चुनाव में मदद करने के लिए 250 मिलियन डॉलर से अधिक डोनेट किए थे।
मस्क ने पोस्ट किया, “कुछ बातें ध्यान देने लायक हैं: ट्रंप के पास राष्ट्रपति के रूप में साढ़े तीन साल बचे हैं, लेकिन मैं 40 से ज्यादा साल तक रहूंगा।”
जब मस्क ने राष्ट्रपति के टैक्स कट और खर्च योजनाओं के हस्ताक्षर बिल की आलोचना की, तो इस पर ट्रंप ने कहा कि वह मस्क से बहुत निराश हैं। इसके जवाब में मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, “जो भी हो।”