अब चौकीदारी का नाटक भी नहीं बचा पायेगा भाजपा को : मायावती
दीदी ‘स्पीडब्रेकर’ हैं : मोदी
नाकामियां छिपाने की कोशिश कर रहे मोदी लेकिन नहीं छिपा पाएंगे : पवार
तीन राज्यों में इनकम टैक्स रेड
जयपुर के कनिष्क सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम
‘खामोश’ भाजपा, शत्रुघ्न कांग्रेस में आये
‘केसरिया’ भाजपा कश्मीर में ‘हरी’ हो गयी
चलो मन (प्रियंका) गंगा – जमुना
गंगा की लहरों पर पड़ती दूधिया रोशनी। बाकी दूर तब फैला अंधियारा। अचानक दिखाई देती हैं कई नावें। इन नावों से उभरती दूधिया रोशनी में चमकती है साड़ी पहनी एक युवती साथ में कुछ और भी महिलाएं दूसरी नावों में सफेद कपड़े पहने पहुंचे नेता। ‘आ गईं प्रियंका गांधी।’ आवाजें गूंजती हैं। गंगा किनारे बढ़ जाती है चहल-पहल। पटरों पर नावों से उतरते एसपीजी जवानों के बूटों की धमक सुनाई देती है। लाल साड़ी में नाव से उतरती हैं प्रियंका। फूलों की मालाओं के साथ होता है प्रिंयंका गांधी वाड्रा का स्वागत।
अर्से बाद एक युवा महिला नेता का चेहरा दमकता दिखता है भारतीय राजनीति में। देश की लगभग आधी आबादी का एक चेहरा। देश की इस आबादी की तकरीबन दो करोड़ महिलाएं आज भी मतदाता सूची से बाहर हैं क्योंकि वे दलित और मुसलमान है। हमेशा की तरह भारत के निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूचियां अपडेट करने के आदेश दिए होंगे। राज्यों की प्रशासनिक मशीनरी ने खानापूर्ति भी की होगी। लेकिन इतनी बड़ी तादाद में महिलाएं मतदाता सूचियों से बाहर ही रह गईं।
प्रियंका कहती हैं देश में जो सरकार है वह महिला विरोध है जन विरोधी है, मजदूर विरोधी है। इस सरकार पर सोचना ही होगा। यह सरकार राज करने के लिए जाति, धर्म, संप्रदाय में भेद करती है। छोटे दस्तकार, बुनकर छोटे काम-धंधे करके परिवार चलाने वाले इस सरकार के कायदे कानूनों से आज बेहद परेशान हैं। एकजुट होकर बेहतर भविष्य के लिए आपको अपने मत का इस्तेमाल करना है। यह आपका हथियार है। इसका सही इस्तेमाल कीजिए। इससे किसी को कोई चोट नहीं लगती। तकलीफ नहीं होती। लेकिन इससे आप अपना भविष्य चुनते हैं। जिसे आप वाकई चाहते हैं।
प्रयागराज (इलाहाबाद) से मिर्जापुर (चुनार) पहुंची प्रियंका गांधी। सुबह की सक्रियता अच्छी लगी। पार्टी के लोगों से मिलना। विंध्यवासिनी मंदिर में मत्था टेका। दरगाह पर चादर चढाई। कई जगह छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाएं कीं। लोगों के साथ सेल्फी ली। महिलाओं और बुजुर्ग महिलाओं से मिलना-बतियाना। भीड़ में भी उन्हें देख कर उत्साह। गोपीगंज मेें पांच सौ मीटर तक वे पैदल चलीं।
एक नुक्कड़ सभा में कहा, ‘भाजपा 70 साल की रट लगानी बंद करे। छह दशक में कांग्रेस ने क्या किया यह पूरा देश जानता है। उन्होंने सभा में जनसमूह से कहा, ‘भाजपा के नेताओं से उनके बड़े-बड़े वादों की रिपोर्ट मांगो। इनकी सरकार ने बुनकरों, हथकरघा मज़दूरों, कारीगरों, छोटे कारखानों में काम करने वालों, नौजवानों को बुरी तरह छला। छोटे उद्योगों का काम धंधे को पूरी तरह से बंद कर दिया है। इनसे पूछिए, ऐसा इन्होंने क्यों किया?’
प्रियंका की गंगा यात्रा के दौरान नदी के दोनों पाटों पर पड़ रहे गांवों-कस्बों से नदी किनारे उतरे जन समूह की खबरों से जिला-मंडल प्रशासकों और उत्तर प्रदेश सरकार की बौखलाहट काफी बढ़ गई थी। तीन दिन की यात्रा के दौरान पुलिस प्रशासन ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ही नहीं, बड़ी संख्या में युवाओं को अपने संदेह के दायरे में रखा। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों की गईं। एहतियात के तौर पर ऐसे व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए जिससे प्रयागराज में वाराणसी तक के इलाके कहीं कांग्रेसमय न दिखे लेकिन कांग्रेस प्रभाव से बनारस को मुक्त करने के लिए वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अचानक सभा व्यवस्था (24 मार्च)की गई। लखनऊ में और आगरा मेंभाजपा के वरिष्ठतम नेताओं की सभाएं हुईं।
पूर्वी उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गंगा यात्रा के दौरान देश के नागरिकों की आम जिंदगी में बढ़ी मुश्किलों की जानकारी ली। उन्होंने गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों और कस्बों मे जि़ंदगी के कठिन रूपों को भी जाना समझा। साफ-सफाई, श्मशान, मंदिर, मल्लाह, केवट, बुनकर रंगरेज मिट्टी के खिलौने बनाने वाले कुम्हार, धोबी, ठेले चलाने वालो छोटे दर्जी, जूते-चप्पल ठीक करने वालों से भी उनकी कम ही सही मगर महत्वपूर्ण बातचीत हुई।
गंगा यात्रा कर रही प्रियंका को देखने-जानने गंगा नदी के दोनों पाटों पर जहां-जहां भी समूह दिखा। नेहरू-गांधी परिवार की इस युवा नेता ने उनके पास पहुंच कर जन-संवाद किया। इस बातचीत में समय लगा लेकिन जनसमूह निराश नहीं हुआ। युवा नेता ने बड़े ही इत्मिनान से अधेड़-बुजुर्ग महिलाओं की भी बातें सुनीं और युवाओं की रोज़गार न मिल पाने, शिक्षा ठीक से न होने और स्वास्थ्य के अच्छे दवाखानों के न होने की भी बातें सुनीं-समझीं।
एक जगह छोटी सभा में उन्होंने कहा, ‘चौकीदार तो अमीरों के होते हैं, गरीबों के नहीं।’ आज नई दिल्ली की केंद्र सरकार न केवल किसान, मजदूर, महिला विरोधी है बल्कि यह एक ऐसी नकारात्मक सरकार है, जिसे बदलने का वक्त अब करीब आ गया है। आज ज़रूरत है, ‘नई राजनीति’ की। इस ‘नई राजनीति’ के तहत इस सरकार को बदलने की आवाज़ काशी से उठनी चाहिए। देश में बदलाव के लिए अब काशी वासी ही आगे आएं। जनसमूह ने उनकी बात सुनी और तालिया बजाईं।
बनारस में चाय की और दूध की दूकानों पर गली-चौराहों पर जुटे लोग या तो काशी विश्वनाथ से ललिता घाट तक जाने वाली गलियों-मकानों दुकानों के ध्वंस होने और विश्वनाथ कारिडोर बनाने से काशी की घटी प्रतिष्ठा की बात करते हैं। या फिर प्रियंका की गंगा यात्रा की। लोगों को लगता है कि कांगे्रेस ज़रूर कुछ कर दिखाएगी। जन समर्थन इसे मिलना चाहिए क्योंकि इसने आज़ादी और आज़ादी के बाद देश में विकास की एक तस्वीर तो गढ़ी थी जिसे अच्छा करने की बात के बहाने नष्ट कर दिया गया। अब की फिर कांगे्रस को एक बार क्यों नहीं।
घर-घर में युवा और अधेड़ महिलाओं में प्रियंका की वेशभूषा, बोलचाल, चलने का अंदाज पर बहस रही। सबने माना कि उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके में अपना जनाधार खो चुकी कांगे्रस को फिर से मजबूत करने में प्रियंका मेहनत तो कर रही हैं। उनके साथ अब नए लोग जुड़ रहे हैं। गंगा यात्रा के जरिए उन्होंने उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद और शैक्षणिक-सांस्कृतिक तौर पर मशहूर बनारस में अंग्रेजी राज के खिलाफ हुई आज़ादी की लड़ाई के सपूतों की विरासत की याद दिला दी। इस कारण वे पूर्वी उत्तरप्रदेश में लगभग छा गईं।
अपने दौरे के तीसरे दिन उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर मेें पूजा-अर्चना की। जब दोपहर सवा दो बजे वे मंदिर की ओर चलीं। प्राचीन गलियों में बने पुराने मकानों की बालकनियों और छतों से उनका फूलों की पंखुडिय़ों से उनका स्वागत किया गया। पूरी गली मे सिर्फ हर-हर महादेव का उद्घोष सुनाई देता रहा।
मंदिर में प्रियंका गांधी वाड्रा ने बाबा का षोडसोपचार पूजन और दुग्धाभिषेक किया। काशी के वयोवृद्ध मान्य पंडित चंद्रशेखर नारायण दातार ने सप्तयोगी अनुष्ठान किया पंडित दातार के अनुसार सबसे पहले सप्तयोगी अनुष्ठा करने का आदेश स्वयं भगवान शिव ने दिया था जिसे सप्तऋृषियों ने किया था।
बाबा के दर्शन पूजन के बाद प्रियंका ने ‘विश्वनाथ कॉरिडोर’ बनाने के संकल्प को जाना समझा। इस संकल्प को पूरा करने के लिए काशी की उन तंग गलियों के मकानों-मंदिरों-दूकानों का ध्वंस कर दिया गया। इससे बहुत से लोग बेरोज़गार हो गए। कांग्रेस नेता व्यथित दिखीं।
यहां से वे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आवास को गई। जैसे ही वे उस गली में घुसीं उन पर गुलाब की पंखुडिय़ां बरसने लगीं। उत्साहित बच्चे और युवा खासे उत्साह में थे। सभी बाबा महादेव की जय-जयकार कर रहे थे। यहां से वे चौक घाट को बढ़ीं। अब उनकी यात्रा भव्य रोड़ शो में बदल गई थी। यहां वे शहीद विशाल पांडे के घर गई। शहीद की छोटी बहन को उन्होंने दुलारा। उन्होंने कहा, ‘पिता को खोने का दर्द मैं समझती हूं। मैं जब 19 साल की थी तो मेरे पिता (पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी) शहीद हुए थे। उन्होंने शहीद की बहन को पढ़ाई लिखाई में अच्छी मेहनत करने और पायलट बनने की सलाह दी। उससे कहा, ‘तैयारी करो। हम मदद करेंगे।’ फिर वे बहादुरपुर में शहीद अवधेशकुमार यादव (पुलवामा हमले में शहीद) के घर भी गईं। परिवार के लोगों को सांत्वना दी।
बनारस में पिपलासी कटरा के सरोजा पैलेस में कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन में उनकी मौजूदगी में भाजपा के उत्तरप्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे के छोटे भाई के परिवार में बहू अमृता पांडे ने कांग्रेस की सदस्यता की। इस पर उन्होंने चुटकी ली कि ‘आपके ससुरजी आपसे नाराज़ तो नहीं होंगे।’
इस सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘आज़ादी से पहले देश में अंग्रेजी सरकार की तानाशाही थी। तब गरीब लोगों (सुरलियों) को बहुत यातनाएं दी जाती थीं, मारा-पीटा जाता था। आज देश में वही हाल हैं। जनता की आवाज़ सुनने की बजाए उसे दबाया जा रहा है। सिर्फ इतना है कि वर्तमान तानाशाह भारतीय हैं।’
गंगा यात्रा के आखिरी दिन प्रियंका ने मिर्जापुर में चुनाव किले के गेस्ट हाउस में मीडिया से बातचीत की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वे जनता को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, जो लोग सत्ता में होते है उन्हें यह गलतफहमी होती है कि वे किसी को भी डरा सकते हैं। क्योंकि वे हर तरह से सक्षम हैं। इसलिए वे लोगों को बरगलाते हैं। कांगे्रस महासचिव ने कहा, प्रधानमंत्री को यह सोचना छोड़ देना चाहिए कि लोग बेवकूफ हैं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि जनता सब जानती समझती है।
उत्तरप्रदेश का पूर्वी अंचल बतौर पूर्वांचल भी जाना जाता है। यहां सांस्कृतिक सामाजिक-शैक्षाणिक विकास तो है लेकिन ज़रूरी विकास कार्य किसी भी सरकार ने नहीं किए। इसलिए इस पूरे अंचल को पूर्वांचल के तौर पर अलग राज्य बनाने की मांग भी होती रही है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका के पास होने से इलाके की जनता में उम्मीद बंधी हैं। उनकी गंगा यात्रा कई मायनों में खासी कामयाब रही। उन्होंने अपना दल (कृष्णा गुट) की पल्लवी पटेल को खास तरजीह दी। अपने साथ रखा इस गुट से कांग्रेस का तालमेल होने से परस्पर लाभ संभव है। इस पूरे इलाके के कांग्रेस को लेकर उत्साह बढ़ा है।
खुद मां होने के कारण युवा, अधेड़ और बूढ़ी महिलाओं में इंदिरा की पोती के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है। युवाओं में बड़ी दीदी के प्रति स्नेह बढ़ा है और बनारस में अधेड़ हो रहे लोगों में उम्मीद की लहर बनी है। बनारस में तो यह भी शोर था कि प्रियंका यहीं से चुनाव भी लड़ें। लेकिन बड़े ही संभव तरीके से उन्होंने यही कहा कि पार्टी का हर फैसला वे मानेंगी।
प्रियंका गांधी वाड्रा की गंगा यात्रा पर राजनीतिक दल के विशेषज्ञों में बहस छिड़ी हुई है। गंगा और बाबा महादेव की नगरी बनारस की पुरानी गलियों में हुआ ध्वंस न केवल पूर्वांचल, बल्कि प्रदेश और देश के लोगों के लिए खासा बेचैनी भरा रहा है।
भारत बना अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति
भारत ने 27 मार्च एक अभूतपूर्व शक्ति हासिल की है। भारत ने अपना नाम अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में दर्ज करा दिया है। अंतरिक्ष में उपग्रह को मार गिराने की क्षमता हासिल करते हुए भारत विश्व की नई महाशक्ति बन गया है। भारत की ‘एंटी सैटेलाइट’ मिसाइल ने महज तीन मिनट में अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर लो अर्थ ऑर्बिट में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया। अब तक दुनिया के तीन देश – अमेरिका, रूस और चीन – को यह उपलब्धि हासिल थी। अब भारत चौथा देश है, जिसने यह उपलब्धि प्राप्त की है।
हमारे वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में, तीन सौ किलोमीटर दूर लॉ अर्थ ओरबिट में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है। सिर्फ तीन मिनट में, सफलतापूर्वक यह ऑपरेशन पूरा किया गया है। मिशन शक्ति – यह अत्यंत कठिन ऑपरेशन था, जिसमें वैज्ञानिकों द्वारा सभी निर्धारित लक्ष्य और उद्देश्य प्राप्त कर लिए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हम सभी भारतीयों के लिए यह गर्व की बात है कि यह पराक्रम भारत में ही विकसित मिसाइल द्वारा सिद्ध किया गया है। सर्वप्रथम मैं मिशन शक्ति से जुड़े सभी डीआरडीओ वैज्ञानिकों, अनुसंधान-कर्ताओं और अन्य संबंधित कर्मियों को बधाई देता हूं, जिन्होंने इस असाधारण सफलता को प्राप्त करने में योगदान दिया। आज फिर इन्होंने देश का मान बढ़ाया है, हमें हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है।
अंतरिक्ष आज हमारे जीवन-शैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। आज हमारे पास पर्याप्त मात्रा में उपग्रह उपलब्ध हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहें हैं, जैसे कृषि, रक्षा, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, संचार, मौसम, नेवीगेशन, शिक्षा आदि। हमारे उपग्रहों का लाभ सभी को मिल रहा है, चाहे वो किसान हों, मछुआरें हों, विद्यार्थी हों, सुरक्षा-बल हों। दूसरी ओर चाहे वो रेलवे हो, हवाई जहाज़, पानी के जहाज़ों का परिचालन हो, इन सभी जगह उपग्रहों का उपयोग किया जा रहा है।
विश्व में स्पेस और सैटेलाइट का महत्व बढ़ते ही जाने वाला है। शायद जीवन इसके बिना अधूरा हो जाएगा। ऐसी स्थिति में इन सभी उपकरणों की करना भी उतना ही महत्वपू्र्ण है।
एंटी सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल भारत की सुरक्षा की दृष्टि से और भारत की विकास यात्रा की दृष्टि से देश को एक नई मजबूती देगी। मैं आज विश्व समुदाय को भी आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमने जो नई क्षमता प्राप्त की है यह किसी के विरु द्ध नहीं है। यह तेज गति से आगे बढ़ रहे हिन्दुस्तान की रक्षात्मक पहल है।
भारत हमेशा से ही अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के विरुद्ध रहा है । यह परीक्षण किसी भी तरह के अंतराष्ट्रीय कानून अथवा संधि-समझौतों का उल्लंघन नहीं करता है। हम आधुनिक तकनीक का उपयोग देश के 130 करोड़ नागरिकों की सुरक्षा एवं उनके कल्याण के लिए करना चाहते हैं।
इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाने के लिए एक मजबूत भारत का होना आवश्यक है। हमारा सामरिक उद्देश्य शांति बनाये रखना है न कि युद्ध का माहौल बनाना।
भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में जो काम किया है, उसका मूल उद्देश्य भारत की सुरक्षा, आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति है। आज का यह मिशन इन सपनों को सुरक्षित करने की ओर एक अहम कदम है, जो इन तीनों स्तंभों की सुरक्षा के लिए आवश्यक था।
आज की सफलता को आने वाले समय में एक सुरक्षित, समृद्ध , और शांतिप्रिय राष्ट्र की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखना चाहिए।
हमें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने तथा अपने लोगों के जीवन-स्तर में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाना होगा। सभी भारतवासी भविष्य की चुनौतियों का सामना आत्म-विश्वास से करें और सुरक्षित महसूस करें, यही हमारा लक्ष्य है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मुझे अपने लोगों की कर्मठता, प्रतिबद्धता, समर्पण और योग्यता पर पूर्ण विश्वास है। हम निस्संदेह एकजुट होकर एक शक्तिशाली, खुशहाल और सुरक्षित भारत का निर्माण करें। मैं ऐसे भारत की परिकल्पना करता हूं जो अपने समय से दो कदम आगे की सोच सके और चलने का साहस भी जुटा सके।़
उत्तराखंड में लड़ाई प्रतिष्ठा की
मोदी लहर के सहारे उत्तराखंड में दोबारा पांचों सीटों पर काबिज होने का सपना संजोए भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस ने अपनी शतरंजी चाल में उलझा दिया है। अब इन दोनों दलों में मुकाबला रोचक हो गया है। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर दांव लगाया है तो भाजपा ने भी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट पर भरोसा जताया है।
सूबे की पांच लोकसभा सीटों पौड़ी गढ़वाल, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल और अल्मोड़ा पर अभी भाजपा ही काबिज है। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश से पृथक कर उत्तराखंड राज्य बनाने का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को जाता है और भाजपा हर चुनाव में इस उपलब्धि को ‘‘हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे’’ के नारे के साथ दोहराती भी है। केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड के नेताओं का खासा दखल रहा है। हेमवती नंदन बहुगुणा, पंडित नारायण दत्त तिवारी, ब्रह्मदत्त, के सी पंत और भक्त दर्शन इनमें से प्रमुख रहे हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और विकास की दौड़ में पिछड़ेपन के कारण लंबे अरसे से यहां की जनता अलग राज्य की मांग कर रही थी।
इन चुनावों में पौड़ी गढ़वाल सीट और नैनीताल सीट पर रोचक मुकाबला है। पौड़ी सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। खंडूरी केंद्र के एक फैसले को लेकर बहुत आहत थे। उन्हें रक्षा कमेटी के चेयरमैन पद से अचानक हटाया गया। चेयरमैन रहते मेजर जनरल खंडूरी ने रक्षा कमेटी को सौंपी रिपोर्ट में रक्षा उपकरणों को लेकर कुछ ऐसी तलख टिप्पणियां की थीं जो प्रधानमंत्री को नागवार गुजरी। उधर खंडूरी के पुत्र मनीष को इस बीच कांग्रेस अपने साथ जोडऩे में कामयाब हो गई और बिना वक्त गंवाए कांग्रेस हाईकमान ने मनीष को पौड़ी गढ़वाल से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। कांग्रेस के इस दांव से प्रदेश भाजपा के नेता भी सकते में आ गए। हालांकि पिता भुवन चंद खंडूरी का इस पूरे मामले में रवैया बिल्कुल स्पष्ट है कि मनीष के फैसले से उनका कोई सरोकार नहीं लेकिन मनीष के पास अपने पिता की राजनीतिक विरासत में तीन दशकों के उनके योगदान को गिनाने के अलावा और कुछ भी नहीं है। नामांकन करने के बाद मनीष ने अपनी पहली सभा में ही एक मार्मिक वक्तव्य से यह इशारा कर दिया कि भले ही वह राजनीति में नए हों लेकिन पिता की छत्रछाया और राजनीतिक धूप छांव के हर मौसम का उनको पूरा तजुर्बा है। मनीष बोले, ‘‘मैंने अपने पिता की आंखों में आज तक दो बार आंसू देखे हैं। एक जब बेटी को विदा किया और दूसरी बार जब रक्षा समिति के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया। भुवन चंद खंडूरी इसलिए भी धर्म संकट में हैं क्योंकि मनीष के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत को मेजर जनरल खंडूरी का राजनीति में दत्तक पुत्र माना जाता है। तीरथ सिंह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्य में मंत्री भी रहे हैं । इस जटिल त्रिकोण में जनता भी दोराहे पर खड़ी है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मनीष की जीत में तो पिता की जीत है लेकिन हार में भी पिता की ही जीत है।
दूसरा रोचक मुकाबला कुमाऊं मंडल की नैनीताल उधम सिंह नगर सीट पर है। यहां अप्रत्याशित फैसला लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने सबको हैरत में डाल दिया है। मुख्यमंत्री रहते हुए हालांकि रावत का पूरे राज्य में ही संगठित जनाधार रहा है बावजूद इसके कि पिछले चुनाव में उनको पराजय का मुंह देखना पड़ा था। हरीश रावत के मुकाबले में भाजपा ने रावत के पारंपरिक विरोधी रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को मैदान में उतारा है। पिछली विधानसभा में जब कांग्रेस के ही 10 बागी विधायकों ने हरीश रावत सरकार को गिराने की पटकथा रची थी तब उसके निर्देशक के रूप में अजय भट्ट का नाम ही सामने आया था। हरीश रावत कैंप हालांकि इस मर्तबा खासा जोश में है और जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है।
हरिद्वार संसदीय सीट पर निवर्तमान सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है। मजेदार बात यह है कि पांचों सीटों में से कांग्रेस भी इस सीट को ज्य़ादा तवज्जोह नहीं दे रही है। यहां पूर्व विधायक अमरीश कुमार को कांग्रेस ने निशंक के खिलाफ मैदान में उतारा है। निशंक दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं और राज्य गठन पूर्व से क्षेत्र का विधान सभा में प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
अल्मोड़ा सीट पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा के सामने भाजपा ने केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा को मैदान में उतारा है। अल्मोड़ा एक सांस्कृतिक हब के रूप में पूरे देश में विख्यात है और यहां अमूमन राष्ट्रीय मुद्दों की लहर का मतदाताओं पर ज्यादा असर रहता है।
टिहरी लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह के मुकाबले पर कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को मैदान में उतारा है। प्रीतम सिंह की गिनती एक ईमानदार और चरित्रवान नेताओं में होती है। इस संसदीय सीट के तहत चकराता विधानसभा से प्रीतम सिंह के पिता गुलाब सिंह निर्विरोध विधायक भी रहे हैं। प्रीतम की ज़मीनी पकड़ मजबूत होने की वजह से निवर्तमान सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह के लिए मुकाबला थोड़ा कड़ा हो गया है।
बहरहाल सूबे की पांच लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के अलावा 55 अन्य प्रत्याशी मैदान में है। कुल 65 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें छह महिला प्रत्याशी हैं। गढ़वाल से 12, टिहरी से 15 हरिद्वार से 20 नैनीताल से 10 और अल्मोड़ा से आठ प्रत्याशी मैदान में है। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में कुल 95 प्रत्याशियों ने नामांकन किए थे।
भारतीय जनता पार्टी सर्जिकल स्ट्राइक, भ्रष्टाचार और ‘‘मैं भी चौकीदार हूँ’’ के साथ और ढेर सारे स्थानीय मुद्दों के को लेकर कांग्रेस से मुकाबले के लिए कमर कस चुकी है वहीं कांग्रेस को राहुल गांधी के हालिया ‘‘गरीबी हटाओ’’ और न्यूनतम आय गारंटी की घोषणा से उत्तराखंड में नई ऑक्सीजन मिली है।










