जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल मंगलवार को लोक सभा में भी पास हो गया। इस बिल के पक्ष में ३५१ जबकि विरोध में महज ७२ वोट पड़े। इसके बाद लोक सभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गयी।
इससे पहले मंगलवार सुबह जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा ३७० (दो खंड, २/३) खत्म करने का प्रस्ताव गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने संकल्प पेश करते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रपति यह घोषणा करते है उनके आदेश के बाद अनुच्छेद ३७० के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन विधेयक को विचार के लिए रखा जाए। शाह ने सदन में कहा जम्मू और कश्मीर के लिए जान दे देंगे। बता दें कि इस प्रस्ताव को सोमवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल चुकी है। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा देखने को मिला।
शाह ने कहा कि राज्यसभा के बाद इस विधेयक को यहां लाया गया है। कहा कि सदन को जम्मू- कश्मीर के लिए कानून बनाने का पूरा हक है। शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न है और हमेशा रहेगा। कहा कि हर हिंदुस्तानी अब कश्मीर की नई कहानी लिखेगा। हमें जम्मू कश्मीर पर कानून बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल लोक सभा में भी पास
जम्मू कश्मीर पर सरकार का फैसला संविधान का उल्लंघन है : राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर से धारा ३७० को हटाने पर केंद्र सरकार के फैसले पर चुप्पी तोड़ते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार का यह फैसला संविधान का उल्लंघन है। राहुल ने कहा इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा की इस फैसले के कई खतरे हैं जिन्हें जल्दबाजी में सरकार ने नजरअंदाज कर दिया है।
कांग्रेस नेता ने ट्वीट में लिखा – ”राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए जम्मू-कश्मीर के एकतरफा टुकड़े नहीं किए जा सकते। इसके लिए संविधान को ताक पर रख कर चुने हुए प्रतिनिधियों को जेल में नहीं डाला जा सकता। देश लोगों से बनता है न कि जमीन और जमीन से। कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।” याद रहे राज्यसभा और लोक सभा में कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के विरोध में वोट किया है।
उधर लोक सभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि लोकतांत्रिक पार्टी के नेताओं को बंद कर आपने गैर लोकतांत्रिक लोगों के लिए रास्ते खोल दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की सुरक्षा को आज खतरा है। थरूर ने कहा कि यह फैसला अतिवाद को बढ़ावा देगा और कश्मीर में युवाओं को आतंकवाद की ओर ढकेलना का काम करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर यूएन में जा रहा है, क्या यह हमारे लिए शर्म की बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार हमें एंटी नेशनल कहती रहती है लेकिन हमें इनसे राष्ट्रवाद का पाठ सीखने की जरूरत नहीं है, हम ही एक ऐसी पार्टी हैं जो देश की आजादी के लिए लड़े थे, देश के मूल्यों की रक्षा के लिए लड़े थे। शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि गृह मंत्री एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के कश्मीर में लेकर जाएं और वहां की जमीनी हकीकत देखें। थरूर ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है इस पर किसी को कोई मतभेद नहीं है। लेकिन इस बिल से लोकतांत्रिक व्यवस्था, वैश्विक परिवेश और हमारी विश्वसनीयता को आघात पहुंचा है।
उनसे पहले कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कि बगैर संविधान सभा की इजाजत के धारा ३७० को खारिज नहीं किया जा सकता जो आज मौजूद नहीं है। तिवारी ने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा-विधान परिषद का मतलब यह संसद नहीं है। जम्मू कश्मीर का अलग संविधान है जो १९५७ को लागू हुआ था क्या अब प्रदेश के बंटवारे के बाद उस संविधान को खारिज करने का बिल भी सरकार लेकर आएगी।
उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे के ऊपर इससे बड़ा आघात नहीं हो सकता, साथ ही आज अगर जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है तो उसके पीछे पंडित नेहरू ही वजह थे। गृह मंत्री ने हश्तक्षेप में पूछा ने कहा कि कांग्रेस बताए कि वह धारा ३७० के पक्ष में हैं या इसके खिलाफ हैं। तिवारी ने कहा कि बगैर जम्मू कश्मीर संविधान सभा की मंजूरी के धारा ३७० को खारिज नहीं किया जा सकता।
तिवारी ने कहा कि पंडित नेहरू ने कदम उठाकर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया। उस विलय के साथ कुछ वादे में किए गए थे, जिसमें दिल्ली का करार भी शामिल है। साल १९५२ में भारत के संविधान में धारा ३७० को शामिल किया गया। उसी बीच जम्मू कश्मीर में संविधान सभा का गठन हुआ और वहां के लिए अलग संविधान की संरचना की। इसके बाद तय हुआ कि वहां का हर फैसला संविधान सभा, विधानसभा की राय लेने के बाद ही किया जाएगा। तिवारी ने कहा कि आज इस सदन में संवैधानिक त्रासदी हो रही है। अनुच्छेद ३ की स्प्रिट संसद को खुद राय लेने का अधिकार नहीं देती न ही अनुच्छेद ३ किसी सूबे को तोड़ने की बात कहती है।
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के गठन के वक्त राय ली गई थी और यूपीए ने कोई असंवैधानिक काम नहीं किया साथ ही अनुच्छेद ३ के मुताबिक ही काम किया था। लेकिन आज जम्मू कश्मीर के संदर्भ में संविधान का पालन नहीं हुआ। बगैर विधानसभा के विचार के कोई भी राज्य का गठन आजतक नहीं किया गया था।
राहुल गांधी का ट्वीट –
National integration isn’t furthered by unilaterally tearing apart J&K, imprisoning elected representatives and violating our Constitution. This nation is made by its people, not plots of land. This abuse of executive power has grave implications for our national security.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 6, 2019
सोनिया गांधी की अधीर रंजन को फटकार
कांग्रेस को मंगलवार को लोक सभा में जम्मू कश्मीर में धारा ३७० के दो खंड ख़त्म करने और राज्य के दो टुकड़े करने के बिल पर बहस के दौरान उस समय उपहास की स्थिति झेलनी पड़ी जब पार्टी के नेता अधिरंजन चौधरी ने यूएन का जिक्र कर दिया। वो पार्टी का पक्ष ठीक से नहीं रख सके और इसके लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की फटकार उन्हें सुननी पड़ी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अनुच्छेद ३७० हटाए जाने पर कांग्रेस की ओर से पक्ष रख रहे चौधरी ने संयुक्त राष्ट्र की चर्चा कर पार्टी को मुसीबत में डाल दिया। बहस के बीच कांग्रेस का पक्ष रखते हुए चौधरी ने गृहमंत्री से सवाल किया कि यह क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में है। अधीर के इतना कहते ही गृहमंत्री ने उनसे पूछना शुरू कर दिया कि क्या कांग्रेस चाहती है कि अभी भी इस मामले को संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से ही सुलझाना चाहिए। उनके इतना कहते ही सोनिया गांधी असहज दिखीं और उन्होंने पीछे बैठे अपने सदस्यों की तरफ घूमकर कुछ कहा।
पता चला है कि इस ब्यान पर पार्टी की किरकिरी से नाराज सोनिया गांधी ने अधीर रंजन को जमकर फटकार लगाई है। अधीर रंजन के कश्मीर पर बायन पर पहले तो सोनिया काफी असहज दिखी। लेकिन जब सदन में चौधरी के बयान पर बवाल बढ़ता देख तब सोनिया ने पीछे घूमकर अधीर पर कुछ हैरानी प्रकट की।
इसे पहले लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से अनुच्छेद ३७० पर संकल्प पेश किया जिसपर कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और द्रमुक के टीआर बालू ने कड़ा विरोध किया। बालू ने कहा कि ”यह अघोषित आपातकाल है।”
चौधरी ने संकल्प पेश किये जाने का विरोध करते हुए इंदिरा गांधी के समय हुए शिमला समझौते, अटल बिहारी वाजपेयी के समय हुई लाहौर घोषणा को लेकर भी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद हैं। उन्होंने सवाल किया कि अमरनाथ यात्रा को क्यों बंद किया गया है? साथ ही दावा किया कि जम्मू- कश्मीर को जेलखाना बना दिया गया है।
टिहरी हादसे में ९ स्कूली बच्चों की मौत
उत्तराखंड में मंगलवार को दो सड़क हादसों में १६ लोगों की मौत हो गयी। पहला हादसा टिहरी जिले में हुआ जहाँ कंगसाली इलाके में २० बच्चों को ले जा रही स्कूल बस खाई में गिर गई। इस हादसे में ९ बच्चों की मौत हो गई।
टिहरी गढ़वाल स्थित आपदा प्रबंधन केंद्र ने हादसे की पुष्टि। सूचना मिलते ही एसडीआरएफ की टीम ने बचाव कार्य शुरू किया। हादसे में घायल हुए बच्चों को अस्पताल भेजा गया है जहां उनका इलाज किया जा रहा है। यह बच्चे एक निजी स्कूल एंजेल पब्लिक स्कूल के हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह दुर्घटना तब हुई तब स्कूल की मिनी स्कूल बस में करीब २० बच्चे सवार थे। हादसे में ५ बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिन्हें एम्स ऋषिकेश इलाज के लिए ले जाया गया है। बाकी घायल बच्चों का बौराड़ी स्थित टिहरी ज़िला अस्पताल में उपचार किया जा रहा है।
बद्रीनाथ में हादसा
उधर सूबे के बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ इलाके में यात्रियों से भरी एक बस के ऊपर चट्टान गिर गयी। हादसे में ७ यात्रियों की मौत हो गई है। हादसा मंगलवार सुबह करीब ९ बजे हुआ। मौके पर फंसे लोगों को बचाने की पूरी कोशिश हो रही है।
चट्टान गिरने से वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और घटनास्थल का मुआयना कर जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि बस बद्रीनाथ से लौट रही थी। राहत और बचाव कार्य जारी हैं।
किसानों ने जहर पिया कलेक्टर के दफ्तर में!
महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके से 6 किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबर है। इन किसानों ने अकोला के जिलाधिकारी के दफ्तर में विषपान किया। ये किसान पिछले 2 वर्षों से उनकी जमीन के मुआवजे को लेकर सरकार से लड़ रहे थे। दरअसल इनकी जमीन धुले- कोलकाता राष्ट्रीय महामार्ग के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गई थी।
इन किसानों की मांग थी कि उनकी अधिग्रहीत की गई जमीन के एवज में मिलने वाली मुआवजे की राशि को बढ़ाकर दिया जाए। लेकिन प्रशासन की ओर से इस राशि को बढ़ाकर दिए जाने के मामले में टालमटोल की जा रही थी। पिछले माह 29 तारीख को इन किसानों ने पत्र लिखकर चेतावनी थी कि यदि उनकी मुआवजे की राशि बढ़ाकर नहीं दी गई तो वे आत्महत्या करेंगे । लेकिन सरकार ने इनकी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया । आज जब वे कलेक्टर के दफ्तर में अपनी मांग को लेकर पहुंचे तो उन्हें जवाब दे दिया गया कि उन्हें मुआवजे की राशि बढ़ाकर नहीं दी जाएगी। इस जवाब से निराश होकर उन्होंने यह कदम उठाया।
सभी किसान कनेरी गवली, शेलर और व्याला गांव के बताए जा रहे हैं। किसानों के नाम मुरलीधर राउत, अर्चना टकले, आशीष हिवकर, साजिद इकबाल, अफजल रंगारी और अबरार अहमद है। सभी किसानों की हालत गंभीर बताई जा रही है और इनका इलाज जिला के सरकारी अस्पताल में चल रहा है। यह मामला गंभीर इसलिए भी है कल 6 अगस्त को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की महाजनादेश यात्रा का पड़ाव अकोला में ही है।
जेके के बंटवारे का बिल राज्य सभा में पास हुआ
जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने वाला बिल सोमवार राज्यसभा में पास हो गया। यह बिल अब लोक सभा में पेश किया जाएगा। इस बिल से जम्मू कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में नहीं।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल के पक्ष में १२५ और विरोध में ६१ वोट पड़े। मंगलवार को यह बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा। इससे साथ-साथ केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा ३७० को हटाने का ऐलान भी कर दिया। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो जाएगा। सरकार के इस फैसले को भाजपा और उसके सहयोगियों के अलावा कुछ विपक्षी पार्टियों ने भी समर्थन किया है।
जम्मू कश्मीर से धारा ३७० हटाए जाने के बाद राज्यसभा में जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ३७० के कारण आज जम्मू-कश्मीर के लोग गुरबत की जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसकी छाया में तीन परिवारों ने आजादी से लेकर आज तक राज्य को लूटा है।
इससे पहले गृबताये ह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में धारा ३७० के गिन गिन कर नुकसान बताये। उन्होंने कहा कि ३७० की वजह से जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लोकतंत्र मजबूत नहीं हो पाया। जम्मू कश्मीर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं ३७० की वजह से नहीं मिल पाईं।
शाह ने कहा हम घाटी के युवाओं को गले लगाना चाहते हैं। उनको अच्छी शिक्षा और अच्छा भविष्य, अच्छी स्वास्थ्य की सुविधाएं और रोजगार देना चाहते हैं। भारत के अंदर जिस प्रकार से विकास हुआ है उसी तरह से कश्मीर में विकास हो इसके लिए आर्टिकल ३७० को निकालना जरूरी है।
गृह मंत्री ने कहा कि जो लोग कश्मीर के युवाओं को उकसाते हैं उनके बेटे-बेटियां लंदन, अमेरिका में पढ़ाई करते हैं। उनको चिंता नहीं है क्योंकि उन्होंने तो सब अच्छे से कर लिया। लेकिन घाटी के युवा को आज भी अनपढ़ रखने, उनका विकास न करने के लिए आर्टिकल ३७० बहुत बढ़ी बाधक है।
शाह ने कहा कि ३७० के कारण आज तक ४१,८९४ लोग जम्मू कश्मीर में किस की पॉलिसी के कारण मारे गए? जवाहर लाल नेहरू जो पॉलिसी चालू करके गये वो ही पॉलिसी अभी तक चल रही है, फिर इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है?
शाह ने कहा कि हुर्रियत, आईएसआई, घुसपैठिए इन सब लोगों ने कश्मीर के युवाओं को गुमराह किया है। १९९० से लेकर २०१८ तक ४१,८९४ लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। आतंकवाद जन्मा, बढ़ा, पनपा और चरम सीमा पर पहुंचा, इसका कारण आर्टिकल ३७० है।
उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू जी ने भी कहा था ‘३७० घिसते-घिसते घीस जाएगी”, लेकिन ३७० को इतना जतन से संभलकर रखा, ७० साल हो गए, लेकिन घिसी नहीं। ३७० के कारण जम्मू कश्मीर में देश का कोई बड़ा डॉक्टर नहीं जाना चाहता, क्योंकि वहां वो अपना घर नहीं खरीद सकता, वहां का मतदाता नहीं बन सकता और वहां खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करता। ३७० आरोग्य में भी बाधक है।
कहा कि आर्टिकल ३७० के कारण जम्मू और कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी बड़ी कंपनियां नहीं जा सकती। ये कंपनियां वहां गई तो वहां के लोगों को रोजगार मिलेगा। बड़ी कंपनियां वहां गईं तो पर्यटन बढ़ेगा, लेकिन ३७० के कारण ये संभव नहीं है। आर्टिकल ३७० और ३५ए हटाने से घाटी का, जम्मू का, लद्दाख का भला होने वाला है।
उन्नाव पीड़िता एम्स शिफ्ट होगी
सर्वोच्च न्यायालय सोमवार को उन्नाव रेप और एक्सिडेंट मामले की पीड़िता को तत्काल प्रभाव से लखनऊ से दिल्ली के एम्स ट्रांसफर करने का आदेश दिया है।
इस बीच बताया गया है कि पीड़िता की हालत सुधर रही है। उसे एयर एंबुलेंस से एयरलिफ्ट कर दिल्ली शिफ्ट किया जाएगा। इसके साथ ही अगर जरूरत पड़ती है तो वकील को भी शिफ्ट किया जाए। इस दौरान पीड़िता के वकील ने परिवार की तरफ से गुहार लगाते हुए कहा था कि वो बेटी को संभालें या मुकदमा लड़ें?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार कहा था कि पीड़िता के परिजनों को इस बात की छूट है कि वे जब उचित समझें उसे दिल्ली के एम्स में स्थानांतरित कर सकते हैं। बताया गया कि लखनऊ के ट्रामा सेंटर में २८ जुलाई से भर्ती पीडि़ता ने आज आंख खोली है। इसके साथ ही अब वह इशारे समझ रही है।
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़ित बीती २८ जुलाई को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं। वहीं उनके वकील को भी हादसे में चोटें आई थीं। इसके बाद से दोनों का इलाज लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में चल रहा है।
कश्मीर पर फैसला देश के इतिहास में एक काला दिन : आज़ाद
जम्मू-कश्मीर से धारा ३७० हटाने का फैसला और सूबे के दो टुकड़े करने का बिल आने के बाद राज्य सभा में कांग्रेस समेत कई विपक्षी और जेडीयू जैसे एनडीए के घटकों ने भी फैसले का विरोध जताया है।
राज्यसभा में बिल लाये जाने के बाद सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने फैसले का जबरदस्त तरीके से विरोध करते हुए भाजपा पर वोट के लिए कश्मीर से खेलने का आरोप लगाया। आज़ाद ने कहा कि भाजपा ने वोट के चक्कर में कश्मीर के टुकड़े कर दिए। ये दिन देश के लिए काला दिन है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने लद्दाख को यूटी के दर्जे पर कहा कि लद्दाख में कारगिल के मुसलमानों और लदाख के बौद्धों में टकराव पैदा होगा। उन्होंने कहा जिस दिन ये कानून पास होगा वो भारत के इतिहास में काला धब्बा होगा।
आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के इतिहास की शुरुआत वहां के प्रधानमंत्री के साथ हुई थी, लेकिन अब आपने उसे लेफ्टिनेंट गवर्नर पर लाकर खत्म कर दिया है। आप चपरासी की नियुक्ति भी खुद करना चाहते हैं। अगर आप चार महीने इंतजार करते तो विधानसभा चुनाव के बाद आसानी से फैसला हो सकता था। आज़ाद ने कहा कि आपने वोट लेने के लिए कश्मीर के टुकड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने संविधान की हत्या करके एक राज्य के इतिहास को ही खत्म कर दिया है। देश के नक़्शे से एक राज्य ख़त्म हो गया। पहले २९ थे अब २८ रह गए।
उन्होंने कहा कि आप इसको लेकर कानून मत पढ़िए, जरा इतिहास देखिए कि आपने क्या किया है। जब से फोर्स को कश्मीर भेजा गया, तभी से कई तरह की आशंकाएं सामने आ रही थीं।
जम्मू कश्मीर में धारा ३७० खत्म
आखिर लम्बे इन्तजार और तनाव के बाद मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को लेकर सोमवार को ऐतिहासिक फैसला कर लिया। अब जम्मू और कश्मीर को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाएगा। वहां विधानसभा होगी और गवर्नर को सदर-ए -रियासत कहा जाएगा। लद्दाख अलग यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) होगा और वहां विधानसभा नहीं होगी। धारा ३७० और ३५ ए को ख़त्म कर दिया गया है। इससे जम्मू कश्मीर से जुड़े ज्यादातर अधिकार भारत सरकार के पास आ गए हैं। राष्ट्रपति ने इन सब प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इससे वेस्ट पाकिस्तान के रेफूजीज को भी जम्मू कश्मीर की नागरिकता और वोट का अधिकार मिल जाएगा।
स्वतंत्र भारत में हुए सबसे बड़े फैसलों में इसे सबसे बड़ा कहा जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में इसका संकल्प पेश किया। धारा ३७० का खंड १ बचा रहेगा। धारा ३५ ए भी ख़त्म हो गयी है। राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी है। इससे जम्मू कश्मीर से जुड़े ज्यादातर अधिकार भारत सरकार के पास आ गए हैं। लदाख को केंद्र शाषित प्रदेश बनाया गया है और वहां विधानसभा नहीं होगी। जम्मू और कश्मीर को भी केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है हालांकि वहां विधानसभा होगी।
राज्य सभा में इस घोषणा के बाद जबरदस्त हंगामा शुरतु हो गया है। पूरे जम्मू कश्मीर में फोन और इंटरनेट बंद है साथ ही टेलीविजन भी। इस घोषणा के बाद सदन में जोरदार शोर शुरू हो गया। जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। सत्तापक्ष ने सदस्यों ने समर्थन किया।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार वोट बैंक नहीं देखती हित। उधर मंत्रिमंडल की ओर से पारित जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल सोमवार को राज्य सभा में लाया गया है। इससे पहले रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि जम्मू और कश्मीर में धारा १४४ लगा दी गई और अगले आदेश तक स्कूल-कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया गया। घाटी के तीन बड़े नेताओं पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, एनसी के उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन को नजरबंद कर दिया गया। दिल्ली में सुबह केबिनेट कमेटी की बैठक हुई उसके बाद केबिनेट की बैठक हुई है। उधर पीडीपी के नेता संसद पट्टी बाँध कर आये। कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने घटनाओं को देखते हुए स्थगन प्रस्ताव दिया। राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडु ने कहा कि चूँकि गृह मंत्री जेके से जुड़ा बिल ला रहे हैं लिहाजा उसके बाद चर्चा के दौरान इसपर बात हो सकती है। आज़ाद ने तीन मुख्यमंत्रियों को हाउस अरेस्ट करने का मसला उठाया। पहले इसपर चर्चा की मांग की। पीडीपी ने भी विरोध किया। शाह ने कहा जवाब देने को तैयार हैं।
उधर किसी भी आशंका के चलते सभी राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इससे पहले पीएम आवास पर मोदी-शाह और एनएसए डोभाल के बीच एक अलग से बैठक भी हुई। गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के अलावा कैबिनेट के सभी मंत्री पीएम आवास पर पहुंचे। सॉलिसिटर जनरल भी आये।
जम्मू-कश्मीर में एक ही रात में हालात काफी बदल गए। कश्मीर घाटी में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच जम्मू और श्रीनगर में धारा १४४ लगा दी गई साथ ही सुरक्षा कारणों को देखते हुए जम्मू में भी चार हजार जवानों को तैनात किया गया। सोमवार सुबह छह बजे से धारा १४४ लागू हो गई है। जम्मू, श्रीनगर, कठुआ, किश्तवाड़, कुपवाड़ा और पुंछ में स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। मोबाइल इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया है।
उधर श्रीनगर जिला प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि शहर में धारा १४४ अगले आदेश तक लागू रहेगी। सभी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। आम लोगों का किसी प्रकार का मूवमेंट नहीं होगा। रैली या सार्वजनिक बैठक पर प्रतिबंध रहेगा। देर रात को जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन को नजरबंद कर दिया गया। दोनों ही नेताओं ने रात को ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी, दोनों ही नेता लगातार ट्वीट कर अपील कर रहे थे कि सरकार को साफ करना चाहिए कि कश्मीर में क्या हो रहा है। नेताओं को नजरबंद करने को लेकर राजनीतिक दलों ने इसका विरोध भी किया है।
जम्मू कश्मीर में धारा ३७० खत्म करने की सिफारिश
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद ३७० को खत्म करने की सिफारिश का फैसला किया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में इसका संकल्प पेश किया। धारा ३७० का खंड १ बचा रहेगा। इस घोषणा के बाद सदन में जोरदार शोर शुरू हो गया। जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। सत्तापक्ष ने सदस्यों ने समर्थन किया।
उधर मंत्रिमंडल की ओर से पारित जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल सोमवार को राज्य सभा में लाया गया है।
इससे पहले रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि जम्मू और कश्मीर में धारा १४४ लगा दी गई और अगले आदेश तक स्कूल-कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया गया। घाटी के तीन बड़े नेताओं पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, एनसी के उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन को नजरबंद कर दिया गया। दिल्ली में सुबह केबिनेट कमेटी की बैठक हुई उसके बाद केबिनेट की बैठक हुई है। उधर पीडीपी के नेता संसद पट्टी बाँध कर आये। कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने घटनाओं को देखते हुए स्थगन प्रस्ताव दिया। राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडु ने कहा कि चूँकि गृह मंत्री जेके से जुड़ा बिल ला रहे हैं लिहाजा उसके बाद चर्चा के दौरान इसपर बात हो सकती है। आज़ाद ने तीन मुख्यमंत्रियों को हाउस अरेस्ट करने का मसला उठाया। पहले इसपर चर्चा की मांग की। पीडीपी ने भी विरोध किया। शाह ने कहा जवाब देने को तैयार हैं।
उधर किसी भी आशंका के चलते सभी राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इससे पहले पीएम आवास पर मोदी-शाह और एनएसए डोभाल के बीच एक अलग से बैठक भी हुई। गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के अलावा कैबिनेट के सभी मंत्री पीएम आवास पर पहुंचे। सॉलिसिटर जनरल भी आये।
जम्मू-कश्मीर में एक ही रात में हालात काफी बदल गए। कश्मीर घाटी में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच जम्मू और श्रीनगर में धारा १४४ लगा दी गई साथ ही सुरक्षा कारणों को देखते हुए जम्मू में भी चार हजार जवानों को तैनात किया गया। सोमवार सुबह छह बजे से धारा १४४ लागू हो गई है। जम्मू, श्रीनगर, कठुआ, किश्तवाड़, कुपवाड़ा और पुंछ में स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। मोबाइल इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया है।
उधर श्रीनगर जिला प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि शहर में धारा १४४ अगले आदेश तक लागू रहेगी। सभी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। आम लोगों का किसी प्रकार का मूवमेंट नहीं होगा। रैली या सार्वजनिक बैठक पर प्रतिबंध रहेगा। देर रात को जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन को नजरबंद कर दिया गया। दोनों ही नेताओं ने रात को ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी, दोनों ही नेता लगातार ट्वीट कर अपील कर रहे थे कि सरकार को साफ करना चाहिए कि कश्मीर में क्या हो रहा है। नेताओं को नजरबंद करने को लेकर राजनीतिक दलों ने इसका विरोध भी किया है।










