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विधानसभा चुनाव: शाम 6 बजे तक हरियाणा में 62 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 55 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया

विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को महाराष्ट्र और हरियाणा में कम मतदान दर्ज किया गया।

महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रहे भाजपा और उसके सहयोगियों के साथ दोनों राज्यों में मतदान हुआ ।

अधिकारियों के अनुसार, हरियाणा के 62 फीसदी से अधिक मतदाता शाम 6 बजे तक विधानसभा के 90 सदस्यों का चुनाव करने के लिए निकले। दूसरी ओर, महाराष्ट्र में 55 फीसदी से अधिक मतदान हुआ।

हरियाणा और महाराष्ट्र में मतदान आज सुबह 7 बजे शुरू हुआ। दोनों राज्यों में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के साथ सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। वोटों की गिनती 24 अक्टूबर को होगी।

चुनावी खर्च पर घूंघट डालने के तरीके खोज लिए प्रत्याशियों ने

देश की राजनीति में आया राम-गया राम जैसी परंपरा शुरू करने के लिए बदनाम हरियाणा के नेताओं ने एक और कारनामा कर दिखाया है। चुनाव खर्च को किस तरह छुपाना और कम करके दिखाना है इसके लिए उन्होंने कई जुगाड़ कर लिए हैं। यहां के प्रत्याशी जानते हैं कि चुनावी खर्च के आंकड़ों से किस तरह खेला जा सकता है।

चुनाव आयोग ने हरियाणा में विधानसभा प्रत्याशी के लिए खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख रखी है। इसमें उसकी जनसभाएं, रैलियां, बैनर-पोस्टर, गाडिय़ां और कार्यकर्ताओं के सभी खर्च शामिल है। इसमें उसके प्रिंंट और इलेक्ट्रांनिक मीडिया पर दी जाने वाली प्रचार सामग्री भी आती है।

इसके साथ यह भी अनिवार्य कर दिया गया है कि 20,000 (बीस हज़ार) से ऊपर की किसी भी रकम की आदायगी नकद न की जाए, उसके लिए चैक का इस्तेमाल हो। हर प्रत्याशी को अपने खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को चुनाव परिणाम घोषित होने के 30 दिन के अंदर देना होता है। इसमें  उस रकम का भी हिसाब होता है जो उसने विभिन्न स्त्रोतों से हासिल की है। यदि कोई प्रत्याशी ऐसा नहीं करता है तो उसके चुनाव को निरस्त दिया जा सकता है और उसका विधायक बनने का अधिकार छीना जा सकता है।

करनाल (हरियाणा) के एक वरिष्ठ वकील वाई के कालिया ने ‘तहलका’ को बताया, ‘हालांकि यहां इन खर्च पर नज़र रखने के लिए कुछ एजेंसियां हैं वहीं कुछ माफिया गिरोह हैं जो प्रत्याशियों को खर्च को छुपाने के तरीके बताती हैं और उन पर अमल करवाती है। इसमें चुनाव की रणनीति और वित्त प्रबंधन, विशेषज्ञ और सोशल मीडिया को चलाने वाले लोग होते हैं जो प्रत्याशियों के लिए पैसा खर्च करते हैं और दर्शाते ऐसा है जैसे यह पैसा उनके समर्थकों ने खर्च किया है।’

पंचकूला के एक व्यापारी धीरज देव ने चुनाव आयोग द्वारा की बंदिश की सारी ही प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग सहित सभी को पता है कि इस खर्च में चुनाव नहीं लड़ा जा सकता, फिर भी सभी प्रत्याशी चुनाव आयोग से क्लीन चिट ले लेते हैं। उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि किस तरह गैर कानूनी हथकंडे चुनाव में अपनाए जाते हैं और किन तरीकों से नकदी बांटी जाती है पर फिर भी हर प्रत्याशी साफ छवि बरकरार रखता है।

कुरूक्षेत्र के एक किसान ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि विभिन्न राजनैतिक दलों के लोग हमारे गांवों में आते हैं और नकदी बांटने के साथ कई लुभावने वादे करते हैं? इस कारण गांव के $गरीब उनके पैसों और वादों के कारण उन्हें वोट देते हैं।

अब प्रश्न यह है कि क्या ये प्रत्याशी केवल निर्धारित धन राशि के अंदर ही खर्च करके चुनाव लड़ते हैं या खर्च इससे कहीं अधिक होता है जितना हमे दिखाई देता है।

हम सभी को मालूम है कि हर प्रत्याशी लोगों को साथ जोडऩे के लिए ज्य़ादा खर्च करता है। एक अनुमान के अनुसार एक प्रत्याशी अपने चुनाव क्षेत्र में जीतने के लिए एक से तीन करोड़ रु पए खर्च करता है। यह खर्च चुनाव क्षेत्र के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। कई शहरी क्षेत्रों में यह खर्च पांच करोड़ का आंकड़ा भी पार करता है। यदि प्रत्याशी भी हैसियत हो तो यह खर्च इससे भी ज्य़ादा हो जाता है।

इसके बारे में जब विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं से बात की गई तो सभी का यह कहना था कि खर्च की सीमा के भीतर रह कर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। दक्षिण पंथी एक पार्टी के एक कार्यकर्ता ने नाम न बताने का शर्त पर कहा कि प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए कई स्त्रोतों से भारी खर्च करते है। हमें सभी को पता है कि भारत में चुनाव धन, बल और शातिर राजनीति से लड़े जाते है। प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए इनका खुल कर इस्तेमाल करते है। इसके साथ ही वे इस खर्च को छुपाने के साधन भी तलाश लेते हैं।

गाडिय़ों के लिए ईंधन

हमारी जांच से पता चला है कि विभिन्न दल अलग-अलग प्रेट्रोल पंपों से तालमेल बिठा लेते हैं। वहां उस दल का आदमी खड़ा होगा जो रैलियों और जनसभाओं में जाने वाली गाडिय़ों में तेल भराता रहता है। देखा गया है कि रैलियों के तेल भरवाने वाली गाडिय़ां कभी भी मौके पर पैसों की आदयगी नहीं करतीं। यह भुगतान बाद में पार्टी का कोआर्डिनेटर ही करता है।

मुफ्त की शराब

शहरी और ग्रामीण इलाकों में प्रत्याशियों के प्रतिनिधि शराब की दुकानों से सांठगांठ करते हैं और उन्हें समय और तारीख बता देते हैं जिस समय उनके समर्थक मुफ्त की शराब लेने के लिए आएंगे। उस समय पार्टी का आदमी आता है और लोगों को मुफ्त में शराब बांटता रहता है। कुछ मामलों में चिटों का सहारा भी लिया जाता है।

नकदी और खाना

एक प्रत्याशी अपने विधानसभा क्षेत्र में औसतन 100 जनसभाएं और बैठकें करता है। हमें पता है इन जन सभाओं में कुछ सैकड़े या कुछ हज़ार लोग आते है। यह पार्टी और प्रत्याशी के उस क्षेत्र में असर पर निर्भर करता है। उन्हें क्या परोसा जाता है इसका किसी को पता नहीं चलता। हर प्रत्याशी एक भीड़ इकट्ठी करके अपनी लोकप्रियता का दिखावा करता है। कुछ प्रत्याशी अपनी ताकत दर्शाने के लिए बाहर के इलाकों से लोगों को ले आते हैं। उन्हें लाने और ले जाने का काम प्रत्याशी या उसकी पार्टी करती है। ऐसी भीड़ को पैसे और भोजन दिया जाता है। ज्य़ादातर मामलों में लोगों को रैली में आने के लिए कुछ रु पए और मुफ्त का भोजन दिया जाता है। इस पैसे का कहीं कोई हिसाब नहीं रखा जाता।

सोशल मीडिया पर खर्च

आज के समय में हर प्रत्याशी सोशल मीडिया पर ध्यान दे रहा है। इसे वह अपना प्रचार माध्यम बनाना चाहता है। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर प्रचार बगैरा के लिए एक खास बजट रखा है। इस कारण वह इस पर अपनी पैनी नज़र भी रखता है, पर जिस तरह से प्रत्याशी इसे चलाते हैं उस पर नज़र रखना कठिन हो जाता है। ज्य़ादातर प्रत्याशी अच्छी सोशल मीडिया की टीमों को पैसे दे कर काम करवाते हैं। ये टीमें न केवल अधिकारिक सोशल पेजों को चलाती हैं बल्कि इनके समर्थित पेजों पर भी काम करती है। इस कारण चुनाव आयोग के लिए समॢथत पेजों और उन पर खर्च का हिसाब रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसा एक मामला इस बार पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा सीट पर सामने आया। इस सीट से भाजपा-अकाली दल के संयुक्त प्रत्याशी सन्नी दियोल ने चुनाव जीता। यहां पर कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष हिमांशु पाठक ने दियोल के  समर्थित पेज फैंस ऑफ सन्नी दियोल पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इस पेज ने सन्नी दियोल का डिजिटली प्रचार किया। जांच के बाद उस पर खर्च किए गए 1,74,544 रु पए मुख्य चुनाव अधिकारी ने सन्नी दियोल के चुनाव खर्च में डाल दिए।

भारतीय चुनाव आयोग ने स्वैच्छिक आचार संहिता लागू की है। इसके अनुसार कोई पार्टी या प्रत्याशी मतदान से 48 घंटे पहले सोशल मीडिया पर कोई प्रचार नहीं कर सकता। यह अचार संहिता पैसे देकर प्रचार के खिलाफ है। यह चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन है। 19 मार्च 2019 को भारतीय चुनाव आयोग के प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों की बैठक बुला कर चुनाव में सोशल मीडिया पर प्रचार से संबंधित मुद्दों पर बात की थी। फेसबुक, टविट्रर, व्हटस ऐस, गूगल और टिक-टॉक जैसी सभी कंपनियों ने स्वैच्छिक आचार संहिता को लागू करने की बात मान ली थी।

26 सितंबर 2019 को भारतीय चुनाव आयोग की एक विज्ञप्ति के अनुसार हरियाणा व महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और दूसरे उपचुनावों में मध्य नज़र इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएसन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) अपने सदस्यों की ओर से स्वैच्छिक आचार संहिता लागू करने का विश्वास दिलाया। आईएएमएआई ने विश्वास दिलाया कि वे निष्पक्ष चुनाव करवाने में पूरा समयोग देंगे। इसका नतीजा यह हुआ आईएएमएआई और दूसरे सोशल मीडिया संगठनों नेआपास मेें मिलकर स्वैच्छिक अचार संहिता को लागू कर दिया। इन्होंने उन 909 मामलों में भी कार्रवाई की जो आचार संहिता तोडऩे को लेकर चुनाव आयोग ने उन्हें भेजे थे।

स्वैच्छिक आचार संहिता के मुख्य बिंदू है। (1) सोशल मीडिया लोगों को चुनावी कानून और दूसरे मामलों में शिक्षित करेगा, इन्हें पूरी जानकारी देगा। (2) सोशल मीडिया ने चुनाव आयोग से मिली शिकायतों पर कार्रवाई के लिए एक शिकायत निर्माण कमेटी का गठन किया है। (3) सोशल मीडिया और चुनाव आयोग के आरपीएक्ट 1951 की धारा 126 के तहत शिकायतों के निपटारे के लिए एक नोटिफिकेशन मेकैनिज़म तैयार किया है। (4) यह भी तय किया गया कि कोई भी प्रचार सामग्री मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मोनिटरिंग कमेटी के प्रमाणपत्र के बिना प्रसारित नहीं की जा सकती। यह सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार किया जा रहा है। (5) सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पेड राजनीतिक विज्ञापनों के मामले मेे पूरी पारदर्शिता रखेंगे।

यह बुराई केवल हरियाणा तक सीमित नहीं इस ने महाराष्ट्र को अपनी चपेट में ले लिया है। वहां भी इस तरह का अभियान शुरू हो गया है। मुंबई में चार करोड़ नकदी का मिलना इस बात का प्रमाण है कि चुनावी फंड को किस तरह प्रयोग किया जाता है। पहली अक्तूबर को महानिदेश आयकर विभाग (जांच) ने एक पत्रकार सम्मेलन में बताया जब से महाराष्ट्र में चुनावों की घोषणा हुई है तब से कालाधन खूब चल रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग ने लगभग चार करोड़ रु पए की नकदी बरामद की है।

आयकर विभाग द्वारा ऐसे मामलों में उठाए कदमों का जिक्र करते उन्हों बताया उनका विभाग कई दूसरी एजेंसियों और विभागों के साथ सहयोग करके निटपक्ष चुनाव करवाने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बारे में गुप्त सुचनाएं भी इकट्ठी की जा रही हैं। इनके लिए मुंबई, पुणे और नागपुर में 24 घंटे काम करने वाले नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं।

इसके साथ ही क्लिक रिस्पांस की 40 टीमें भी तैयार हैं। इनमें से छह मुंबई में हैं। इसके साथ ही एयर इंटेलिजेस यूनिटस (एआईयू) को सभी हवाई अड्डों पर तैनात किया गया है। इनका काम उस धन पर नज़र रखना है जो चोरी से वहां लाया जाता है। इनके लिए पूरे मीडिया का साथ भी लिया जा रहा है।

मज़ेदार बात यह है कि पिछले चुनावों के मुकाबले सभी प्रत्यशियों की संपत्ति में काफी बढ़ोतरी हुई है। मिसाल के लिए हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की संपत्ति पिछले पांच साल में दुगनी से भी ज्य़ादा हो गई है। उन्हें अपनी संपत्ति 170.41 करोड़ घोषित की है जबकि 2014 के चुनावों में यह 77.36 करोड़ थी। चुनाव अधिकारी के सामने दायर हल्फनामा में वित्तमंत्री ने 76.46 करोड़ की चल संपत्ति और 93.95 करोड़ की अचल संपत्ति की घोषणा की। उनके पास 3.90 करोड़ कीमत की गाडिय़ा 1.82 करोड़ के गहने बगैरा हैं। उन्होंने अपनी आय के साधनों में अपना वेतन, किराए की आमदन, ट्रांसपोर्ट के व्यापार की आय, ब्याज और कृषि को बताया है।

आदमपुर से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई ने 105.22 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। उनकी और उनकी पत्नी रेणुका की संपत्ति क्रमश 56.70 करोड़ और 48.82 करोड़ की है।

उच्चाना से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने अपनी संपत्ति 21.60 करोड़ की बताई है। इसमें 895 करोड़ की चल और 12.66 करोड़ की अचल संपत्ति है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा ने अपनी संपत्ति 6.67 करोड़ की बताई है। उनकी पत्नी आशा हुडा के पास 8.99 करोड़ मूल्य की संपत्ति है। अपने हल्फिया बयान में हुडा ने अपनी चल संपत्ति 2.04 करोड़ की और अचल संपत्ति 4.63 करोड़ की बताई है। आशा हुडा ने पास 2.40 करोड़ की चल संपत्ति और 6.59 करोड़ की अचल संपत्ति है। 2014 में हुडा और उनकी पत्नी आशा हुडा की कुल संपत्ति 8.8 करोड़ की थी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री किरन कुमार बेदी की संपत्ति में 256 फीसद का इजाफा हुआ है। यहां दायर हल्फिया बयान में उन्होंने 2.03 करोड़ की संपत्ति बताई है। इसमें 50.84 लाख की चल और 1.52 करोड़ रु पए की अचल संपत्ति है। इनके पास 2014 में कुल 56.96 लाख की संपत्ति है।

जन स्वास्थ्य इंजीनियनिंग मंत्री डाक्टर बनवारी लाल की संपत्ति पिछले पांच साल में 44.23 फीसद बढ़ गई। आज उनकी संपत्ति 2.76 करोड़ रु पए की है जबकि 2014 में यह 1.92 करोड़ की थी। हरियाणा के खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्री करण देव कंबोज की संपत्ति में228 फीसद का इजाफा हुआ। उन्हें यहां 4.27 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की, जबकि 2014 में उनके पास 3.34 करोड़ की संपत्ति थी।

महाराष्ट्र में घाटकोपर पूर्व की सीट से भाजपा के प्रत्याशी प्रागशाह ने 500.62 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की है। चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों में शाह सबसे अमीर हैं। सूची में दूसरे नंबर पर हैं मुंबई भाजपा के अध्यक्ष और मालाबर हिल्स से चुनाव लड़ रहे मंगल प्रभात लोढा। उनकी संपत्ति है 441 करोड़ रु पए की। यहां तीसरे स्थान पर हैं समाजवादी पार्टी के अबू अज़ामी। उनकी कुल संपत्ति 210 करोड़ की है। शिवसेना के अदित्य ठाकरे के पास 16.05 करोड़ की संपत्ति है। इनके पास 11.38 करोड़ की चल और 4.67 करोड़ की अचल व 10.36 करोड़ रु पए बैंक में है।

अब देखना है कि देश के राजनीतिक दल और प्रत्याशी किस तरह करोड़ों रु पए खर्च करके साफ बच निकलते हैं।

पच्छाद और धर्मशाला में मुकाबला दिलचस्प

केंद्र और प्रदेश दोनों में अपनी सरकार होने और सिर्फ साढ़े चार महीने पहले लोक सभा की सभी चार सीटें बहुत बड़े अंतर से जीतने के बावजूद हिमाचल में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए 21 अक्तूबर को होने वाला दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव गले की फांस बन गया है। खासकर, पच्छाद जहाँ भाजपा के बागी ने पार्टी नेतृत्व की नींद हराम कर दी है। धर्मशाला की सीट भी भाजपा के लिए इज्जत का सवाल है, क्योंकि भाजपा वहां भी बंटी सी दिख रही है।

विधानसभा चुनाव में 44 सीटें जीतने के बाद भाजपा सरकार की अब तक की कारगुजारी मिली-जुली रही है। लोगों की अपनी-अपनी राय है। विपक्षी कांग्रेस तो खैर सरकार पर हमले करते ही रही है। हालांकि भाजपा नेता मान कर चल रहे हैं कि 21 तारीख को लोगों की मुहर भाजपा के काम पर लगेगी।

लोकसभा चुनाव में जनता खुले रूप से पीएम मोदी के साथ थी। बजह थी ‘‘पुलवामा और बालाकोट’’ को राजनीति के लिए सफलता से भुनाना। ‘‘हिन्दुतत्व और राष्ट्रवाद’’ का तडक़ा भी खूब लगा था चुनाव में। अब माहौल कुछ और है। वैसे जम्मू कश्मीर में धारा 370 को खत्म करने को भाजपा चुनाव में भुनाना चाहती है, लेकिन सच यह भी है कि विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे सबसे ऊपर रहने वाले हैं।

भाजपा के लिए उपचुनाव का शगुन ही ठीक नहीं रहा। सोलन जिले की पच्छाद (आरक्षित) सीट पर भाजपा ने जैसे ही रीना कश्यप को उतारा, पार्टी की जमीन से जुड़ी नेता दयाल प्यारी और आशीष सिक्टा नाराज हो गए। बागी होकर दोनों ने नामांकन दाखिल कर दिया। सिक्टा तो पार्टी की मनुहार के आगे हार गए, दयाल प्यारी मैदान में टिकी हैं।

दयाल प्यारी से भाजपा इसलिए घबराई हुई है क्योंकि वे पच्छाद से तीन बार जिला परिषद का चुनाव जीत चुकी हैं। एक बार जिला परिषद की अध्यक्ष रही हैं। और भी दिलचस्प यह कि वह हर बार अलग-अलग वार्ड से विजयी हुईं जिससे उनकी इलाके में लोकप्रियता का पता चलता है।

पहली बार वे बाग-पशोग से चुनाव जीतीं जबकि दूसरी बार नारग से। वर्तमान में बाग-पशोग से जिला परिषद सदस्य हैं। उनकी इलाके में पकड़ का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, तब भी भाजपा की टिकट पर वह जिला परिषद की अध्यक्ष चुनी गयी थीं। इलाके का दौरा करने पर पता चलता है कि करीब 30 पंचायतों में उनका अच्छा प्रभाव है और लोगों की सहानुभूति भी उनसे जुड़ी लगती है।

नामांकन के दिन उनका एक वीडियो क्लिप भी खूब वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग दयाल प्यारी को कथित तौर पर जबरदस्ती एक जीप में डाल रहे हैं। दयाल प्यारी समर्थकों का आरोप है कि उनकी नेता को नामांकन करने से रोकने की साजिश की गई थी। जाहिर है यह आरोप भाजपा पर है, हालांकि भाजपा का कहना है कि पार्टी के लोगों ने ऐसा कुछ नहीं किया।

वैसे पच्छाद में पांच प्रत्याशी मैदान में हैं। दयाल प्यारी (आजाद) और रीना कश्यप (भाजपा) के अलावा तीसरे प्रमुख प्रत्याशी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफिर हैं। पिछले दो चुनाव हारने वाले मुसाफिर ने उससे पहले के लगातार सात चुनाव जीते थे। वे कांग्रेस सरकारों में मंत्री ही नहीं, विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं। अन्य में आजाद सुरेंद्र कुमार छिंदा और पवन कुमार हैं।

आशीष सिक्टा और दयाल प्यारी भाजपा की तरफ से टिकट की दौड़ में थे। उनका नाम आलाकामन को भेजे गए पैनल में शामिल था। लेकिन मुहर लगी रीना कश्यप के नाम पर। इससे सिक्टा और दयाल प्यारी बागी हो गए और दयाल अभी भी मैदान में टिकी हैं। सच यह है कि उन्होंने मुकाबले को तिकोना बना दिया है।

‘‘तहलका’’ ने दयाल प्यारी से बात की। उन्होंने कहा – ‘‘पार्टी तानाशाही पर उतर आई है। कुछ नेता मुझे भाजपा से बाहर करने का षड्यंत्र रच रहे। मुझ पर लगातार टिकट वापस लेने का दबाव बनाया गया लेकिन मेरे समर्थकों और इलाके की जनता मुझे मैदान में चाहती है। जनता मेरे साथ है और भाजपा प्रत्याशी इस चुनाव में हारने जा रही हैं।’’

पिछले लगातार दो चुनाव इस सीट पर भाजपा के सुरेश कश्यप जीते। भाजपा के सुरेश कश्यप की पकड़ को देखते हुए भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में उतार दिया और वे बड़े अंतर से जीत गए। उनकी खाली हुई सीट पर अब भाजपा तिकोने मुकाबले में फंसी है।

याद रहे 2012 के विधानसभा चुनाव में सुरेश कश्यप और मुसाफिर का मुकाबला हुआ था जिसमें सुरेश अपेक्षाकृत काम अंतर – 2805 वोट – से ही जीते थे। इसी तरह 2017 में सुरेश कश्यप को 30243 वोट मिले थे, जबकि गंगूराम मुसाफिर को 23816 वोट। और सुरेश अंतर बढक़र 6427 हो गया था। हालांकि इसे भी बहुत बड़ा अंतर नहीं कहा जा सकता।

यदि दयाल प्यारी के मैदान में आने से भाजपा के वोटों का बँटबारा हो जाता है और मुसाफिर अपने वोट बचाये रखते हैं तो भाजपा के लिए सच में दिक्कत आ सकती है। कांग्रेस को उम्मीद है कि उपचुनाव में उसके प्रत्याशी की जीत होगी।

मुसाफिर 1982 से लेकर 2007 तक लगातार सात बार इस सीट पर जीत चुके हैं। पहला चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीतकर वे कांग्रेस में चले गए। यह देखना दिलचस्प होगा कि मुसाफिर क्या पुराना जोर फिर दिखा पाते हैं।

हार मुसाफिर की राजनीतिक करियर पर फुल स्टॉप लगा सकती है। भले वे इलाके के बड़े कांग्रेस नेता हैं, लगातार तीसरी बार हार के बाद इलाके में कांग्रेस के नए लोग दावेदारी जताएंगे। जीत गए तो अगले चुनाव में भी पार्टी में उनके सामने कोई चुनौती नहीं होगी। लिहाजा उनकी प्रतिष्ठा इस उपचुनाव में दांव पर है।

भाजपा प्रत्याशी रीना कश्यप के पास अभी खोने के लिए कुछ नहीं है। हार से उनके व्यक्तिगत करियर का जो हो सो हो लेकिन सरकार के लिए यह शर्म की स्थिति पैदा करने वाला हो जाएगा। रीना भी एक बार जिला परिषद सदस्य रह चुकी हैं। उन्हें जिताने के लिए पूरी सरकार और संगठन ताकत झोंक रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मैदान में प्रचार कर रहे हैं। पहली बार किसी चुनाव में उन्हें भाजपा के लिए चुनौती देखनी पड़ रही है।

निर्दलीय दयाल प्यारी के लिए भी उपचुनाव बहुत अहम है। अभी तक राजनीति के वे ऊंचे ग्राफ पर हैं। जीत गईं तो बहुत मजबूत हो जाएंगी विरोधियों को इससे बड़ा झटका लगेगा। हार गईं तो उसी कतार में खड़ी हो जाएंगी जहाँ भाजपा के अन्य बागी खड़े हैं। अभी से चर्चा है कि वे जीत गईं तो दोबारा भाजपा के साथ चली जाएंगी। वैसे जीतने पर उनके कांग्रेस के साथ जाने की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में वे अगली बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट की प्रवल दावेदार हो जाएंगी।

धर्मशाला सीट

यह बहुत दिलचस्प है कि धर्मशाला में भाजपा और कांग्रेस ही नहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी जितना जनता से वोट की गुहार लगा रहे हैं, उतना ही एक संस्था नवजीवन फॉऊंडेशन (रूबरू) को भी अपने पक्ष में करनी की कवायद में जुटे हैं। लेकिन इससे भी दिलचस्प यह है कि इस संस्था के कर्ताधर्ता कांग्रेस के पूर्व विधायक सुधीर शर्मा हैं।

इस सीट पर आठ प्रत्याशी मैदान में हैं। संभावना थी कि कांग्रेस सुधीर शर्मा को टिकट देगी या उनके किसी नजदीकी को। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब सुधीर एक तरह से कोपभवन में बैठे हैं। कांग्रेस ने युवा विजयइंद्र कर्ण को मैदान में उतारा है जो एक गद्दी नेता हैं। वे कांग्रेस के पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के भांजे हैं।

भाजपा के विशाल नैहरिया को टिकट दिया है। यह सीट भाजपा के किशन कपूर के इस्तीफे के बाद खाली हुई हुई है जो मई के चुनाव में लोकसभा के लिए चुने गए थे। उस समय कपूर जयराम सरकार में मंत्री थे। वैसे किशन कपूर का इस सीट पर तीन दशक से दबदबा रहा है। वे पांच विधानसभा चुनाव यहां से जीत चुके हैं। हालाँकि 2012 में से सुधीर शर्मा से हार गए थे, जिनके दिवंगत पिता संत राम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और कई बार मंत्री रहे थे।

फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े चौकस भारद्वाज भी धर्मशाला के चुनावी दंगल में आजाद प्रत्याशी के तौर पर उतरे हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक दिवंगत मूलराज पाधा के बेटे पुनीश पाधा, स्वाभिमान पार्टी के मनोहर लाल धीमान, राकेश कुमार और पुनीश भी आजाद प्रत्याशी हैं।

हलके में जितनी चर्चा चुनाव, प्रत्याशियों और संभावित नतीजे को लेकर उतनी ही इस बात पर कि उपचुनाव में नवजीवन फॉऊंडेशन रूबरू का क्या रोल रहेगा। रूबरू की बात करें तो कोई ढाई-तीन साल पहले पार्टी में अपने विरोधियों से निपटने के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक सुधीर शर्मा ने इस गैरसरकारी संगठन को खड़ा किया था। इस संगठन के जरिये सुधीर ने दरअसल बहुत चतुराई से हलके के महिला वोट बैंक को अपने हक में इक्क_ा किया।

रूबरू बनाने का मकसद था महिला वोट बैंक बनाना। सुधीर इस संस्था के चेयरमैन हैं जबकि शकुन मनकोटिया प्रबंध निदेशक (एमडी)। रूबरू के धर्मशाला हलके में 115 के करीब सिलाई केंद्र हैं। धार्मिक यात्राएं करवाने के अलावा रूबरू किसी के घर बेटी पैदा होने पर उसके नाम से 1000 रुपये अपनी तरफ से देकर उसका खाता खुलवाती है। इस कार्यक्रम का नाम स्थानीय भाषा में ‘‘अहां दी मुन्नी’’ अर्थात ‘‘हमारी बिटिया’’ रखा गया है। पूरे हलके में इसकी खासी लोकप्रियता है।  यह माना जाता है कि कोई आठ से नो हज़ार के करीब महिलायें रूबरू से जुड़ी हैं यानि इतने वोटों पर संस्था की पकड़ है। उपचुनाव में वोट के लिए कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीयों की भी रूबरू पर नज़र है।

पेंच यह है कि सुधीर शर्मा खुलकर कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार में नहीं आये हैं। कांग्रेस को चिंता है कि ‘‘रूबरू’’ के रूप में उसका वोट कहीं दाएं-बाएं न हो जाए। संस्था का महत्व इससे प्रमाणित हो जाता है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौड़ तक व्यक्तिगत रूप से रूबरू की एमडी शकुन मनकोटिया से मिले। शकुन प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष भी हैं। माना जाता है कि महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष जैनब चंदेल ने इस मुलाकात के लिए लॉबिंग की। भाजपा बागी आजाद उमीदवार राकेश चौधरी भी शकुन से मिले।

 ‘‘तहलका’’ ने रूबरू की एमडी शकुन मनकोटिया से बातचीत की तो उनका कहना था कि वह कांग्रेस की समर्पित कार्यकर्ता हैं। ‘‘प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने मुझे बुलाया था और उनसे पूरी बातचीत हुई है।’’ शकुन का कहना है कि पार्टी के उम्मीदवार के लिए वे कांग्रेस की सच्ची सिपाही के नाते दिल से काम कर रही हैं।  ‘‘फिर भी साफ करना चाहूंगी कि हमारी संस्था गैर राजनीतिक है।’’

धर्मशाला हलके में बागियों की चुनौती भाजपा और कांग्रेस दोनों के सामने है। पुनीश पाधा कांग्रेस जबकि राकेश चौधरी भाजपा के बागी हैं। भाजपा में राजीव भारद्वाज ने भी टिकट की बहुत कोशिश की थी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। भारद्वाज पूर्व सीएम शांता कुमार के नजदीकी माने जाते हैं। फिलहाल वे कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के चेयरमैन हैं।

भारद्वाज हालांकि कहते हैं कि संघ (आरएसएस) से उन्होंने उन्हें सिर्फ सेवा और त्याग का भाव सीखा है। ‘‘मैंने कभी पद की लालसा नहीं की।‘‘ उनका पक्का भरोसा है कि धर्मशाला ही नहीं पच्छाद में भी भाजपा बड़े अंतर से जीतेगी। ‘‘हमारी लड़ाई जीत ही नहीं अंतर बढ़ाने की भी है।’’ भाजपा के विशाल नैहरिया ‘‘अब की बार, बीस हज़ार पार’’ के नारे के साथ मैदान में हैं।

धर्मशाला में चूंकि दोनों पार्टियों के बागी हैं वहां वोटों का निश्चित ही बटबारा होगा। जिसका बागी ज्यादा वोट ले गया उसके लिए खतरा पैदा होगा। यही कारण है कि दोनों दल जी-जान से लोगों को बता रहे हैं कि बागी को वोट देना इसकी बर्बादी करने जैसा होगा।

दोनों हलकों में लोग अभी चुप से हैं लेकिन यह बात ज़रूर कह रहे हैं कि वोट स्थानीय मुद्दों पर देंगे। पच्छाद के बलमु खेरी गाँव में एक महिला सरजू देवी ने कहा – ‘‘हमारे सडक़ों की समस्या है। पानी की है। तो यह देखकर ही वोट देंगे।’’

धर्मशाला के खनियारा में सुनील कपूर ने कहा – ‘‘दोनों केंडिडेट हमारी कम्युनिटी से (गद्दी) हैं। हमें लगता है कि इससे वोट बंट जायेंगे। जो दूसरे समुदायों से ज्य़ादा वोट लेगा, फायदे में रहेगा।’’ भाजपा के सांसद किशन कपूर, जो इस बार जीते गद्दी समुदाय से हैं।

पच्छाद में साफ तौर तिकोना मुकाबला है जो नतीजे को किसी भी तरफ मोड़ सकता है। भाजपा को सरकार होने के नाते अपनी जीत का भरोसा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कहा – ‘‘दोनों हलकों में भितरघात जैसी कोई बात नहीं। अगर हल्का यूनिट से ऐसी कोई शिकायत आई तो ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। पार्टी पिछले लंबे समय से दोनों हलकों में मैदान पर जुट गयी थी और दोनों में भाजपा की जीत होने जा रही है।’’

मतदान की धीमी शुरुआत

महाराष्ट्र और हरियाणा में मतदान की बेहद धीमी शुरुआत के बाद दोपहर १२ बजे तक यह कुछ ख़ास गति नहीं पकड़ पाया है। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक महाराष्ट्र में सिर्फ १७ फीसदी जबकि हरियाणा में २४ फीसदी वोट पड़े थे।

महाराष्ट्र में कड़ी सुरक्षा के बीच सभी २८८ विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है। मुंबई सहित राज्य के कई हिस्सों में बारिश के बीच सुबह मतदान। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, शरद पवार, महेश भूपति, सचिन तेंदुलकर सहित कई फ़िल्मी कलाकार भी वोट देने पहुंचे। तेंदुलकर के साथ मतदान अधिकारी फोटो खिंचवाते और क्रिकेट बाल पर ऑटोग्राफ लेते दिखे।

विभिन्न मतदान मतदान केंद्रों पर सुबह ७ बजे मतदान शुरू हुआ। मतदाताओं में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल रहे जिन्होंने नागपुर में एक मतदान केंद्र पर मतदान किया। पुणे के शिवाजीनगर में वोटिंग के दौरान ही बिजली  चली जाने से अंधेरा हो गया। इस अव्यवस्था के बाद बूथ के पोलिंग अधिकारियों को काम जारी रखने के लिए मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ा।

फिल्म अभिनेता रितेश देशमुख ने वोट डालने के बाद कहा – ”मुझे लोगों को सबसे पहले वोट करना चाहिए। मैंने दोनों भाइयों के लिए प्रचार किया है और उन दोनों को उनके काम पर वोट मिलेंगे। मुझे उम्मीद है कि मेरे दोनों भाई विजयी होंगे।” गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत विलासराव देशमुख के दो बेटे और रितेश के भाई अमित और धीरज कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

हरियाणा में भी मतदान की गति धीमी है। वहां यह रिपोर्ट लिखे जाने तक २४ फीसदी वोट पड़े हैं। देश के कई विधानसभा हलकों में भी उपचुनाव हो रहा है और उसके लिए भी मतदान चल रहा है। रामपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान तीन बीएलओ गिरफ्तार किए गए हैं। तीनों ही महिलाएं हैं। इनके नाम सीमा राठौर, ताजिया और मुमताज हैं, जो हादी जूनियल हाई स्कूल में बने मतदान केंद्र पर बीएलओ की ड्यूटी कर रही थीं। इनपर आरोप है कि  मतदाताओं को सरकारी पर्ची बांटने के बजाय कच्ची पर्ची बांट रही थी जो पार्टी प्रत्याशी द्वारा दी जाती हैं। तीनों बीएलओ से जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह शहर कोतवाली में पूछताछ कर रहे हैं।  उनका कहना है कि इन तीनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

रोहित का दोहरा, रहाणे का शतक

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच  रांची में तीसरे और अंतिम टेस्ट मैच में भारत ने पहली पारी ९ विकेट पर ४९७ रन बनाकर घोषित कर दी। भारत की तरफ से ओपनर रोहित शर्मा ने शानदार दोहरा शतक बनाया जबकि अजिंक्य रहाणे ने भी शतक जड़ा। दूसरे दिन के खेल काम रोशनी के कारण जब बंद किया गया अफ्रीका ने महज ९ रन पर दो विकेट खो दिए थे।

भारत की पारी को रोमांचक बनाया रोहित, रहाणे और उमेश यादव ने। पहले रहाणे ने शतक पूरा किया। उन्होंने अपनी ११५ रन की पारी में १७ चौक्के लगाए और एक छक्का जबकि १९२ गेंदें खेलीं। रोहित ने अपनी पारी में शतक को दोहरे शतक में बदला और जब आउट हुए तो २५५ गेंदों में २१२ रन बना चुके थे। इसमें रोहित ने २८ चौक्के और ६ छक्के लगाए। उनके बाद रविंद्र जडेजा ने भी ११९ गेंदों में ४ चौक्कों की मदद से ५१ रन बनाये।

लेकिन दर्शकों में सबसे ज्यादा रोमांच जगाया तेज गेंदबाज उमेश यादव ने लेकिन बल्लेबाजी से। उन्होंने महज १० गेंदों में ५ छक्कों की मदद से शानदार ३१ रन बनाये। अपने इस धूमधड़ाके से उमेश ने कई विश्व रेकॉर्ड भी बना दिए।

उमेश यादव रवींद्र जडेजा के आउट होने के बाद क्रीज पर आए और पहली दो गेंदों पर छक्के लगाकर बल्लेबाजी की शुरुआत की। यादव ने जॉर्ज लिंडे को अपना निशाना बनाया। इसके बाद डेब्यू कर रहे जॉर्ड लिंडे के दूसरे ओवर में यादव ने तीन छक्के जड़े। यादव  का ३१ रन टेस्ट क्रिकेट में अधिकतम निजी स्कोर है। उमेश अब सबसे तेज ३० या उससे अधिक रन बनाने वाला खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने स्टीफन फ्लेमिंग के रिकॉर्ड को तोड़ा। फ्लेमिंग ने १९९८ में ११ गेंदों में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद ३१ रन बनाए थे। यादव का स्ट्राइक ३१० रहा जो १० या उससे अधिक गेंदें खेलने के बाद टेस्ट इतिहास में सबसे अधिक स्ट्राइक रेट है। यही नहीं उमेश टेस्ट इतिहास के पहले बल्लेबाज हैं, जिन्होंने एक पारी में बिना कोई चौका जड़े ५ छक्के जड़े हैं। उमेश यादव सचिन तेंदुलकर के साथ एक खास इलीट क्लब में भी शामिल हो गए हैं। टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी करते हुए पहली दो गेंदों पर लगातार दो छक्के जडऩे के मामले में उमेश ने सचिन की बराबरी कर ली है। यह रेकॉर्ड सबसे पहले फॉफी विलियम्स के नाम दर्ज था।

उधर आज के  दोहरे शतक के साथ रोहित शर्मा टेस्ट और वनडे इंटरनेशनल दोनों में  २०० से ज्यादा रन बनाने वाले चौथे बल्लेबाज बन गए हैं। उनसे पहले सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और क्रिस गेल यह कारनामा कर चुके हैं। खेल ख़त्म होने तक अफ्रीका ने महज ९ रन पर २ विकेट खो दिए थे। शमी और उमेश यादव ने १-१ विकेट लिया।

भारत ने पीओके में ४ आतंकी शिविर तबाह किये

पाकिस्तानी सेना के रविवार को अकारण भारतीय इलाके में गोलीबारी करने जिसमें २ भारतीय जवान शहीद हो गए थे, के जवाब में भारतीय सेना ने तोपों से हमला कर नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार चार आतंकी लांच पैड तबाह कर दिए। शाम को भारतीय सेना प्रमुख विपिन रावत ने कहा कि इस कार्रवाई में पाकिस्तान के ६ से १० सैनिक मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुबारा दुःसाहस करता है तो उसे फिर ऐसे ही जवाब के लिए तैयार रहना चाहिए।

भारत ने दावा किया है कि इस कार्रवाई में पांच से ज्यादा पाक सैनिक और १० आतंकी मारे गए हैं। इस बीच कांग्रेस ने सरकार के दावे पर कहा है कि यह मोदी सरकार का पैटर्न बन गया है कि चुनाव के नजदीक ”सर्जिकल स्ट्राइक” होगी क्योंकि वह देश की जनता का ध्यान असली मुद्दों पर नहीं रहने देना चाहती।

उधर भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में मौजूद हाई कमिश्नर को पाकिस्तान ने तलब किया है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने भारतीय उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया को समन किया है।

सुबह पाकिस्तान ने उकसाबे वाली कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने तंगधार में  गोलीबारी की जिसमें भारतीय सेना के दो जवान शहीद हो गए। एक नागरिक की भी जान गयी है। भारतीय सेना ने दो घंटे के भीतर ही इस शहादत का बदला लेते हुए पीओके में नीलम वैली इलाके में कड़ी कार्रवाई करते हुए चार आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक आतंकी शिविरों पर हमला करने के लिए भारतीय सेना ने आर्टिलरी बंदूकों का इस्तेमाल किया। एलओसी पर तंगधार सेक्टर के पास नीलम घाटी में चार आतंकी लॉन्च पैड्स नष्ट हो गए। आर्टिलरी गन हमले में कई आतंकियों की मौत हो गई और काफी नुकसान भी हुआ है। पाक सेना ने स्वीकार किया है कि भारतीय कार्रवाई में उसके एक सैनिक की मौत हुई है।

रांची टेस्ट में रोहित का शतक

अभी तक वन डे खिलाड़ी माने जाने वाले ओपनर रोहित शर्मा ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में भी शतक जमकर जता दिया है कि वे टेस्ट के लिए भी बहुत उपयुक्त खिलाड़ी हैं। रांची में तीसरे टेस्ट में धुआंधार पारी खेलकर रोहित ने शतक पूरा कर लिया है और भारत ३ विकेट पर २०० से ज्यादा रन बनाकर शुरुआती झटकों से पूरी तरह उबर गया है।

सीरीज के पहले टेस्ट की दोनों पारियों में शतक जड़कर सुर्ख़ियों में आये रोहित ने   रांची में अफ्रीका के खिलाफ १३० गेंदों में शतक पूरा किया जिसमें १३ चोक्के और ४ छक्के शामिल हैं। उनके साथ अजिंक्य रहाणे ७२ रन बनाकर खेल रहे हैं।

भारत ने आज शुरू में ही महज ३९ रन के स्कोर पर तीन विकेट खो दिए जिससे लगता था की उसकी पारी दबाव में आ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसमें रोहित का सबसे बड़ा रोल रहा। रोहित ने अजिंक्य रहाणे के साथ बेहतरीन बैटिंग की और ८६वीं गेंद पर चौके के साथ हाफ सेंचुरी पूरी की, जबकि सेंचुरी के लिए उन्होंने १३० गेंदों का सामना किया।

साउथ अफ्रीका के खिलाफ रोहित इस सीरीज में पहली बार भारत के लिए टेस्ट में ओपनिंग करने उतरे थे। उन्होंने विशाखापत्तनम टेस्ट में पहली पारी में १७६ रन की पारी खेली, जबकि दूसरी पारी में १२७ रन बनाए। रांची में लगाया गया शतक रोहित के टेस्ट करियर का छठा शतक है। उन्होंने छक्का लगाकर शतक पूरा किया।
रोहित के टेस्ट में २००० रन भी पूरे हो गए हैं। इस तरह यह सीरीज में रोहित का तीसरा शतक है। इसके साथ ही रोहित शर्मा ने मौजूदा सीरीज में ४०० रन भी पूरे कर लिए हैं। वह इस टेस्ट सीरीज में सबसे अधिक रन, सबसे अधिक शतक, सबसे अधिक चौके और सबसे अधिक छक्के लगाने वाले बल्लेबाज भी हैं।

भारत ने सुबह मयंक अग्रवाल (१०), चेतेश्वर पुजारा (शून्य) और कप्तान विराट कोहली (१२) के अहम विकेट खो दिए। दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों ने जलवा दिखाया हालांकि उसके बाद भारतीय बल्लेबाजों ने उनकी नहीं चलने दी। कागिसो रबाडा ने दो और एनरिच ने एक विकेट लिया।

तिवारी हत्याकांड में ३ गिरफ्तार, गुनाह कबूला

उत्तर प्रदेश में हिंदू समाज पार्टी के मुखिया कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में २४ घंटे के भीतर गुजरात एटीएस ने सूरत से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके अललवा दो और संदिग्धों को भी पकड़ा गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। अभी तक की सूचना के मुताबिक इन तीनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। तिवारी की शुक्रवार को हत्या कर दी गयी थी।

यूपी के डीजीपी के मुताबिक यह पुरानी नाराजगी (२०१५ ) का मामला है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें मौलाना मोहसीन शेख, फैजान और खुर्शीद अहमद शामिल हैं। दो अन्य संदिग्धों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की गई थी, हालांकि उन्हें अब छोड़ दिया गया है। बिजनौर से दो मौलानाओं को भी हिरासत में लिया गया है।

पुलिस को आशंका है कि तिवारी की हत्या २०१५ में उनके एक भड़काऊ भाषण की वजह से की गयी हो सकती है। अपने इस भाषण में तिवारी पर एक धर्म को लेकर टिप्पणी का आरोप है। दो मुख्य आरोपी अभी फरार हैं जिन्हें तलाश करने की पुलिस पूरी कोशिश कर रही है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सीसीटीवी फुटेज की मदद से दो हत्यारों की पहचान की गई है।  हत्याकांड में पांच लोगों का हाथ होने की आशंका है। एसआईटी मोबाइल फोन रेकॉर्ड की मदद से भी गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि  हत्यारों ने मिठाई के डिब्बे में हथियार लाकर तिवारी का मर्डर किया था। यह हत्या
लखनऊ में तिवारी के दफ्तर में शुक्रवार दोपहर की गयी थी। सीएम योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अधिकारियों को जल्द से जल्द कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

कोहलापुर में ब्लास्ट, एक की मौत

विधानभा चुनाव से महज दो दिन पहले महाराष्ट्र के कोहलापुर में ब्लास्ट हुआ है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी है। एक ट्रक में हुए ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजंसियां चौकन्ना हो गयी हैं। आशंका है कि विस्फोट वाला पदार्थ चालक के पास था।

जानकारी के मुताबिक धमाका एक ट्रक में हुआ है और जिस व्यक्ति की जान गयी है वह उसका चालक है। आशंका है कि विस्फोटक ट्रक में था जिसमें धमाका हो गया। महाराष्ट्र में दो दिन बाद ही मतदान होने वाला है। मतदान से पहले धमाके से लोगों में तो दहशत है ही, सुरक्षा एजंसियां भी चौकन्नी हो गयी हैं और जांच कर रही हैं कि इस धमाके का असली कारण क्या है।

पुलिस के मुताबिक ट्रक सड़क के किनारे खड़ा था और चालक का शव पास में पड़ा था। ट्रक में एक और व्यक्ति था जो इस धमाके में घायल हुआ है। उसे अस्पताल में भर्ती किया गया है । पुलिस का कहना है कि ट्रक में  कुछ विस्फोटक ले जाए जा रहे थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बम निरोधक दस्ता और अन्य विशेषज्ञ मौके पर पहुंच कर जांच कर रहे हैं। पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली गई है। यह पता लगाने की कोशिश की जा  रही है कि वो क्या पदार्थ था जिसमें विस्फोट हुआ। चालाक के घायल साथी से भी पूछताछ की गयी है।

काली सूची में जाने से बचा, ग्रे में रहेगा पाक

पाकिस्तान, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में जाने से फिलहाल बच गया है। एफएटीएफ ने इससे जुड़ा फैसला फिलहाल चार महीने के लिए टाल दिया है। हालांकि पाकिस्तान फरवरी, २०२० तक एफएटीएफ की ”ग्रे” सूची में रहेगा ही। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकियों को वित्तपोषण और धनशोधन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने के भी सख्त निर्देश दिए हैं।

पेरिस में एफएटीएफ की बैठक मंगलवार को हुई जिसमें पाकिस्तान की ओर से आतंकियों को वित्त पोषण के रोकने के उपायों की समीक्षा की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकी वित्त पोषण और धनशोधन पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। याद रहे एफएटीएफ आतंकी वित्तपोषण और धनशोधन मामलों की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था है और हर चार महीने में इसकी बैठक होती है।

इस बैठक में चीन के अलावा तुर्की और मलेशिया ने भी पाकिस्तान का पक्ष लिया है। उनका कहना था कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान की कोशिशें तारीफ़ योग्य हैं। एफएटीएफ अब पाकिस्तान पर इस मसले पर अंतिम फैसला फरवरी, २०२० में पाकिस्तान की इस दौरान की गयी कोशिशों के नतीजे के आधार पर करेगी। इस बारे में औपचारिक घोषणा आज ही की गयी है।

एफएटीएफ के सदस्य देशों की संख्या ३६ है और इस संस्था के चार्टर के मुताबिक  किसी भी देश को ब्लैक सूची में रखे जाने से बचाने के लिए तीन देशों के समर्थन की ज़रुरत रहती है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान को जून, २०१८ में ”ग्रे” सूची में डाला गया था और उसे २७  सूत्रीय योजना को क्रियान्वित करने के लिए १५ महीने की डेडलाइन दी गई थी, जो सितंबर में ख़त्म हो गई थी। मंगलवार की बैठक का नो नतीजा सामने आया है उसके मुताबिक सुधार के ज्यादातर प्वाइंट्स पर पाकिस्तान नाकाम साबित हुआ है।