महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से सामाजिक बहिष्कार (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2016 पारित कर दिया है. इसके तहत अगर कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का सामाजिक बहिष्कार करता है तो उसे तीन साल की जेल की सजा हो सकती है. इसके साथ ही उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है और यह जुर्माना पीड़ित व्यक्ति को दिया जाएगा. इसी के साथ महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार को अपराध मानते हुए कानून लाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है. सभा के सामने बिल पेश किए जाने से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बताया कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल भर में जाति से बहिष्कृत करने के 46 मामले दर्ज किए गए. अकेले रायगढ़ में 633 लोग सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के आने के बाद इस मध्यकालीन परंपरा को रोकने में मदद मिलेगी. अधिनियम के मुताबिक सामाजिक बहिष्कार झेलने वाला व्यक्ति खुद या उसके परिवार का कोई भी सदस्य पुलिस या सीधे जज के सामने शिकायत दर्ज करा सकता है. अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद छह महीने के भीतर सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके.