भूमि अधिग्रहण बिल के विरोध में नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन के दौरान राजस्थान के एक किसान ने पेड़ से लटककर खुदकुशी कर ली.
चौका देने वाली बात ये है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में चल रहा ये विरोध प्रदर्शन इस घटना के बाद भी कम से कम एक से डेढ़ घंटे तक जारी रहा.
इस बीच पार्टी के कार्यकर्ता उसे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. किसान की पहचान गजेंद्र सिंह के रूप में हुई है.
इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. सिर्फ दिल्ली पुलिस ही नहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी सवालों के घेरे में हैं. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान केजरीवाल किसानों की भाग्य बदलने की बात कर रहे थे और इसी दौरान देश का एक किसान खुदकुशी कर बैठा.
बहरहाल, इस घटना के बाद सियासत का खेल शुरू हो गया है. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. दिल्ली सरकार ने घटना से पल्ला झाड़ते हुए इसका आरोप केंद्र सरकार पर मढ़ दिया है. भाजपा ने सवाल उठाया है कि किसान की मौत के बाद भी विरोध प्रदर्शन क्यों जारी रहा? जिंदगी ज्यादा जरूरी है या प्रदर्शन? भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि किसान के तड़पकर मरने के बाद भी विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं रोका गया. उधर, कांग्रेस ने घटना के लिए राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार को भी दोषी ठहराया है. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने घटना पर खेद जताते हुए कहा कि सरकार कि तरफ से मदद न मिलने की वजह से निराश किसान रैलियां करने पर मजबूर हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अगर किसान खुदकुशी कर रहा था तो रैली रोकी क्यों नहीं गई.
‘जय जवान, जय किसान’
मृतक किसान राजस्थान के दौसा जिले का रहने वाला था. पुलिस ने घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है, जिसमें उसने लिखा है, ‘हमारी सारी फसल नष्ट होने की वजह से हमारे पिता ने हमें हमारे तीन बच्चों के साथ घर से बाहर कर दिया. जय जवान जय किसान.’