‘फेसबुक इंस्टेंट आर्टिकल’ पत्रकारिता के लिए खतरा !

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सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने ‘इंस्टेंट आर्टिकल’ नाम की एक सेवा शुरु की है जिसके जरिए बिना किसी दूसरे ब्राउजर के पूरी खबर पढ़ी जा सकती है. न्यूजफीड में खबरों के लिंक पर क्‍लिक करने के बाद फेसबुक के प्लेटफॉर्म पर आसानी से खुल जाएंगी. इससे किसी और ब्राउजर पर पेज खुलने में लगने वाले समय से बचा जा सकेगा.

फेसबुक के मुताबिक यह सेवा काफी तेज है. इसमें कोई भी खबर आठ सेकेंड में खुल सकती है. खबर के फोटो और वीडियो भी हाई क्वालिटी में देखे जा सकेंगे. फेसबुक ने यह सेवा दुनिया की नौ समाचार कंपनियों- द न्यूयॉर्क टाइम्स, बीबीसी, नेशनल जियोग्राफिक, द गार्जियन, एनबीसी, बजफीड, द अटलांटिक आदि के साथ मिलकर शुरू की है.

दुनियाभर में पत्रकारों का एक तबका इसे पत्रकारिता पर खतरा मान रहा है. उनके मुताबिक इस सेवा से फेसबुक मीडिया पर एकाधिकार बनाना चाहता है. यह काफी खतरनाक है. रॉयटर्स के पत्रकार फेलिक्स सैल्मन के मुताबिक यह संभव है कि फेसबुक अपने हिसाब से खबरों को चुनकर लोगों को दिखाए. धीरे-धीरे लोगों के बीच न्यूज चैनल या अखबार की तरह फेसबुक भी खबरों का जरिया बन जाएगा. ऐसे में पेड न्यूज की आशंका बढ़ेगी साथ ही समाचार चैनलों और अखबारों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगेगा. इस सेवा के तहत जिन मीडिया कंपनियों ने करार किया है उनकी खबरों को फेसबुक अपने न्यूजफीड में प्राथमिकता से दिखाएगा. ऐसे में दूसरी मीडिया कंपनियों को उसके साथ करार करने के लिए विवश होना पड़ेगा. इससे पत्रकारिता के साथ-साथ मीडिया कंपनियों को भी नुकसान होगा. इसे दूसरे समाचार चैनलों की वेबसाइट के लिए भी खतरा बताया जा रहा है.