भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर बिहार चुनाव नतीजों का क्या असर पड़ा? क्या किसी बदलाव के बारे में सोचा जा रहा है?
बिहार चुनाव विधानसभा का चुनाव था. भाजपा में एक पूरी प्रक्रिया है जिसके तहत राज्यों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक हम चुनाव कार्य संपन्न कराते हैं. वह प्रक्रिया चल रही है, जब यह पूरी हो जाएगी तो परिणाम सबके सामने आ जाएगा.
क्या लगता है, बिहार चुनाव के नतीजे अमित शाह के दूसरी बार अध्यक्ष चुने जाने को प्रभावित करेंगे?
इन दोनों चीजों में आपस में कोई संबंध नहीं है. पार्टी संगठन के भीतर के चुनावों और विधानसभा चुनावों के बीच कोई संबंध नहीं है.
आप कह चुके हैं कि किसी भी एक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराने की जगह पार्टी को बिहार में हार के कारणों पर आत्मचिंतन करना चाहिए. आपके अनुसार बिहार में इस हार के क्या कारण हैं?
बिहार में खराब प्रदर्शन के कारणों पर हमने विभिन्न स्तरों पर विचार विमर्श किया है. जो चुनाव परिणाम हमें वहां मिले, उनके कारणों के बारे में काफी स्पष्टता आई है. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह चुनाव परिणाम दो हिस्सों में है. सीटों के मामले में हमने मुंह की खाई है. हम बहुत कम संख्या में सीटें जीत पाए, लेकिन वोट की संख्या के मामले में हमारा प्रदर्शन काफी अच्छा रहा. हमने बड़ी संख्या में वोट प्राप्त किए हैं. कुल मिलाकर इस तरह का परिणाम आने के बहुत से मिले जुले कारण रहे हैं, जिसकी वजह से इस तरह का जनमत मिला है. हमने काफी विश्लेषण किया है और इससे हमने जरूरी सबक भी सीखा है. पार्टी इन सब पर मीडिया से चर्चा नहीं करेगी.
भाजपा ने बिहार में मोदी को आगे रख चुनाव क्यों लड़ा? क्या इससे पार्टी के प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर पड़ा है?
बिहार में केवल मोदी जी ने ही चुनाव प्रचार नहीं किया. पार्टी के बहुत से लोगों ने प्रचार किया. हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया था. बिहार चुनाव हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था. सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि हर राज्य का चुनाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है. चुनाव में हम हमेशा अपने सबसे बेहतर नेताओं को आगे रखते हैं और बिहार में भी हमने यही किया. हमारे राज्य या राष्ट्रीय स्तर के जो भी नेता वहां प्रचार के लिए गए, उन सभी ने बिहार के विकास और बेहतर भविष्य की बात की. हमने चुनाव को गंभीरता से लिया और हम गंभीरता से लड़े भी. चुनाव किसी एक व्यक्ति पर आधारित नहीं था न ही किसी एक व्यक्ति को आगे किया गया. हर किसी ने चुनाव प्रचार में योगदान दिया. हमने अपने सबसे बेहतर नेताओं को आगे रखा और दूसरे लोगों ने भी ऐसा ही किया. जहां तक उल्टा असर पड़ने की बात है तो इसका जवाब ‘नहीं’ है. जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि चुनाव किसी एक मुद्दे या किसी एक चेहरे को आगे करके नहीं लड़ा गया. अगर कोई हारता है तो ऐसा किसी एक कारण से नहीं हो सकता. इसके लिए कई कारण जिम्मेदार होते हैं. मेरा आपसे यह सवाल है कि बिहार में हम 25 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 55 सीटें कैसे जीते? बिहार में हमें सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. इसके लिए भी अनेक कारण जिम्मेदार हैं, जिसमें प्रधानमंत्री की लोकप्रियता भी शामिल है जो आज की तारीख में भी ज्यों की त्यों बनी हुई है. मैं फिर कहूंगा कि बिहार चुनाव में हमारी हार के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं, केवल कोई एक कारण या चेहरा जिम्मेदार नहीं है.
लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी और शांता कुमार जैसे वरिष्ठ सदस्यों द्वारा बिहार चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की आलोचना के बारे में क्या कहना है?
ये सब बीते समय की बातें हो गई हैं. खुद आडवाणी जी ने यह कहा है कि ‘अब पार्टी में नई ऊर्जा है’ जीत और हार दोनों ही मौकों पर लोग अपने दिल की बात को विभिन्न तरह से व्यक्त करते हैं. हम भाजपा में हैं और यह एक लोकतांत्रिक पार्टी है. हमने सभी तरह के विचारों और आलोचनाओं पर गौर किया है और पार्टी की कार्यप्रणाली की समीक्षा और विश्लेषण में इनसे मदद ली है.
क्या बिहार चुनाव परिणाम का असर असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा?
हर चुनाव अलग तरह का होता है. असम चुनाव अलग तरह का होगा क्योंकि वह अलग तरह का राज्य है. हम पूरी कोशिश कर रहे हैं. बिहार से हमें जो भी सीखना था, हम सीख चुके. असम अलग तरह का राज्य है और वहां हमें अलग तरह से पेश आना होगा. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बिहार चुनाव परिणामों का असर असम विधानसभा चुनाव पर न पड़े और असम चुनाव अच्छे परिणाम लेकर आए. पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनावों में भी पार्टी अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने की कोशिश करेगी.
क्या इन राज्यों में होने वाले चुनाव में पार्टी किसी नई रणनीति के साथ लड़ेगी?
रणनीति पर कभी मीडिया से चर्चा नहीं की जाती, लेकिन मैं आपसे इतना कह सकता हूं कि असम के लिए हम अलग रणनीति तैयार कर चुके हैं. बीते तीन महीनों से हम असम के लिए तैयार की गई रणनीति के तहत काम भी कर रहे हैं. असम में हमें सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और हम जरूर जीतेंगे क्योंकि हमें असमिया समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है. असम का समाज बहुलवादी है जहां विभिन्न वर्गों के लोग रहते हैं और हमें इन सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है.
क्या पार्टी इस बार चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करेगी?
सही वक्त आने पर हम फैसला लेंगे. दिल्ली में हमने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा की थी, लेकिन हम हार गए. बिहार में हमने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की फिर भी हम हार गए. हर राज्य अलग है. असम के बारे में हम मीडिया को बहुत जल्द सूचित करेंगे. वक्त आने पर हम अपनी योजना का खुलासा करेंगे.
‘अगर केवल पीआर के बल पर कोई चुनाव जीतना संभव हो पाता तो कांग्रेस चुनाव कभी नहीं हारती. पीआर के अलावा अन्य कारक भी महत्वपूर्ण होते हैं’
पार्टी के खिलाफ सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के बयानों पर क्या कहना है?
हमें अपने नेताओं की मीडिया द्वारा बनाई गई छवि पर कुछ नहीं कहना. कुछ मसले ऐसे हैं जिन्हें हमारा शीर्ष नेतृत्व बेहतर तरीके से संभालता है.
क्या आपको लगता है कि प्रशांत किशोर ने महागठबंधन की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई? चुनाव परिणाम प्रभावित करने में पीआर की कितनी भूमिका है?
अगर केवल पीआर के बल पर कोई चुनाव जीतना संभव हो पाता तो कांग्रेस कभी चुनाव नहीं हारती. पीआर के अलावा अन्य कारक भी महत्वपूर्ण होते हैं. कई बार पीआर हार का कारण भी बन सकता है.
क्या आपको लगता है कि टिकट बंटवारा भी बिहार चुनाव में एक मसला था?
नहीं. बड़े स्तर पर देखने पर टिकट बंटवारे का कोई मामला नहीं था.
आमिर खान के असहिष्णुता संबंधी बयान के बारे में क्या कहना है?
देखिए, आदर्श स्थिति तो यह होगी कि मैं कुछ भी न कहूं. हर किसी को अपने तरीके से सोचने की स्वतंत्रता है. लेकिन दो चीजें हैं- पहला, उन्हें इस मसले पर अपनी पत्नी किरन को बीच में नहीं घसीटना चाहिए था. दूसरा, जो कुछ उन्होंने कहा अगर वह सच भी है, तो जैसे आमिर आॅटोरिक्शा वालों को देश के सम्मान के लिए अच्छा व्यवहार करने की सीख देते हैं, उन्हें अपनी पत्नी को भी वैसी ही सीख देनी चाहिए थी.