हीरा कारोबार को बचाने की ज़रूरत

पिछले चार-पाँच वर्षों से भारत का हीरा कारोबार लगातार संकट में है। रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध और कोरोना-काल के बाद से यह संकट और बढ़ गया है। इससे सूरत, राजस्थान और मध्य प्रदेश का हीरा कारोबार क़रीब 38 से 40 प्रतिशत घट गया है और क़रीब 12 लाख ज़्यादा हीरा कारोबार से जुड़े लोगों पर रोज़गार का संकट मंडराया है। यह सब रूस पर प्रतिबंध के चलते हुआ है।

सिर्फ़ सूरत का सालाना हीरा कारोबार 3.5 लाख करोड़ से ज़्यादा का था, जो अब 30 से 35 प्रतिशत कम हो गया है। कई हीरा कम्पनियाँ बन्द हो चुकी हैं और ज़्यादातर की कमायी घट चुकी है। सूत्रों और बयानों की मानें तो गुजरात में हीरों की कटिंग और पॉलिश करने वाले 10 से 12 लाख कारीगर बेरोज़गार हुए हैं। अभी भी हीरा कारोबार से जुड़े कर्मचारियों की छँटनी का सिलसिला रुक नहीं रहा है। गुजरात में सूरत हीरा कारोबार का केंद्र है, जहाँ दुनिया के 90 प्रतिशत रफ हीरों की कटिंग और पॉलिश का काम होता है। रूस में हीरा कारोबार सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहाँ की अलरोसा कम्पनी दुनिया के 30 प्रतिशत रफ हीरों का उत्पादन करती है, जिसके 40 प्रतिशत हीरे सूरत में कटिंग और पॉलिश के लिए आते थे। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक, साल 2022-23 में भारत के ज्वेलरी निर्यात में 33.2 प्रतिशत गिरावट रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने के चलते आयी है, जिससे सूरत में रूसी हीरों के कारोबार का सबसे बड़ा बाज़ार बन्द हो गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की पिछली तिमाही में भारत से महज़ 36,723 करोड़ रुपये के कटिंग और पॉलिश किये हुए हीरों का ही निर्यात हुआ, जो बीते साल की अप्रैल से जून की एक-तिमाही की अपेक्षा 29.37 प्रतिशत कम रहा। रूस पर अमेरिका के प्रतिबंध के चलते खाली हीरा कारोबार को ही नहीं, बल्कि भारत का जेम्स एंड ज्वेलरी कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का जेम्स एंड ज्वेलरी निर्यात 28 प्रतिशत से ज़्यादा घटा है। दरअसल अप्रैल, 2023 में अमेरिका समेत यूरोपीय संघ के देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके चलते कच्चे हीरों के आयात पर बुरा असर पड़ा है। कच्चे माल की कमी के चलते सूरत का हीरा कारोबार चौपट हो रहा है।

हीरा कारोबार कम होने और कुछ कम्पनियों के बन्द होने से इस कारोबार से जुड़े व्यापारी, कम्पनी मालिक, कर्मचारी और हीरा कारीगर सब परेशान हैं। पिछले तीन महीनों में हीरा कारोबार से जुड़े क़रीब 10 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से अधिकांश कई पीढिय़ों से हीरा कारोबार से जुड़े थे। ये सभी श्रमिक श्रेणी के थे, जो ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। इन्हें हीरों की कटिंग और पॉलिश का काम आता था, इसके अलावा कुछ नहीं। हज़ारों से लाखों रुपये में बिकने वाले एक हीर की कटिंग और पॉलिश करके एक श्रमिक 600 से 2000 रुपये तक कमाता है। हीरा कारोबार से जुड़े ऐसे श्रमिकों की एक दिन की औसत आय 500 से 700 रुपये होती है। दो महीने पहले जी-7 देशों की बैठक में रूसी जहाज़ों, विमानों और हीरों पर लगायी गयी पाबंदी से सबसे ज़्यादा काम इन्हीं श्रमिकों के हाथों से छिना है। इससे क़रीब 12 लाख से ज़्यादा कर्मचारी परेशान तो हुए ही हैं, क़रीब 20,000 कर्मचारियों की छँटनी भी हो चुकी है, जो अभी जारी है। इन कर्मचारियों में सबसे ज़्यादा कटिंग और पॉलिश करने वाले कारीगर हैं।

गुजरात डायमंड वर्कर यूनियन की तर$फ से मिली जानकारी मुताबिक, रूस पर प्रतिबंध के चलते हीरा कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे इस कारोबार से जुड़े रहे बेरोज़गार लोग आत्महत्या का रास्ता अपना रहे हैं। आर्थिक तंगी और काम न मिलने के चलते इस कारोबार से जुड़े श्रमिकों, कारीगरों और कर्मचारियों से लेकर व्यापारी तक आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले दो-तीन महीने में कुल 4 ज्वेलर्स की मौत हो चुकी है। हीरा श्रमिक संघ ने इस मंदी और हीरा कारोबार से जुड़े लोगों की समस्याओं को लेकर गुजरात सरकार और इस कारोबार से जुड़े विभिन्न विभागों को कई बार ज्ञापन सौंपे; लेकिन सरकार इस कारोबार से जुड़े लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पायी है। हीरा श्रमिक संघ ने गुजरात सरकार से हीरा कारोबार से जुड़े श्रमिकों और कारीगरों के लिए आर्थिक पैकेज देने के साथ-साथ बेरोज़गार श्रमिकों और कारीगरों के लिए रत्नदीप योजना के तहत आर्थिक सहायता देने की माँग की है। संघ ने आत्महत्या करने वाले श्रमिकों, कारीगरों, कर्मचारियों और ज्वेलरों के परिवारों को भी सहायता देने की माँग सरकार से की है। इस दिशा में सरकार क्या क़दम उठाती है, यह अभी तक सामने नहीं आया है।

हीरा कारोबार का काम घटने से श्रमिकों और कारीगरों की आय भी घटी है। एक तरफ बचे हुए लोगों को काम कम मिल रहा है, तो दूसरी तरफ बाज़ार में कटिंग और पॉलिश करने का भाव कम मिलने लगा है। कर्मचारियों की तनख्वाह भी घटी है। आमदनी कम होने से श्रमिक, कारीगर और कर्मचारी आर्थिक तौर पर कमज़ोर हुए हैं। कुछ हीरा कम्पनियाँ और फैक्ट्रियाँ मंदी के चलते बन्द होने के कगार पर हैं, तो कुछ बन्द हो चुकी हैं।

गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश में भी हीरा कारोबार प्रभावित हुआ है। इसी साल जनवरी में मध्य प्रदेश के एक पन्ना व्यापारी ने अपनी पत्नी की हत्या करके खुद भी आत्महत्या कर ली थी। रात में अपनी फेसबुक आईडी पर व्यापारी और उसकी पत्नी लाइव आकर रोते हुए अपनी परेशानी बता रहे थे। इस व्यापारी दम्पति ने कुछ लोगों पर अपना पैसा फँसे होने का आरोप लगाया था। व्यापारी ने रोते हुए कहा था कि ‘अब जीने की इच्छा नहीं है, मेरा पैसा बच्चों के खातिर वापिस कर दें।’ इससे पहले फरवरी, 2020 में मुम्बई के एक कारोबारी ने 15वीं मंज़िल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इस व्यक्ति का नाम धीरेन शाह था, जो हीरा पॉलिश करने वाली एक निर्यात कम्पनी का मालिक था। सूरत में आत्महत्या करने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा है।

हीरों की कटिंग और पॉलिश के दुनिया भर में मशहूर सूरत को रूस पर प्रतिबंध के चलते अनुमानित 10,000 करोड़ से ज़्यादा का घाटा हो चुका है। इससे पहले कोरोना के चलते भी सूरत के हीरा कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ा था; लेकिन तब लोगों को उम्मीद थी कि महामारी के कम होते ही यह कारोबार दोबारा चमक उठेगा। लेकिन अब रूस पर प्रतिबंध के बाद यह उम्मीद नहीं बची है। सूरत के हीरा कारोबार के चलते हीरा कटिंग और पॉलिश में भारत का पूरी दुनिया में दूसरा स्थान आता है। हीरा कारोबार पर मंदी की मार से पहले भारत का हीरा कारोबार 23 अरब डॉलर से ज़्यादा का था, जिसमें 80 प्रतिशत हिस्सेदारी सूरत की है। अब सूरत में हीरे की चमक खो रही है, जिसके चलते इस कारोबार से जुड़े लोगों पर संकट मँडराने के साथ-साथ सरकार को भी घाटा हो रहा है। रूस के अलावा हॉन्गकॉन्ग सूरत के लिए बड़ा हीरा बाज़ार है, जहाँ हीरों की बड़ी खपत होती है। हालाँकि सूरत में कटिंग और पॉलिश किये गये हीरों की माँग पूरी दुनिया में है; लेकिन रूस और हॉन्गकॉन्ग में ही 60 प्रतिशत से ज़्यादा कारोबार सूरत से जुड़ा है। सितंबर, 2019 में गुजरात में हीरा कारोबार से जुड़े क़रीब 60 हज़ार लोग बेरोज़गार हुए थे। इनमें से कई लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद कोरोना महामारी ने इस उद्योग को चौपट करके रखा था और अब रूस पर जी-7 देशों के प्रतिबंध ने इस कारोबार की कमर तोडक़र रख दी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के क़रीब 95 प्रतिशत हीरो की कटिंग और पॉलिश भारत में होती है। भारत में जितने हीरों की कटिंग और पॉलिश का काम होता है, उसका 80 प्रतिशत गुजरात के सूरत में होता है। फरवरी, 2021 तक देश की जीडीपी में यहाँ के हीरा और सोना कारोबार की हिस्सेदारी 7.5 प्रतिशत थी, जबकि सभी चीज़ों के कुल निर्यात में यह हिस्सेदारी 14 प्रतिशत थी। सन् 2018 में ही सरकार के सामने यह रिपोर्ट आ गयी थी कि गुजरात का हीरा कारोबार अपनी चमक खोता जा रहा है। बावजूद इसके सरकार ने इस बड़ी कमायी वाले $खास कारोबार को बचाने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाया।

सरकार ने इस महँगे और सबसे ज़्यादा कमायी वाले कारोबार को भी उसी के हाल पर छोड़ दिया है, जिससे कई हीरा कारोबारी विदेशों में जाकर शिफ्ट हो चुके हैं। वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने हीरा बनाने में इस्तेमाल होने वाले बीजों पर आयात शुल्क पाँच प्रतिशत घटाने की घोषणा की थी; लेकिन इससे हीरा कारोबार की चमक नहीं बढ़ सकी। उस समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारत प्राकृतिक हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग में एक वैश्विक लीडर के रूप में काम करता है, जो मूल्य के वैश्विक कारोबार में लगभग तीन-चौथाई योगदान देता है। गुजरात सरकार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर ध्यान देना चाहिए और हीरा कारोबार को बचाना चाहिए।