सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से फिर गुलज़ार होंगी, मुंबई के डांस बारों की रौनक

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते बरसों से बंद पड़े मुंबई के डांस बारों की रौनक  एक बार फिर लौट सकती है। महाराष्ट्र सरकार के 2016 के कानून को वैध मानते हुएअपने फैसले में कोर्ट ने आज कहा कि डांस बार को कुछ नियम और शर्तों का पालन करना होगा। सरकार के कानून में अश्लीलता पर सज़ा के तीन साल के प्रावधान को भी कोर्ट ने मंजूरी दी है।

 इस मामले में  कोर्ट ने  30 अगस्त 2018 को सभी पक्षों की दलीलें सुनी थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट के इस फैसले के बाद मुंबई में डांस बार अब शाम के 6 बजे से रात 11.30 बजे तक खुले रह सकेंगे। भले ही डांस बारों में शराब परोसने और ऑर्केस्ट्रा को भी इजाजत दे दी गई है लेकिन नोट और सिक्के  उड़ाए जाने पर पाबंदी रहेगी  हालांकि बार गर्ल्स को दी जाने  वाली टिप पर रोक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के डांस बारों में सीसीटीवी लगाने की अनिवार्यता की शर्त को रद्द कर दिया है ,कोर्ट का मानना था कि यह शर्त निजता का उल्लंघन है।

2005 में स्वर्गीय पूर्व गृहमंत्री आर. आर. पाटील ने डान्स बार बंदी का निर्णय लिया था जिसके खिलाफ बार मालिकों ने मुंबंई हाईकोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट के डान्स जारी रखने के विरोध में महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस कानून में बदलाव किया  लेकिन 16 जुलै 2013 को सुप्रीम कोर्टा ने डान्स बारों पर  रोक हटा दी। इसके बाद एक नया कानून लाया गया जिसमें दावा किया गया था कि इस नए कानून में संशोधन किया गया है और पुराने कानून की त्रुटियों को हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से 15अक्तूबर 2015 में डांस बारों पर पाबंदी लगा दी थी।