विपक्षी नेताओं के भाषण से दिल्ली में हिंसा भड़की : शाह

कांग्रेस का वाकआउट

लोकसभा में सोमवार को दिल्ली हिंसा को लेकर चर्चा हुई। विपक्ष ने जहाँ सरकार पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया वहीं गृह मंत्री शाह ने अपने जवाब में कहा कि ३६ घंटे के भीतर हिंसा पर काबू पा लिया गया। उनके भाषण के बीच ही कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।

उन्होंने कहा कि ”इस हिंसा में ५२ भारतीयों की जान गई और ५२६ घायल हुए हैं। दंगे में ३७१ दुकानें जली हैं। मंदिर और मस्जिद दोनों को नुकसान हुआ है। मरने वालों का धर्म बताने की जरूरत नहीं क्योंकि हम धर्म की राजनीति की निंदा करते हैं।”

गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली दंगा को राजनीतिक दंग देने का प्रयास हुआ। जिन लोगों की जान गई है उनके लिए दिल से दुख व्यक्त करता हूं और जो मारे गए उनके परिवारों के प्रति संवेदना भी व्यक्त करना चाहता हूं। कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें आज की चर्चा में नहीं बोलना चाहता, लेकिन जिस तरह इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रखने का प्रयास हुआ इसलिए इस पर स्पष्ट करना चाहूंगा कि इस घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की गई।

शाह ने कहा कि २५ फरवरी के रात ११ बजे के बाद एक घटना नहीं हुई। हमने होली के बाद इसलिए कहा क्योंकि होली के बाद साम्प्रदायिक दंगों का इतिहास है। हम ये नहीं चाहते थे। कहा कि दिल्ली की जनसंख्या १.७० करोड़ हैं और वहां की आबादी २० लाख है जहां दंगा हुआ। ”मैं दिल्ली पुलिस की तारीफ करता हूं, शाबाशी देता हूं जिसने दिल्ली में ये दंगा फैलने नहीं दिया और ३६ घंटे के भीतर हिंसा पर काबू पा लिया गया।”

गृह मंत्री के भाषण के बीच ही विपक्षी कांग्रेस ने वॉक आउट किया। इससे पहले  विपक्ष ने सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी?

शाह ने कहा कि दिल्ली पुलिस पर सबसे पहली जिम्मेदारी हिंसा को रोकना थी और २४ फरवरी को २ बजे के आस-पास पहली सूचना प्राप्त हुई थी और अंतिम सूचना २५  फरवरी को रात ११ बजे प्राप्त हुई। दिल्ली पुलिस ने ३६ घंटे में दंगे को समाप्त करने का काम किया है। कहा कि आईबी अधिकारी अंकित शर्मा के खून का भेद भी सीसीटीवी वीडियो में बाहर आने वाला है, ऐसी मुझे उम्मीद है।

उन्होंने आरोप  लगाया कि कांग्रेस सहित विपक्ष के नेताओं के भाषणों से हिंसा भड़की। बिना नाम लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि एक पार्टी के अध्यक्ष ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नफरत वाला बयान दिया। उनके बयान के बाद दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ। उन्होंने कहा कि १४ दिसम्बर की रैली में एक पार्टी के अध्यक्ष ने लोगों से कहा कि घरों से बाहर निकलो और १५ दिसंबर से शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ।

अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों ने कहा कि सीआरपीएफ, मिलिट्री भेजनी चाहिए थी। तेईस फरवरी को १७ कंपनी दिल्ली पुलिस की, १३ कंपनी सीआरपीएफ की कुल ३० कंपनी क्षेत्र में पहले से ही रखी थी। आज तक २७ फरवरी से ७०० से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गयी हैं और २६४७ लोग हिरासत में लिए गए हैं। सीसीटीवी  फुटेज को लेकर २५ से ज्यादा कम्प्यूटर पर एनालिसिस हो रहा है। दिल्ली की जनता ने हजारों की तादात में पुलिस को वीडियो भेजे हैं।