यगी और अखिलेश में छिड़ा घमासान

ऐसा माना जाता है कि जिसने उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझ लिया, वह कहीं पर मात नहीं खाता। यह वो प्रदेश है, जिसने कई बड़े नेता देश को दिये हैं। माना जाता है कि जिस किसी को केंद्र का सिंहासन चाहिए, उत्तर प्रदेश को जीतना उसकी पहली प्राथमिकता होती है। यह भी देखा गया है कि जिसे भी उत्तर प्रदेश का सिंहासन मिला, वह केंद्र के सिंहासन की ओर एक विश्वास के साथ देखने लगता है कि उसे कभी-न-कभी केंद्र का सिंहासन मिलेगा-ही-मिलेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उत्तर प्रदेश के सिंहासन पर बैठने के बाद से यह सपना देख रहे हैं। मगर उत्तर प्रदेश के सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अभी हार नहीं मानी है। वह भी अपने पिता मुलायम सिंह यादव की तरह केंद्र के सिंहासन के सपने अवश्य देखते होंगे। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वह इस बार लोकसभा चुनाव में पूरी सामथ्र्य झोंकने वाले हैं। अखिलेश यादव की इस तैयारी से भारतीय जनता पार्टी के धुरंधर अभी से सचेत हैं। लोकसभा की सभी 80 सीटों पर जीत का सपना देख रहे भारतीय जनता पार्टी के धुरंधर एक भी सीट गँवाने को तैयार नहीं हैं। इसके लिए केंद्र के बड़े भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं स्वयं योगी आदित्यनाथ अभी से तैयारियों में लगे हैं। केंद्र के निर्देशों पर उत्तर प्रदेश में रणनीति तैयार की जा रही है।

तय है कि उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का सबसे अधिक दबाव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ही होगा। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव इस विश्वास के साथ चुनावी तैयारियों में लगे हैं कि वह इस बार उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को धूल चटा देंगे। इसके चलते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव में दिनोंदिन राजनीतिक टकराव बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच टकराव वैसे तो पुराना है; मगर जैसे-जैसे चुनाव निकट आ रहे हैं, वैसे-वैसे छींटाकशी एवं आरोप प्रत्यारोप की राजनीति तीव्र होती जा रही है।

योगी को क्या नहीं आता रास?

उत्तर प्रदेश में सरकार किसी की रही हो अपराधों पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग सका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राम राज्य की कल्पना एवं दावों के उपरांत भी उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त नहीं हो सका है। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे बड़े अपराध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में ही हुए हैं, जिन्हें याद करके आत्मा तक काँप जाती है। अपराध अथवा किसी को पीड़ा होने की कोई घटना हो, विपक्षी पार्टियों ने उसे राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बनाने का प्रयास किया है। अखिलेश भी इसमें पीछे नहीं रहे हैं।

हाल ही में बुलंदशहर की आवास विकास कॉलोनी में नगर पालिका द्वारा अतिक्रमण की कार्रवाई में रोहताश लोधी की मौत को भी अखिलेश यादव ने मुद्दा बनाया। उन्होंने पीडि़त परिवार से भेंट की एवं पीडि़त परिवार के साथ हुई घटना को अन्याय बताते हुए इस प्रकरण की निष्पक्ष जाँच की माँग की। अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार से ज़िलाधिकारी एवं एसएसपी पर हत्या की धारा-302 के तहत एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेजने की माँग भी की। कहा जा रहा है कि कोतवाली देहात में आरोपी ठेकेदार समेत चार लोगों पर ग़ैर-इरादतन हत्या का मुक़दमा दर्ज कराने के उपरांत भी पुलिस ने आरोपियों को गिर$फ्तार नहीं किया।

इससे दु:खी पीडि़त परिवार समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव से मिला जहाँ उनको न्याय दिलाने का आश्वासन तो मिला ही, एक लाख रुपये की मदद भी की गयी। सरकार की बुलडोजर कार्रवाई को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरा है। समाजवादी पार्टी प्रमुख की ऐसी गतिविधियाँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रास नहीं आती हैं। लखीमपुर खीरी एवं हाथरस जैसी घटनाओं में विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जाने से रोकने के योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयास तो यही बताते हैं।

विधानसभा में तकरार

किसी भी विधानसभा में सरकार एवं विपक्ष के बीच मुद्दों को लेकर तकरार होना आम बात है; मगर उत्तर प्रदेश की विधानसभा में इस तकरार के दृश्य ही अलग होते हैं। यहाँ पर तू-तड़ाक से लेकर बाप तक जाने से कोई नहीं चूकता। पिछले दिनों जब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री विकास की बात कर रहे थे; तब अखिलेश यादव ने कहा था कि तुम अपने पिताजी के पैसे से काम करा रहे हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अभद्रता में पीछे नहीं रहते उन्होंने कितनी ही बार घटिया भाषा का प्रयोग विधानसभा में किया है। बीते दिनों बेरोज़गारी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बीच तीखी बहस हुई।

तकरार इतनी बढ़ी कि दोनों ने एक-दूसरे पर विकट आरोप लगाये। बात यह थी कि प्रश्नकाल के समय समाजवादी पार्टी के एक सदस्य संग्राम यादव ने पूछा कि क्या सरकार प्रदेश में बढ़ती बेरोज़गारी के मद्देनज़र रोज़गारपरक शिक्षा को इंटर कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल करेगी? इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे माननीय सदस्य अगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन करके आये होते, तो यह प्रश्न नहीं पूछते। उन्होंने ने नक़ल एवं रोज़गार देने को लेकर अपनी पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार पर ताने कसे। इसके उपरांत विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी से बेरोज़गारी को लेकर प्रश्न कर दिये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की डबल इंजन की सरकार क्या कर रही है? सरकार बेरोज़गारी दर के बारे में तो बता रही है; मगर रोज़गार दर के विषय में नहीं बता रही है। अखिलेश यादव ने महँगाई को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि साढ़े छ: साल में एक भी नयी मंडी नहीं बनी। आज किसानों को फ़सलों के सही दाम नहीं मिल रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गयी थी; मगर हुआ कुछ नहीं। सरकार ने मक्का नहीं $खरीदी।

अखिलेश यादव ने आलू एवं अंडे से लेकर डेयरी क्षेत्र पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि मेरठ के लोग जानते हैं 236 करोड़ रुपये दिये गये थे। क्या डेरी प्लांट आज चल रहे हैं? अब सुनने में आ रहा है कि डेयरी प्लांट को प्राइवेट कम्पनियों को देने की तैयारी की जा रही है। आलू कोल्ड स्टोर से नहीं निकलेगा, तो उसके भाव कहाँ जाएँगे? इस तरह आप कैसे किसानों की मदद करेंगे? अखिलेश यादव ने विधानसभा में किसानों पर गुलदार एवं चीते के हमलों का मुद्दा उठाया। अखिलेश ने कहा कि गुलदारों एवं चीतों ने कम-से-कम 40 लोगों की जान ली। अभी तो मैं सांड की बात नहीं कर रहा। अगर किसान डर के कारण खेत में नहीं जा पा रहे हैं तो सरकार कर क्या रही है? सम्बन्धित विभाग कर क्या रहा है?

अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार में जंगली जानवरों के हमले में मारे गये लोगों के परिवार को 10 से 15 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाता था। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई जनपद नहीं बचा है, जहाँ पर सांड ने किसी की जान न ली हो। इसके उपरांत अखिलेश यादव ने युवाओं को नौकरियाँ देने की सरकार से विनती करते हुए किसानों की आत्महत्या का मुद्दा उठाते हुए पूछा कि आप पीडि़त परिवारों की आर्थिक मदद क्यों नहीं करते? अखिलेश यादव ने कहा कि आप हमें सपना दिखा रहे हैं कि हम बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं; मगर एक ओर आपने बासमती चावल पर प्रतिबंध लगा दिया है।

शिवपाल का सुझाव

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव के बीच भी जमकर तकरार हुई। मगर इस तकरार पर सदन में ठहाके लगते रहे। हँसी-ठिठोली के बीच सदन में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने का सुझाव दे डाला। शिवपाल यादव ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी! कृपया जल्दी से राजभर जी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दीजिए; नहीं तो वह फिर से हमारे पक्ष में आ जाएँगे। इस पर विधानसभा में उपस्थित सभी नेता ठहाके लगाकर हँस पड़े।

शिवपाल यादव की इस टिप्पणी पर योगी आदित्यनाथ भी हँसी नहीं रोक सके। मुख्यमंत्री भी पीछे कहाँ रहने वाले थे। उन्होंने भी तड़ाक से कहा कि अगर आपने सत्ता में रहते हुए अपने भतीजे (अखिलेश यादव) को कुछ सिखाया होता, तो किसानों को बड़ा फ़ायदा होता। मगर भतीजा आपकी बात सुनने को तैयार ही नहीं है। इस पर शिवपाल ने कहा कि हमने तो भतीजे को $खूब पढ़ाया, तभी तो इंजीनियर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये। इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री को भी कुछ शिक्षा देनी चाहिए। कृपया उससे ट्यूशन ले लें। शिवपाल यादव एवं अखिलेश यादव के शिक्षा पर तंज से योगी आदित्यनाथ का चेहरा उतरा हुआ दिखायी दिया। चेहरा उतरने के पीछे के कारण को सभी जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ उतने शिक्षित नहीं हैं, तो उन्हें इन टिप्पणियों पर कितनी खीझ हुई होगी। सम्भवत: इसी खीझ के चलते योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में भाषण में यहाँ तक कह दिया कि छ: बार के विधायक चाचा के लिए अगली बार सदन में लौटना मुश्किल होगा। 2012 से 2017 के बीच राज्य की जनता चाचा-भतीजे की शत्रुता का शिकार हुई; क्योंकि भतीजे को डर था कि चाचा हावी हो जाएँगे, इसलिए उन्होंने चाचा की वित्तीय सहायता रोक दी।

मायावती से दूरी

लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का सपना पाले बैठी भारतीय जनता पार्टी को अखिलेश यादव हराने की रणनीति बना रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए विपक्ष की तमाम पार्टियाँ एकजुट हो रही हैं, जिसमें विपक्षी गठबंधन इंडिया प्रमुख है। भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए इंडिया गठबंधन के लिए उत्तर प्रदेश में सबसे ठोस कड़ी समाजवादी पार्टी है। विपक्षी गठबंधन इंडिया में समाजवादी पार्टी है; मगर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी नहीं है।

मायावती पर कयास लगने लगे हैं कि वह पिछले द्वार से भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ी हैं; मगर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की घोर प्रतिद्वंद्वी पार्टी है। विपक्षी गठबंधन इंडिया के साथ भी है एवं जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल से भी गठबंधन में है। लोकसभा चुनाव को लेकर अखिलेश यादव ने स्पष्ट कहा है कि समाजवादी पार्टी दोबारा कभी मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। विपक्षी गठबंधन में सीटों को बँटवारे को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी प्राथमिकता भारतीय जनता पार्टी को हराना है। इसके लिए नेतृत्व कौन करेगा? यह बाद में तय हो जाएगा।