एक देश एक उर्वरक योजना, क्या किसानों के हित में है यह फ़ैसला?

योगेश

कृषि से पैदा होने वाली चीज़ें शाकाहारियों का भोजन हैं। कह सकते हैं कि शाकाहारियों के जीने का साधन यही चीज़ें होती हैं। इसीलिए पुराने समय में ही मानव की जीवन शैली में कृषि का विकास कर लिया था। बढ़ती जनसंख्या से कृषि भूमि हर दिन कम होती जा रही है, जिसके लिए कृषि उपज बढ़ाने की कोशिश होती रही है। हमारे कृषि प्रधान देश में किसानों की यही कोशिश रहती है कि वे अपने खेतों में ख़ूब सारा अनाज और ख़ूब सारी सब्ज़ियाँ उपजाएँ। उनकी यह कोशिश तो इसलिए होती है कि उनकी आय बढ़े। लेकिन कृषि उपज बढ़ती है, तो उन सबका पेट भी भरता है, जो कृषि नहीं करते और जिनके पास खेत नहीं हैं।

कृषि उपज बढ़ाने को सबसे ज़रूरी है- खेत की मिट्टी का उपजाऊ होना। इसके लिए किसान अपने खेतों में खाद लगाते हैं। किसानों को गुणवत्ता वाली फ़सल उगाने के लिए अच्छी खादों, अच्छे बीजों और अच्छी मेहनत की ज़रूरतें होती है। केंद्र सरकार ने कृषि उपज को बढ़ाने को एक देश एक उर्वरक योजना शुरू की है। केंद्र सरकार की मंशा है कि किसानों को बिना किसी मिलावट के अच्छी उर्वरक और खादें मिल सकें और फ़सलों के लिए ज़रूरी खादों में मिलावट न हो। खादों की कालाबाज़ारी न हो सके। खादों के भाव अलग अलग होते हैं।

केंद्र सरकार यह चाहती है कि किसानों को इन सब समस्याओं से छुटकारा मिले और उनको खेती के लिए आसानी से कम और एक क़ीमत पर सभी प्रकार की खादें और उर्वरक मिल सकें। इस योजना के अंतर्गत अब तक देश में बिकने वाली अलग-अलग कम्पनियों की खादें अब एक ही पैकिंग में उर्वरक-खाद भारत ब्रांड के नाम से पूरे देश में हर राज्य के किसानों को केवल भारत ब्रांड के नाम से ही बेची जाएँगी। इससे पूरे देश के किसानों को एक ही दाम में एक ही पैकिंग में सभी खादें और उर्वरक मिल सकेंगी।

केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना के अंतर्गत एक देश एक उर्वरक योजना-2023 (वन नेशन वन फर्टिलाइजर स्कीम-2023) की शुरुआत की है। इस योजना के तहत यूरिया, डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी), म्यूररेट ऑफ पोटाश (एमओपी), नाइट्रोजन फास्फोरस पोटेशियम (एनपीके) अगले समय में भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके के नाम से ही बाज़ार में बिकेंगी। केंद्र सरकार में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने सभी उर्वरक (फर्टिलाइजर) कारख़ानों को सरकारी बोरों के नमूने भेजे हैं, जिनमें अब सभी खादों की पैकिंग की जाएगी।

अब इन उर्वरक कारख़ानों, स्टेट ट्रेडिंग कम्पनियों और उर्वरकों की विपणन कम्पनियों को केंद्र सरकार द्वारा सभी सब्सिडी वाली खादों और उर्वरकों को उन्हीं बोरियों में भरकर बेचना होगा, जिन पर सिंगल ब्रांड नाम होगा और प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का लोगो लगा होगा। इससे पूरे देश के किसानों को अब एक ही जैसी पैकिंग में एक ही भाव में सभी उर्वरकों, खादों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।‌

एक देश एक उर्वरक योजना के तहत एक ही वज़न की बोरियों में एक ही तरह की लिखावट में सभी खादों को उनके नाम से बेचा जाएगा, तो इससे यह तय हो जाएगा कि ये केंद्र सरकार की सब्सिडी वाली खादें हैं, जिससे किसानों को कोई दुकानदार नक़ली खादें ऊँचे भाव में नहीं बेच सकेगा। किसान दूसरी ब्रांड की उर्वरक भी नहीं ख़रीदेंगे; क्योंकि उनको दूसरी ब्रांड की उर्वरक और खादों पर सब्सिडी नहीं मिलेगी। इससे सरकारी खादों के अलग-अलग ब्रांडों की खादों के बीच की असमानता भी ख़त्म होगी और सरकारी ब्रांडों की नक़ल बाज़ारों में नहीं मिल सकेगी।

केंद्र सरकार की योजना के अनुरूप सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने इसी साल की 24 अगस्त को एक अधिसूचना जारी करके बताया है कि एक देश एक उर्वरक योजना के अंतर्गत नये उर्वरक बैगों में खादों को भरकर आगामी महीने 2 अक्टूबर से प्रचलन में लाया जाएगा, जो कि किसानों को मिल सकेंगे। एक देश एक उर्वरक योजना के तहत उर्वरक कम्पनियाँ इन उर्वरक खादों की बोरियों के एक-तहाई हिस्से पर अपना नाम, ब्रांड का नाम, अपना लोगो और अन्य आवश्यक सूचनाएँ अंकित करेंगी, जो कि ज़रूरी है। इन खादों की बोरियों के दो-तिहाई हिस्सों पर भारत ब्रांड और प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का लोगो होगा, जिसे संक्षेप में पीएमबीजेपी कहा जाएगा। कुछ लोग इस नाम को पीएम और बीजेपी का प्रचार बता रहे हैं, तो कुछ इसे केंद्र सरकार की किसान हितैषी योजना बता रहे हैं।

माना जा रहा है कि पूरे देश में यह व्यवस्था होने से देश के किसानों को सहूलियत हो जाएगी और निर्माता कम्पनियों को नुक़सान नहीं होगा। पुराने बोरों की खादों के उपयोग करने के लिए सरकार ने कम्पनियों और वितरकों को 31 दिसंबर, 2023 तक का समय दिया है। इसके बाद से सभी कम्पनियों द्वारा प्रमाणिक खादों और उर्वरकों को केंद्र सरकार के द्वारा जारी बोरियों में ही बेचा जाएगा।

देश के रसायन और उर्वरक मंत्री डॉक्टर मनसुख मांडविया ने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों को यूरिया के ख़ुदरा मूल्य के 80 प्रतिशत की सब्सिडी देती है। इसी प्रकार से डीएपी के ख़ुदरा मूल्य पर 65 प्रतिशत, एमपीके के ख़ुदरा मूल्य पर 55 प्रतिशत और पोटाश के ख़ुदरा मूल्य पर 31 प्रतिशत सब्सिडी देती है। इसके अतिरिक्त उर्वरकों की ढुलाई पर भी केंद्र सरकार के एक साल के 6,000 से 9,000 करोड़ रुपये देती है। मनसुख मांडविया ने यह भी कहा है कि इस समय कई कम्पनियाँ अलग-अलग नामों से उर्वरक खादों को बेचती हैं। इन्हें एक राज्य से दूसरे राज्य तक भेजने में ढुलाई की लागत बढ़ जाती है, जिससे किसानों को उचित समय पर उर्वरक-खादों उपलब्ध कराने में भी समस्या पैदा होती है। इसलिए अब केंद्र सरकार एक देश एक उर्वरक योजना के द्वारा सब्सिडी देने वाले उर्वरक एक ही ब्रांड के नाम से किसानों को मुहैया कराने के लिए खादों की दुकानों पर पहुँचाने का काम करेगी। भारत ब्रांड के नाम से केंद्र सरकार के द्वारा सब्सिडी वाले उर्वरक खादों को उपलब्ध कराने का मक़सद उर्वरक खादों की बढ़ती हुई क़ीमतों, उनकी कालाबाज़ारी और उनकी धाँधली रोकने का एक प्रयास है, जिससे किसानों को सही भाव में सही समय पर कम भाव की सब्सिडी वाली उर्वरक-खादों मिल सकें।

एक देश एक उर्वरक योजना को लागू करने का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार के द्वारा सब्सिडी वाली उर्वरक खादों को किसानों तक कम भाव में उपलब्ध कराने के अतिरिक्त असली उर्वरक खादों को उपलब्ध कराना भी है। सरकार के निर्देशों में कहा गया है कि उर्वरक खादों की नयी बोरियों के दो-तिहाई हिस्सों पर भारत ब्रांड और प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना लिखा होने के अतिरिक्त बोरियों के एक-तिहाई हिस्से पर कम्पनी का नाम उसका पता और उसका फोन नंबर पिन कोड लिखा जाएगा। इस उर्वरक खाद को केंद्रीय खाद माना जाएगा और किसान किसी कम्पनी के पूरे प्रचार वाली निजी उर्वरक खादों को ब्रांड के चक्कर में नहीं ख़रीदेंगे, जिससे वे ठगी के शिकार होने से बच सकेंगे। इस योजना के माध्यम से सभी निजी और सार्वजनिक कम्पनियाँ भी अब अपनी उर्वरक खादों को भारत ब्रांड बेच नाम से बेच सकेंगी। सरकार के द्वारा बनायी जाने वाली इन बोरियों का डिजाइन छपने के बाद भी अगर कोई उर्वरक खादों की ख़रीद और बिक्री में कालाबाज़ारी या फिर धोखाधड़ी करता पाया जाता है, तो उसके लिए सज़ा और ज़ुर्माने का प्रावधान होगा। इस योजना के माध्यम से केंद्र सरकार का मक़सद किसानों का हित करके उनकी आय बढ़ाना है।

अभी तक देश में 45.6 प्रतिशत किसान कृषि करते हैं। इन किसान के कल्याण के लिए सरकार ने एक देश एक उर्वरक योजना के माध्यम से उनको एक ही छत के नीचे उर्वरक खादों को सुलभता से उपलब्ध कराने का निर्णय लेकर कृषि उपज बढ़ाने का सपना देखा है। इस योजना की सफलता के सूत्रधार प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र बनेंगे। इस योजना के सफल होने पर पूरे देश में 3,00,000 से अधिक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र खोले जाएँगे, जिनके माध्यम से एक छत के नीचे देश के किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरकों-खादों, सभी प्रकार के बीजों, खरपतवारों और कीटों को नष्ट करने वाली सभी गुणवत्तापूर्ण दवाओं और कृषि यंत्रों, छोटे उपकरणों को भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र ग्राम स्तर पर, तहसील स्तर पर और ज़िला स्तर पर खोले जाएँगे।

अभी तक उर्वरक खादों के नाम पर किसान एक बोरे में कम उर्वरक खाद ही मिल पाती है। बीच में होने वाली उर्वरक खादों की चोरी रोकने के लिए सरकार नयी योजना लेकर आयी है। इन नयी बोरियों में उन्हें उर्वरक खाद पूरी मिलेगी। इससे किसानों की एक ही छत के नीचे कृषि की ज़रूरतें पूरी हो जाएँगी और वे ठगी का शिकार होने से भी बच जाएँगे।