बांद्रा में जुटे मजदूरों पर लाठीचार्ज, घर भेजे जाने की कर रहे थे मांग

लॉकडाउन बढाने से प्रवासी मजदूर सड़कों पर

ऐसे वक्त में जब पूरा महाराष्ट्र कोरोना को लेकर बुरी तरह प्रभावित है आज मुंबई उपनगर के बांद्रा स्टेशन के बाहर जामा मस्जिद के पास अचानक हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हो गए जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

ऐसा ही नजारा मुंबई ठाणे से सटे मुंब्रा में भी दिखाई दिया। इस बात की खबर फैलते ही मुंबई और आसपास के इलाकों में तनाव फैल गया है, कई इलाकों में कई घंटों से जाम लगा है।

रहने और खाने की दिक्कत के चलते घर लौटना चाहते हैं प्रवासी मजदूर

दरअसल, मजदूरों को आज लॉकडाउन ख़त्म होने की उम्मीद थी। जिसके चलते वह मुंबई उपनगर के बांद्रा स्टेशन पर इक्कठा हो गए थे। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा करने के कुछ ही घंटे बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर यहां मंगलवार को सड़क पर आ गए थे और मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके गांव जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाए। ये सभी प्रवासी मजदूर दिहाड़ी हैं।

कोरोना वायरस प्रसार को रोकने के लिए पिछले महीने लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि अधिकारियों और एनजीओ ने उनके खाने पीने की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर मजदूर पाबंदियों के चलते पैदा हो रही दिक्कतों की वजह से अपने ‘देस’ वापस जाना चाहते हैं। इनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासी मजदूर शामिल हैं । इतनी बड़ी भीड़ एक साथ जमा होने के बाद भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। हालांकि कुछ लोगों का दावा है कि लोकल लीडरान और पुलिस हस्तक्षेप के बाद वे वहां से चले गए।

पुलिस और सरकार सवाल के घेरे में!

बांद्रा को हॉटस्पॉट घोषित किया जा चुका है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में यहां पर लोगों का जुटना चिंताजनक तो है ही साथ साथ भीड़ का जुटना महाराष्ट्र सरकार और पुलिस की प्रशासनिक कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़ा करता है। सवाल यह भी है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की जानकारी जुटाने में पुलिस नाकामयाब क्यों हो गई?

सवाल तो यह भी है कि आखिर लोगों के सामने ऐसी क्या मजबूरी हुई कि वो इतनी बड़ी संख्या में एक जगह इकट्ठा हो गए? क्या सरकार और प्रशासन इनके लिए भोजन का प्रबंध करने में नाकामयाब रही है? सबसे ज्यादा प्रभावित मुंबई में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई?

आदित्य ठाकरे ने पल्ला झाड़ा! पीएम मोदी पर साधा निशाना।

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर कहा, ‘जिस दिन से ट्रेनों को बंद किया गया है, उसी दिन से राज्य ने ट्रेनों को 24 घंटे और चलाने का अनुरोध किया था ताकि प्रवासी मजदूर घर वापस जा सकें। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जी ने भी इस मुद्दे को पीएम मोदी के साथ हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस में उठाया था और साथ ही साथ प्रवासी मजदूरों के लिए एक रोडमैप बनाने का अनुरोध किया था।’

महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी के तौर पर जुड़ी एनसीपी के सीनियर लीडर नवाब मलिक ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह पूरी तरह से कर रही है। वह इन लोगों के खाने-पीने का पूरी तरह बंदोबस्त कर रही है। यह अलग बात है कि यह लोग झूठे मैसेज और अफवाहों के चलते गलतफहमी का शिकार बन गए। मुंबई में 20 से 40 लाख मजदूर हैं जिन्हें जाने की इजाजत नहीं दी गई है ।वे यही रहेंगे सरकार उनका ध्यान रख रही है।

विपक्ष ने घेरा महाराष्ट्र सरकार को

वहीं पर विपक्ष ने आज महाराष्ट्र सरकार को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी। बीजेपी नेता किरीट सोमैया और पूर्व एजुकेशन मिनिस्टर विनोद तावड़े ने इसे सरकार की बड़ी नाकामयाबी बताया।

किरीट सोमैया कहते हैं यदि सरकार उन्हें समय पर राशन व रहने की व्यवस्था करें इस तरह से नहीं करेंगे। सबसे बड़ा सवाल पुलिस की नाकामयाबी का है जब इतने लोग स्टेशन के बाहर जमा हो रहे थे तो वहां की लोकल पुलिस क्या कर रही थी?

एक पूर्व एमएलए जीशान सिद्दीकी बताते हैं कि ये लोग जिन घरों में रहते हैं वो इतने छोटे हैं कि उसमें रहना मुश्किल है। एक छोटे से कमरे में 8 से 10 लोग रह रहे हैं। वह किस तरह की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे ?उन्हें यह लगता है यहां रहने से बेहतर है अपने गांव में चले जाए ।कम से कम उन्हें इतनी जगह तो मिलेगी और अपने परिवार के साथ तो रहेंगे। हालात यह है कि 1 दिन के भोजन के बाद उन्हें दूसरे दिन के भोजन के लिए तरसना पड़ता है।न नौकरी है न ही पैसे का कोई दूसरा जरिया। इसलिए वह चाहते हैं कि उन्हें पैदल जाना पड़े अपने गांव चले जाएंगे।