मध्य प्रदेश बना आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार का गढ़

एक तरफ़ मणिपुर में लगभग तीन महीने से कुकी और नागा आदिवासियों को निशाना बनाकर वीभत्स अत्याचार, हिंसा, हत्या, महिलाओं का बलात्कार, गैंगरेप, निर्वस्त्र कर परेड कराने जैसी शर्मनाक घटनाएँ सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ़ मध्य प्रदेश भी आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार के मामले में पीछे नहीं है। मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई वीभत्स घटनाएँ सामने आयी हैं। इन घटनाओं से न सिर्फ़ मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश को शर्मिंदा होना पड़ा।

मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले में भाजपा के स्थानीय विधायक के कथित विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला द्वारा एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का घिनौना कृत्य न सिर्फ़ देश को शर्मसार किया, बल्कि लोगों को आक्रोश से भर दिया। पेशाब करने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने एवं लोगों के आक्रोश से दबाव में आकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीडि़त आदिवासी का पैर धोकर प्रदेश वासियों से वादा किया कि मेरे मुख्यमंत्री रहते अब आदिवासियों-दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आदिवासियों का उत्पीडऩ करने वालों की ख़ैर नहीं। लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ये घोषणाएँ हवा-हवाई ही साबित हुई हैं।

शिवराज सिंह चौहान के घोषणा के अगले ही दिन 7 जुलाई की रात को ग्वालियर ज़िले के भितरवार विधानसभा अंतर्गत ग्राम गोहिंदा में एक आदिवासी परिवार की पाँच बीघा ज़मीन हथियाने के इरादे से गाँव के ही दबंग नानू तिवारी और उसके चार साथियों ने सर्वे क्रमांक 1153/1 की भूमि पर बनी लक्ष्मण आदिवासी और बनवारी आदिवासी की झोंपड़ी जला दी। फिर लक्ष्मण आदिवासी, बनवारी आदिवासी और उनके परिजनों के साथ मारपीट कर उन्हें जूते-चप्पलों की माला पहनायी। बताया जा रहा है कि दबंगों द्वारा आदिवासियों की इस पाँच बीघा ज़मीन को हड़पने के इरादे से अनुसूचित जनजाति के इस परिवार को काफ़ी दिन से प्रताडि़त किया जा रहा था।

वहीं 7 जुलाई, 2023 की रात को ही इंदौर के राऊ क्षेत्र में दो नाबालिग़ आदिवासी लडक़ों को बाँधकर रात भर पीटने का एक वीडियो सामने आया। जानकारी के मुताबिक, धार ज़िले के नालछा के रहने वाले दोनों पीडि़त आदिवासी लडक़े 7 जुलाई, 2023 की रात बाइक से जा रहे थे, तभी सडक़ पर उनकी बाइक फिसलने से दोनों गिर गये। पीछे से आ रहे सुमित चौधरी नामक युवक जो नशे में धुत्त था, दोनों आदिवासी लडक़ों को गाली देने लगा। दोनों भाइयों ने जब उसके गाली देने का विरोध किया तो आरोपी युवक सुमित चौधरी अपने साथियों को बुलाकर दोनों भाइयों को किडनैप कर राऊ क्षेत्र में एक जगह ले गया। वहाँ दोनों भाइयों को रात भर बंधक बनाकर बेरहमी से पीटता रहा और जातिसूचक गालियाँ भी दी। हालाँकि उपरोक्त दोनों मामलों में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कर लिया गया है।

दोनों घटनाओं के बाद जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक एवं मध्य प्रदेश के मनावर से विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर आदिवासियों को न्याय देने में असफल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- ‘इंदौर के राऊ में दो आदिवासी युवकों को रात भर बर्बरतापूर्वक बेरहमी से पीटने एवं ग्वालियर के भितरवार अंतर्गत ग्राम गोहिंदा में आदिवासी परिवार को जूते-चप्पल की माला पहनाकर अपमानित करने का मामला सामने आया है। आज मध्य प्रदेश राज्य आदिवासियों के प्रति अत्याचार में नंबर एक पर है। प्रदेश में आदिवासियों पर होने वाले पिछले अधिकतर अत्याचार न सिर्फ़ वीभत्स हैं, बल्कि पुरातन परम्पराओं में दी जाने वाली यातनाओं से प्रेरित लगते हैं। वहीं नेमावर कांड, कन्हैया भील, बिस्टान आदि मामले में शासन आज तक पीडि़तों को उचित न्याय नहीं दिला सका। वर्तमान राज्य सरकार आदिवासियों को न्याय देने में असफल साबित हुई है और आदिवासी समाज का सरकार के प्रति विश्वास खो गया है।’

मध्य प्रदेश के ही रीवा और रायसेन ज़िलों में भी आदिवासियों पर जानलेवा हमले और हत्या की घटनाएँ भी सामने आयी हैं। 16 जुलाई, 2023 को रीवा ज़िले के जवा थाना अंतर्गत नीवा ग्राम पंचायत के आदिवासी सरपंच अमरजीत कोल पर धीरू पाण्डेय पुत्र श्रीनिवास पाण्डेय निवासी चरपनिहन पूर्वा, प्रिंस मिश्रा निवासी बरुहा ने कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ हमला कर, उन्हें अधमरा कर दिया। पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गयी है; लेकिन आरोपी फ़रार बताये जा रहे हैं। वहीं रायसेन ज़िले बमोरी थाना अंतर्गत ग्राम पड़रिया ख़ुर्द में 21 जुलाई, 2023 को एक नाबालिग़ आदिवासी युवक की गोली मारकर हत्या करने का मामला प्रकाश में आया है। हत्यारे का पता नहीं चल सका है, पुलिस छानबीन कर रही है। ऐसे ही कई और मामले हैं, जिनमें पुलिस के हाथ ख़ाली हैं।

मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में मानवता को शर्मसार करने वाली एक और घटना 21 जुलाई, 2023 को सामने आयी, जहाँ एक दलित युवक के चेहरे और शरीर पर मानव मल पोत दिया गया। घटना महाराजपुर थाना अंतर्गत ग्राम डिकौरा का है। गाँव के सडक़ निर्माण में मज़दूरी कर रहे देशराज अहिरवार ने सीमेंट की धूल उडऩे के बात पर मज़ाक़-मज़ाक़ में गाँव के ही रामकृपाल पटेल के हाथ में थोड़ी गिरीश लगा दी। इससे नाराज़ होकर रामकृपाल पटेल ने देशराज अहिरवार के साथ न सिर्फ़ मारपीट की, बल्कि उनके चेहरे और शरीर पर मानव मल फेंक दिया। देशराज अहिरवार ने गाँव के लोगों को जब इस घटना के बारे में बताया, तो ग्राम सभा बुलाकर उलटा देशराज अहिरवार से ही 600 रुपये का ज़ुर्माना वसूला गया।

इस घटना के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि ‘प्रदेश के छतरपुर में एक दलित व्यक्ति के ऊपर मल लगा देने की घटना अत्यंत घृणित है। ऐसी घटनाएँ सभ्य समाज के माथे पर कलंक है। ऐसे कृत्यों से मध्य प्रदेश का नाम कलंकित होता है। इसके पूर्व सीधी में आदिवासी समुदाय के व्यक्ति पर पेशाब करने की घटना से भी प्रदेश को शर्मसार होना पड़ा था। मध्य प्रदेश में भाजपा के 18 साल के कुशासन में दलित और आदिवासियों पर अत्याचार चरम पर है। समय आ गया है, जब दलित और आदिवासियों के प्रति घृणित मानसिकता रखने वाली सोच को ख़त्म किया जाए और मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासियों को उनका संवैधानिक सम्मान दिलाया जाए।’

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्विटर पर लिखा- ‘मध्य प्रदेश में एक महीने में ही दलित-आदिवासी अत्याचार की दूसरी बेहद निंदनीय व पीड़ादायक वारदात हुई है, जो मानवता को शर्मसार कर देने वाली है। एनसीआरबी रिपोर्ट (2021) के मुताबिक, भाजपा शासित मध्य प्रदेश में दलितों के ख़िलाफ़ अपराधों का रेट सबसे ज़्यादा है। आदिवासियों के ख़िलाफ़ सबसे अधिक अपराध हुए है, हर दिन सात से ज़्यादा अपराध हुए। मध्य प्रदेश के हमारे दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के नागरिक दशकों से भाजपाई कुशासन में अपमान का घूँट पी रहे हैं। भाजपा का सबका साथ, सबका विकास केवल विज्ञापनों में सिमटकर, एक दिखावटी नारा और पीआर स्टंट बनकर रह गया है। भाजपा, हर दिन बाबा साहेब आंबेडकर जी के सामाजिक न्याय के सपने को चूर-चूर कर रही है। हम माँग करते हैं कि छतरपुर ज़िले की इस घटना पर कठोर-से-कठोर कार्रवाई हो!’

जयस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम ने कहा कि ‘मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर भाषण में आदिवासी हितैषी होने और आदिवासियों की बात करते हैं, परन्तु आज तक उनके शासन आदिवासियों का शोषण और अत्याचार रुका नहीं। यह सरकार की नाकामी है। आज भी आदिवासियों के साथ अन्याय-अत्याचार में मध्य प्रदेश नंबर-वन पर है, यह हमारे लिए अफ़सोस की बात है। आदिवासियों के हित का पैसा राजनीतिक फ़ायदे के लिए रैलियों में ख़र्च किया जा रहा है, जबकि आदिवासियों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।’

ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश एवं मणिपुर सहित देश भर में आदिवासियों पर हो रहे बर्बर अत्याचारों के विरोध में मध्य प्रदेश के अनेक आदिवासी संगठनों ने ऐलान किया है कि आगामी 9 अगस्त ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के मौके पर आदिवासी समाज द्वारा कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं किया जाएगा; बल्कि आदिवासियों के साथ बर्बर अत्याचार, हत्या, शोषण, बलात्कार इत्यादि घटनाओं के मद्देनज़र आदिवासियों के संरक्षण और अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रदेश और ज़िला स्तर रैली निकालकर राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया जाएगा।