बृजभूषण की ताक़त

महिला पहलवानों के यौन उत्पीडऩ मामले में बृजभूषण शरण सिंह अपने विरुद्ध महिला पहलवानों के आरोपों में आधी जीत एवं आधी हार पर अटके हैं। अधिकतर लोग मान रहे हैं कि यह बृजभूषण की पहली जीत है। क्योंकि किशोरी पहलवान के यौन शोषण मामले में पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है।

पटियाला हाउस कोर्ट में पुलिस ने इस मामले की क्लोजर रिपोर्ट एवं बालिग़ पहलवानों के आरोपों वाले मामले में चार्जशीट भी पेश कर दी है। इस चार्जशीट में बृजभूषण के साथ कुश्ती संघ के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर भी आरोपी है। दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के विरुद्ध पॉस्को एक्ट को कोर्ट से रद्द करने की अपील की है। बालिग़ पहलवानों के मामले में बृजभूषण सिंह के विरुद्ध दायर की गयी पहली चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की चार धाराओं के तहत आरोप तय हुए हैं। धारा-354 (स्त्री की शालीनता को ठेस पहुँचाने के लिए उस पर हमला, बल प्रयोग। 1 से 5 साल तक की सज़ा।), धारा-354-ए (यौन उत्पीडऩ, 3 साल तक की सज़ा) और धारा-354-डी (पीछा करना, पहली बार दोषसिद्धि पर 3 साल की सज़ा), धारा-506‘1’ (आपराधिक धमकी, 2 साल तक की सज़ा)। मगर आरोपी को सभी धाराओं में जमानत मिल सकती है। इस मामले में 22 जून को सुनवाई होगी। वहीं पॉक्सो वाले मामले की 4 जुलाई को सुनवाई होगी। ध्यान रहे एक पूर्व रेफरी ने बृजभूषण पर यौन आरोपों को सही ठहराया था।

कुश्ती महासंघ की बात करें, तो ​​​बृजभूषण के दामाद विशाल सिंह अभी बिहार कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। कुश्ती संघ के संयुक्त सचिव आदित्य प्रताप सिंह हैं, जो बृजभूषण के बेटे के साले हैं। अब रेशलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (भारतीय कुश्ती महासंघ) के चुनाव 6 जुलाई को होने हैं। मगर बृजभूषण सिंह और उनके परिवार वाले इस चुनाव में कम से कम इस चुनाव में किसी पद के लिए भाग नहीं हो सकेंगे। मगर कहा जा रहा है कि बृजभूषण को 36 फेडरेशंस में से लगभग 75 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त है। फेडरेशन के अधिकतर अधिकारी बृजभूषण के ही पक्ष में हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि जा रहा है कि अगर बृजभूषण के हाथ से कुश्ती महासंघ की अध्यक्षता जाती भी है, तो भी उनकी इच्छा से ही कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष चुना जाएगा।

जाँच में हुई ढील

यह सत्य है कि बृजभूषण शरण सिंह मामले में पुलिस जिस गति से एवं नाटकीय रूप से इस गंभीर प्रकरण की जाँच कर रही थी, उससे अत्याचार की इस घटना का पटाक्षेप असंभव लगता है। बृजभूषण शरण सिंह को भी यह पता है कि वो अभी पूरी तरह सुरक्षित हैं। कई बार पुलिस बृजभूषण शरण सिंह के घर पुलिस गयी मगर लौटी बैरंग ही। पुलिस ने अभी तक यह साहस नहीं जुटाया है कि वो भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह से इस प्रकरण को लेकर कुछ प्रश्न ही पूछ सके। मगर पहलवानों को अपराधियों की तरह घसीटा गया।

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता उदयपाल सिंह कहते हैं कि सरकार जिसकी सुरक्षा करे उसे भला कौन गिरफ़्तार कर सकता है। पुलिस में यह हिम्मत कहाँ कि वो अपने कर्तव्य को याद करते हुए अपने अधिकारों का उपयोग बृजभूषण शरण सिंह जैसे माफ़िया के विरुद्ध कर सके। अगर यह नैतिकता पुलिस में होती, तो आज उत्तर प्रदेश में अपराधियों के लिए दो अलग-अलग नियम क़ानून नहीं होते। यह पुलिस पर बड़ा प्रश्न उठा है कि वो अतीक के बेटे का एनकाउंटर कर सकती है; मगर भाजपा के नेताओं एवं ऊँची जातियों के योगी बाबा के समर्थकों के गिरेबान तक अपने हाथ नहीं ले जा सकती। मगर पहलवानों पर पुलिस ने अपना बल प्रयोग करके ये सिद्ध कर दिया कि सत्ता जो चाहेगी वही होगा।

योगी के मौन पर सवाल

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के पक्षवादी रवैये पर अब उँगलियाँ उठने लगी हैं। लोग कह रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ नहीं चलेगा, क्योंकि मामला उनकी अपनी पार्टी का है एवं सबसे बढक़र एक दूसरे राजपूत का है। यही कारण है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पक्षवादी मन यहाँ मौन है।

कुछ लोग तो यहाँ तक कह रहे हैं कि अब योगी आदित्यनाथ की हिम्मत ही नहीं कि वो अब ये बोल दें कि माफ़िया को मिट्टी में मिला देंगे, क्योंकि बृजभूषण शरण सिंह उनसे अधिक ताक़तवर है। तो कुछ लोग कह रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ जैसे माफ़िया राजा भैया के प्रति भाईचारा बरत रहे हैं, वैसे ही वो बृजभूषण शरण सिंह से भाईचारा बरत रहे हैं। इसी कारण से पुलिस भी जाँच में हीलाहवाली कर रही है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ऐसे आरोप पहले भी लग चुके हैं। मगर यहाँ मामला एक केंद्रीय नेता का है एवं उनके विरुद्ध पुलिस जाँच चल रही है; यह भी योगी आदित्यनाथ की चुप्पी का एक कारण है। मगर उन्हें कुछ तो इस मामले को लेकर बोलना ही चाहिए अन्यथा प्रदेश की जनता उनके पक्षपाती होने की बात तो कहेगी ही। लोग भी यह कह ही रहे हैं, भले दबी ज़ुबान से सही।

बृजभूषण का शक्ति प्रदर्शन

यौन उत्पीडऩ के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह स्वयं को दूध का धुला साबित करने के लिए हर दिन नये-नये स्वांग रच रहे हैं। कुछ दिन पहले बृजभूषण शरण सिंह ने उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक रैली को संबोधित किया। इस रैली में बृजभूषण शरण सिंह की सुरक्षा व्यवस्था देखते ही बनती थी। बृजभूषण शरण सिंह की सुरक्षा व्यवस्था देखकर ऐसा लग रहा था कि उनकी गिरफ़्तारी असंभव है।

बृजभूषण शरण सिंह ने अपने इस रैली में पुलिस के सामने व्यापक रूप से अपना शक्ति प्रदर्शन किया एवं ये संदेश दिया कि उनका कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता।

अब समझ में आ रहा है कि एक दबंग भाजपा नेता की गिरफ़्तारी की माँग वाला उच्चतम स्तर के पहलवानों का आन्दोलन भी क्यों निरर्थक सिद्ध हो रहा है? वैसे भी बृजभूषण शरण सिंह की ताक़त का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जाँच में लगी पुलिस उनके घर में भी बिना उनकी अनुमति के प्रवेश नहीं कर पाती है। घर में ही हैलीपैड रखने वाले बृजभूषण शरण सिंह के पास पुलिस अगर कहीं दिखती भी है, तो वो उनकी सुरक्षा का दायित्व निभाती दिखती है।

पहलवानों के हिस्से में प्रतीक्षा

पुलिस ने अपनी जाँच रिपोर्ट पेश कर दी। मगर अभी तक पहलवानों को न्याय नहीं मिला है। उन्हें गृह मंत्री अमित शाह से जाँच की प्रतीक्षा करने की सलाह एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से न्याय का आश्वासन मिला। प्रश्न यह है कि क्या गृह मंत्री अमित शाह एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर का आश्वासन पहलवानों को केवल शान्त कराने वाला ही है। वैसे तो खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को 15 जून तक बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध चल रही जाँच को निष्पक्ष रूप से पूरा करने का वचन दिया है। मगर राजनीति में भावनाओं एवं वचनों की कोई क़ीमत नहीं होती। ऐसे में खेल मंत्री का यह कहना कि हमने आश्वासन दिया है कि 15 जून तक जाँच पूरी कर ली जाएगी एवं चार्जशीट दायर की जाएगी, पर विश्वास नहीं होता।

ऐसा भी हो सकता है कि बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई देरी से राजनीतिक लाभ के आधार पर हो। क्योंकि भाजपा शीर्ष मंडल की यह प्रवृत्ति रही है कि वो हर कार्य लाभ के अवसर को देखकर ही करता है। वैसे गृह मंत्री अमित शाह पहलवानों को आश्वासन दे चुके हैं कि क़ानून सबसे लिए बराबर है। उन्होंने गंगा में पदक बहाने के पहलवानों के निर्णय के उपरांत पीडि़त महिला पहलवानों से मिलकर कहा था कि क़ानून को अपना काम करने दें। क़ानून सबके लिए बराबर है।

बृजभूषण बोले, ‘फाँसी लगा लूँगा’

भाजपा सांसद हर दिन अनेक तरह से देश की जनता को यह बता रहे हैं कि वो निर्दोष हैं एवं जिन पहलवानों को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाया, वो अब उन्हें बदनाम कर रहे हैं। मगर प्रश्न यह है कि इतने अधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान ऐसे कैसे बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध खड़े हो सकते हैं।

अगर कहीं धुआँ उठा है, तो आग भी लगी ही होगी। कोई एक महिला पहलवान आरोप लगाती, तो समझ में आता; मगर समूह में इतनी महिला पहलवान ऐसे ही इतने बड़े नेता एवं आरोप लगाने के समय के वर्तमान कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर आरोप नहीं लगा सकतीं। उन्हें अपने भविष्य का डर भी रहा होगा, जो दाँव पर लग चुका है।

हर तरह से अपने बचाव के प्रयास में लगे बृजभूषण शरण सिंह हर दिन स$फाई दे रहे हैं। इसके लिए बृजभूषण शरण सिंह कभी अपना स्वयं का चरित्र स्वच्छ बताते हैं, तो कभी यह कहने का प्रयास करते हैं कि वो अत्यधिक शक्तिशाली हैं। अब तो वो भावनात्मक रूप से लोगों को द्रवित करने के प्रयास भी करने लगे हैं, जिससे लोग पहलवानों का पक्ष लेना छोडक़र उनके पक्ष में खड़े हो जाएँ।

कुछ दिन पहले बृजभूषण शरण सिंह ने ऐसा ही एक भावनात्मक पासा फेंका। उन्होंने कहा कि अगर उनके ख़िलाफ़ एक भी आरोप साबित होता है, तो वह फाँसी लगा लेंगे। वह नार्को टेस्ट अथवा पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को तैयार हैं। वैसे वह लगातार यह सिद्ध करने में लगे हैं कि वह बिलकुल निर्दोष हैं। उनके कई समर्थक उनके बचाव के लिए उनके चरित्र का कथित प्रमाण-पत्र जनता को बाँट रहे हैं। उनकी प्रशंसा का राग अलापने से नहीं चूक रहे हैं। मगर यह नहीं बता रहे हैं कि बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध इतनी बड़ी संख्या में आपराधिक मुक़दमे कैसे दर्ज हुए। ऐसा क्या हुआ कि इतने आरोप एवं मुक़दमे इस भाजपा नेता पर लगे। पूरे देश को अब यह प्रतीक्षा है कि इस बड़े आरोप प्रकरण का हल क्या निकलता है।