पीएम ने स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत नौसेना को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वदेशी युद्धपोत (एयरक्राफ़्ट कैरियर) आईएनएस विक्रांत देश और नौसेना को समर्पित किया। भारत में बनने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। उन्होंने नौसेना का नया ध्वज भी समर्पित किया। इससे पहले केरल के कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड पहुंचने पर पीएम को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। इसके निर्माण की शुरुआत 2009 में यूपीए सरकार के समय हुई थी, जब तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसके निर्माण शुरुआत कार्यक्रम में शिरकत की थी।

पीएम ने इस मौके पर विक्रांत को विशेष और विशिष्ट बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत की प्रतिबद्धता का परिणाम बताया। उन्होंने देशवासियों को इसके जलावतरण पर बधाई दी। करीब 20 हज़ार करोड़ रुपये से तैयार हुआ आईएनएस विक्रांत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और इससे आने से भारत की नौसेना क्षमता और मजबूत होगी। इसके ऊपर से 30 एयरक्राफ्ट उड़ान भर सकते हैं। एक साल के ट्रायल के बाद इसे आज पीएम ने नौसेना के बेड़े में शामिल किया। अब भारत के पास दो विमान वाहक पोत हो गए हैं।

भारत के समुद्री इतिहास में आईएनएस विक्रांत अब तक का सबसे बड़ा जहाज है। पीएम मोदी कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने इस स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत का जलावतरण किया। इस मौके पर रक्षमंत्री राजनाथ सिंह, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, सीएम पिनराय विजयन, नौसेना के तमाम बड़े अधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने नौसेना का नया ध्वज भी समर्पित किया।

आईएनएस विक्रांत को इसलिए इसे समंदर में चलता फिरता शहर कहा जा रहा है। यहाँ पहुँचने पर पीएम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा। आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा।

भारत में बनने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। आईएनएस विक्रमादित्य के बाद यह देश का दूसरा विमानवाहक पोत होगा, जिसे रूसी प्लेटफॉर्म पर बनाया गया। आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा। आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा।