पंजाब में फिर फैला नशा न जाने कितने मर गए

पंजाब में जून का महीना बेहद क्रूर महीना रहा। इस महीने में मादक द्रव्यों के अधिक उपयोग से 25 से ज्य़ादा मौतें हुई। यह एक सरकारी आंकड़ा है, इतना बड़ा है कि हो सकता है मरने वालों की गिनती इससे कहीं ज्य़ादा हो। यह बहुत बड़ा मुद्दा है। पंजाब के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने राज्य में राज कर रहे शिरोमणि अकाली दल को इसी मसले पर सत्ता से बेदखल कर दिया। यह इतनी जबरदस्त लड़ाई थी कि अपने चुनाव प्रचार में और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह वादा किया कि साल भर के अंदर वे पंजाब से मादक द्रव्यों का प्रसार बंद कराने की कोशिश करेंगे।

 मंत्री के कथन का मुकाबला

पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ब्रहम मोहिन्दर मौतों के आंकड़ें को गलत बताते हैं। वे कहते हैं कि यह आंकड़ा बहुत ही बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है कि ड्रग को ज्य़ादा मात्रा में लेने से ये मौतें हुई हैं। यानी दो सप्ताह में 17 मौतों का नशे से हो जाना वाकई तकलीफ देह है। इससे अधिकारियों में नाराज़गी है।

आइए कुछ तथ्यों पर हम ध्यान दें। लुधियाना के जगरांव उप संभाग के सवादी कलां गांव में कुलजीत सिंह की मौत 29 जून को दवा की ज्य़ादा मात्रा लेने से हुई। उसका अंतिम संस्कार दो जुलाई को हुआ, जब उसका भाई आस्ट्रेलिया से आया। पुलिस ने मृत देह के पास से एक चम्मच, सिगरेट लाइटर और सिरिंज बरामद की थी। इससे यह बात प्रमाणित होती है कि उसकी मौत मादक पदार्थ लेने के कारण हुई।

उसकी पत्नी हरप्रीत ने पुलिस को जानकारी दी कि उसका पति खन्ना के रसूलड़ा गांव के निजी नशा मुक्ति (डी-एडीक्शिन) केंद्र में दो महीने से था। उसको 21 जून को वहां से मुक्ति दी गई। उसकी मां हरदीप कौर ने बताया केंद्र से बाहर आकर पहली बार उसने ‘चिट्टा’ (सफेद पाउडर) का इस्तेमाल किया। अमृतसर के गुमलता के जॉन की भी मौत नशे की लत के चलते हई। उसके पिता अमर सिंह ने पुलिस को बताया कि गांव में नशे की दवाएं बेचने वाले सौदागर बहुत दिनों से सक्रिय थे, लेकिन कोई सुनता थोड़े है। मुझे यह तो पता था कि उसे शराब पीने की लत है लेकिन मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह मादक द्रव्य भी लेता है।’ तरनतारन जि़ले के गांव ढोतियान के गुरमेज सिंह की भी मौत 25 जून को हुई। उसकी मां सविन्दर कौर ने कहा कि उसका बेटा नशेड़ी था। मादक द्रव्यों ने उसे हम से हमेशा के लिए छीन लिया। जब वह मरा तो मैंने उसकी नस के पास दवा भरी एक सीरिंज देखी।

बठिंडा में तलवंडी साबो के लवप्रीत की मौत 30 जून को हुई। उसके पिता जीवन खन्ना ने इस बात की पुष्टि की,’लवप्रीत की मादक द्रव्यों के प्रति रुचि दो साल पहले कुछ खराब लोगों की संगत में हुई’।

इसके बाद वह (स्मैक- हेरोइन) लेने लगा। फरीदकोट के कोटकपुरा में बलविंद्र सिंह की मौत 22जून को हुई उसकी लाश खेतों में मिली। उसके हाथ में सुई थी।

‘कट्स’ से हुई मौतें

पुलिस की जांच पड़ताल से बात साफ हुई है कि एडल्टरेटेड हेरोइन को कुछ दूसरे तत्वों के साथ मिला कर एक ऐसा कॉकटेल बनाया जाता है जो परमानंद की अनुभूति देता है। इसे स्थानीय भाषा में ‘कट’ कहते हैं। यह नशीला पदार्थ पंजाब के नशेडिय़ों में इस समय अच्छा लोकप्रिय है। परिवारों में इस कट से भय है। यह कोई नया मादक पदार्थ नहीं है। यह हेरोइन का ही एक एडल्टरेटेड रूप है। इसे शरीर में सुई के जरिए लेते हैं। यह एहसास होता है मानो देह में सीमेंट लग रहा हो। इसकी प्रतिक्रिया यह होती है कि सुई लगी रह जाती है और आदमी की तत्काल मौत हो जाती है।

डीजीपी सुरेश अरोड़ा कहते हैं सभी आईजी, डीआईजी और सीपी को अभी हाल में हुई एक बैठक में कहा गया है कि पिछले दिनों हुए इन तमाम मामलों में हर एक की जांच वे बारीकी से करें। पुलिस स्वास्थ्य विभाग और समाज की सिविल सोसायटी से भी संपर्क में रहेगी। ये सभी मिल कर मादक द्रव्यों के नशेडिय़ों का पुनर्वास करेंगे और इनके जरिए यह भी पता लगाएंगें कि मादक द्रव्य की तस्करी (स्मगलिंग) का क्या नेटवर्क है।

मादक द्रव्यों का व्यापार करने वालों को मौत की सज़ा

राज्य में मादक द्रव्यों में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई मौतों के चलते पंजाब मंत्रिमंडल ने मादक द्रव्यों के मामले में जुड़े तमाम विक्रेताओं और तस्करों को सजा-ए-मौत देने पर गौर करने का अनुरोध किया है। मंत्रिमंडल की पिछले दिनों हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया। इसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने की। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर बात करने के लिए यह बैठक बुलाई थी। मंत्रिमंडल ने इस तथ्य पर फैसला लिया कि अभी पिछले दिनों राज्य में जो मौतें हुई हैं वे मादक द्रव्यों के अत्याधिक सेवन से और एडल्टरेटेड मादक द्रव्यों के चलते हुई हैं। मंत्रिमंडल ने यह भी तय किया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) एनएस कल्सी रोज़-व-रोज़ इस पूरे मामले की समीक्षा करेगे। उनके नेतृत्व में बना कार्यकारी समूह यह भी ध्यान रखेगा कि मादक द्रव्यों का उपयोग कहां-कहां हो रहा है और उस पर कैसे काबू पाया जा सकता है। इस समूह में एसीएस(स्वास्थ्य), डीजीपी (लॉ एंड आर्डर), डीजीपी (इंटेलिजंस), और एडीजीपी (एसटीएफ) बतौर सदस्य होंगे।

मंत्रिमंडल की भी एक उप समिति गठित की गई है, जो सप्ताह में एक बार मिलकर पूरे हालात का जायजा लेगी और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करेंगी। इसकी बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह करेंगे। इस बैठक में स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा मंत्री भी होंगे। आप और शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस की इस बात के लिए आलोचना की है कि पार्टी ने चुनाव पूर्व यह कहा था कि यह राज्य में बढ़ते मादक द्रव्यों के प्रसार को सत्ता में आने के चार सप्ताह में रोकेंगे। लेकिन वैसा यह सरकार नही कर सकी। पंजाब के मुख्यमंत्री ने राज्य में हुई मौतों पर जांच का आदेश दिया है और कहा है कि अपराधियों के खिलाफ अधिकारी सख्त कार्रवाई करें।

मुख्यमंत्री ने ये निर्देश भी दिए हैं कि राज्य के सभी कर्मचारियों को साल भर में एक बार जांच करानी चाहिए जिससे यह पता लगे कि वे नशा करते हैं या नहीं। उनके इस फैसले पर पंजाब की प्रमुख विपक्षी पार्टी आप ने एक पत्र भेजकर मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि वे इस फैसले पर फिर विचार करें क्योंकि पुलिस-ड्रग माफिया गठजोड़ पर राजनीति होने लगेगी और मुद्दा भटक जाएगा। उधर सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न यूनियनों ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया। उनकी मांग है कि राजनीतिक हस्तियों को भी अपना टेस्ट कराना चाहिए जिससे यह साफ हो कि ऐसी समस्या से हमारे विधायक और सांसद भी अछूते हैं या नहीं। कई नेताओं, विधायकों और सांसदों ने तो यह टेस्ट भी कराना शुरू कर दिया है जिससे जनता में भरोसा जम सके।

यह ज़रूर कहा जाता है कि राज्य के पुलिस अधिकारियों और मादक द्रव्यों के तस्करों में काफी गहरे संबंध हैं और उसकी जांच ज़रूरी है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया है कि ‘मैंने यह आदेश दे दिया है कि पंजाब पुलिस के डीजीपी मादक द्रव्यों के कारण अभी हाल हुई तमाम मौतों के कारणों का जायजा लें और बेगुनाह युवकों की मौत के जिम्मेदार लोगों पर ऐसी कार्रवाई करें जिससे दूसरों को भी लगे कि यह कितना बड़ा अपराध है। सरकार मादक द्रव्यों के आदी हो रहे युवाओं और परिवारों के इलाज और पुनर्वास पर पूरा ध्यान देगी। हमें उम्मीद है पंजाब जिसने राज्य में हरित क्रांति की, आतंकवाद का मुकाबला किया वह मादक द्रव्यों के खिलाफ चल रही जंग में भी कामयाब होगा।