दोहरा ऑस्कर भारतीय सिनेमा का स्वर्णिम समय

मार्च भारत के लिए शानदार क्षण लेकर आया है। फ़िल्म आरआरआर के गाने नाटू-नाटू (नाचो-नाचो) मूल गीत श्रेणी में अकादमी पुरस्कार जीतने वाला पहला भारतीय फ़िल्म ट्रैक बन गया है। ऐसे ही वृत्तचित्र ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ 95वें अकादमी पुरस्कारों में इतिहास रच रहा है। डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट कैटेगरी में जीतने वाला यह पहला भारतीय प्रोडक्शन है।

‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ के निर्माता गुनीत मोंगा ने कहा- ‘मैं कह सकता हूँ, भारतीय सिनेमा का भविष्य बेहतरीन है। यहाँ भविष्य है; और नहीं भूलना चाहिए कि भविष्य वास्तव में महिलाओं का है।’ कार्तिकी गोंसाल्वेस और गुनीत मोंगा का ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’, जो तमिलनाडु अभयारण्य में मनुष्यों और एक परित्यक्त हाथी के बच्चे के बीच के बंधन की पड़ताल करता है, डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट श्रेणी में भारत का पहला अवार्ड है। ‘स्माइल पिंकी’ और ‘पीरियड, ऐंड ऑफ सेंटेंस’, दोनों भारत में बने; ने भी इसी श्रेणी में अवार्ड हासिल किया था। लेकिन वे विदेशी प्रोडक्शन थे।

दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के मुदुमलाई टाइगर रिजर्व के अंदर थेप्पकडु हाथी शिविर में गोली का शिकार होने की कहानी वाली ‘द एलीफेंट व्हिस्परर्स’ आदिवासियों बोम्मन और बेली नाम के दम्पति को लेकर है, जो एक घायल हाथी ‘रघु’ की देखभाल करते हैं; जो अपने झुण्ड से अलग हो गया है। जब रघु किशोरावस्था में पहुँचता है, तो राज्य का वन विभाग उसे ले जाता है और उसे दूसरे केयरटेकर के साथ रख देता है। दम्पति हतप्रभ हैं और रघु को शिद्दत से याद करते हैं। एक दृश्य में हाथी का बच्चा बेली के आँसू पोंछता है, जब वह रघु के अलगाव पर बिलख पड़ती है।

भारत ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म श्रेणी या सर्वश्रेष्ठ विदेशी फ़िल्म में ऑस्कर नहीं जीता जैसा कि पहले माना जाता था। भानु अथैया ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय थीं, जिन्हें रिचर्ड एटनबरो की ‘गाँधी’ में सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ‘गाँधी’ ने सन् 1983 में आठ ट्राफियाँ जीती थीं। निर्देशक सत्यजीत रे को सन् 1992 में ऑस्कर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।

नाटू-नाटू के संगीतकार एम.एम. कीरावनी ने चुटकी लेते हुए कहा- ‘मेरे मन में केवल एक ही इच्छा थी और राजामौली और हमारे परिवारों की भी; कि आरआरआर को जीतना है, …हर भारतीय का गौरव…, यह तो बस शुरुआत है।’ कीरावनी द्वारा रचित और एसएस राजामौली की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म में चंद्रबोस द्वारा लिखित ‘नाटू-नाटू’ इस श्रेणी में ऑस्कर जीतने वाला चौथा $गैर-अंग्रेजी गीत है। इससे पहले ‘जय हो’ ने सन् 2009 में यह पुरस्कार जीता था। भारतीय गौरव को बढ़ाने के लिए अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने दर्शकों को ‘नाटू-नाटू’ पेश किया।

आरआरआर (राइज रोर रिवॉल्ट), स्वतंत्रता पूर्व की एक काल्पनिक कहानी है; जो सन् 1920 के दशक में दो वास्तविक जीवन के चरित्रों भारतीय क्रांतिकारियों- अल्लूरी सीताराम राजू (राम चरण) और कोमाराम भीम (जूनियर एनटीआर) पर आधारित है।  इसे तेलुगु, तमिल, हिन्दी और मलयालम में रिलीज किया गया था। राम चरण और जूनियर एनटीआर अभिनीत राजामौली की फ़िल्म में यह ऊर्जावान गीत था, जिसे एम.एम. कीरावनी और गीतकार चंद्र बोस ने लिखा। इसने तीन अन्य नामांकनों को पछाडक़र पुरस्कार जीता, जिसमें एवरीथिंग, एवरी वेयर, ऑल एट वंस से ‘दिस इज अ लाइफ’, टेल इट लाइक अ वुमन से ‘आपलोज’ और ब्लैक पैंथर : वकानदा फॉरएवर  से ‘रेज मी अप’ शामिल हैं। मंच पर ‘नाटू-नाटू’ के गायक थे। राहुल सिप्लिगुंज और काल भैरव। एक बार ख़त्म होने के बाद हॉलीवुड और विश्व सिनेमा की हस्तियों समेत दर्शकों ने खड़े होकर तालियाँ बजायीं। गोल्डन ग्लोब और क्रिटिक्स चॉइस अवार्ड जीतने के बाद तेलुगु गीत के लिए यह तीसरी बड़ी अंतरराष्ट्रीय मान्यता है।

यह भारत के लिए सि$र्फ एक रात भर नहीं थी। 95वें अकादमी पुरस्कारों को ‘सब कुछ, हर जगह और सब कुछ एक साथ’ के साथ एशियाई प्रतिभाओं को पहचानने के लिए भी याद किया जाएगा, जिसमें सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, डेनियल शेनर्ट और डेनियल क्वान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, मलेशिया की मिशेल योह के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और वियतनामी अमेरिकी के हुई क्वान के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता सहित सात पुरस्कार शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गाँधी और अन्य ने ऑस्कर की दोहरी जीत की सराहना की। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर कहा- ‘असाधारण! नाटू-नाटू की लोकप्रियता वैश्विक है। यह एक ऐसा गीत होगा, जिसे आने वाले कई साल तक याद रखा जाएगा…भारत गर्व और जोश से भरा है।’ उन्होंने ‘द एलीफेंट व्हिस्परर्स’ के निर्माताओं को भी यह कहते हुए बधाई दी- ‘आपने भारतीय फ़िल्म निर्माताओं के लिए प्रेरणा के द्वार खोल दिये हैं! जय हो प्तबॉसवुमेन।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘उनका काम आश्चर्यजनक रूप से सतत विकास और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।’ इसलिए देखते रहिये, भविष्य भारत का है!