दिल्ली सरकार के पास विज्ञापनों के लिए पैसा लेकिन राष्ट्रीय परियोजना के लिए नहीं? – सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम परियोजना से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक हफ्ते के भीतर 415 करोड़ रुपये दे सरकार और अगर नहीं दिया तो दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर फंडिंग दे देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने के लिए एक हफ्ते का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर नहीं दिया तो विज्ञापन बजट से पैसा दिया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

दिल्ली सरकार को घेरते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ये राशि नहीं दी तो हम दिल्ली सरकार के विज्ञापनों बजट पर रोक लगाकर अटैच कर लेंगे। प्रदूषण को रोकने के लिए परियोजना भी जरूरी है। पिछले तीन साल का दिल्ली सरकार का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ था जबकि इस साल का बजट 550 करोड़ है।

बता दें, 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर दिल्ली सरकार तीन सालों में विज्ञापन के लिए 1100 करोड़ आवंटित कर सकती है तो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए फंड भी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि या तो भुगतान करें नहीं तो फिर अदालत उसके फंड तो अटैच करने के आदेश जारी करेगी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट की फटकार और चेतावनी के बाद दिल्ली सरकार दो महीने के भीतर 415 करोड़ का बकाया देने को राजी हो गर्इ थी लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया।