‘डॉक्टर के पास जाने से पहले’

कभी आपने भी डॉक्टर को गाली दी होगी, या कोसा होगा कि हमारी बीमारी को ठीक से समझ ही नहीं पाए डॉक्टर साहब. गलत डायग्नोसिस बना दी और केस खराब कर दिया. ऐसी बातें प्रायः सुनते ही हैं हम. डॉक्टर द्वारा बीमारी की सही डायग्नोसिस न कर पाना स्वयं में अलग सा विषय है जिसकी चर्चा आज नहीं करेंगे. आज तो हम आपको यह बताएंगे कि कैसे बीमारी के गलत डायग्नोसिस या इलाज के अपराध में आप भी कई बार शामिल होते हैं. डॉक्टर कोई जादूगर नहीं है. उसका काम जासूस टाइप है, या कि कंप्यूटर जैसा. घटनास्थल की जांच करना उसका काम है परंतु चश्मदीद या अन्य गवाहों द्वारा दी गई जानकारी उतनी ही अहम है वरना शरलक होम्स भी फेल हो सकता है. कंप्यूटर में यदि गलत आंकड़े डालेंगे तो उम्मीद न करें कि सही विश्लेषण करके देगा. और डॉक्टरी के केस में यह गवाही देना या सही आंकड़े देना आपका (मरीज का) काम है. जब तक आप अपना यह दायित्व नहीं निभाते तब तक डॉक्टर से बहुत उम्मीद न करें. एक अच्छा डॉक्टर मरीज की व्यथा कथा (हिस्टरी) सुनकर ही अस्सी-नब्बे प्रतिशत तक डायग्नोसिस बना लेता है. खून की जांच, एक्स-रे इत्यादि तो इस डायग्नोसिस की पुष्टि के तरीके हैं.

मेरा मानना है कि यदि मरीज डॉक्टर के पास जाते हुए कुछ बातों का पालन करे तो डॉक्टर का काम बहुत आसान हो जाए. मरीज को निम्नलिखित बातें याद रखनी चाहिएः

1. कि डॉक्टर के पास बहुत टाइम नहीं हैः और भी मरीज देखने हैं उसे. हो सकता है कि राउंड लेना हो, ऑपरेशन के लिए जाना हो या पहले ही बहुत-से मरीज देखकर वह हलकान बैठा हो. कई मरीज यह मान कर आते हैं कि डॉक्टर एकदम फुर्सत में है. ऐसा नहीं होता. डॉक्टर तथा मरीजों की संख्या के बीच इतना असंतुलन है कि आप उसे फुर्सत में पाने की उम्मीद कभी न करें.

2. कि अपनी तकलीफ को ठीक बताएं: ठीक-ठीक बताने का मतलब? मतलब यह कि न तो अनावश्यक विस्तार में जाएं, न ही भटकें और न ही इतना संक्षिप्त हों कि कुछ बताएं ही न. मेरे पास सब तरह के मरीज आते हैं. यह पूछने पर कि आपको क्या हो गया सर, कुछ तो यही कहते हैं कि हम क्या बताएं, आप डॉक्टर हैं – खुद समझ लीजिए! बताना तो आपको पड़ेगा ही. डॉक्टर जादूगर नहीं है. उसे आपकी सहायता चाहिए. फिर कुछ लोग बजाय यह बताने के, कि चार दिन से गला खराब है, कहानी को बचपन से शुरू करते हैं, बीच में मौसम पर चर्चा भी करेंगे और असली तकलीफ तक पहुंचते-पहुंचते डॉक्टर को इतना थका डालते हैं कि वह सुनना ही बंद कर देता है. तकलीफ बयान करते समय इन बातों का ख्याल करें 1. पहले बताएं कि कितने दिन पहले आप ठीक थे. 2. फिर बताएं कि सबसे पहले क्या चालू हुआ, कैसे बढ़ा और अब क्या तथा कैसा है. एक के बाद एक के क्रम में बताएंगे तो डॉक्टर के सामने आपकी बीमारी की मुकम्मल-सी तस्वीर बनने लगेगी. 3. यह भी बताएं कि पहले से कोई अन्य बीमारी का कोई इलाज तो नहीं चल रहा. डॉक्टर पूछे, न पूछे, आप बता दें. डायबिटीज, हार्ट, बीपी, थॉयरायड, आर्थराइटिस आदि की अनेक दवाइयां भी आपकी अभी की तकलीफ का कारण हो सकती हैं. फिर हर बीमारी दूसरी बीमारी पर असर डाल सकती है या डॉक्टर द्वारा दी जा रही दवाई से बिगड़ सकती है. स्टेरायड से डायबिटीज बिगड़ जाएगी, बीटा ब्लाकर से दमे का अटैक हो सकता है और आर्थराइटिस की दवाएं पेट के अल्सर को बिगाड़ सकती हैं.

3. अपनी बीमारी का पुराना रिकॉर्ड साथ लेकर जाएं: यह जरूरी है कि डॉक्टर के पास जाते समय पुराने मेडिकल रिकॉर्ड साथ रखें. पर डॉक्टर मांगे तो दिखा दें. इससे कई बार बड़ी मदद मिलती है. डॉक्टर की भाषा और पर्चा डॉक्टर ही समझ पाता है. अपनी याददाश्त से न बताएं. कागजात रखें. पर यह उम्मीद तथा जिद भी न करें कि डॉक्टर इतनी-सी देर में आपकी मोटी मेडिकल फाइल या थैली के एक-एक पन्ने को देखे ही. कई मरीज अपने ब्लड शुगर तथा कॉलस्ट्राल आदि का बीस वर्ष का रिकॉर्ड करीने से रखे लाते हैं और चाहते हैं कि डॉक्टर आज का अपना दिन इसी काम में गुजारे. यह जरूरी नहीं है. जो उसे चाहिए देख लेगा.

4. कभी भी, डॉक्टर को कहीं भी पकड़कर अपनी बीमारी पर चर्चा शुरू न कर दें: डॉक्टरी सलाह के लिए उसके चेम्बर में जाएं और बाकायदा समय लेकर जाएं. आपका पुराना परिचित डाॅक्टर हो, तब भी. यह न करें कि वह किसी शादी के रिसेप्शन में मिला है, या स्विमिंग पूल में आपके बगल में तैर रहा है या रेलवे स्टेशन पर किसी को छोड़ने आया है – और आप उसे फुर्सत में मानकर उसे दबोच लें और अपनी बीमारी के बारे में बातें करने लगे. यहां मिली डॉक्टरी सलाह की क्या कीमत हो सकती है. बेचारा डॉक्टर एक सामान्य मनुष्य भी है. उसे ठीक से जीने दें.

5. कि अन्य किसी और पैथी या तरीके से कोई इलाज ले रहे हों तो वह भी जरूर बता दें: कई बार आयुर्वेद, यूनानी तथा इसी किस्म की देसी दवाएं भी वर्तमान बीमारी का कारण हो सकती हैं. इस छलावे में न आएं कि अंग्रेजी दवाएं गर्मी करती हैं परंतु ये दवाएं तो एकदम सुरक्षित हैं.
इन बातों का ख्याल रखेंगे तो आप डॉक्टर की बड़ी मदद करेंगे. अच्छे डॉक्टरों को इस मदद की बड़ी आवश्यकता रहती है.