जहांगीरपुरी मामले में, सियासी दल चुनावी मुद्दे की तलाश में

दिल्ली के जहांगीरपुरी हादसे में जो कुछ भी हुआ है, न तो वो देश हित में है और न ही समाज के हित में है। ऐसे में वे-वजह जहांगीरपुरी मामले में सियासी संग्राम छिड़ना पूरी तरह से गलत है। एक दल दूसरे दल पर आरोप लगाकर अपने आप को सही साबित करने में लगे है जबकि सच्चाई तो ये है कि जो कुछ भी हुआ है उसके पीछे पूरी सोची समझी सियासी साजिश है।
बताते चले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जहांगीरपुरी में कुछ भी नहीं बोल रहे है। आप पार्टी बोलने से पहले इतना जरूर बोल रही है कि उसके पास दिल्ली पुलिस नहीं है। वहीं भाजपा का कहना है कि दिल्ली के जहांगीर में रोहिग्यां और बाग्ला देशिय़ों को आप पार्टी ने वोट बैंक के चक्कर में बसाया है और दिल्ली सरकार से मिलने वाली सारी सुविधायें दी है। जो भी गिरफ्तारियां हुई है उनमें कुछ तो आप पार्टी के सदस्य ही निकलें है।
जहांगीरपुरी घमासान में जो कुछ भी हुआ है उसमें किस दल को क्या मिला ये तो आने वाला समय ही बताएंगा। फिलहाल भाजपा को रोहिग्या और बांग्ला देशियाों घुसपैठियों वाला मामला मिल गया है। दिल्ली की राजनीति के जानकार चंद्र केतु का कहना है कि देश की राजनीति में अब पूरी तरह से धार्मिक और जातीय राजनीति हावी होती जा रही है। ऐसे में दिल्ली में भी अब इसका असर दिखने लगा है। क्योंकि आने वाले दिनों में दिल्ली नगर निगम के चुनाव सामने आ रहे है। सो सभी दल अभी से चुनावी मुद्दे की तलाश में है।