कोरोना की रोकथाम में सख्ती ना की गयी तो घातक परिणाम सामने आयेगे

सेनेटाइज , मास्क और तापमान चैक करने वाला सिस्टम को फिर से अपनाना होगा जो सेनेटाइज का सामान सरकार ने मुहैया कराया वो गायब है

कोरोना के बढते कहर को लेकर जनता लस्त और सरकार मस्त नजर आ रही है । देश में गत दो दिनों से संक्रमित मामलों की संख्या 83 हजार से ज्यादा आ रहे है और मरने वालों की संख्या भी एक हजार से अधिक है। फिर भी ना जाने सरकार से कहां पर चूक हो रही है । मामलों की संख्या में कमी नहीं हो रही। कोरोना के बढते मामलों को लेकर अब लोगों का कहना है कि सरकार ने अगर कोरोना की रोकथाम को लेकर सख्ती ना बरती तो इसके भयावह परिणाम सामने आयेगे। तहलका संवाददाता ने लोगों से बातचीत कर इस बात की पडताल की तो उन्होंने कहा कि सरकार ने जब जून माह में अनलाँक की प्रक्रिया शुरू की तो बाजारों,रे लवे स्टेशन, बसों में, अस्पतालों में , सब्जी  मंडियों में बडी सख्ती के साथ लोगों को जागरूक किया था और सख्त हिदायत दी थी कि भीडभाड एकत्रित ना होगी। जबकि तब मामले देश में 3 लाख से कम थे। पर अब ऐसा क्या हो गया कि सख्ती की बात तो दूर अब कोई कोरोना को लेकर फिक्रमंद ही नहीं दिखता है।

बताते चले जब देश में मामले कम थे तब रेलवे स्टेशनों में शरीर का तापमान चैक किया जाता था और सेनेटाइज भी किया जाता था और लोगों को मुंह में मास्क लगाने की संख्त हिदायत दी जाती थी। तब जाकर यात्रियों को रेलवे स्टेशन में प्रवेश दिया जाता था। इसी तरह बसों में भी यात्रियों के साथ-साथ ड्राईवरों और कंटेक्टरों को सेनेटाइज कर उनके शरीर का तापमान देखा जाता था। लेकिन अब तो ये कुछ हो नहीं रहा है। कहने को तो छोटी सी बात है । पर इसके स्वास्थ्य संबंधी परिणाम घातक हो सकते है। इसी तरह अस्पतालों और बाजारों में सब जगह लापरवाही आसानी से देखी जा रही है। जागरूक लोग अभी भी, तब घर से निकल रहे है जब उनको कोई विशेष आवश्यकता होती है। लेकिन कुछ लोग वे वजह घरों से निकल रहे है वो भी बिना मास्क के जिससे कोरोना का संक्रमण बढ रहा है।सबसे गंभीर और चौकानें वाली बात ये है स्वास्थ्य संगठनों द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है फिर भी कोई विशेष असर पडता नहां दिख रहा है। कुछ लोग तो ऐसे भी है जो मास्क लगा रहे स्वास्थ्य को देख कर नहीं बल्कि पुलिस से चालान ना कट जाये । इस लिये दिखावे के तौर पर मास्क को मुंह और नाक के नीचे लटका कर चलते है।जबकि सच्चाई ये है कि शहरों के साथ अब गांव –गांव में कोरोना ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिये है। जो देश की स्वस्थ्य व्यवस्था के लिये सही नहीं माना जा सकता है। जबकि गांव, कस्बों और जिला स्तरीय शहरों की स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। और शहरों में कोरोना के बढते मरीजों के लिये अस्पतालों में भर्ती होने के बैडों की कमी पड रही है। ऐसे सरकार को कोरोना की रोकथाम को लेकर जल्द से जल्द संख्त कदम उठाने पडेगे । अन्यथा बहुत देरी ना हो जायेगी । संजय नागर , किशन पाल और रोमेश का कहना है कि सरकार तो प्रयास कर रही है पर जिनकी ड्यूटी लगाई गयी है वे ही लापरवाही को अंजाम दे रहे है। जैसे सेनेटाइज के लिये जो सामान आ रहा है गायब दिख रहा है। सरकार अगर इस मामले जांच करेगी तो बहुत कुछ गडबडछाला सामने आयेगा।