‘करतूत की सजा ज़रूर मिलेगी’

विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर ङ्क्षसह ने यह कहा था कि वे यदि जीते तो महीने भर में वे पंजाब में मादक द्रव्यों के फैलाव पर रोक लगा देंगे। लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बने पंद्रह महीने हो गए। पिछले ही महीने तीस लोगों की मौत ज्य़ादा मात्रा में मादक द्रव्य लेने से हो गई। इसके बाद पूरे राज्य मेें बेचैनी है।

मुख्यमंत्री और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और नौकरशाहों ने फौरन अपनी सक्रि यता दिखानी शुरू की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारीयों, अधिकारियों को हर साल ‘डोप टेस्ट’ कराना होगा। साथ ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में केंद्र से यह सिफारिश भी की गई कि मादक द्रव्यों को बेचने वालों को सज़ा-ए-मौत दी जाए। तहलका प्रतिनिधि राजू विलियम की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बातचीत के मुख्य अंश!

              पंद्रह महीने पहले आपने मादक द्रव्यों के मुद्दे पर जो वायदा किया था, क्या आपके नजरिए में कोई बदलाव आया है।

              मुझे नहीं पता कि ‘नजरिए में बदलाव’ से आपका क्या तात्पर्य है। मैंने तब तय किया था कि मैं इस आतंक को खत्म करूंगा और प्रदेश में बच्चों को इससे निजात दिलवाऊंगा। मेरा यह प्रण आज और भी मज़बूत हुआ है। मादक द्रव्यों की तस्करी करने वालों और इसे बेचने वालों ने हमारे राज्य को बर्बाद कर दिया है। इतना ही नहीं, इन्होंने भावी पीढ़ी को भी बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया है। यह सब होता रहे, मैं नहीं चाहता। भले कुछ भी हो। यह एक वादा था जो मैंने खुद से विधानसभा चुनावों के भी पहले किया था। मैं इसे पूरा करूंगा।

              आरोप विपक्ष का है कि मादक द्रव्यों के बड़े व्यापारी तो आपकी पकड़ से भी काफी दूर है?

              कुछ ने ज़रूर देश छोड़ दिया होगा लेकिन वे भी हमारे राडार पर है। एसटीएफ और राज्य की पुलिस और केंद्र की दूसरी एजंसियां बाकायदा उन पर निगरानी रख रही हैं। मैंने उनसे साफ कह रखा है कि दुनिया के दूसरे कोने में भी यदि ये अपराधी हों तो उन्हें उनकी करतूत की सज़ा दी जाए। यदि ज़रूरत हो तो उन्हें वापस लाएं जिससे उन्हें सज़ा मिले। इस बात की हम उन्हें अनुमति नहीं देंगे कि वे उन्मुक्त रहें। यह न केवल हमारे लिए बल्कि हमारे बच्चों के लिए भी ज़रूरी है।

              यह भी आरोप है कि इस काम के लिए तैनात किए गए एटीएफ और राज्य पुलिस के पर कतर दिए गए हैं और उन्हें ड्रग व्यापार की तह तक भी नहीं पहुंचने दिया जा रहा है?

              कोई पर कतई कतरे नहीं गए हैं। मैंने एसटीएफ का गठन सिर्फ एक मकसद से किया था। वह था कि मादक द्रव्यों की रीढ़ की हड्डी तोडऩा। मैंने उन्हें पूरी खुली छूट दी और उन लोगों ने ड्रग माफिया लोगों को घुटनों के बल बिठाने में कामयाबी पाई। उन्होंने पूरी कोशिश की है कि हमारे युवा लोगों तक ऐसी मादक दवाएं न पहुंचे। अभी हाल हमने यह कोशिश की पंजाब पुलिस के दायरे में भी उन्हें रखा जाए जिससे कमी न पड़े  ताकत की और दूसरी सहूलियतों की। एक विषय था एजंसी के तौर पर काम करने में कोई बाधा न हो। वे अभी भी काम कर रहे हैं। मसलन जैसे सुरक्षा  या सतर्कता विभाग जिसके अपने ब्यूरो हर कहीं हों। इनका इरादा बेहद साफ हैं कि उन्हें किसी भी हालात में मादक द्रव्य व्यापार की तह तक पहुंचना है जिससे पंजाब मादक दवाओं से मुक्त हो, एक साथ हमेशा के लिए।

              पहली बार मादक द्रव्यों का कारोबार करने वालों को सज़ा-ए-मौत की सिफारिश और सरकारी कर्मचारीयों के लिए ‘डोप टेस्ट’ से कया कुछ असर होगा?

              बेशक। जो मादक द्रव्यों की बिक्री से रातों-रात रईस होना चाहते हैं वे शायद कुछ करें। उन्हें यह अहसास होगा कि उनकी एक गलती या मादक द्रव्यों की ओर बढ़े कदम से वे जेल जा सकते हैं। यह संदेश अब बहुत साफ तरीके से उन तक पहुंच चुका है जो इस धंधे में लगे हैं। यह एक ऐसा गंभीर अपराध है कि हम किसी भी हालात में ऐसा कोई कानून से नहीं बचा सकते। मुझे भरोसा है कि जो मादक द्रव्यों के अपराधी बनना चाहते हैं उनके दिमाग में डर तो होगा ही।

              जहां तक अनिवार्य ‘डोप टेस्ट’ की बात है कि इससे यह बात साफ हो जाएगी कि यदि किसी ने मौज-मस्ती के बहाने भी मादक द्रव्यों का सेवन किया है तो उसकी नौकरी तो जाएगी और उसे कोई और मिलेगी भी नहीं। मुझे पता है कि ये कड़े कदम हैं लेकिन आज जो हालत है इससे भी ज्य़ादा कड़े कदम मेरी राय में उठाए जाने चाहिए।

              यह माना जा रहा है कि आपकी सरकार जो कदम उठा रही है वे रक्षात्मक ज्य़ादा हैं क्योंकि अचानक राज्य में मौतों की खबरें आईं। क्या राजनीतिक तौर पर आपकी ज़मीन घातक रही है?

              क्या मौत की सज़ा देने की सिफारिश और अनिवार्य ‘डोप टेस्ट’ रक्षात्मक (डिफेंसिव) कदम है? यह ज़रूर है कि मादक द्रव्यों के कारण इधर जो मौतें हुई हैं उनसे हम कड़े फैसले लेने को बाध्य हुए हैं। लेकिन एक बात हमें बड़े साफ तौर पर बतानी चाहिए कि ये फैसले रक्षात्मक नहीं हैं। ये कड़े कदम हैं जो किसी भी सरकार को ऐसी क्रूर समस्या के निदान के लिहाज से उठाने ही पड़ते। कुछ देशों में तो जल्द से जल्द सुनवाई कर सज़ा देने का प्रावधान भी है।

              बताया जाता है कि आपकी सरकार जबसे सत्ता में आई है तो मादक द्रव्यों के 18 हज़ार विक्रेता गिरफ्तार किए जा चुके हैं और दो लाख नशेडिय़ों का इलात हो चुका है। फिर भी आप क्या कमी देखते हैं?

              आपने खुद ही बता दिया कि संख्या क्या है। एक चीज़ तो तय है कि हम किसी भी तरह आतंक के इस साए को नष्ट करना चाहते हैं। एसटीएफ के सामने वित्तीय संकट हैं। हमारी जो वित्तीय स्थिति है उसमें ही हमने यह तय किया है जो भी जैसी भी स्थिति है हम मादक द्रव्यों का व्यापार और फैलाव रोकेंगे।

              आप किस आधार पर यह कह सकते है कि विपक्ष इस मुद्दे को हवा दे  उभार रहा है?

              कैसे वे हवा दे रहे हैं। यह कांग्रेस ही थी। राहुल गांधी के नेतृत्व में तीन साल पहले यह मुद्दा उभरा था। इस मसले को फैलाने के लिए विपक्ष ही जिम्मेदार है। अकालियों ने अपने राज में अपनी सुविधा के लिए ड्रग माफिया को दस साल तक फलने-फूलने दिया। जहां ‘आप’ की बात है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें आरोप है कि पंजाब में उनके चोटी के कई नेताओं का मादक द्रव्यों से जुड़ाव है। वे हाल-फिलहाल इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ लेने की फिराक में हैं। यह दुख की बात है कि विपक्ष ऐसे संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर भी लाभ उठाने की सोच रहा है।