चुनाव आयोग ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के सरकार के विचार का समर्थन किया है. साथ ही आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि इस पर काफी खर्च आएगा और कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने और घटाने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा. विधि मंत्रालय ने आयोग से कहा था कि वह संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट पर अपने विचार दे, जिसने एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराने की वकालत की थी. मई में विधि मंत्रालय को अपने जवाब में आयोग ने कहा कि वह प्रस्ताव का समर्थन करती है लेकिन इस पर 9000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा. एक संसदीय समिति के समक्ष गवाही देते हुए आयोग ने इसी तरह की ‘कठिनाई’ का इजहार किया था. संसदीय समिति ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराने पर पिछले साल दिसंबर में अपनी व्यवहार्यता रिपोर्ट सौंपी थी. सरकार का मानना है कि एक बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने से चुनाव का खर्च बढ़ जाएगा लेकिन इस कवायद से जैसे ‘चुनाव बंदोबस्त’ केंद्रीय बलों और मतदानकर्मियों की तैनाती जिसमें पर आने वाला खर्च घट सकता है.