‘ईमानदारी से देशसेवा करने की इच्छा रखने वाले लोगों के पास भी अब एक विकल्प है’

मीरा सान्याल. उम्र-53. पूर्व सीईओ, आरबीएस. मुंबई दक्षिण
मीरा सान्याल. उम्र- 53. पूर्व सीईओ, आरबीएस. मुंबई दक्षिण

अपनी जिंदगी में अब तक ज्यादातर मेरा काम नीतिगत मामलों से ही जुड़ा रहा है. हालांकि मैं बैंकिंग क्षेत्र में थी, लेकिन मैंने सरकार, योजना आयोग और रिजर्व बैंक के साथ कई श्वेत पत्रों पर काम किया है. मैं अपनी जिंदगी के उस दौर का आनंद ले रही थी. लेकिन 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले ने मुझे बदल दिया. मुझे लगा कि हममें से बहुत से लोग जो हो रहा है उसका ठीक से  विश्लेषण किए बिना सिर्फ हर चीज की आलोचना किए जा रहे हैं. घर पर बैठकर व्यवस्था की बुराई करने में हम लोगों का कोई सानी नहीं. मुझे लगा कि कम से कम मेरे लिए तो वक्त आ गया है कि सिर्फ आलोचना करने से आगे जाकर कुछ किया जाए.

यही वजह है कि मैं 2009 के आम चुनाव में लड़ी थी. यह मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे तजुर्बों में एक था. मैं चुनाव हार गई, लेकिन मैंने बहुत कुछ सीखा. उसी समय मुझे महसूस हो गया था कि बाकी जिंदगी मुझे यही करना है. आम आदमी पार्टी ने सच्चे संवाद का एक मंच तैयार किया है. अगर हम ऐसा विकास चाहते हैं जिसमें सबकी भागीदारी हो और जिसका लाभ सबको मिले तो इसके लिए हमें सबकी बात सुननी होगी. आप ने मेधा पाटकर और मुझे जैसे लोगों को साथ लाने और एक-दूसरे से बात करने का काम किया है. हम लोग चाहते हैं कि काम के अवसर भी बढ़ें और उसके साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहे. विकास के लिए आम आदमी पार्टी की यही नीति है. हमारा प्रचार जाति और वर्ग के आधार पर नहीं हो रहा है. हम उन मुद्दों की बात कर रहे हैं जो जाति, वर्ग, धर्म और भाषा से परे जाकर हम सबको प्रभावित करते हैं. समस्याएं दो हैं—भ्रष्टाचार और अक्षम प्रशासन. हममें से कइयों को लगता है कि भारत एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है और अक्षम प्रशासन देश का भविष्य चौपट कर रहा है. अब तक हम भी यही मानते थे कि फिलहाल राजनीतिक परिस्थितियों में हमारे पास ले देकर वही पुराने विकल्प हैं. 2009 में जब मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो कॉरपोरेट जगत में मेरे कई दोस्त थे जिन्होंने मुझसे कहा कि वे भी राजनीति में आना चाहते हैं. पर उन्हें लगता था कि इसमें बहुत ही ज्यादा गंदगी है. आप ने एक विकल्प पेश किया है. इसने उन बुद्धिमान लोगों को एक रास्ता दिया है जो ईमानदारी और आदर्शों के बूते देश की सेवा करना चाहते हैं. इसलिए इसके जरिये अच्छे लोग राजनीति में आ रहे हैं. मुझे यकीन है कि जिन बहुत से लोगों ने अतीत में वोट नहीं दिया है वे इस बार जरूर अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे.

अपने चुनाव क्षेत्र में मैं दो चीजें कर रही हूं—सफाई यात्रा और स्वराज बैठक. हम लोकल ट्रेन में सवार हो जाते हैं, हर स्टेशन पर उतरते हैं और वहां सफाई करते हैं. हम अपने निर्वाचन क्षेत्र में पैदल घूमते हैं और चलते-चलते झाड़ू लगाते हैं. हम लोगों से जुड़ रहे हैं. हम यहां व्यवस्था की सफाई करने आए हैं और इसके जरिये हम यही दिखाते हैं.

जो मुद्दे हैं उनमें से एक अहम मुद्दा यह है कि लोगों के लिए सस्ते मकान की व्यवस्था कैसे हो जिससे वे इज्जत की जिंदगी जी सकें. मुद्दा यह भी है कि उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने वाला माहौल कैसे बने. इसमें लालफीताशाही को खत्म करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और भ्रष्टाचारियों को दंडित करना शामिल है.

दरअसल लोग भ्रष्टाचार को लेकर गुस्से में हैं और स्वच्छ प्रशासन की उम्मीद कर रहे हैं. ऐसे प्रशासन में मेरे हिसाब से छह बुनियादी चीजें होनी चाहिए—सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, अच्छी सड़कें और बिजली.

(जी विष्णु से बातचीत पर आधारित)