अपराजेय होना चाहते हैं मोदी!

शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम पूरे जी-जान से लगे हैं। राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि ये मोदी के लिए अंतिम बड़ा चुनाव है। जीते तो भी, और हारे तो भी। अपनी छवि को बेदाग़ रखने की कोशिशों के साथ आगामी चुनावों की जीत में लगे प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार में अपने सभी विश्वसनीयों को हमेशा की तरह लगा दिया है। जहाँ तक भ्रष्टाचार का सवाल है, तो मोदी सरकार की छवि प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों के तमाम दावों के बाद भी बेदाग़ नहीं बन सकी है। हाल ही में आयी केंद्रीय सतर्कता आयोग (कैग) की कुछ रिपोट्र्स ने कई मंत्रालयों के काले चिट्ठे खोल दिये और मोदी सरकार की छवि चमकाने की कोशिशों पर पानी फिर गया।

भ्रष्टाचार की सबसे अधिक शिकायतें प्रधानमंत्री मोदी के सबसे क़रीबी अमित शाह के गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के ख़िलाफ़ थीं। केंद्र सरकार के विभागों और संगठनों में सभी श्रेणियों के अधिकारियों और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ वर्ष 2022 में ही कुल 1,15,203 शिकायतें आयीं, जिनमें अकेले गृह मंत्रालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के ख़िलाफ़ 46,643 शिकायतें मिलीं। हालाँकि केंद्र सरकार ने कैग की रिपोर्ट को अनदेखा किया है, वहीं केंद्रीय सडक़ और परिवहन मंत्रालय ने सडक़ घोटाले के आरोप को नकार दिया है।

मगर मोदी सरकार किसी भी हाल में अपनी नाकामियों और आरोपों को छुपाते हुए अपने शासन में हुए बड़े कामों के सहारे जनता के बीच उतरना चाहती है। मोदी सरकार यह जानती है कि अगर एक ओर उसकी कुछ उपलब्धियाँ हैं, तो दूसरी ओर उसकी कमज़ोरियाँ भी इन उपलब्धियों से कहीं ज़्यादा हैं। यही वजह है कि उसे जल्दबाज़ी में महिला आरक्षण विधेयक विशेष सत्र बुलाकर संसद के दोनों सदनों में पास कराना पड़ा।

लोकसभा चुनाव 2024 और उससे पहले पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत के लिए भाजपा मेगा प्लान तैयार कर चुकी है। राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि सबसे ज़्यादा दबाव उन राज्यों के प्रभारियों पर होगा, जहाँ भाजपा की स्थिति कमज़ोर है। जिस राज्य में स्थिति जितनी ज़्यादा कमज़ोर होगी, उस राज्य के नेताओं पर उतना ही जीत का दबाव प्रधानमंत्री मोदी का होगा। जानकार कह रहे हैं कि भाजपा ने पहली बार पार्टी के कामकाज को उत्तरी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र के हिसाब से तीन हिस्सों में बाँटा है, ताकि सरलता से जीत मिल सके। परन्तु इस बार की जीत उसके लिए इतनी आसान नहीं है। लेकिन भाजपा की ओर से दावा किया जा चुका है कि तीसरी बार भी केंद्र में भाजपा आ रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे। आगामी सभी चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, कई बड़े नेता और मंत्री लगातार बैठकें कर रहे हैं। जनता के बीच जाने का सिलसिला भी जारी हो चुका है।

आरोप हैं कि विपक्षी दलों को बदनाम करने, आरोपित करने और विपक्ष के मज़बूत नेताओं, सांसदों, विधायकों को डराने-धमकाने का काम भाजपा अंदर-ही-अंदर कर रही है। परन्तु भाजपा के गिरते वोट बैंक को वापस लाने की कोशिश में भाजपा नेता जितनी शिद्दत से लगे हैं, उतनी ही शिद्दत इस आख़िरी बड़ी जीत के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी लग गया है। लखनऊ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के द्वारा बैठक करना इसका एक प्रमाण है। लोकसभा चुनाव 2024 को प्रधानमंत्री मोदी की जीत का आख़िरी चुनाव इसलिए कहना उचित है, क्योंकि अमित शाह समेत कई बड़े भाजपा नेता संकेत दे चुके हैं कि 2024 के बाद देश में चुनाव नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की उम्र को देखकर भी यही माना जा रहा है कि 2024 का चुनाव उनके लिए आख़िरी लोकसभा चुनाव होगा। यह इसलिए, क्योंकि 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 साल के क़रीब हो जाएँगे और आगामी लोकसभा चुनाव अब सीधे 2029 में ही होगा और उस समय प्रधानमंत्री मोदी लगभग 80 साल के होंगे। ज़ाहिर है वह 80 साल में चुनाव लडऩा उचित नहीं समझेंगे। आगे क्या होगा, इसकी चिन्ता छोडक़र भाजपा की पूरी टीम जीत के लिए कोशिशों में जुलाई से ही जुटी हुई है। इसी के मद्देनज़र मध्य प्रदेश दौरे के बाद प्रधानमंत्री ने अपने आवास 28 जून को भी हाई लेवल बैठक की थी।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में 2023 के आख़िर में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई थी। परन्तु कुछ जानकार कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने इस बैठक में राज्यों के विधानसभा चुनावों के अतिरिक्त सभी नेताओं को 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत की तैयारी में जी-जान से जुट जाने का आदेश दिया है। जिन नेताओं को बड़ी ज़िम्मेदारी दी गयी है, उनमें गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, भाजपा के संगठन मंत्री बी.एल. संतोष जैसे क़द्दावर नेता हैं। जानकारों के मुताबिक, अगर ज़रूरत पड़ी, तो मोदी चुनावी तैयारियों के लिए संगठन में फेरबदल करने के मूड में हैं। संगठन में कई बदलाव होने के अतिरिक्त मंत्रिमंडल में भी चुनाव से पहले फेरबदल के संकेत हैं। राजनीति के कुछ जानकार प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में मनमुटाव के दावे भी कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री बनने की चाह रखते हैं। परन्तु भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी उन्हें आगे आता नहीं देखना चाहती है। स्पष्ट है कि अगर कोई दूसरा चेहरा प्रधानमंत्री पद की दावेदारी करता है, तो प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह एक बड़े झटके की तरह होगा।

हालाँकि अभी तक भाजपा में किसी भी नेता की यह हिम्मत नहीं हुई है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृपा के बिना चुनाव मैदान में उतर सके। इसलिए भाजपा ने दावा किया है कि मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। अगर यह दावा सही साबित हुआ, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले ग़ैर-कांग्रेसी नेता होंगे, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाएँगे। परन्तु मोदी के लिए ये चुनाव पिछले चुनावों की तरह आसान नहीं हैं। जी20, चंद्रयान-3, सूर्य पर आदित्य का प्रक्षेपण, महिला आरक्षण और कई अन्य योजनाओं को भुनाने में लगी भाजपा को अब इंडिया (ढ्ढ.हृ.ष्ठ.ढ्ढ.्र.) गठबंधन से डर लगने लगा है। इसी डर के चलते प्रधानमंत्री मोदी संविधान में से इंडिया शब्द हटाने का निर्णय ले चुकी है। मगर विपक्ष के पास मोदी जैसा क़द्दावर नेता नज़र नहीं आ रहा है। राहुल गाँधी को उनके सामने का चेहरा माना जा रहा है, परन्तु विपक्षी गठबंधन ने अभी तक किसी चेहरे को प्रधानमंत्री मोदी के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर जनता के सामने नहीं रखा है। कुछ जानकार विपक्षी गठबंधन के आपसी मतभेद के चलते कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन बहुत दिन तक नहीं रह सकेगा।

हालाँकि ऐसा लगता नहीं है और इस बार एनडीए के ख़िलाफ़ इंडिया गठबंधन कम मज़बूत नहीं है। पिछले समय में हुए गुजरात विधानसभा के चुनावों में 2019 प्रचंड जीत के बाद भाजपा नेता मोदी को अपराजेय मानने लगे हैं। परन्तु भाजपा इस एक जीत को बड़ा करके दिखा रही है, नहीं तो इसी दौरान हिमाचल को भाजपा ने ही गँवाया है। परन्तु प्रधानमंत्री मोदी का डर इतना ज़्यादा बढ़ गया है कि वह आगामी चुनाव में जीतकर एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने इस बार 15 अगस्त को लाल क़िले से साफ कहा कि वह अगली बार भी लाल क़िले से तिरंगा फहराने फिर आएँगे।

प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से राजनीतिक पार्टियों ने ढेरों प्रश्न खड़े कर दिये। अब प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी दौरे पर पहुँचकर वहीं के निवासियों को कई योजनाओं के तोहफ़े दे रहे हैं। उन्होंने काशी संसद सांस्कृतिक महोत्सव में भी भाग लिया। पूरे उत्तर प्रदेश में बने 16 अटल आवासीय विद्यालयों का भी प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन किया।

राजनीति के जानकार मानकर चल रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का वाराणसी दौरा माँ गंगा से आशीर्वाद लेने के लिए है। विदित हो कि प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी से ही सांसद हैं। तीसरी बार अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं, तो वह और ताक़तवर नेताओं में शुमार होंगे। जो लोग ये कह रहे हैं कि मोदी ही फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे, वे केंद्र की सत्ता में फिर से मोदी के आने के लिए अभी से उनके लिए प्रार्थनाएँ कर रहे हैं। इन सब गतिविधियों को देखकर प्रधानमंत्री मोदी का सीना और चौड़ा हो जाता है। हालाँकि देश में मोदी के ख़िलाफ़ एक हवा चल रही है, जिसे लेकर वह चिन्तित भी हैं। परन्तु वह राजनीति में एक अपराजेय नेता की तरह हर चुनाव जीतकर इतिहास में अमर होने की चाह रखते हैं; जिसे पूरा करने के लिए ही वह सभी हथकंडे अपना रहे हैं।