महिलाएं और न्यायिक सुधार

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श्रेया सिंघल
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2008 में आईटी एक्ट के सेक्शन 66ए के तहत सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर सजा का प्रावधान लाया गया. लगातार कई मामलों में हुए इसके गलत इस्तेमाल के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ स्टूडेंट श्रेया सिंघल ने इसे रद्द करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील का समर्थन करते हुए 66ए को असंवैधानिक करार दिया.

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 सत्यारानी चड्ढा
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1979 में सत्यारानी की बेटी शशिबाला की रसोई में काम करते वक्त जलने से मृत्यु हो गई, उस वक्त वो गर्भवती थीं. सत्यारानी जानती थीं कि ये एक हादसा मात्र नहीं बल्कि दहेज हत्या का मामला है. उन्होंने 34 साल तक उस पुराने कानून, जिसमें दहेज को विवाह का निमित्त माना गया था, को बदलने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी और अपनी बेटी के हत्यारों को सजा दिलवाई.

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इरोम चानु शर्मिला
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मणिपुर की इस आयरन लेडी ने 2 नवंबर 2000 को आफ्स्पा के विरोध में तब एक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की जब मैलम में हुए एक नरसंहार में दस मासूम नागरिकों को उस वक्त गोली मार दी गई, जब वे बस स्टॉप पर खड़े बस का इंतजार कर रहे थे.

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चारू खुराना
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चारू को सिने कास्ट्यूम मेकअप आर्टिस्ट एंड हेयर ड्रेसर एसोसिएशन द्वारा लगभग साठ दशक पुराने एक नियम का हवाला देते हुए सदस्यता देने से मना कर दिया गया, जिसमें महिला मेकअप आर्टिस्ट को बैन किया गया था. चारू ने विरोध में याचिका दायर की और जज ने लिंग पर आधारित इस पक्षपात की निंदा करते हुए इस बैन को खत्म कर दिया.

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शाह बानो बेगम
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सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो को तब एलीमनी यानि भरण पोषण का अधिकार दिया जब 62 वर्ष की उम्र में उनके पति ने उन्हें तलाक दिया. मगर कट्टरपंथियों द्वारा एेतराज जताने पर इस निर्णय को निरस्त कर दिया गया और शाह बानो को केवल इद्दत (विधवा या तलाकशुदा स्त्री का दूसरे विवाह तक प्रतीक्षा का समय) की अवधि के लिए खर्चा मिला.

 

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निर्भया[/symple_box]

16 दिसंबर 2012 में हुए जघन्य निर्भया बलात्कार कांड के बाद क्रिमिनल लॉ बिल (संशोधित) पास किया गया, जिसके अनुसार महिलाओं की स्टॉकिंग यानी पीछा करने और छुप-छुपकर देखने को भी आपराधिक कृत्य माना जाएगा, साथ ही बलात्कार और एसिड अटैक (तेजाब से हमले) के लिए सजा भी बढ़ा दी गई. साथ ही जूवेनाइल जस्टिस एक्ट (किशोर न्याय अधिनियम) में भी संशोधन किए गए, जिनके अनुसार 16 से 18 आयुवर्ग के किशोर को किसी भी जघन्य अपराध में संलिप्त पाए जाने पर कानून की नजर में वयस्क की ही श्रेणी में रखा जाएगा.

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 भंवरी देवी
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1992 में नारी उत्थान प्रोजेक्ट से जुड़ीं भंवरी देवी को एक बाल-विवाह रोकने की सजा पांच सवर्णों द्वारा बलात्कार के रूप में मिली, हालांकि उन अपराधियों को सजा नहीं मिल पाई पर उनकी सतत न्यायिक लड़ाई ने कई याचिकाकर्ताओं और महिला संगठनों को साथ लाकर खड़ा कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप विशाखा गाइडलाइंस अस्तित्व में आई. विशाखा गाइडलाइंस कार्यस्थल पर हुए यौन शोषण के खिलाफ कानूनी सुरक्षा देती है.

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 लक्ष्मी
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मात्र 16 वर्ष की उम्र में एसिड अटैक का शिकार हुई लक्ष्मी ने 27,000 हस्ताक्षरों के साथ सुप्रीम कोर्ट में तेजाब की खरीद-फरोख्त पर याचिका दायर की. उच्चतम न्यायालय ने इसका समर्थन करते हुए तेजाब की खुदरा खरीद पर रोक लगा दी. साथ ही यह भी कहा कि अब से जो कोई तेजाब खरीदेगा उसे अपने किसी फोटो पहचान पत्र की कॉपी जमा करनी होगी. फिलहाल लक्ष्मी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को लागू करवाने के लिए एक नई लड़ाई लड़ रही हंै.