बेनीवाल पर बहुत से सवाल

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डॉ. कमला बेनीवाल को मिजोरम के राज्यपाल पद से बर्खास्त किए जाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस का इल्जाम है कि बेनीवाल को गुजरात के राज्यपाल पद पर रहने के दौरान राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री (और अब प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी से उलझने की कीमत अपना पद गंवा कर चुकानी पड़ी है. उधर, भाजपा का कहना है कि इस बर्खास्तगी की वजह उनके द्वारा की गई अनियमितताएं हैं. खबरों के मुताबिक बेनीवाल को हटाने का फैसला तब लिया गया जब यह उजागर हुआ कि उन्होंने जनता के पैसे का उपयोग कई हवाई यात्राओं में किया. इनमें उनके गृहराज्य राजस्थान के लिए की गई यात्राएं शामिल थीं. बताया जा रहा है कि बेनीवाल ने वर्ष 2011 से 2014 के दौरान 63 बार राज्य सरकार के विमान का इस्तेमाल किया. इनमें से 53 यात्राएं जयपुर की थीं.

बेनीवाल की बर्खास्तगी की एक और वजह भी बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि गुजरात के राज्यपाल पद पर रहते हुए उन्होंने एक महत्वपूर्ण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए जिसकी वजह से राज्य को 1,200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. इतना ही नहीं, उनके एक जमीन घोटाले में शामिल होने और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के मामलों में रुचि लेने की बात भी कही जा रही है.

इससे पहले कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बेनीवाल की बर्खास्तगी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर उन्हें हटाना ही था तो मिजोरम क्यों भेजा गया. पार्टी के दूसरे नेता राजीव शुक्ला ने इसे भाजपा का राजनीतिक बदला करार दिया था. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी इस फैसले का विरोध किया था. उधर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना था कि यह फैसला संविधान के नियमों के अनुरूप हुआ है और महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने इसकी अनुमति दी है. पुडुचेरी के उपराज्यपाल वीरेन्द्र कटारिया को हटाए जाने के बाद बेनीवाल बर्खास्त की जाने वाली दूसरी राज्यपाल हैं.

गौरतलब है कि गुजरात में लोकायुक्त और कुछ अन्य मुद्दों पर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तत्कालीन राज्यपाल बेनीवाल के बीच लंबा टकराव चला था. बेनीवाल ने गुजरात सरकार से सलाह लिए बगैर जस्टिस आरए मेहता को गुजरात का लोकयुक्त नियुक्त कर दिया था. मोदी सरकार ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए राज्यपाल के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी. अदालत ने मेहता की नियुक्ति को सही ठहराया था, लेकिन बाद में जस्टिस मेहता ने लोकायुक्त बनने से ही इंकार कर दिया था. इसके अलावा बेनीवाल ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को भी रोक दिया था.
स्थाई व्यवस्था होने तक मणिपुर के राज्यपाल वीके दुग्गल को मिजोरम के राज्यपाल का प्रभार सौंपा गया है.