‘मुझसे ऐसा व्यवहार किया गया जैसे मानो मैं अपराधी हूं’

बतौर वालंटियर ग्रीनपीस से मैं लंबे समय से जुड़ी रही मगर एक कर्मचारी के रूप में मैंने 2010 में जॉइन किया. वहां के माहौल में ही ये घटियापन घुल चुका है. आते-जाते कमेंट करना, महिलाओं की वेशभूषा पर टिप्पणी करना, अश्लील और भद्दे मजाक करना वहां आम है. चूंकि मैं उम्र और पद में बड़ी थी तो इन लड़कियों ने मुझे इस बारे में बताया. मैं इस तरह के मुद्दे मैनेजमेंट तक पहुंचाती, उस पर उनसे सवाल-जवाब करती. पर कभी भी इस बारे में उनका रवैया ठीक नहीं रहा. मुझे याद है एक एचआर डायरेक्टर सरेआम मुझ पर चिल्लाने लगा. उसने मुझसे कहा, ‘क्योंकि आपकी निजी जिंदगी के अनुभव ठीक नहीं रहे इसलिए आपको हर आदमी गलत ही लगता है. आप मानसिक रूप से असंतुलित हैं, आपको मनोचिकित्सक की सलाह की जरूरत है.’

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