शिक्षा, मंत्री और सरकार

Govt
इलेस्ट्रेशनः मनीषा यादव

निस्संदेह, पूर्व खेल और युवा मामलों के मंत्री अजय माकन ने जब मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षणिक डिग्री पर सवाल उठाया तो वे एक हल्केपन का परिचय दे रहे थे जो मंत्री रह चुके किसी नेता को शोभा नहीं देता. शैक्षणिक डिग्री योग्यता की इकलौती या अंतिम कसौटी नहीं होती, यह ज्ञान सामान्य ज्ञान से ज्यादा की हैसियत नहीं रखता. माकन ने फिर भी लगभग छींटाकशी वाला यह ट्वीट किया जो शायद एक राजनीतिक खीझ भर का मामला था, क्योंकि इसके कोई राजनीतिक फायदे भी नहीं थे.

लेकिन इस धक्के ने एक-दूसरे की डिग्रियां पूछने और उजागर करने का जो खेल शुरू किया, उससे पता चला कि अपनी पढ़ाई-लिखाई का स्तर शायद कभी स्मृति को भी कचोटता रहा होगा, इसलिए 2004 में उन्होंने चुनाव आयोग को अपना हलफनामा देते हुए खुद को बीए पास बताया था. शायद बाद में पकड़े जाने के डर से, या फिर इसे गैरजरूरी मान कर उन्होंने 2014 में असली पढ़ाई-लिखाई का राज खोला और बताया कि वे बीकॉम की पढ़ाई पहले साल से आगे नहीं जारी रख पाईं.

दो हलफनामों के हेरफेर में छोटे-मोटे कानूनों की अवहेलना करने की जो भारतीय आदत है, उसे नजरअंदाज कर दें तो भी शायद यह बहुत बड़ा मामला नहीं है. यानी इसे स्मृति के मानव संसाधन मंत्री बन सकने की योग्यता या अयोग्यता का प्रमाण नहीं माना जा सकता- इससे बस यह पता चलता है कि अपनी वैधानिक या सत्य-निष्ठा में ईरानी कोई आदर्श प्रस्तुत नहीं कर सकतीं जैसे अपनी पढ़ाई-लिखाई से भी नहीं कर सकतीं. इस मामले में भी वे आम भारतीय जनता और नेता जैसी हैं.

लेकिन जो जेन ऑस्टिन से लेकर स्टीव जॉब्स तक के उदाहरण पेश करके बता रहे हैं कि डिग्री से कुछ नहीं होता, वे दरअसल दूसरा सच छुपा रहे हैं. स्मृति ईरानी ने ऑस्टिन या जॉब्स या ऐसा ही कोई और विकट प्रतिभाशाली व्यक्तित्व होने का दूर-दूर तक परिचय नहीं दिया है. वे मंत्रिमंडल में अपनी शैक्षणिक योग्यता या किसी अन्य प्रतिभा या संभावना की वजह से नहीं, प्रधानमंत्री मोदी की निगाह में अपनी हैसियत के चलते मंत्री बनी हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here