
पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसमें सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा गठबंधन के साथ मुख्य विपक्षी कांग्रेस और लोकसभा चुनावों में अपने सफल प्रदर्शन से सबको आश्चर्यचकित कर देने वाली आम आदमी पार्टी (आप) भी शामिल हैं. हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों से इस बार की तस्वीर थोड़ी अलग और जटिल दिख रही है. जहां एक ओर कांग्रेस अपना लंबा वनवास काटकर दोबारा सत्ता पर काबिज होने के लिए आतुर दिख रही है, वहीं अकाली-भाजपा गठबंधन लगातार तीसरी बार राज्य में अपनी बादशाहत बरकरार रखना चाहता है. वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी भी पंजाब को अपने अगले पड़ाव के तौर पर देख रही है.
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में देश भर में 400 से अधिक सीटों पर जमानत जब्त होने के बावजूद यही एकमात्र ऐसा राज्य था जहां से आप लोकसभा तक पहुंचने में सफल हुई थी. पार्टी को यहां की कुल 13 में से चार सीटों पर विजय मिली थी और वह 30 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रही थी. यही कारण है कि 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी सबसे पहले प्रचार करती नजर आ रही है. पार्टी यहां भी दिल्ली विधानसभा की तर्ज पर चुनाव प्रचार कर रही है. फर्क बस इतना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान मफलर पहनकर पहले शीला और बाद में मोदी सरकार पर प्रहार करते नजर आए अरविंद केजरीवाल अब पंजाब में रंग-बिरंगी पगड़ी पहनकर बादल सरकार पर जमकर बरस रहे हैं. इस साल की शुरुआत में पंजाब में होने वाले माघी मेले से अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी. उस दौरान उन्होंने पंजाब के लोगों को मोबाइल काॅल करके पंजाबी भाषा में माघी मेले पर मुक्तसर आने का न्योता भी दिया.
दिल्ली विधानसभा और लोकसभा में सफलतापूर्वक अाजमाए गए फॉर्मूले के तहत इस अभियान को सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी कराया. रैली में बुलाने के लिए केजरीवाल की आवाज में रिकॉर्ड किया गया संदेश लोगों के मोबाइल फोन पर लगातार गूंजता रहा, ‘हैलो, मैं अरविंद केजरीवाल बोल रियां, मैं 14 जनवरी नूं पंजाब आ रियां त्वानूं मिलन, 11 बजे श्री मुक्तसर साहिब माघी मेले ते तुसी जरूर आना, त्वाडे नाल बहुत सारियां गल्लां करनियां हन, अच्छा इक गल्ल होर है मैनूं रेवड़ी बहुत पसंद है. तुसी जरूर लैके आना इकट्ठे बैठ के खावांगे.’
दिल्ली की तरह पंजाब में भी जनता की मूलभूत जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘आप’ ने राज्य में नशा माफिया, केबल माफिया, बेरोजगारी, गुंडई, किसानों की आत्महत्या, आतंकवाद, दलितों के साथ हो रहे अत्याचार जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है
माघी मेले में अरविंद केजरीवाल की रैली में भारी भीड़ उमड़ी. खबरों के मुताबिक यह संख्या एक लाख के करीब थी. इस दौरान राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं बादलों से कहना चाहता हूं कि जब मैं तुम्हारे ताऊ जी मोदी से नहीं डरा तो तुमसे क्या डरूंगा.’ केजरीवाल ने केंद्र सरकार को भी नहीं बख्शा और कहा, ‘मोदी जी, सीबीआई से बादल, कांग्रेसी डरते होंगे, मैं नहीं डरता.’ माघी मेले में सभी राजनीतिक दलों ने जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया. अपने-अपने पंडाल में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के लिए सत्ताधारी अकाली-भाजपा और कांग्रेस ने सारी ताकत झोंक दी थी. मगर बाजी मारने में केजरीवाल ही सफल रहे.
माघी मेला रैली को फंड करने के लिए आप ने वही पुराना डिनर फाॅर्मूला भी अाजमाया. रैली से पहले बठिंडा में एक डिनर का आयोजन करवाया गया और प्रति व्यक्ति पांच हजार रुपये लिए गए. हालांकि केजरीवाल इस डिनर में नहीं पहुंचे, लेकिन इस डिनर में 100 लोग जुटे और आप के सांसद भगवंत मान के साथ खाना खाया. इस मौके पर पंजाब मामलों में पार्टी के प्रभारी संजय सिंह भी शामिल थे.
दिल्ली की तरह पंजाब में भी जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी ने राज्य में नशा माफिया, केबल माफिया, बेरोजगारी, गुंडई, किसानों की आत्महत्या, आतंकवाद, दलितों के साथ हो रहे अत्याचार, भ्रष्टाचार, रेता-बजरी, तस्करी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है. इसकी एक झलक केजरीवाल ने फरवरी के आखिरी हफ्ते में पंजाब के पांच दिवसीय दौरे के दौरान दिखाई. इस दौरान उन्होंने आत्महत्या कर चुके किसानों के परिजनों, व्यापारियों, युवाओं व अप्रवासी भारतीयों से मुलाकात की और उनसे सिर्फ एक साल धैर्य बनाए रखने की अपील की. केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार आने पर उनकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी. हालांकि यह अलग बात थी कि इसी दौरान जालंधर में उनके खिलाफ पोस्टर भी लगाए गए जिस पर लिखा था ‘इक साल, दिल्ली बेहाल. की वादे कित्ते, की निभाये.’ (क्या वादे किए, क्या निभाए )
पंजाब में पिछली दो बार से अकाली-भाजपा सरकार सत्ता पर कायम है. इस दौरान राज्य में बेरोजगारी, ड्रग्स, किसान आत्महत्या, दलित उत्पीड़न, तस्करी, सांप्रदायिक विद्वेष आदि प्रमुख समस्या बनकर उभरे है. राज्य के पत्रकारों और राजनीतिक जानकारों की मानें तो बादल सरकार के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर है. आम आदमी पार्टी को इसका फायदा मिल सकता है. पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में चल रही आपसी फूट का लाभ भी इन्हें मिल सकता है.