मुंबई के भिंडी बाजार की तंग इमामबाड़ा रोड पर स्थित अपने दफ्तर में बैठे हुए 81 साल के गुलजार अहमद आजमी नफासत-भरी उर्दू जुबान में कहते हैं, ‘कौमियत मुल्क से बनती है, मजहब से नहीं और इस मुल्क में रहनेवाला हर इंसान हिंदुस्तानी पहले है, बाद में हिंदू या मुसलमान.’ आजमी जमीयत उलेमा-ए-हिंद (महाराष्ट्र) की कानूनी सहायता समिति के सचिव हैं. हाल ही में जमीयत को लेकर, जो कथित आतंकवाद के आरोपों में फंसे हुए लोगों को कानूनी मदद मुहैया कराती है, को लेकर महाराष्ट्र के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में हलचल मच गई थी।
यह बवाल तब मचा, जब मुंबई के एक भाजपा विधायक ने नागपुर में चल रहे महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जमीयत को प्रतिबंधित करने की मांग रखी. आजमी के अनुसार मुंबई भाजपा के अध्यक्ष और बांद्रा (पश्चिम) के विधायक आशीष शेलार ने 11 दिसंबर को विधानसभा में कहा था कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद दहशतगर्दी के आरोपितों को कानूनी मदद देती है और उनके रिश्ते अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील से हैं. शेलार के मुताबिक जमीयत दहशतगर्दी को भी बढ़ावा देता है. विधायक ने संगठन के कार्यों की जांच कराने की मांग के साथ ही जरूरत पड़ने पर उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की. इसके ठीक दो दिन बात 13 दिसंबर को आजमी के दफ्तर के लैंडलाइन फोन पर एक धमकी भरा कॉल आया. फोन करने वाला अपने आपको गैंगस्टर रवि पुजारी बता रहा था और आजमी को धमकी देते हुए बोला कि वे छोटा शकील से अपने संबंध तोड़ दें और आतंकवाद के आरोपितों को कानूनी मदद देना बंद कर दें.
अंडरवर्ल्ड से संबंध के आरोप को नकारते हुए आजमी कहते हैं, ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद वह संगठन है, जिसने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी है. जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से हिंदुस्तान आए थे, तब जमीयत और खिलाफत कमेटी ने ही देशभर में उनके दौरों का इंतजाम किया था. यह वही संगठन है, जिसने पाकिस्तान बनाने की मांग का हमेशा विरोध किया था.’ वह आगे कहते हैं, ‘हम निर्दोष लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए काम करते हैं, बिना किसी मजहबी फर्क के. हम उनके लिए काम करते हैं, जिन पर आतंकवाद या अन्य अपराधों के बेबुनियाद आरोप लगे होते हैं.’
आजमी आगे कहते हैं, ‘हम ऐसे लोग नहीं हैं, जो माफिया से ताल्लुक रखेंगे और भाजपा विधायक कहते हैं कि छोटा शकील से मेरे संबंध हैं. हमें तो यह एक साजिश नजर आती है क्योंकि शेलार के विधानसभा में बयान के दो दिन बाद ही रवि पुजारी ने मुझे फोन पर धमकी दी थी. भाजपा विधायक के बयान और पुजारी के फोन के बीच जरूर कोई तार जुड़ा हुआ है.’
मामले पर विस्तार से रोशनी डालते हुए आजमी कहते हैं, ‘आशीष शेलार ने 11 दिसंबर को जमीयत के अंडरवर्ल्ड से संबंध होने का विधानसभा में इल्जाम लगाया, उसी दिन शाम को मेरे एक शुभचिंतक ने शेलार के बयान के बारे में मुझे बताया. इसके बाद जब जमीयत के पदाधिकारी इस बयान को लेकर शेलार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चर्चा कर रहे थे, तब 13 दिसंबर की सुबह साढ़े ग्यारह और पौने बारह के बीच दफ्तर के लैंडलाइन नंबर पर एक फोन आया. फोन करनेवाले ने मुझसे बात करने की मांग रखी और जब मैंने फोन लिया, तो कड़े शब्दों में दूसरी तरफ से धमकी दी गई.’
फोन करनेवाला धमकी भरे अंदाज में मुझसे कह रहा था कि आतंकवादियों की मदद करना बंद कर दो और छोटा शकील से संबंध तोड़ दो. जब मैंने उससे कहा कि बकवास बंद करिए, तब दूसरी तरफ से आवाज आई कि मैं रवि पुजारी बोल रहा हूं, अगर मेरी बात नहीं मानी, तो अंजाम खतरनाक होगा. इसके बाद उसने जमीयत के एक पदाधिकारी मौलाना मुस्तकीम आजमी के बारे में भी पूछा और फोन काट दिया.
धमकी मिलने के बाद आजमी ने पुलिस को इस घटना की जानकारी दी. उनके मुताबिक दोपहर में वह एफआईआर दर्ज करवाने पहुंचे. जेजे मार्ग पुलिस स्टेशन पर कहा गया कि मुझे मुंबई पुलिस कमिश्नरेट में स्थित क्राइम ब्रांच जाकर वहां शिकायत दर्ज करानी चाहिए.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कानूनी सहायता समिति ने अब तक आतंकवाद से संबंधित 56 मुकदमों में 410 मुस्लिम युवकों को कानूनी मदद दी है
15 दिसंबर को आजमी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मिले, जिन्होंने उन्हें फोन में कॉलर आईडी लगवाने की सलाह दी. इसके बाद जेजे मार्ग पुलिस स्टेशन पर उनका बयान दर्ज कर लिया गया, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई. आजमी के अनुसार उन्होंने अपने बयान में कहा है कि रवि पुजारी, आशीष शेलार और कुछ अज्ञात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उनको धमका रहे हैं और जान से मारने की साजिश कर रहे हैं.
THIS IS A GOOD WORK IN PARTY
party acha kam kar rahi hai..& age bhi karna chahiya..
‘रवि पुजारी मुंबई पुलिस का गुर्गा है 32 वर्षीय शाहिद आजमी की 11 फरवरी 2010 को कुर्ला-स्थित उनके दफ्तर के अंदर घुसकर भरत नेपाली गैंग के चार गुर्गों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. जमीयत धर्म से ऊपर उठकर लोगों की मदद करता है. संदीप मेंगाड़े और जयप्रकाश गुप्ता, जिन्हें हत्या के मामले में फंसाया गया था, के मुकदमे भी जमीयत ने लड़े थे और उन्हें बरी करवाया था. वह कहते हैं, ‘जमीयत हिंदू या मुसलमान नहीं देखता,