उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में एक मंजिला घर के अंदर कीचड़ वाले लॉन में चार साल का बच्चा अंश खेल रहा था. अंश इतना बड़ा नहीं हुआ है कि वह अपने परिवार वालों की पीड़ा को महसूस कर सके. दरअसल उसके पिता कृपाल सिंह को हाल ही में दिन के उजाले में किसी बाइक सवार ने गोली मार दी. कृपाल को जब गोली मारी गई तब वे अपने घर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर थे. खुद को ईश्वर का दूत मानने वाले आसाराम बापू द्वारा एक लड़की के यौन उत्पीड़न मामले में कृपाल गवाह थे. उन्होंने लगभग एक साल पहले कोर्ट में आसाराम के खिलाफ बयान दर्ज कराया था. उन्हें अगली तारीख पर न्यायालय में उपस्थित होना था.
मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि हत्यारे अभी तक पकड़े नहीं गए हैं. कृपाल सिंह के परिवारवालों का आरोप है कि उनकी हत्या आसाराम के गुंडों ने की है. यौन उत्पीड़न के इस मामले में दो प्रमुख गवाहों की हत्या पहले ही हो चुकी है. कृपाल की हत्या के तीन दिन बाद भी पुलिस अभियुक्तों की शिनाख्त नहीं कर पा रही थी.
शाहजहांपुर पहुंचने पर कानून एवं व्यवस्था को लेकर परेशान एक पुलिसवाले ने पूछा, ‘आप दिल्ली से यहां क्यों आए हुए हैं? आप इस घटना की रिपोर्टिंग इंटरनेट के सहारे भी कर सकते थे.’ पुलिस स्टेशन के अंदर पहुंचने पर एक अधिकारी अंडरवियर और बनियान में मिला जो हमें अपना परिचय देने और इस मामले पर बातचीत करने से बचता रहा. शाहजहांपुर कुछ दिन पूर्व यहां हुई एक पत्रकार की हत्या की वजह से सुर्खियों में आया था. यहां के एक विधायक के गुंडों ने पुलिस की मदद से उस पत्रकार को जिंदा जला दिया था.
कृपाल सिंह की पत्नी मोनी सिंह गर्भवती हैं और उन्होंने तीन दिन से कुछ भी नहीं खाया है. वे रोते हुए कहती हैं, ‘मेरे पति की मौत के लिए पुलिस और प्रशासन जिम्मेदार है. वे हत्या के तीन दिन बाद तक अभियुक्त की शिनाख्त नहीं कर पाए हैं. मैं उनसे किसी तरह की उम्मीद भी नहीं कर रही हूं.’ कृपाल के परिवार ने राज्य सरकार को धमकी दी है और कहा है कि अगर वह इस मामले में कुछ नहीं कर पाती है तो इसके परिणाम बहुत गंभीर होंगे. मोनी की बहन ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘हमने उन्हें खो दिया है और अब हमें न्याय चाहिए. हम कुछ दिन सरकार से न्याय के लिए पहल का इंतजार करेंगे और अगर वह कुछ नहीं करती है तो हम उन्हें बताएंगे कि हम क्या कर सकते हैं?’ आसाराम के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िता के पिता करमवीर सिंह द्वारा दर्ज कराए गए मामले में कृपाल का नाम बतौर गवाह शामिल है. करमवीर, शाहजहांपुर में ट्रांसपोर्टर हैं.
मीडिया की रिपोर्ट में कृपाल को आसाराम का कर्मचारी बताया जाता रहा है जबकि करमवीर की मानें तो वह एलआईसी में बतौर एजेंट कार्यरत थे और उनके कर्मचारियों को बीमा पॉलिसियां बेचने के लिए अक्सर उनके यहां आते-जाते रहते थे. करमवीर ने बताया, ‘जिस रोज कृपाल की हत्या हुई, उस दिन भी वह मेरे पास आए थे. हम दोनों दोस्त थे और आसाराम के सत्संग में साथ ही जाते थे.’ अचरज की बात तो यह है कि कृपाल के परिवार के लोगों को इस बात की कोई खबर नहीं थी कि आसाराम मामले में वह भी गवाह थे. यह बात उनके परिवार के लोगों को मीडिया के माध्यम से पता चली.
