फर्जी डॉक्टर – जुगाड़ से डॉक्टर बनकर हजारों जिन्दगियों से खिलवाड़ कर रहे कुछ लोग

कहावत है- ‘नीम हकीम खतरा-ए-जान’। डॉक्टरी के पेशे में यह कहावत काफी चर्चित है और बहुतों पर सही बैठती है।‘तहलका’ की छानबीन से जाहिर होता है कि कैसे बिचौलिये उम्मीदवारों को धोखा देने और विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा (एफएमजीई), जो विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री वाले भारतीयों के लिए एक स्क्रीनिंग टेस्ट है; पास करने में मदद करते हैं। लेकिन ज्यादा चिन्ता की बात यह है कि जो लोग परीक्षा में विफल हो जाते हैं, उन्हें भी भारत में अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को खतरे में डालते हुए चोरी से काम पर रख लिया जाता है। तहलका एसआईटी की जाँच रिपोर्ट :- ‘हमें परीक्षा से एक दिन पहले लीक हुए प्रश्न-पत्र हासिल हो जाएँगे। वे उम्मीदवार को कुछ अज्ञात स्थानों पर ले जाएँगे, और परीक्षा से एक रात पहले उसे दोनों प्रश्न-पत्र देंगे। वे अभ्यर्थी के प्रश्न-पत्र हल भी करवाएँगे। कम-से-कम 150 प्रश्न हल किये जाएँगे, जो परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम आवश्यकता है। प्रश्न-पत्र हल करने के बाद अगले दिन परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र पर छोड़ देंगे। यदि परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक हुए प्रश्न-पत्र से मेल खाता है, तो परीक्षार्थी को परीक्षा के बाद उसी शाम 15 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। लेकिन याद रहे, इन सबसे पहले उम्मीदवार को अपना मोबाइल फोन हमें सौंपना होगा। अन्यथा इस बात की सम्भावना है कि वह लीक हुए प्रश्न-पत्रों की तस्वीर क्लिक कर अपने दोस्तों को भेज सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लीक हुआ प्रश्न-पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो जाएगा, जिससे हम परेशानी में घिर सकते हैं।‘ – यह बात राकेश भंडारी ने कही। राकेश दिल्ली का एक बिचौलिया है, जो प्रति उम्मीदवार 15 लाख रुपये के बदले विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) का लीक हुआ प्रश्न-पत्र उपलब्ध कराने का सौदा करने की धंधा कर रहा है। मौजूदा नियमों के अनुसार, कोई भी छात्र जो विदेश में किसी संस्थान से चिकित्सा के लिए जाता है, उसे एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) द्वारा वर्ष में दो बार आयोजित विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) नाम की स्क्रीनिंग परीक्षा उत्तीर्ण करनी जरूरी होती है। भारत में चिकित्सा प्रैक्टिस करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) या राज्य चिकित्सा परिषद् (एसएमसी) के साथ स्थायी पंजीकरण, जो अन्यथा अवैध माना जाएगा। राकेश भंडारी कहते हैं कि सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है, जहाँ से वास्तविक उम्मीदवार के स्थान पर अन्य (डमी) उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। लेकिन यह एक जोखिम भरी बात है। मैं इस विकल्प के लिए नहीं जाना चाहता। अगर पकड़े गये, तो हमारी जिन्दगी बर्बाद हो जाएगी। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने खुद को बिचौलिये की तलाश करने की कोशिश बताते हुए में एक जरूरतमंद के रूप में प्रस्तुत किया, जो अपने काल्पनिक उम्मीदवार को एफएमजीई करवाना चाहता है। राकेश भंडारी से रिपोर्टर दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल में मिला। हमने राकेश भंडारी को बताया कि हमारा उम्मीदवार ढाका, बांग्लादेश से एमबीबीएस स्नातक है, जो पहले प्रयास में भारत में अभ्यास करने के लिए एनएमसी से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अनिवार्य एफएमजीई परीक्षा को पास करने में विफल रहा था। इस पर राकेश भंडारी ने हमें तीन विकल्प दिये, जिसके माध्यम से वह 15 लाख रुपये के भुगतान के बदले में हमारे उम्मीदवार को एफएमजीई परीक्षा उत्तीर्ण करने में मदद कर सकता था। पहला, विकल्प परीक्षा से एक दिन पहले प्रश्न-पत्र लीक के माध्यम से; दूसरा, कंप्यूटर में हेराफेरी करके और तीसरा, उम्मीदवार के परीक्षा में फेल होने के बाद भी उसे पास करवाने का प्रबंध करने का था। इन सबके लिए उम्मीदवार को एक रकम अदा करनी होगी। भुगतान परीक्षा के दिन किया जाना है; लेकिन पहले विकल्प में लीक हुए प्रश्न-पत्र के साथ प्रश्न-पत्र के मिलान के बाद। और यदि उम्मीदवार दूसरे या तीसरे विकल्प के लिए जाता है, तो परिणाम के बाद। भंडारी किसी को परीक्षा में उम्मीदवार के लिए प्रतिरूपण करने को सबसे जोखिम भरा विकल्प बताता है। उन्होंने हमें बताया कि वह उस विकल्प का उपयोग करने के खिलाफ था। उनके अनुसार प्रश्न-पत्र लीक होना सबसे अच्छा विकल्प है।
हर साल विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री वाले हजारों भारतीय विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) के लिए उपस्थित होते हैं। यह राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) द्वारा आयोजित एक स्क्रीनिंग टेस्ट है और भारत में चिकित्सा का अभ्यास (प्रैक्टिस) करने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा अनिवार्य है। एनबीई के आँकड़ों के मुताबिक, औसतन उनमें से 20 फीसदी से भी कम इसे पास कर पाते हैं। रूस, यूक्रेन, चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के विदेशी मेडिकल स्नातकों को एफएमजीई पास करने के बाद ही भारत में अभ्यास करने की अनुमति दी जाती है। हालाँकि यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के एमबीबीएस स्नातकों को परीक्षा देने की जरूरत नहीं है। सन् 2019 में 25.79 फीसदी विदेशी स्नातकों ने एफएमजीई पास की, जबकि सन् 2020 में यह 14.68 फीसदी और सन् 2021 में 23.83 फीसदी ही था। सन् 2019 से पहले के वर्षों में यह आँकड़ा और भी कम था। फिर लगभग 80 फीसदी स्नातक इस परीक्षा में असफल होने के बाद क्या करते हैं? जबकि कुछ लोग चिकित्सा को आगे बढ़ाने और एक अलग करियर अपनाने के अपने सपने को छोड़ देते हैं, कुछ एफएमजीई को मंजूरी दिये बिना भारत में अवैध रूप से अभ्यास करते हैं, अन्य इससे चिपके रहते हैं; खासकर जब द्विवार्षिक एफएमजीई के लिए प्रयासों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है। ‘तहलका’ ने कुछ विदेशी मेडिकल स्नातकों पर एक जाँच की जो एफएमजीई पास किये बिना अवैध रूप से भारत में अभ्यास कर रहे हैं (यह रिपोर्ट करने के समय)। और बिचौलिया भी, जो नकद भुगतान के बदले में अवैध तरीकों से एफएमजीई के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों को उत्तीर्ण नतीजा करवाने का वादा करता है। ‘तहलका’ ने सबसे पहले बिचौलिये राकेश भंडारी को पकड़ा, जिसने हमें बताया कि पिछले साल उसने एक कश्मीरी विदेशी एमबीबीएस स्नातक को अवैध तरी$के से एफएमजीई पास करने में मदद की थी, क्योंकि वह अतीत में कई प्रयासों के बावजूद इसे पास करने में विफल रहा था। भंडारी ने शेखी बघारते हुए कहा कि आखिर कैसे उसने 20 लाख रुपये लेकर इस उम्मीदवार को एफएमजीई के माध्यम से पास करा दिया। भंडारी : एक तो खास आदमी है 4-5 चांस में पास ही नहीं हो रहा था। रिपोर्टर : एफएमजीई में? भंडारी : हाँ… उसको फिर एक झटके में करवा दिया मैंने पिछले साल। रिपोर्टर : आपने करवाये एफएमजीई में पास? भंडारी : हाँ…अभी शादी की, मुझसे शादी में दावत भी न दी, मुझे खुंदक आयी इतनी उस पर, परसों पता चला उसकी शादी भी हो गयी। रिपोर्टर : कितना पैसा लिया आपने उससे? भंडारी : रेट तो देखो निर्भर करता है। अगर डायरेक्ट आ गया, तो 20 लाख भी लेते हैं। रिपोर्टर : ऑप्शन कौन-सा था, उसका पास होने का? भंडारी : सारी चीजे नहीं बताते, पता क्या होता है ये सीक्रेसी वाला काम है। आप कितने दिनों से फोन कर रहे हो मिलने के लिए, मैंने आपसे क्या कहा। टाइम नहीं है; क्योंकि असल में क्या होता है, हमारे पास एक की जगह 10 आदमी खड़े होते हैं। अब हमने राकेश भंडारी को एक काल्पनिक सौदा दिया कि हमारे पास ढाका, बांग्लादेश से एमबीबीएस की डिग्री वाला एक उम्मीदवार है, जो अपने पहले प्रयास में एफएमजीई पास करने में विफल रहा था और अब परीक्षा पास करने के लिए उसकी सेवाओं का लाभ उठाना चाहता है। भंडारी ने तुरन्त हमें बताया कि वह परीक्षा से एक रात पहले हमारे परीक्षार्थी का प्रश्न-पत्र लीक करवा देगा। उसके आदमी परीक्षार्थी के प्रश्न-पत्र हल करेंगे। अगले दिन वे उम्मीदवार को परीक्षा केंद्र पर छोड़ देंगे। यदि लीक हुआ प्रश्न-पत्र परीक्षा केंद्र के प्रश्न-पत्र से मेल खाता है, तो परीक्षार्थी को परीक्षा के बाद उसी दिन शाम तक 15 लाख रुपये देने होंगे। भंडारी ने कहा कि वह किसी भी अनावश्यक विवाद से बचने के लिए उम्मीदवार का मोबाइल फोन अपने पास रखेंगे। भंडारी : आप समझे नहीं मेरी बात। प्रश्न-पत्र का ऐसा सीन होता है, उसमें मेरे को भी नहीं पता होगा कि कब किस लोकेशन पर भेजा रहा होगा वो। सीक्रेट होता है। इसकी तलाश दो जगह करेगा। ये मोबाइल तो नहीं, कोई पेपर तो नहीं है। रिपोर्टर : जब ये एग्जाम देने जाएगा? भंडारी : हाँ, उससे पहले; क्योंकि एक दिन पहले मिलकर जाएगा। जानते तो नहीं हैं इसको? मतलब अगर इसके पास मोबाइल हो, ये फोटो खींचकर 10 लोगों को भेजे देगा। वायरल हो गया, तो फँस गये न वो…! वो क्या काम करते हैं? दिन में बुलाएँगे इसको, 11:00 बजे बुलाएँगे, एक जगह बुलाएँगे… मान लीजिए कि यहाँ बुला लिया, यहाँ से अपनी गाड़ी में ले जाएँगे। वो हमारी जिम्मेदारी रहेगी। यहाँ से लेकर दूसरी जगह ले जाएँगे, दूसरी जगह से तीसरी जगह ले जाएँगे, शाम को पेपर कहीं और होगा। रिपोर्टर : शाम को पेपर? भंडारी : शाम को पेपर दिखाएँगे उसको, रात में स्टडी करवा देंगे इसको। एक घंटे में थोड़ी हो पाएगा। फिर 4-5 बजे तक इसको करवाके सुबह सीधे सेंटर पर इसको 8 बजे, पौने 8 बजे पहुँचा देंगे। भंडारी : और एग्जाम सेंटर जहाँ पर भी होगा, क्योंकि इसके पास मोबाइल नहीं होगा। छोड़ने तो जाएँगे, लेने तो कोई नहीं जाएगा इसको। एक घंटे का गैप होगा, दो पेपर होते हैं ना! एक पेपर 8-9 बजे से 12 बजे तक। रिपोर्टर : और दूसरा? भंडारी : दूसरा एक घंटे के गैप के बाद होगा। रिपोर्टर : तो यह दोनों पेपर उसे दे देंगे एक रात पहले ही…? भंडारी : करवा देंगे सॉल्व…कोई 150 क्वेश्चन करवा देंगे। …पेपर मैच हो गया, जैसे बच्चे ने कर लिया, पेपर तो वही आ गया ना! तो बच्चे को आराम से करना है, कोई हड़बड़ी नहीं करनी है। रिपोर्टर : एग्जामिनेशन सेंटर में? भंडारी : एग्जामिनेशन सेंटर से पहले, पेपर तो 10-15 मिनट पहले मिल जाएगा ना! ताकि भूल न जाए। …एग्जाम दे दिया आराम से शाम को तो मैच हो ही जाएगा। शाम को पेमेंट कर दिया। रिपोर्टर : शाम को? भंडारी : पेमेंट करनी है। रिपोर्टर : आप जो एक घंटे का गैप बताते हो दोनों एग्जाम्स के बीच में, उस एक घंटे में इसको किसी से बात नहीं करनी चाहिए? भंडारी : ना, क्यूँकि दूसरे को बता दिया इसको ये आएगा वो आएगा, फँसने वाला काम क्यों करें? रिपोर्टर : शाम को पेमेंट कर देनी है? लेकिन आप तो कह रहे थे, पेमेंट होगा पास होने के बाद? भंडारी : पास तो हो ही गया न वो, हमने तो पेपर दिखाया, दूसरे दिन दे दी पेमेंट। रिपोर्टर : और रिजल्ट कब तक आता है इसका? भंडारी : 10-15 दिन में। राकेश भंडारी ने ‘तहलका’ को बताया कि उनके पास तीन विकल्प हैं, जिनके जरिये वह एक उम्मीदवार को एफएमजीई क्लियर करने में मदद कर सकते हैं। पहला पेपर लीक, दूसरा सर्वर के जरिये और तीसरा रिजल्ट फेल से पास करवाकर। उन्होंने ऊपर पेपर लीक के बारे में बताया। अब वह रिपोर्टर को अन्य दो विकल्प बताते हैं। रिपोर्टर : दूसरा ऑप्शन में आप क्या बताते हैं? सर्वर में कुछ करते हैं? भंडारी : सर्वर का भी खेल होता है। तीसरा ऑप्शन है फेल भी हो गया, तो पास हो जाएगा। रिपोर्टर : वो कैसे? भंडारी : आपको पता है कितने बच्चे पास होते हैं? …कुल 2,500. रिपोर्टर : एफएमजीई में? और बैठते कितने हैं? भंडारी : 20,000…17,000; 2,000-2,500 पास होते हैं मैक्सिमम। रिपोर्टर : बैठते कितने हैं? भंडारी : 17-18 के (हजार) और 2,500-3,000 अधिकतम पास होते हैं। 10 फीसदी, 8 फीसदी रह जाते हैं। बाकी 200-400 बच्चे तो ऐसे ही निकलते हैं; क्योंकि इसमें इवेल्यूएशन कुछ नहीं है ना! मोटा पैसा खाते हैं वो। पासिंग सर्टिफिकेट दे दिया कट-कट के। रिपोर्टर : लेकिन उसमें भी लड़का एग्जाम में बैठता है? भंडारी : एग्जाम में कहीं भी हो, …मेन क्या है पासिंग सब्जेक्ट, वो लास्ट का खेल होता है। रिपोर्टर : उसमें कितना पैसा लगता है? भंडारी : एंड का खेल होता है, उसमें 15 लाख भी लगते हैं, 10 लाख भी। रिपोर्टर : लेकिन एग्जाम में बच्चा बैठता है उसमें? भंडारी : एग्जाम तो वो देगा। रिपोर्टर : तीनों ऑप्शन में एग्जाम देना है? भंडारी : एग्जाम तो देना ही, एग्जाम के बिना कैसे होगा? यह पूछे जाने पर कि क्या हमारे उम्मीदवार की ओर से कोई और एग्जाम में शामिल होगा या हमारा उम्मीदवार खुद एग्जाम देगा? के जवाब में भंडारी ने बताया कि सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है, जहाँ ऐसा करना सम्भव है। लेकिन उन्होंने चेताया कि यह जोखिम से भरा है। उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प प्रश्न पत्र लीक है। रिपोर्टर : अब आप मुझे बताओ, लड़का ये पूछ रहा था कि उसे एग्जाम देने जाना पड़ेगा या उसकी जगह कोई और देगा एग्जाम एफएमजी का? भंडारी : देखो सब एग्जाम देना पड़ेगा, सिर्फ एक ही सेंटर ऐसा है, जहाँ दूसरा आदमी बेठ सकता है। रिपोर्टर : दूसरा आदमी, वो कहाँ है? भंडारी : वो है सिक्किम में, उसमें प्रॉब्लम क्या है, उसमें हमें ड्रॉबैक भी देखने होंगे, …वैसे ड्रॉबैक में मैं काम करता ही नहीं हूँ, किस्मत खराब हो। फँस गया, तो जिन्दगी बर्बाद हो जाएगी। रिपोर्टर : हम्म। भंडारी : रिस्की काम है, इसका काम शाम को ही पता चलेगा इसको…एक दिन पहले या तो। रिपोर्टर : जैसे कल एग्जाम है एफएमजी का? भंडारी : रात में ही लेंगे, दिन में मोबाइल ले लेंगे, मोबाइल नहीं होगा। रिपोर्टर : उससे एक दिन पहले लड़के को क्वेश्चन पेपर मिल जाएगा? भंडारी : उसको दे जाएँगे वो रख लेगा अपना पास। अब राकेश भंडारी ने ‘तहलका’ से कहा कि वह परीक्षा से एक रात पहले पेपर लीक करवा देगा। परीक्षार्थी प्रश्न-पत्र देखेंगे। वह इसे हमारे उम्मीदवार के लिए भी हल करवाएँगे। हालाँकि उसने स्पष्ट किया कि अगर हमारा लीक हुआ प्रश्न-पत्र मुख्य प्रश्न-पत्र से मेल खाता है, लेकिन परीक्षार्थी परीक्षा में असफल रहा, तो यह उनकी गलती नहीं है। ऐसे में प्रत्याशी को तय राशि का 50 फीसदी यानी 15 लाख का 7.5 लाख देना होगा। रिपोर्टर : एक ऑप्शन तो आपने बता दिया एफएमजी एग्जाम का, …और दूसरा क्या है? भंडारी : दूसरा ऑप्शन, भी होता है पर देखो ये सबसे सटीक होता है, सटीक पता है कैसे? आपको पेपर दिखा दिया, आंसर दे दिये, 200… दे दिये। उसके बाद भी नहीं आएगा, तो ऐसे डॉक्टर बनने का क्या फायदा। और उसके बाद भी फेल हो जाए तो आधा पैसा तो देना ही पड़ेगा, …अपनी तो कोई गलती है ही नहीं। रिपोर्टर : आपने तो कवेशन पेपर दिखा दिया। भंडारी : दिखा दिया अब तुम याद ही न करो, समझ लो तू डॉक्टर बनने के लायक है ही नहीं, हा..हा..हा…, तेरे को कुछ भी नहीं आता, जब तेरे को आंसर दे दिया और 8 घंटे में पढ़ा भी दिया उसे, तब भी नहीं आएगा, तो फिर! रिपोर्टर : फेल हो गया तब भी 50 फीसदी देना पड़ेगा? भंडारी : देना पड़ेगा, वो छोड़ेगा थोड़ी जब सब मैच हो गया है। रिपोर्टर : मतलब 15 लाख का 7.50? यह आपके लिए राकेश भंडारी था। उसने अपनी कहानी सुनाई कि कैसे वह देश में फर्जी डॉक्टर बना रहा है और मानव जीवन को खतरे में डाल रहा है। अब ‘तहलका’ की मुलाकात ढाका (बांग्लादेश) के एक विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट से हुई। यह रिपोर्ट लिखे जाने के समय, उम्मीदवार अपने पहले प्रयास में एफएमजीई में अनुत्तीर्ण हो गया था। लेकिन इससे पहले, उसने कुछ महीने के लिए किसी अस्पताल में काम किया था, और अब दिल्ली में एक नयी नौकरी की तलाश कर रहा है। और कुछ भंडारी-प्रकार के बिचौलिये की भी तलाश कर रहा है, जो एफएमजीई के माध्यम से उसकी मदद कर सके, जिसके लिए वह भुगतान करने के लिए तैयार था। यद्यपि वह एनएमसी से लाइसेंस प्राप्त किये बिना चिकित्सा का अभ्यास (मेडिकल प्रैक्टिस) करके मानव जीवन को खतरे में डाल रहा था, हमने उसके भविष्य के करियर को देखते हुए उम्मीदवार की पहचान उजागर नहीं करने का फैसला किया। हम दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में कश्मीर के उम्मीदवार सिराज (बदला हुआ नाम) से मिले। सिराज : मैंने इंटर्नशिप खत्म किया जनवरी में। रिपोर्टर : जनवरी 2022 में और एमबीबीएस कब खत्म किया आपने? सिराज : एमबीबीएस मैंने किया था मई 2020 में। रिपोर्टर : एमबीबीएस आपने बांग्लादेश से किया? 2020 में कहाँ-कहाँ काम किया आपने? सिराज : मैंने तो वहीं पर इंटर्नशिप किया था एक साल का। रिपोर्टर : ढाका में? सिराज : जी, मेरे अंकल का एक प्राइवेट हॉस्पिटल हैं कश्मीर में। रिपोर्टर : किस जगह? सिराज : xxxxxx जिला। रिपोर्टर : xxxxx के रहने वाले हैं आप? सिराज : जी, वहाँ पर भी मैं जाता था। रिपोर्टर : कितने दिन काम किया था आपने?