बर्धमान में दो अक्टूबर को हुए धमाके के बाद उत्तर-पूर्व भारत में सक्रिय सभी जेहादी समूहों की गतिविधियां आंतरिक सुरक्षा के लिए नई परेशानी बनकर प्रकट हुए हैं. पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के खागरगढ़ गांव में स्थित एक घर में हुए विस्फोट के बाद बंगाल से लेकर असम तक कई संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया. पकड़े गये सभी लोगों का संबंध बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन से बताया जा रहा है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बर्धमान मामले की जांच में पाया कि असम के कई क्षेत्रों में इस्लामी आतंकियों ने पनाह ले रखी है. असम में जेहादी तत्वों को बढ़ानेवाले प्रमुख संदिग्ध शाहनूर आलम समेत कई लोगों की गिरफ्तारियां हुई हंै. जबकि दो अन्य संदिग्धों को लगभग दो महीने तक फरार रहने के बाद पकड़ा गया है. ऐसा पहली बार हुआ जब दिल्ली से दूर गुवहाटी में केंद्रीय गृहमंत्री ने सभी राज्यों के डीजीपी और आईजीपी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर बैठक की. गुवाहाटी को इस बैठक के लिए चुनकर शायद गृह मंत्रालय पूर्वोत्तर राज्यों में आंतकवाद को बढ़ावा देनेवाले समूहों को कड़ा संदेश देना चाहता है.
इस बैठक में सुरक्षा मामलों के सभी शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया. इस कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों के डीजीपी, आईजीपी, संघशासित प्रदेश और सभी अर्ध सैनिक बलों (बीएसएफ, डीसीपीडब्लू, एनसीआरबी, एनएचआरसी) के प्रमुख शामिल हुए. सूत्रों के हवाले से आ रही जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर बैठक को गुवाहाटी में कराए जाने का निर्णय लिया गया. पीएम ने गृह मंत्रालय को दिए निर्देश में स्पष्ट किया है कि देश के सभी हिस्सों में इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहिए. इसके जरिए पिछड़े और दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचने की कोशिश है. गुवाहाटी हमेशा से उग्रवादी गतिविधियों के कारण भी चर्चा में रहा है. अब जब गुवाहाटी आतंकवाद के संभावित केंद्र के रूप में सामने आ रहा है, तब केंद्र सरकार ने इस इलाके में सुरक्षा प्रमुखों की बैठक करके चरमपंथियों को एक संदेश देने की कोशिश की है. मौजूदा सरकार आतंकी समूहों को यह संदेश भी देना चाहती है कि पिछली सरकार के उलट यह सरकार किसी सूरत में आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगी और उनसे सख्ती से निपटेगी.