तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर रोक जारी

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दिए जाने के चलते तमिलनाडु में पारंपरिक त्योहार पोंगल के दौरान खेले जाने वाला जल्लीकट्टू खेल नहीं हो पाया. राज्य में जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चार साल से पाबंदी थी. लेकिन गत आठ जनवरी को नरेंद्र मोदी सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए कुछ नियमों के साथ इस खेल पर लगी पाबंदी हटा दी थी. इसके खिलाफ भारत पशु कल्याण समिति, पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) और एक गैर-सरकारी संस्था की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और तमिलनाडु सरकार के इस अनुरोध को ठुकरा दिया कि जल्लीकट्टू प्राचीन परंपरा व संस्कृति का हिस्सा है और इसे नहीं रोका जाना चाहिए क्योंकि सरकार की अधिसूचना में सुरक्षा के पर्याप्त प्रावधान हैं. हालांकि इस फैसले के बाद से राज्य में जल्लीकट्टू के समर्थकों द्वारा विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन भी किया गया.

जल्लीकट्टू तमिलनाडु में पोंगल के त्योहार के हिस्से के तौर पर मट्टू पोंगल के दिन आयोजित किया जाता है . केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया था कि समुदाय के रीति-रिवाजों या परंपराओं के तहत तमिलनाडु में जल्लीकट्टू और महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा में बैलगाड़ी दौड़ जैसे कार्यक्रमों में सांड़ों को प्रदर्श पशु (परफॉर्मिंग एनिमल) के तौर पर प्रदर्शित या प्रशिक्षित करना जारी रखा जा सकता है. दरअसल तमिलनाडु में कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं और जानकारों का मानना है कि संभवतः चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार ने यह फैसला किया था.