कैबिनेट ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम में संशोधनों को मंजूरी प्रदान कर दी जहां 16 से 18 साल आयु वर्ग के किशोर अपराधियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, अगर वे जघन्य अपराधों के आरोपी हैं. इस विधेयक को सरकार इसी सत्र में संसद में लाने की तैयारी में है. सरकार ने यह फैसला देश में बढ़ते बाल अपराध को मद्देनजर रखते हुए किया है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2002 में देश-भर में 484 नाबालिग, महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल थे, वहीं 2011 में यह संख्या बढ़कर 1149 हो गई.