‘गांधी’ के निर्माता एटनबरा का निधन

richard-attenboroughमशहूर ब्रिटिश फिल्मकार रिचर्ड एटनबरा का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. गांधी फिल्म के निर्देशन के लिए ऑस्कर पुरस्कार पाने वाले एटनबरा को भारत में भले ही गांधी फिल्म के लिए जाना जाता हो लेकिन सचाई यह है कि वह ब्रिटिश और हॉलीवुड फिल्म जगत का एक बड़ा नाम थे. उन्होंने कई फिल्मो में अभिनय भी किया.

एटनबरा के करियर की बात की जाए तो सन 60 के दशक में वह ब्रिटिश सिनेमा में बतौर अभिनेता अच्छी पहचान बना चुके थे लेकिन अभी भी उन्हें हॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ना बाकी था. सन 1963 में उन्होंने हॉलीवुड की युद्ध आधारित फिल्म ‘द ग्रेट एस्केप’ से अपने काम की शुरुआत की. इस फिल्म में उन्होंने एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी की भूमिका निभाई थी जो जर्मनी के युद्धबंदी शिविर से भागने की योजना बनाता है. इस फिल्म को द्वितीय विश्वयुद्ध बनी बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है. इस फिल्म में उनके अभिनय ने उनके कदम हॉलीवुड में जमा दिए और उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई भूमिकाएं निभाईं. इनमें फ्लाइट ऑफ द फीनिक्स, द सैंड पेबल्स, डॉक्टर डॉलिटल आदि शामिल हैं. दिग्गज भारतीय निर्देशक सत्यजित रॉय द्वारा निर्देशित फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में उन्होंने एक ब्रिटिश जनरल की भूमिका अदा की.

लेकिन एटनबरा के करियर का सुनहरा हिस्सा अभी बाकी था जो उन्होंने बतौर निर्देशक जिया. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायक महात्मा गांधी पर उन्होंने एक बेहद संजीदा फिल्म बनाई जिसका नाम था ‘गांधी.’ इस फिल्म ने उन्हें जबरदस्त शोहरत दिलाई. अगर यह कहा जाए तो गलतबयानी न होगी कि इस फिल्म के रिलीज होने के बाद दुनिया में गांधी को जानने वाला हर शख्स एटनबरा को जान गया.

बेन किंग्सली जैसे अपेक्षाकृत कम चर्चित अभिनेता को लेकर बनाई गई इस फिल्म की इतिहासकारों ने जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह फिल्म गांधी को लेकर कई तरह के मिथक गढ़ती है. बहरहाल, गांधी फिल्म को 11 ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नामित किया गया और फिल्म को आठ श्रेणियों में जीत हासिल हुई. इनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी, सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथा, सर्वश्रेष्ठ वस्त्र सज्जा और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (बेन किंगस्ली) आदि शामिल थे.

हॉलीवुड के निर्माता इस फिल्म में रुचि नहीं ले रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि इस फिल्म को दर्शक नहीं मिल सकेंगे. बहरहाल, एटनबरा ने पैसा जुटाने के 20 साल लंबे संघर्ष के बाद इस फिल्म को बनाया. गांधी के निर्माण के लिए एटनबरा ने लंदन के उपनगरीय इलाके में स्थित अपना घर गिरवी रख दिया और अपनी तमाम कलात्मक वस्तुएं बेच दीं. फिल्म में गांधी के अंतिम संस्कार के लिए 300,000 एक्स्ट्रा जुटाए गए थे. किसी ने नहीं सोचा था कि यह फिल्म 2.2 करोड़ डॉलर की अपनी लागत निकाल सकेगी लेकिन इस फिल्म ने अपनी लागत से 20 गुना अधिक आय अर्जित की.

गांधी के बाद एटनबरा ने कई फिल्में बनाईं लेकिन उन्हें वैसी कामयाबी नहीं मिल सकी. गांधी के रिलीज होने के 10 साल बाद सन 1992 में उन्होंने चार्ल चैपलिन के जीवन पर आधारित फिल्म चैपलिन बनाई. रॉबर्ट डाउनी जूनियर के शानदार अभिनय के बावजूद यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल न कर सकी.

एटनबरा ने अपने जीवन के आखिरी वर्षों में अमेरिकी राजनीतिक कार्यकर्ता थॉमस पेन के ऊपर गांधी की तर्ज पर एक फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन उनकी यह तमन्ना उनके निधन के चलते अधूरी रह गई.